Tuesday 28 November 2023

म्यांमार से हजारों भारत में घुसे

पिछले वुछ दिनों से भारत-म्यांमार सीमा के करीब म्यांमार सेना और सैन्य शासन का विरोध कर रहे बलों के बीच तेज हुईं झड़पों के बीच करीब पांच हजार विस्थापित लोग म्यांमार से मिजोरम पहुंचे हैं। म्यांमार सेना के 45 जवानों ने भी मिजोरम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। इन्हें भारतीय सेना को सौंप दिया गया और बाद में म्यांमार वापस भेज दिया गया। मिजोरम पुलिस के आईंजीपी लालबियाक्तगंगा खिआंगते ने इसकी पुष्टि की है। खिआंगते ने कहा, बार्डर के करीब दूसरी तरफ स्थिति अभी तनावपूर्ण है, लेकिन अभी तक भारत की तरफ से कोईं हिसात्मक गतिविधि नहीं हुईं है। विद्रोहियों ने कईं जगह हमले किए हैं और सेना की चौकियों पर कब्जा किया है जिसके बाद म्यांमार के सैनिकों को जंगल में छिपना पड़ रहा है। म्यांमार में सेना ने फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तब से ही म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है जिसकी वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। हाल के दिनों में चीन से सटे म्यांमार के शैन प्रांत में कईं हथियारबंद समूहों ने एकजुट होकर सेना के खिलाफ हमले किए और कईं जगहों पर कामयाबी हासिल की। इसके बाद भारत के सीमावता इलाकों में भी विद्रोहियों ने सेना के ठिकानों पर बड़े हमले किए हैं। पुलिस के मुताबिक सर्वाधिक विस्थापित चमफाईं जिले के सीमावता कस्बों में पहुंचे हैं। दरअसल म्यांमार में फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गईं आंग सान सू की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सैन्य शासन ने कानून-व्यवस्था बचाए रखने के लिए ताकत के इस्तेमाल को अपनी नीति बना रखा है, जिस कारण लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। तब से आज तक वहां चार हजार लोकतंत्र समर्थक मारे जा चुके हैं और बीस हजार से ज्यादा लोग जेल में पड़े हैं। यह जुटा शासन के जुल्मों की इंतेहा ही है कि पहली बार लोकतंत्र समर्थकों ने आंग सान सू की अहिसात्मक प्रातिरोध को छोड़कर हिसा का सहारा लिया है। बता दें कि मिजोरम और म्यांमार के बीच करीब 510 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है, जो ज्यादा सख्त नहीं है। चूंकि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो खुद को एक ही पूर्वज की संतान मानते हैं, इसी वजह से म्यांमार से आने वाले विस्थापितों को मिजोरम में पूरा समर्थन मिल रहा है, खास बात यह कि भारत के चार राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रादेश से लगती यह सीमा की मूवमेंट व्यवस्था के तहत आती है। जिसके मुताबिक लोग सीमा के दोनों तरफ 16 किलोमीटर तक आ जा सकते हैं। देश की सीमा के दोनों तरफ बसी जनजातियों में आपसी रिश्तेदारी के चलते इन प्रावधानों को कड़ा करना या शरणार्थियों के आने जाने पर रोक लगाना मुश्किल है। म्यांमार को शरणार्थियों को शरण देना मिजोरम में कानून-व्यवस्था लाए रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती है। बेहतर यही है कि म्यांमार में शांति स्थापना के लिए असियान देश बगैर विलम्ब किए पहल करें ताकि लोकतांत्रिक संबंध के जरिए स्थायी समाधान ढूंढ़ा जा सके। ——अनिल नरेन्द्र

बाबा रामदेव की सफाईं

बाबा रामदेव की सफाईं सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंतजलि को अपनी दवाओं से बीमारियों को ठीक करने के बारे में दावे करने को लेकर दी गईं चेतावनी के बाद बुधवार को योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि वे अपना पक्ष रखने के लिए पहली बार कोर्ट में पेश होंगे और तथ्यों के साथ अपनी बात रखेंगे। उन्होंने हरिद्वार में कहा कि नामचीन फार्मा वंपनियां और ड्रग माफिया पतंजलि योगपीठ आयुव्रेद भारतीय संस्वृति और सनातन संस्वृति को बदनाम करने के लिए लगातार 30 वर्षो से साजिश करते आ रहे हैं। वे भारतीय कानून और अदालत का पूरा सम्मान करते हैं। अब अपनी बात अदालत के सामने तथ्यों के साथ रखेंगे और आखिर में जीत हमारी होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी थी कि वह भ्रामक विज्ञापन बंद करें नहीं तो वह उन पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाएगा। बाबा रामदेव ने कहा अब अपनी बात अदालत के सामने तथ्यों के साथ रखेंगे और आखिर जीत हमारी ही होगी। उन्होंेने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को गैर-जिम्मेदाराना संगठन करार देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय यदि हमें भी इस संबंध में अपना पक्ष रखने का मौका देगा तो मैं स्वयं न्यायालय के सामने पूरे तथ्यों, क्लीनिकल साक्ष्यों और वैज्ञानिक शोध पत्रों के साथ पेश होने को तैयार हूं। हम इस बारे में पूरी तरह से कानूनी लड़ाईं लड़ने को तैयार हैं। हम आज भी अपने दावे पर अडिग हैं और अगर न्यायालय इसके लिए हमें करोड़ों रुपए के जुर्माने के साथ फांसी पर भी लटकाए तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। बता दें कि पतंजलि का सालाना टर्न ओवर 45,000 करोड़ रुपए है। वंपनी ने आने वाले समय में एक लाख करोड़ के टर्न ओवर का लक्ष्य रखा है। वंपनी के इस लक्ष्य से अप्रात्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है। पतंजलि जल्द ही अपने उत्पादों के बारे में कईं बड़े पैसले ले सकती है। रामदेव ने कहा, पतंजलि योग और आयुव्रेद के साथ लोगों के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज व राष्ट्र सेवा का जन आंदोलन चला रहा है। यहां निजी हित को कोईं स्थान नहीं है। सब वुछ समाज व सेवा व राष्ट्र के लिए है। इसी तरह से पतंजलि को डिजाइन किया गया। पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बहुत दिनों से लड़ाईं चल रही है। सब एलोपैथिक पद्धति के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। डाक्टरों के खिलाफ भी अपशब्द कहते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि द्वारा विभिन्न गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले भ्रामक दावों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह जंग जारी है। देखना है कि बाबा रामदेव की चुनौती का सुप्रीम कोर्ट अब क्या जवाब देता है।

Thursday 23 November 2023

किस ओर धारा, कांग्रेस या भाजपा?

कांग्रेस या भाजपा? जोधपुर के नवी चौक के करीब चाय-नाश्ते की एक दुकान पर वुछ लोग बैठे हुए थे। चुनावी चर्चा शुरू होती है। वहां मौजूद नौ लोगों में राय बंटी हुईं है। भाजपा-कांग्रेस को लेकर बहस आगे बढ़ती है और बात अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे तक पहुंच जाती है। बातों-बातों में इन लोगों से पूछा जाता है कि अगर उनकी पसंदीदा पार्टी जीती तो सीएम कौन होगा? देवेन्द्र बिश्नोईं दावा करते हैं कि भाजपा ही जीतेगी और वसुंधरा राजे सिंधिया अगली मुख्यमंत्री होंगी। उनके बगल में बैठे ललित सिंह कहते हैं कांग्रेस की सरकार वापसी करेगी और अशोक गहलोत ही सीएम बनेंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि राज्य में वोटर के मन में यह बात गहरे तरीके से बस गईं है कि हर पांच साल पर होने वाला बदलाव उनके लिए अच्छा है। वे इससे सरकार की लगाम थामे रहते हैं। अशोक गहलोत की अगुवाईं वाली कांग्रेस सरकार इसी सियासी चलन को बदलने की पूरी ताकत लगा रही है। राज नहीं रिवाज बदलेगा, थीम पर वह आव्रमक तरीके से प्रचार में हैं। खासकर एक साल के दौरान उनकी कईं योजनाओं का साफ असर दिखता है। जयपुर-जोधपुर हाइवे से सटे चितरैली गांव में मालती सिंह कईं संस्थाओं से जुड़ी हैं। वह बताती हैं कि जमीन पर गहलोत सरकार ने बहुत काम किया है। वह कहती हैं कि इनके इलाके में कोईं ऐसा परिवार नहीं है जिन्हें चिरंजीवी कार्ड न मिला हो। इन योजनाओं के कारण मुमकिन है कि लोग कांग्रेस को दोबारा वोट करें। लेकिन उनके ठीक बगल में बैठे मुकेश वुमार इससे सहमत नहीं हैं। वे मानते हैं कि बदलाव होकर रहेगा, भाजपा की सरकार बनेगी। राज्य की 200 विधानसभा सीटों पर एक चरण में चुनाव 25 नवम्बर को होने हैं। बेशक गहलोत और वसुंधरा के सीएम बनने पर इनकी पार्टियों ने कोईं बयान नहीं दिया है लेकिन लोग उन्हें लेकर मुखर हैं। इन दोनों नेताओं की बदौलत ही राज्य में दोनों पार्टियां मजबूत हैं। जोधपुर के दिवाशुं वत्स कहते हैं कि यहां के लोगों के लिए कांग्रेस को वोट देने का मतलब गहलोत को सीएम बनाना है। इसी तरह यह लोग मानते हैं कि यदि भाजपा जीतती है तो वसुंधरा सीएम होंगी। अगर भाजपा ने जीत के बाद वसुंधरा को सीएम नहीं बनाया तो पार्टी के लिए उनका एक वोट समाप्त हो जाएगा। जोधपुर के इस चौक की चर्चा में यह बात साफ नजर आ रही है कि लड़ाईं सिर्प इस बात पर नहीं है कि सत्ता में भाजपा आएगी या कांग्रेस आएगी। सीएम कौन होगा, जनता इस पर भी अपनी राय बनाए हुए है। कांग्रेस में गहलोत और भाजपा में वसुंधरा को सीएम के रूप में देखने की चाह रखने वाले लोग मिले तो इन पर विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। जयपुर के अभिषेक सिंह सिर्प कमल को वोट देते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि भाजपा राज्य में नए नेतृत्व को सामने लाए। हालांकि समर्थन और विरोध के सुर वसुंधरा और गहलोत के ही इर्द-गिर्द अधिक हैं। इससे अंदाजा लग जाता है कि राज्य की राजनीति में इन दोनों की कितनी गहरी पैठ है। यही कारण है कि दोनों का कद कांग्रेस और भाजपा को राज्य में अपनी रणनीति तय करने में एक बड़ा पैक्टर रखता है। देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है, भाजपा की तरफ या कांग्रेस की तरफ। ——अनिल नरेन्द्र

आस्ट्रेलिया ने बेशक कप जीता पर दिल जीता टीम इंडिया ने

पर दिल जीता टीम इंडिया ने इस व्रिकेट वल्र्ड कप में एक बार भी हार का मुंह न देखने वाली टीम इंडिया ने देशवासियों के मन में कप जीतने की उम्मीद को विश्वास में बदल दिया था मगर रविवार को हुआ फाइनल मैच आशा के विपरित रहा। शुरुआती मैचों में हार का मुंह देखने वाली आस्ट्रेलियाईं टीम ने बेशक कप जीता हो मगर टूर्नामेंट में दिल जीता टीम इंडिया ने। मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब विराट कोहली को मिलना तो यही बताता है। मैं कोईं व्रिकेट विशेषज्ञ नहीं पर मेरी राय में टूर्नामेंट में सारे मैच जीतना टीम इंडिया को भारी पड़ गया। अगर एक-दो मैच हार जाते तो शायद और विश्वास व ध्यान से खेलते। आस्ट्रेलिया अपने दो मैच हारकर जीतने का गुण सीख गया और हम सारे मैच जीतकर भी फाइनल हार गए। वल्र्ड कप से पहले टीम इंडिया के परफार्मेस को लेकर संदेह जताए जा रहे थे। फील्डिंग से लेकर बॉलिंग और आलराउंडर खिलािड़यों की कमी पर सवाल उठाए जा रहे थे। हालांकि वल्र्ड कप में एक के बाद एक 10 मैच जीतकर टीम इंडिया ने बता दिया कि वह सुपर पावर है। वुछ लोगों का मानना है कि अगर यह मैच वानखेड़े में होता या ईंडन गार्डन या फिरोजशाह कोटला में होता तो शायद कप टीम इंडिया के हाथों में होता। क्या टीम इंडिया के स्पोर्टिग स्टाफ ने पिच को ठीक से पढ़ा नहीं? वानखेड़े, ईंडन गार्डन व फिरोजशाह कोटला जानी पहचानी पिचें थीं जिनके बाउंस और टर्न से टीम इंडिया पूरी तरह से वाकिफ थी पर राजनीति के चलते इसे एक इवेंट बनने की खातिर इसे नरेन्द्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद में रखा गया, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री और तमाम वीआईंपी पहुंचे थे। विशेषज्ञ कईं कमियां बता रहे हैं। बेशक रोहित शर्मा ने अच्छा स्टार्ट दिया पर वह जिस तरह से लूज शॉट मारकर आउट हुए वह निराशाजनक था। शुभमन गिल तो आए और गए। केएल राहुल ने इतनी स्लो बैटिंग की जिससे भारत अच्छे स्कोर तक नहीं पहुंच सका। एक मैच पहले शतक बनाने वाले श्रेयस अय्यर ने बहुत ही गंदा शॉट मारकर अपनी विकेट गंवा दी। त्रषभ पंत की इंजरी की वजह से केएल राहुल को विकेट कीपिंग करनी पड़ी और बेशक उन्होंने पूरी कोशिक की पर रेग्युलर विकेटकीपर की कमी भारी पड़ी। फाइनल देखने के जुनून के कारण अहमदाबाद के होटल और हवाईं टिकटों के किराए तीस गुना महंगे हो गए। खेल की दुनिया में पुटबाल के बाद व्रिकेट का जुनून सबसे ज्यादा है। खेल में हारजीत तो होती रहती है। टीम इंडिया ने इस वल्र्ड कप में बहुत शानदार प्रदर्शन किया। पूरे देश को उन पर गर्व है। रविवार को आस्ट्रेलिया बेहतर टीम दिखी। उन्होंने मैच को प्रोपेशनल तरीके से खेला। लगता है कि उन्होंने अहमदाबाद पिच को बेहतर तरीके से पढ़ा। इसी वजह से उन्होंने पहले गेंदबाजी करने का पैसला किया। इस बार टीम इंडिया से कप जीतने की बहुत उम्मीद थी और करोड़ों भारतीयों का दिल टूटा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड आर्नेस ने बैठकर इस मैच का आनंद तो लिया, आईंसीसी द्वारा सभी वल्र्ड कप की विजेता टीमों के कप्तानों को बुलाने के कारण भी यह अवसर यादगार रहा। हां, कपिल देव और महेन्द्र सिंह धोनी की गैरहाजरी जरूर खली। कपिल देव ने तो ट्वीट करके कहा कि उन्हें तो मैच के लिए बुलाया तक नहीं गया। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था। पहला वल्र्ड कप जिताने वाले कप्तान को इस तरह नजरंदाज किया गया यह बताता है कि व्रिकेट में भी राजनीति आ गईं है।

Tuesday 21 November 2023

नेतन्याहू के खिलाफ क्यों भड़का गुस्सा!

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जहां दुनिया भर में गुस्सा बढ़ रहा है, वहीं उनके अपने देश इजराइल में भी उनके खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है. येरुशलम की सड़कों पर उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है. कुछ इजराइली लोगों पर आरोप है नेतन्याहू ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए इजराइल को इस युद्ध में घसीटा है तो कुछ का कहना है कि इजराइलियों का गुस्सा बंधकों की रिहाई में ढील के खिलाफ है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध में सैकड़ों इजराइली मारे गए हैं और 200 से ज्यादा लोग अभी भी जेल में हैं। हमास के कब्जे में है. युद्ध को एक महीने से ज्यादा हो गया है. इस बीच इजराइल इन बंधकों को रिहा नहीं कर पाया है और बंधक अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं, इसलिए लोगों में काफी गुस्सा है . नेतन्याहू का फैसला है. मध्य पूर्व में कुछ ही देश हैं जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है. इजरायल को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में मान्यता प्राप्त है. हालांकि, पिछले कुछ समय से इसकी लोकतांत्रिक बुनियाद हिल गई है. आग लगी हुई है देश में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं. इजराइल की आबादी करीब 93 लाख है, लेकिन देश छोटा है, लेकिन आर्थिक और सैन्य ताकत के मामले में काफी मजबूत है. इतने शक्तिशाली देश में क्यों है गुस्सा और समृद्ध देश? प्रधानमंत्री नेतन्याहू सुप्रीम कोर्ट में सुधार करना चाहते हैं। क्या यह संसद में पारित हो गया है? जनवरी में नितिन हायो ने संकेत दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुधार किया जाएगा। शायद ही कोई शहर बचा हो जहां सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन न हुए हों हुआ। इजराइल में सरकार की ताकत बनाम कोर्ट की ताकत का खेल चल रहा है। इजराइली सुप्रीम कोर्ट के पास सरकार के फैसलों को पलटने की ताकत है। इसके पास ज्यादा ताकत है और यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप करना। बिल के तहत 3 मुख्य सुधार हैं: कानून की समीक्षा करने या संसद में इसे खारिज करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कमजोर करना। ऐसे कई फैसले लेने की शक्ति देने की प्रणाली बनाना। असामान्य है और सर्वोच्च न्यायालय सहित न्यायालयों में किस न्यायाधीश की नियुक्ति होगी, यह तय करने का अधिकार उसे है या आसान भाषा में कहें तो सरकार के पास सभी शक्तियां हैं और सर्वोच्च न्यायालय सिर्फ एक संस्था है जो इसे नियंत्रण में रखती है ताकि अत्याचार न बढ़े। देश में जहां लोगों को लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां कम कर दी गईं तो अत्याचार बढ़ जाएगा, इसलिए इजराइली लोग प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ सड़कों पर हैं. (अनल नरेंद्र)

Saturday 18 November 2023

अडाणी की वजह से ममता मेहरबान

तृणमूल कांग्रोस की प्रामुख ममता बनजा गौतम अडाणी से दूरी दिखाने के लिए अब महुआ मोइत्रा के प्राति अपने रुख में नरमी लाईं हैं। उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया गया है और आगे लोकसभा का फिर से टिकट भी देंगी। अडाणी बंगाल में कोल ब्लॉक के लिए प्रायासरत है, इसका भाकपा और स्थानीय संस्थाएं विरोध कर रहे हैं। वीरभूम जिले में देउचा पचामी कोयला ब्लॉक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक है जिसमें लगभग 1,198 मिलियन टन कोयला और 1,400 मिलियन टन बेसाल्ट है। अडाणी की इसी पर नजर है। इस कोयला ब्लॉक से बड़ी तादाद में आदिवासी प्राभावित होंगे। ऐसी समस्याएं व्यक्त की जा रही हैं कि अडाणी को ही कोयला ब्लॉक मिलेगा, इसलिए राजनीतिक दल और आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रोस को लगा कि अगर वह महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाईं करती हैं तो देश में यह संदेश जाएगा कि उसने अडाणी का विरोध करने वाली सांसद का साथ नहीं दिया। महुआ अक्सर अडाणी पर हमलावर रहती हैं। ये ही वजह है कि तृणमूल कांग्रोस ने अडाणी से दूरी दिखाने के लिए अब अपनी सांसद महुआ मोइत्रा के प्राति नरम रुख कर लिया है। पाटा ने उन्हें संगठन में जगह देते हुए वृष्णानगर का जिलाध्यक्ष बनाया है। आगे लोकसभा का टिकट भी देंगी। संसद में घूस लेकर सवाल पूछने के मामले में जब तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप लगे थे तो पाटा ने उनसे दूरी बना ली थी। इस बीच तृणमूल कांग्रोस की प्रामुख ममता बनजा ने अपनी सांसद के बचाव में एक शब्द नहीं बोला। पहले तृणमूल कांग्रोस की लाइन यही थी कि जिस सांसद पर आरोप लगे हैं वही अपना बचाव करे। इस वजह से विपक्षी दलों ने भी महुआ मोइत्रा से मुंह मोड़ लिया। एक तरह से महुआ मोइत्रा अकेली पड़ गईं थीं। लोकसभा की समिति ने लोकसभा अध्यक्ष को तृणमूल कांग्रोस सांसद महुआ की सदस्यता छीनने की सिफारिश की है। इस सिफारिश को पाटा अब पक्षपातपूर्ण मुद्दा मानती है। समिति में वैप्टन अमरिदर सिह की पत्नी और निलंबित सांसद परनीत कौर ने महुआ के खिलाफ वोट दिया था जिससे बहुमत महुआ के खिलाफ रहा। महुआ ने अपनी नईं नियुक्ति के लिए पाटा नेतृत्व को धन्यवाद दिया है। सांगठनिक जिम्मेदारी देने के पीछे वुछ लोगों का मानना है कि इससे यह संदेश गया है कि पाटा महुआ के साथ है। एक अन्य वर्ग के मुताबिक अगर महुआ को सजा के तौर पर अगले लोकसभा चुनाव में खड़ा नहीं किया गया तो पाटा उनका संगठन में इस्तेमाल कर सकती है। सत्तारुढ़ दल ने एक प्राशासनिक जिले को कईं संगठनात्मक जिलो में विभाजित कर दिया है। इससे पहले महुआ नादिया जिले की अध्यक्ष थीं, लेकिन जब तृणमूल ने नदिया को वृष्णा नगर और राणघाट में विभाजित किया तो महुआ को संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं दी गईं थी। वह केवल सांसद के रूप में काम कर रहीं थीं। तृणमूल ने जिला स्तर पर बड़ा संगठनात्मक पेरबदल किया है। विभिन्न जिलों की नईं ताजपोशी से कईं प्रामुख नेताओं का नाम गायब है और कईं नए नाम जुड़े हैं। पाटा ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपनी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ मजबूती से खड़ी है। ——अनिल नरेन्द्र

आर्थिक अपराधियों को हथकड़ी न लगाईं जाए

क्या आर्थिक अपराधियों को हथकड़ी लगाईं जानी चाहिए यह प्राश्न कईं बार उठ चुका है। अब संसद की एक समिति ने कहा है कि आर्थिक अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए लोगों को बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोपियों की तरह हथकड़ी नहीं लगाईं जानी चाहिए। भाजपा सांसद ब्रजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा की है। समिति की रिपोर्ट प्रास्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस- 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए-2023) से संबंधित है। गत 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए ये तीन विधेयक कानून बनने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 दंड प्राव््िराया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे। समिति की रिपोर्ट गत शुव््रावार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गईं। संसदीय समिति के अनुसार, उसे लगता है कि हथकड़ी का उपयोग गंभीर अपराधों के आरोपियों को भागने से रोकने और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिाित करने के लिए चुनिदा जघन्य अपराधों तक सीमित है। बहरहाल, समिति का मानना है कि आर्थिक अपराध को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘आर्थिक अपराध शब्द’ में अपराधों की एक विस्तृत श्रंखला शामिल है। इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों में हथकड़ी लगाना उपयुक्त नहीं हो सकता है। समिति ने कहा कि इसलिए समिति सिफारिश करती है कि खंड 43(3) को आर्थिक अपराध शब्द हटाने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जा सकता है। बीएनएसएस के खंड 43(3) में कहा गया है, पुलिस अधिकारी अपराध की प्रावृत्ति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय हथकड़ी का उपयोग कर सकते हैं, जो आदतन अपराधी है, जो हिरासत से भाग गया है या जिसने संगठित अपराध, आतंकवादी वृत्य का अपराध, नशीली दवाओं से संबंधित अपराध किया है। वुछ लोगों का मानना है कि बेशक आचरण को देखकर गंभीर से गंभीर (अपराध) में दोषसिद्धि व्यक्ति के प्राति भी कानून नरमी बरतता रहा है और आचरणगत व्यवहार के प्राति संजीदगी दिखाने पर कानून की समाज के प्राति संवेदनशीलता भी दिखाईं पड़ती है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि यह मामला केवल आचरण भर का नहीं है। ज्यादातर आर्थिक अपराध जानबूझकर किया गया अपराध होता है और नियोजित तरीके से अंजाम दिया जाता है। ऐसे अपराधी के प्राति नरमी सोच से परे है। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि ऐसे अपराध में ज्यादातर वांछित देश से ही भाग

Thursday 16 November 2023

लोकसभा, विधानसभाओं का एक साथ चुनाव?

लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग (इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया) को लगभग तीस लाख इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईंवीएम) की जरूरत होगी और इसके लिए करीब डेढ़ साल का समय लगेगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि देश में एक साथ चुनाव कराने पर विचार-विमर्श तेज होने के बीच आयोग ने वुछ महीने पहले विधि आयोग को सूचित किया था कि इतनी ईंवीएम को रखने के लिए पर्यांप्त भंडारण सुविधाओं की आवश्यकता होगी। एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराने के मसले पर एक रपट पर काम कर रहे हैं। विधि आयोग ने निर्वाचन आयोग के साथ उसकी जरूरतों और चुनौतियों पर बातचीत की थी। इस बातचीत से अवगत सूत्रों ने कहा कि बहुत वुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस तरह की कवायद कब होगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित की गईं एक उच्च स्तरीय समिति संविधान के तहत मौजूद ढांचे और अन्य वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि एक ईंवीएम में एक वंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट, एक वोटर वेरिलिएबल पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपैट) यूनिट होता है। आयोग को एक साथ चुनाव कराने के लिए करीब 31 लाख वंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग बत्तीस लाख वीवीपैट की आवश्यकता होगी। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लगभग 35 लाख वोटिंग यूनिट (वंट्रोल यूनिट), बैलेट यूनिट और वीवीपैट यूनिट की कमी है। जब वुछ राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो मतदाता दो अलग-अलग ईंवीएम में अपना वोट डालते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में 12.50 लाख मतदान केन्द्र थे। आयोग को अब इतने मतदान केन्द्रों के लिए लगभग 15 लाख वंट्रोल यूनिट, 15 लाख वीवीपैट यूनिट और 18 लाख बैलेट यूनिट की आवश्यकता है। निर्वाचन आयोग ने एक कार्यंव्रम में फिल्म अभिनेता राजवुमार राव को अपना राष्ट्रीय आइकान नियुक्त किया है। वे आमजन को मतदान के लिए प्रेरित करेंगे। ——अनिल नरेन्

डीप पेक वीडियो की भरमार

बॉलीवुड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना आजकल चर्चा में हैं और उनके साथ डीप पेक तकनीक को लेकर भी एक नईं बहस छिड़ गईं है। पुष्पा जैसी कामयाब फिल्मों से अलग पहचान बनाने वाली रश्मिका मंदाना की चर्चा फिलहाल एक वायरल वीडियो को लेकर हो रही है। डीप पेक वीडियो के जरिए तैयार इस वीडियो में नजर आ रही एक महिला को रश्मिका मंदाना की तरह दिखाने की कोशिश की गईं है। रश्मिका मंदाना ने इसे लेकर दुख जाहिर किया है और जल्दी से जल्दी इसका समाधान तलाशने की अपील की है जिससे किसी और को उनके जैसी तकलीफ न छेलनी पड़े। रश्मिका मंदाना ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा : ईंमानदारी से ऐसा वुछ भी कहना डरावना है, न सिर्प मेरे लिए बल्कि हम सभी के लिए। उन्होंने आगे लिखा कि आज तकनीक का जिस तरह से दुरुपयोग हो रहा है, उससे सिर्प उन्हें ही नहीं बल्कि तमाम दूसरे लोगों को भी भारी नुकसान हो सकता है। आज एक महिला और एक्टर होने के नाते मैं अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों की शुव्रगुजार हूं जो मेरे रक्षक और सपोर्ट सिस्टम हैं। लेकिन अगर ऐसा वुछ तब होता जब मैं स्वूल या कॉलेज में थी तो सच में यह कल्पना नहीं कर सकती हूं कि तब मैंने इसका कैसे सामना किया होता। वहीं केन्द्रीय (राज्य प्रसार) मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि किस इंर्फोमेशन को उनके प्लेटफार्म पर शेयर की जाए। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का डीप पेक वीडियो का पैक्ट चैक करने वाले एक शख्स ने दी है। पैक्ट चेकिग वेबसाइट आहट न्यूज से जुड़े एक्सपर्ट ने एक्स पर बताया कि ये वीडियो डीप पेक तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है और वीडियो में दिखने वाली महिला रश्मिका मंदाना नहीं हैं। डीप पेक क्या है? डीप पेक एक तकनीक है। जिसमें एआईं का उपयोग करके वीडियो, छवियों और ऑडियो में हेर-पेर किया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से किसी दूसरे व्यक्ति की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगाकर इसे बदला जा सकता है। सरल भाषा में कईं तो इन तकनीक में एआईं का इस्तेमाल करके डीप पेक वीडियो बनाईं जा सकती है जो देखने में रियल लगती है। लेकिन होती पेक है इसी कारण इसका नाम डीप पेक रखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस शब्द का प्रचलन 2017 में शुरू हुआ जब एक रेडिट यूजर ने अश्लील वीडियो में चेहरा बदलने के लिए इन तकनीक का उपयोग किया था। बाद में रेडिट ने डीप पेक पॉर्न को बैन कर दिया था। डीप पेक बेहद पेचीदा तकनीक है। इसके लिए मशीन लर्निग यानी कम्प्यूटर में दक्षता होनी चाहिए। डीप पेक वंटेट दो एल्गोरिदम का उपयोग करके बनाईं जाती है जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। एक को डिकोडर कहते हैं तो दूसरे को एनकोडर। इनमें पेक डिजिटल वंटेट बनाता है और डिकोडर ये पता लगाने को कहता है कि वंटेट रियल है या नकली? हर बार डिकोडर वंटेट को रियल या पेक के रूप में सही ढंग से पहचानता है, फिर वह उस जानकारी को एनकोडर को भेज देता है ताकि अगले डीप पेक में गलतियां सुधार कर उसे और बेहतर किया जा सके। पोर्नोग्राफी में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल होता है। अभिनेता और अभिनेत्री का चेहरा बदल के अश्लील वंटेट पोर्न साइट्स पर पोस्ट किया जाता है। डीप व पेक की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ऑनलाइन पाए गए डीप पेक वीडियो में 96 प्रतिशत अश्लील वंटेट था। डीप पेक वंटेट में कलरिंग को देखकर भी पता लगाया जा सकता है कि तस्वीर में या वीडियो में छेड़छाड़ की गईं है। अक्सर लोग डीप पेक तकनीक में पेस और आंख की पोजिशन में मात खा जाते हैं।

Tuesday 14 November 2023

निगरानी के लिए विशेष पीठ बनाएं

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् उच्चतम न्यायालय ने एक अहम पैसले के तहत उच्च न्यायालयों को जन प्रातिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दिया ताकि उनका शीघ्र निपटारा सुनिाित किया जा सके। इस आदेश का मकसद नेताओं के खिलाफ 5000 से अधिक आपराधिक मामलों में त्वरित सुनवाईं है। शीर्ष अदालत ने विशेष अदालतों से यह भी कहा कि वे दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर ऐसे मामलों की सुनवाईं स्थगित न करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मामलों की निगरानी के लिए विशेष पीठ की अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश खुद करें या किसी पीठ को नामित करें। इन मामलों को लेकर अधिकारिक संख्या तैयार करें और एक वेब समूह बने जिसमें स्थिति का विवरण हो कि कहां कितने मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईंकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश जिला जजों से इस मामलों के निस्तारण के लिए समय-समय पर रिपोर्ट लेते रहें। पीठ ने कहा कि इस वेबसाइट में लगातार एमपी, एमएलए के खिलाफ लंबित मामलों का ब्यौरा डाला जाए। दरअसल सांसदों और विधायकों के खिलाफ बढ़ते हुए आपराधिक मामलों को देखने हुए सुप्रीम कोर्ट नेही केन्द्र सरकार को उन सभी राज्यों में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था जहां पर इन सब प्रातिनिधियों के खिलाफ वुल 65 से अधिक मामले लंबित थे। गंभीर अपराधों में आरोप तय होते ही चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाईं करके आदेश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब राज्य सरकारें, सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामले खुद वापिस नहीं ले सवेंगी। इसके लिए संबंधित राज्य के हाईंकोर्ट की मंजूरी लेनी होगी। आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाईं के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। पीठ ने सितम्बर 2020 के बाद सांसदों, विधायकों के वापस लिए गए मामले दोबारा खोलने को भी कहा है, चीफ जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील अश्विनी वुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर ऐसे केस जल्द निपटाने के लिए मौत की सजा या उम्र वैद वाले मामलों को प्राथमिकता देने समेत कईं निर्देश जारी किए। पीठ ने कहा, मुख्य न्यायाधीश प्रातिनिधियों के लिए नामित अदालतों के संबंध में स्वत, संज्ञान मामला दर्ज करेंगे। मामलों को वे विशेष पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर सकते हैं, जिसमें मुकदमे पर रोक के आदेश पारित किए गए हैं, ताकि केस की शुरुआत व समापन के लिए रोज के आदेशों को पारित किया जाना सुनिाित हो सके। शीर्ष कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामलों के लिए देशभर की ट्रायल अदालतों के लिए एक समान दिशा-निर्देश बनाना उसके लिए मुश्किल होगा। ऐसे में प्राभावी निगरानी के उपाय विकसित करने की जिम्मेदारी हाईंकोर्ट को दे दी है। पीठ ने कहा यह इसलिए उचित भी है, क्योंकि वही न्यायिक व प्राशासनिक स्तर पर इन केसों से निपट रहे हैं और हर जिला अदालतों की स्थिति को अच्छे से जानते हैं। —— अनिल नरेन्द्र

..और अब अस्पतालों पर ताबड़तोड़ हमले

पर ताबड़तोड़ हमले उत्तरी गाजा में इजरायली सैनिकों और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच अस्पतालों में मौजूद हजारों लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। हवाईं हमलों के साथ अब जमीनी कार्रवाईं भी कर रही इजरायली सेना गाजा के प्रामुख अस्पतालों - अल शिफा, अल-वुद्स, अल-रेन टिसी और इंडोनेशिया अस्पताल के करीब पहुंच गईं है। इन अस्पतालों में घायल मरीजों और मेडिकल स्टाफ के अलावा ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिन्होंने सुरक्षा के लिए यहां शरण ली है। प्रात्यक्षदर्शियों ने बीबीसी को बताया कि शुव््रावार को दिन भर अस्पतालों के पास से गोलीबारी हुईं और धमाकों की आवाज आती रही। शुव््रावार को सामने आए एक वीडियो में एक महिला कह रही थी कि अल-रेनटिसी अस्पताल को इजरायली टैकों ने घेर लिया है और सबको यहां से निकलने के लिए कहा है। इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि वीडियो अल-रेनटिसी अस्पताल का ही है। इसके अलावा अल-शिफा अस्पताल को भी इजरायली सेना के टैंकों ने घेर लिया है। हमास पर इजरायल, अल-शिफा अस्पताल के नीचे बसी सुरंगों से गतिविधियां चलाने का आरोप लगाता रहा है। हमास इन आरोपों को गलत बताता रहा है। रेड व््रास की अंतर्राष्ट्रीय कमेटी ने चेताया है कि उत्तरी गाजा के अस्पताल उस दौर में पहुंच गए हैं, जहां से वे कभी पहले वाली स्थिति में नहीं पहुंच पाएंगे और इस वजह से हजारों लोगों की जान का खतरा पैदा हो गया है। अल-शिफा समेत गाजा सिटी के चारों प्रामुख अस्पतालों में तनाव की स्थिति बनी हुईं है। गाजा के खान यूनिस से अबू उलफ ने बताया कि अल-शिफा अस्पताल के अंदर मौजूद लोगों को धमाकों और गोलीबारी की आवाजें सुनाईं दे रही हैं। इजरायली टैंक अस्पताल से सिर्प 100 मीटर दूर हैं। अस्पताल के निदेशक का कहना है कि अस्पताल के अंदर 15 हजार लोग हैं। इनमे वे लोग भी शामिल हैं, जो पास ही के एक शरणाथा शिविर से भागकर जान बचाने के लिए यहां पहुंचे हैं। इस वैंप को इजरायली टैंकों ने घेर लिया था। अल-शिफा अस्पताल के डाक्टर सालमिया ने बताया कि वुछ लोग अस्पताल से निकल चुके हैं, क्योंकि अब यह सुरक्षित नहीं रहा। अल-शिफा अस्पताल में रुके लोगों में बुजुर्ग और बीमारों की संख्या ज्यादा है। ये ऐसे लोग हैं जो दक्षिणी गाजा की ओर सफर नहीं कर सकते जिसे इजरायल सुरक्षित बता रहा है। घायलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि उन्हें बरामदों और फर्श पर रखा गया है। गाजा सिटी के अलनस्त्र अस्पताल का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें बच्चे और बुजुर्गो समेत वुछ लोग सपेद झंडे दिखाते हुए निकलने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच गोलीबारी या शायद एक धमाका सुनाईं दिया और ये लोग वापस अस्पताल की ओर चले गए। यह लगभग तय था कि जब इजरायली सेना गाजा में प्रावेश करेगी तो इन अहम अस्पतालों का रुख करेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इजरायल पहले से ही हमास पर अस्पतालों से गतिविधियां चलाने का आरोप लगाता रहा है। इस युद्ध को 35 से ज्यादा दिन पूरे हो चुके हैं। हमास के तहत काम करने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गाजा में इजरायली हमलों में अब तक 11,078 लोगों की जान गईं है और 27 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सात अक्टूबर को हुए हमास के हमले में करीब 1200 लोगो (इजरायली) की मौत हो गईं थी और 240 से अधिक को बंधक बना लिया गया था। इजरायली सेना का कहना है कि पिछले 2 दिन में एक लाख लोग दक्षिणी गाजा की ओर चले गए हैं।

Saturday 11 November 2023

बार-बार भूवंप के झटके

एक वर्ष के अंदर नेपाल में आए पांच भूंकप से राजधानी के लोग भी सहम गए हैं। तीव्रता इतनी ज्यादा रही है कि इसके झटके को एनसीआर तक महसूस किया गया। बीते तीन दिनों में ही भूवंप के दो झटके दिल्ली में महसूस किए गए हैं। राजधानी-एनसीआर क्षेत्र में सोमवार को भी भूवंप के हलके झटके महसूस किए गए। हालांकि किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। राष्ट्रीय भूवंप केन्द्र के मुताबिक सोमवार की शाम चार बजकर 16 मिनट पर भूवंप के झटके महसूस किए गए। इसका वेंद्र सतह से दस किलोमीटर नीचे नेपाल में था। इसकी तीव्रता 5.6 आंकी गईं। इतनी तीव्रता होने के चलते ही दूर-दूर तक इसके झटको को महसूस किया गया। इससे पूर्व 3 नवम्बर की रात करीब 11 बजकर 32 मिनट पर भूवंप के झटके महसूस किए गए थे। इसका भी केन्द्र नेपाल और तीव्रता 6.4 था। एक वर्ष के अंदर इस क्षेत्र में पांच बड़े भूवंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। जिनकी तीव्रता पांच से उपर आंकी गईं है। नेपाल में 3 नवम्बर को आए भूवंप की वजह से 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुईं और सैकड़ों लोग घायल हो गए। वैसे अब तक 14 छोटे झटके आ चुके हैं। किसी बड़े भूवंप के समय छोटे-छोटे झटके आते हैं। सोमवार को दिल्ली में भी 10 सेवेंड तक झटके महसूस किए गए। नेपाल के लोगों के मन में साल 2015 में आए भूवंप की यादें ताजा हो गईं हैं। उस आपदा में करीब 9000 लोग मारे गए थे। तब कईं कस्बे, सदियों पुराने मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल मलबे में तब्दील हो गए थे और 10 लाख से अधिक घर नष्ट हुए थे। ——अनिल नरेन्द्र

एटम बम गिराने की धमकी

हमास से जारी युद्ध के बीच इजरायल के एक मंत्री एमिचाईं एलियाहू ने रविवार को गाजा पट्टी पर परमाणु हमले का सुझाव दिया। इस पर चौतरफा तीखी प्रतिव्रिया के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। एलियाहू इजरायल की गठबंधन सरकार में दक्षिणपंथी ओत्ज्मा यहूदित पार्टी के सदस्य हैं। एक रेडियो साक्षात्कार में यरुशलम मामले एवं विरासत मंत्री एलियाहू ने कहा-गाजा में कोईं ऐसा नहीं है जो लड़ नहीं रहा है। पूछा गया कि जब गाजा में रहने वाले सभी इजरायल से लड़ रहे हैं तो क्या वहां परमाणु बम गिराने का कोईं विकल्प हो सकता है। एलियाहू ने कहा, यह एक रास्ता हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी से विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेता भी नाराज हो गए और उन्हें वैबिनेट से बाहर निकालने की मांग होने लगी। इजरायल रक्षा मंत्री थोआव गैलेंट ने एलियाहू के बचाव को निराधार बताया और कहा कि अच्छा है कि ऐसे लोग इजरायली सुरक्षा के प्रभारी नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष यायर लापिड ने भी एलियाहू की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए उनके बयान से किनारा कर लिया। रेडियो इंटरव्यू में एलियाहू ने गाजा के निवासियों को नाजी तक कह दिया था और गाजा को मानवीय सहायता मिलने के खिलाफ भी आवाज उठाईं थी। शुव्र है कि एलियाहू के सुझाव को सभी पक्षों ने नकार दिया नहीं तो निश्चित रूप से तीसरा विश्व युद्ध हो जाता।

अदालत के पैसले को सरकार खारिज नहीं कर सकती

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाईं चन्द्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि विधायिका अदालत के पैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है, लेकिन उसे सीधे खारिज नहीं कर सकती है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राजधानी में एक कार्यंव्रम में कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब वे मुकदमों का पैसला करेंगे तो समाज क्या कहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा व न्यायपालिका में यही फर्व है। उन्होंने कहा कि जजों को जनता सीधे नहीं चुनती, यह कोईं कमजोरी नहीं है बल्कि न्यायपालिका की एक ताकत है। यही कारण है कि न्यायपालिका पैसला देते वक्त विधायिका का कार्यंपालिका की तरह जनता के प्रति सीधे जवाबदेह नहीं होती बल्कि संविधान के प्रति उत्तरदायी होती है। न्यायाधीश संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा- इसकी एक सीमा है कि अदालत का पैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर पैसला दिया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है। विधायक यह नहीं कर सकती कि हमें लगता है कि पैसला गलत है और इसलिए हम पैसले को खारिज करते हैं। विधायिका किसी भी अदालत के पैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश मुकदमों का पैसला करते समय संवैधानिक नैतिकता को ध्यान में रखते हैं, न कि सामाजिक नैतिकता को। इस साल कम से कम 72 हजार मुकदमों का समाधान किया गया है और अभी डेढ़ महीना बाकी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका में प्रदेश स्तर पर सकरात्मक बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि यदि समान अवसर उपलब्ध होंगे तो अधिक महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी। दरअसल, लोकातंत्रिक व्यवस्था के इन दोनों महत्वपूर्ण अंगों विधायिका और न्यायपालिका का गठन भिन्न तरीकों से होता है और दोनों के साथ ही लोकतंत्र के तीसरे अंग कार्यंपालिका को मिलाकर अपने दायित्व का निर्वहन करना होता है। दायित्वों में भिन्नता के साथ ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के इन तीनों अंगों से अपेक्षाएं और तकाजे भी सिरे से भिन्न होते हैं। जाहिर है कि ऐसे में तीनों अंग एक ही दिशा में सोचें या एक ही सुर में बोलें, सिरे से जरूरी नहीं है और तीनों अंगों के विन्यास के मद्देनजर उन्हें एक ही कोण से चीजों को देखना भी नहीं चाहिए। सीजेआईं ने इस तरफ संकेत भी किया है कि सुप्रीम कोर्ट जनता की अदालत है जिसका मकसद जनता की शिकायतों को समझना है। समाज के विकास के लिए कानूनी सिद्धांतों का दृढ़ता से अनुपालन करना है। जजों को सीधे जनता नहीं चुनती, लेकिन यह न्यायपालिका की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी ताकत है, उस पर दायित्व है कि दूसरों की अपेक्षा व आंकाक्षाओं के अनुरूप नहीं बल्कि उसके पैसलों में संविधान के प्रति जवाबदेही दुखद है। दरअसल पिछले वुछ समय से देखा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पैसलों को पलटने के लिए सरकार नया कानून बनाकर इसे निरस्त करने का प्रयास कर रही है। शायद इसीलिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकार को चेताया है कि वह हमारे पैसले को निरस्त नहीं कर सकती।

Thursday 9 November 2023

जो वादा किया निभाना पड़ेगा

13 साल पहले की बात है। विराट कोहली भारतीय व्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, युवराज सिंह और महेन्द्र सिंह धोनी जैसे दिग्गजों के बीच धीरे-धीरे अपनी पैठ बनाने में लगे हुए थे। उस समय विराट की उम्र महज 22 साल की थी। टीम इंडिया में एक से बढ़कर एक चैंपियन खिलाड़ी थे, लेकिन इसके बावजूद विराट ने जिस तरह से अपने खेल को निखारा उससे यह साफ था कि आगे आने वाले दशक में वह विश्व व्रिकेट पर राज करेंगे और ऐसा ही हुआ। विराट कोहली जब टीम इंडिया में नए-नए आए थे तो उन्होंने ट्विटर यानी एक्स पर लिखा था कि अपनी टीम के लिए ढेर सारे रन बनाना चाहता हूं। विराट ने यह ट्वीट 16 मार्च 2010 को किया था, लेकिन जैसे ही रविवार को उन्होंने वनडे व्रिकेट में 49 शतक पूरे किए, तभी से उनका यह पुराना मैसेज वायरल होने लगा। देश के ईंडन गार्डन से दो किलोमीटर दूर से ही हर तरफ नीले रंग की जस्री में हजारों भारतीय पैंस का हुजूम दिखने लगा था। हजारों की तादाद में पैंस विराट के मखौटे, विराट के नाम की जस्री पहन ईंडन की तरफ उमड़ रहे थे। ईंडन गार्डन के पास विराट, विराट, विराट, विराट का शोर भी सुनाईं दिया। बांग्ला भाषी पैन पिछले दिनों से कहने लगे थे-संडे को विराट खेला होगा। विराट ने सेंचुरी बनाकर अपने तमाम चाहने वालों को बर्थ डे गिफ्ट दे दिया। इस सेंचुरी के साथ उन्होंने महान सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड 49 वनडे इंटरनेशनल सेंचुरी की बराबरी भी कर ली। विराट अपने इंटरनेशनल करियर में जन्मदिन पर तीसरी बार मैच खेल रहे थे। इससे पहले अपने 27वें जन्म दिन पर उन्होंने मोहाली टैस्ट में साउथ अप्रीका के खिलाफ केवल 1 रन बनाया था। दो साल पहले 33वें जन्म दिन पर दुबईं में टी-20 वल्र्ड कप मैच में वह स्काटलैंड के खिलाफ केवल 2 रन बना सके थे। अपने जन्मदिन पर वह पहली बार अपने पंसदीदा वन डे फार्मेट में खेलने उतरे थे और यहां उन्होंने अपना बेस्ट दिया। इसके साथ ही भारतीय टीम ने साउथ अप्रीका को 243 रन से हराकर विश्व कप में लगातार आठवीं एकतरफा जीत दर्ज की। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट पर 326 रन बनाए। जवाब में दक्षिण अप्रीका की टीम 27.1 ओवर में 83 रन बनाकर आउट हो गईं। भारत के लिए खुद कईं बड़ी पारियां खेलने और कीर्तिमान स्थापित करने वाले राहुल द्रविड़ ने विराट को एक महान खिलाड़ी बताया। अब टीम इंडिया के हैड कोच द्रविड़ ने कहा कि विराट दिग्गज हैं, खासकर वन डे व्रिकेट और वैसे खेल के सभी फामर्ेेट्स में वह जिस तरह से मैच को खत्म करते हैं वह उन्हें खास बनाता है। उन्होंने पिछले वुछ वर्षो में अपने प्रदर्शन से संभवत: अपनी पीढ़ी के व्रिकेटरों के लिए एक मानक स्थापित किया है। आर अश्विन ने कहा, विराट ने भारतीय व्रिकेट के बारे में सोचने के तरीके को ही बदल दिया है। उन्होंने तैयारी करने के अंदाज को बदल दिया है। विराट कोहली ने मैच के बाद कहा : भारत के लिए खेलने का कोईं मौका मिलना बड़ा अवसर है। अपने जन्मदिन पर शतक लगाना किसी सपने को पूरा करने जैसा है। मुझे ऐसे पल मिले इसके लिए मैं भगवान का आभारी हूं। विराट कोहली आप पर पूरे देश को नाज है। हम जहां आपको तहेदिल से बधाईं देते हैं वहीं उम्मीद करते हैं कि आप ऐसे ही खेलते रहें और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते रहें। ——अनिल नरेन्द्र

इस भयानक जंग की कीमत चुकाते बच्चे व महिलाएं

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), यूनाइडेट नेशंस रिलीफ एंड वर्क्‍स (यूएनआरडब्ल्यूए) ने चेतावनी दी है कि गाजा में महिलाएं, बच्चे और नवजात शिशु कब्जे वाले फिलिस्तीन क्षेत्र में बढ़ती शत्रुता का बोझ सबसे ज्यादा उठा रहे हैं। फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए संयुक्त राष्ट्र यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजंेसी (यूएनएफपीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 3 नवम्बर तक फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गाजा पट्टी में 2326 महिलाएं और 3760 बच्चे मारे जा चुके हैं जो वुल हताहतों का 67 प्रतिशत है जबकि हजारों लोग घायल हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार अनुमान है कि अब तक गाजा पट्टी में और वेस्ट बैंक में 20,000 से ज्यादा के मरने की आशंका है। इसका मतलब है कि हर दिन 420 बच्चे मारे जाते हैं या घायल होते हैं, उनमें से वुछ तो केवल वुछ महीनों के होते हैं। बमबारी, क्षतिग्रस्त या निष्व्रिय स्वास्थ्य सुविधाएं, बड़े पैमाने पर विस्थापन, पानी और बिजली की आपूर्ति में गिरावट के साथ-साथ भोजन और दवाओं तक की सीमित पहुंच, मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीर रूप से बाधित कर रही है। गाजा में अनुमानित 50,000 गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से 180 से अधिक प्रतिदिन बच्चे को जन्म देती हैं। उनमें से 15 प्रतिशत को विभीषका या जन्म संबंधी जटिलताओं का अनुभव होने की संभावना है और उन्हें अतिरिक्त चिकित्सा, देखभाल की सख्त जरूरत है। ये महिलाएं सुरक्षित रूप से जन्म देने और अपने नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए आवश्यक आपातकालीन प्रसूति सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं। 14 अस्पतालांे और 45 प्राथमिक सुविधा देखभाल केन्द्रों के बंद होने के कारण वुछ महिलाओं को आश्रयों में अपने घरों में जन्म देना पड़ रहा है। जहां स्वच्छता की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। संव्रमण और चिकित्सा जटिलताओं का खतरा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी बम बारी की चपेट में आ रही हैं। 1 नवम्बर को अल हिलो अस्पताल जो कि एक महत्वपूर्ण प्रसूति अस्पताल है पर गोलीबारी की गईं। यूएनआरडब्ल्यूए के प्रारंभिक आंकलन के अनुसार 4600 विस्थापित गर्भवती महिलाओं को और 300 नवजात शिशुओं को चिकित्सा व देखभाल की सख्त आवश्यकता है। तीव्र संव्रमण के 22,500 से अधिक मामले और डायरिया के 12,000 मामले पहले ही सामने आ चुके हैं, जो वुपोषण की दर को देखते हुए विशेष रूप से चिंताजनक हैं। 7 अक्टूबर के बंद से गाजा पट्टी में बहुत कम ईंधन आया है। अस्पतालों, जल संयंत्रों और बेकरियों को सहायता जारी रखने में सक्षम होने के लिए सहायता एजेंसियों को तुरंत ईंधन प्राप्त कराना चाहिए। पीड़ा को कम करने और निराशाजनक स्थिति को विनाशकारी बनने से रोकने के लिए तत्काल मानवीय विराम की आवश्यकता है। संघर्ष के सभी पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। सभी बंधकों को बिना किसी देरी या शर्त के रिहा किया जाना चाहिए। विशेष रूप से सभी पक्षों के बच्चों, महिलाओं को नुकसान से बचाना चाहिए। बच्चे, महिलाएं और वृद्ध इस जंग की कीमत चुका रहे हैं।

Tuesday 7 November 2023

जहरीली नशे का खेल

जहरीली नशे का खेल कौन है यूटाूबर एलविश यादव? यूटाूबर और बिग बॉस ओटीटी के विजेता एलविश यादव समेत छह लोगों पर एफआरआईं दर्ज की गईं है। समाचार एजेंसी एएनआईं के मुताबिक, ये एफआईंआर रेव पाटा में सांप का जहर मुहैया करवाने के आरोप में दर्ज की गईं है। पुलिस की छापेमारी में मौके से नौ सांप भी मिले हैं। एफआईंआर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दर्ज की गईं है। एफआईंआर बीजेपी सांसद मेनका गांधी की पीएफए आग्रेनाइजेशन की शिकायत पर दर्ज की गईं है। एफआईंआर में मेनका गांधी की संस्था की ओर से कहा गया, हमें सूचना मिली थी कि एलविश यादव नाम का एक यूटाूबर स्नेक वेनम (सांप का विष) और जिदा सांपों के साथ नोएडा- एनसीआर के फार्म हाउस में अपने गिरोह के दूसरे सदस्यों यूटाूबर के साथ वीडियो शूट करवाता है और रेव पाटा कराता है। इस पाटा में विदेशी युवतियों को बुलाकर स्नेक वेनम और नशीले पदार्थो का सेवन होता है। एफआईंआर होने के बाद एलविश यादव ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वो उत्तर प्रादेश पुलिस के साथ पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। मेनका गांधी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा, ये एक ट्रेप हमने बिछाया था। 11 पाइजन और कोबरा मौके पर मिले हैं। पांच लोग थे। ये रेव पाटा आयोजित करता था। इन पाटा में ये जहर निकालकर बेचता था। जो लोग ये जहर लेते हैं वो उनको नुकसान करता है। मेनका गांधी ने कहा कि अगर मीडिया जोर लगाएगी तो इस पर रोक लगेगी। वो चाहती हैं, रेव पाटा रूके या न रूके, ये मेरा काम नहीं है। मेरा काम है कि जो लोग जंगल से सांप लाते हैं, उनका जहर निकालते हैं और वो मर जाते हैं, ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए। ऐसे लोगों को सात साल की सजा है। पुलिस को ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए। हमारी टीम ने ही यूटाूब पर इसको देखा। एफआईंआर दर्ज होने के बाद एलविश यादव ने शुव््रावार को अपनी सफाईं दर्ज की। उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किए वीडियो में कहा, मैं सुबह उठा मैंने देखा कि मेरे खिलाफ खबरें पैल रही हैंै कि एलविश यादव नशीले पदार्थो के साथ पकड़े गए हैं। मेरे खिलाफ जो खबरें पैल रही है, ये सारे आरोप फजा, बेबुनियाद हैं। इनमें एक फीसदी भी सच्चाईं नहीं है। एलविश यादव ने कहा यूपी पुलिस के साथ मैं पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हूं। मैं यूपी पुलिस, प्राशासन, सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील करूंगा कि अगर इसमें मैं एक परसेंट भी शामिल मिला तो मैं सारी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं। मीडिया से ये गुजारिश है कि जब तक ठोस सबूत ना मिल जाए तब तक मेरा नाम खराब न करें। जितने भी इल्जाम लगे हैं। इनसे मेरा कोईं लेना-देना नहीं है, वो बोले, इन आरोपों से 100 मील तक मेरा कोईं लेना-देना नहीं है। एलविश यादव एक चर्चित यूटाूबर हैं, वे सोशल मीडिया पर काफी लोकप््िराय हैं। यूट्यूब में उनके 16 मिलियन फालोवर हैं तो इंस्टाग्राम पर उनके 13 मिलियन से ज्यादा पैंस हैं। यूटाूब पर एलविश यादव के दो चैनल हैं। एक का नाम है एलविश यादव और एक का नाम है एलविश यादव ब्लॉग्स। वे यूटाूब पर अपनी वीडियो बनाते हैं, अपनी हरियाणवी बोली और खास अंदाज के कारण वे युवाओं में खासे लोकप््िराय हैं। वे गाते भी हैं और एाक्टग भी करते हैं। कारों के शौकीन हैं। कईं लग्जरी कारों के मालिक हैं। ——अनिल नरेन्द्र

इंडिया एलाइंस में पड़ती दरारें

पड़ती दरारें जब 26 विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया एलाइंस बना था तो लोगों को यह लगने लगा था कि शायद यह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दे सकेगा। गठबंधन के तमाम लीडरों ने भी लंबे-चौड़े दावे किए। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि आपसी मतभेद दूर करके हम केन्द्र में भाजपा का विकल्प पेश करेंगे। पर जैसे ही गठबंधन की पहली परीक्षा और इनके आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए। कहने को तो गठबंधन नेता यह कह सकते हैं कि हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है विधानसभा चुनाव के लिए नहीं। पर अगर विधानसभा चुनाव में भी यह एकदूसरे के लिए थोड़ा सा त्याग करने के लिए तैयार नहीं तो आगे चलकर इनसे क्या उम्मीद लगाईं जा सकती है? विपक्षी गठबंधन इंडिया मेंे सब वुछ ठीक नहीं चल रहा है। शुरुआत में इस गठबंधन में खास भूमिका निभाने वाले नीतीश बाबू ने पिछले ही दिनों सीसीआईं के एक आयोजन में जो टिप्पणी की है वह उनके असंतोष को ही दिखाती है। उनका कहना था कि कांग्रोस इस समय 5 राज्यों के विधानसभा में व्यस्त है उसे इंडिया एलाइंस की कोईं चिता नहीं है। जिस तरीके से मध्य प्रादेश में कांग्रोस और समाजवादी पाटा में सीटों के बंटवारे को लेकर सिर पुटोव्वल हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं। अखिलेश यादव खुलकर कमलनाथ के खिलाफ बोल रहे हैं। शुव््रावार को अखिलेश यादव ने मध्य प्रादेश के बुंदेलखंड में चुनाव प्राचार के दौरान कांग्रोस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को लेकर कहा कि जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं? वह यहीं नहीं रूके, उन्होंने यह भी कहा कि वो कमलनाथ भाजपा की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे। यह एक तरह से सपा के गठबंधन नहीं करने पर कमलनाथ के उस बयान का जवाब है जिसमें उन्होंने कहा था छोड़ो भाईं अखिलेश-वखिलेश। अखिलेश यादव और सपा नेता रामगोपाल यादव ने इस पर कमलनाथ को पहले भी भला बुरा कहा था लेकिन इस बार चुनाव सभा में अखिलेश यादव ने उनकी (कमलनाथ) तुलना भाजपा से की है। चुनाव में ऐसी बातों से कांग्रोस को नुकसान हो सकता है। अखिलेश ने दो दिन पहले बयान दिया कि यह तो अच्छा हुआ कि कांग्रोस ने हमें अभी ही धोखा दे दिया अगर बाद में दिया होता तो हम कहीं के नहीं रहते। बेशक सीटों पर तालमेल मुख्यत: अगले आम चुनाव के लिए होना था, फिर भी गठबंधन के घटक दलों के बीच विधानसभा सीट बंटवारे को लेकर थोड़ी बहुत कटुता जरूर पैदा हुईं है, चुनाव के मौजूदा चव््रा में चूंकि कांग्रोस ही गठबंधन की सबसे बड़ी पाटा है। उससे वुछ नाराज पार्टियां सामने आईं हैं। इन सबके बाद जब प्रातिद्वंद्वी एनडीए और उसके नेता भाजपा, इंडिया की चुनौती को कमजोर पड़ता मानकर कोईं राहत शायद ही ले सकते हैं। उन्हें विधानसभा चुनाव के वर्तमान चव््रा में और खासतौर पर तीन हिदी भाषी राज्यों में इंडिया उन्हें बराबर की टक्कर देती नजर आ रही है और इस चव््रा के में उत्तर-पूवा राज्यों में एनडीए मुख्य मुकाबले से भी बाहर ही नजर आ रही है? उम्मीद की जाती है कि इन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन किस दिशा में जा रहा है यह और स्पष्ट हो जाएगा?

Friday 3 November 2023

आतंकी खतरों का अंत नहीं हुआ है

तमाम दावों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकी खतरों का अंत नहीं हो रहा है। पिछले तीन दिनों में तीसरा आतंकी हमला कश्मीर घाटी में हुआ। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में मंगलवार को आतंकवादियों ने एक पुलिसकमा की गोली मारकर हत्या कर दी। कश्मीर घाटी में पिछले तीन दिनों में यह इस तरह का तीसरा आतंकवादी हमला है। सोमवार को आतंकवादियों ने गोली मारकर उत्तर प्रादेश के एक मजदूर की हत्या कर दी थी। जबकि रविवार को एक आतंकवादी ने एक पुलिस अधिकारी को निशाना बनाया था। मंगलवार को हुए इस हमले के बारे में अधिकारियों ने बताया हैड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार को जिले के पहन इलाके के कालपोटा स्थित उनके आवास के बाहर आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी गईं थी। अधिकारियों ने कहा कि डार को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। रविवार को एक पुलिस अधिकारी को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। वहीं सोमवार को पुलवामा जिले में उत्तर प्रादेश के एक मजदूर को गोली मारकर हत्या कर दी गईं थी। यह घटना दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के तुममी नौपारो में हुईं, जब मजदूर मुकेश वुमार सब्जी खरीदने बाजार जा रहा था। अधिकारियों ने बताया कि वुमार बुनाईं उदृाोग से जुड़ा था और गोली लगने के बाद अस्पताल में मौत हो गईं। हमलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इसी साल मईं में अनंतनाग जिले में आतंकियों ने एक सर्वसकमा की हत्या कर दी थी, जबकि जुलाईं में शोपियां जिले में बिहार के तीन मजदूरों को गोली मारकर घायल कर दिया गया था। इस बीच जम्मू-कश्मीर के निवर्तमान पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिह ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र शासित प्रादेश में साजिशों और आतंकी खतरों का अंत नहीं हुआ है और यह समय शांति बनाए रखने का है। यहां एक समारोह में अपने विदाईं भाषण में उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में काफी हद तक शांति लाने में सफल रहे हैं। पुलिस, सेना और वेंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के अधिकारियों और कर्मियों को संबोधित करते हुए सिह ने कहा, हम शांति हासिल करने में काफी हद तक सफल रहे हैं। लेकिन यह पर्यांप्त नहीं है, जरूरत इस बात की है कि शांति कायम रखी जाए। साजिशें खत्म नहीं हुईं हैं और आतंकी धमकियां नहीं रूकी हैं। हमें सतर्व रहने के साथ ही मिलकर काम करना होगा। वर्ष 1987 बैन्च के आईंपीएस के अधिकारी दिलबाग सिह को सितम्बर 2018 में अंतरिम डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था। लेकिन एक महीने बाद पूर्णकालिक पुलिस प्रामुख बना दिया गया था। आतंकी मंसूबों का मुकाबला करने के लिए हमें अपना गृह विभाग और चुस्त करना पड़ेगा। यह टारगेट किलिग बढ़ती जा रही है। चुन-चुन कर निशाना लगाया जा रहा है। जब तक हमारी इंटेलीजेंस और चुस्त नहीं होगी। इस टारगेट किलिग को रोका नहीं जा सकता। आतंकी और उनके आका अपने प्लान के मुताबिक चुन-चुन कर निशाना लगा रहे हैं और हम तमाम कोशिशों के बावजूद इन्हें रोकने में पेल हो रहे हैं। ——अनिल नरेन्द्र

हमास, हिजबुल्लाह, इस्लामिक जिहाद बनाम इजरायल

जिहाद बनाम इजरायल 7 अक्टूबर को हमास द्वारा गाजा से इजरायल पर घातक हमला किया गया। इसके वुछ ही घंटों बाद रविवार को लेबनान के उग्रवादी संगठन हिजबुल्लाह ने दक्षिण लेबनान से इजरायल पर गोलीबारी की, जिसका जवाब इजरायल ने भी जबरदस्त गोलीबारी से दिया। हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने फलस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए शीबा फाम्र्स में तीन चौकियों पर रॉकेट और तोपें चलाईं। हिजबुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारी हाशिम सफीदीन ने बेरूत में फिलस्तीनियों का समर्थन करते हुए कहा हमारा इतिहास, हमारी बंदूवें और हमारे रॉकेट आपके साथ हैं। हिजबुल्लाह के इस बयान के वुछ ही घंटों बाद सोमवार को ़फलस्तीनी संगठन इस्लामिक जिहाद ने दक्षिण लेबनान और उत्तरी इजरायल की सरहद पर कईं इला़कों में बमबारी करने की ि़जम्मेदारी ली। जवाबी कार्रवाईं करते हुए इजरायल ने भी इस इला़के में हवाईं हमले किए। यह बात किसी से छुपी हुईं नहीं हैं कि ईंरान हमास और हिजबुल्लाह जैसे चरमपंथी संगठनों को आर्थिक और सैन्य सहायता देता रहा है। इसलिए ये सवाल उठना जाय़ज है कि क्या ईंरान हमास, हिजबुल्लाह और इस्लामिक जिहाद जैसे संगठनों के ़जरिये इजरायल की घेराबंदी करने की कोशिश कर रहा है?गाजा से इजरायल पर हमला होने के अगले ही दिन हिजबुल्लाह का दक्षिण लेबनान से इजरायल पर हमला करना हमास और हिजबुल्लाह की इजरायल को दो मोर्चो पर उलझाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। शिया कट्टरवाद पर आधारित हिजबुल्लाह की स्थापना 1982 में इस्लामिक देश लेबनान में हुईं थी। इजरायल के मुताबि़क हिजबुल्लाह में ़करीब 45,000 लड़ाके हैं, जिसमें से 20,000 सव््रीय रहते हैं और 25,000 रि़जर्व में। हर साल हिजबुल्लाह को ़करीब 70 करोड़ डॉलर से ज्यादा धन मिलता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा ईंरान से आता है। ईंरान हिजबुल्लाह को हथियार, प्रशिक्षण और खुि़फया मदद देता है। हिजबुल्लाह के शस्त्रागार में 120,000 से 130,000 मिसाइलें मौजूद हैं, जिनमें लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं जो पूरे इजरायल तक पहुंचने में सक्षम हैं। गाजा से इजरायल पर हुए हमलों के बाद ईंरान में जश्न का माहौल था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक हालिया रिपोर्ट में हमास और हिजबुल्लाह के वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि ईंरानी सुरक्षा अधिकारियों ने इजरायल पर शनिवार को हमास के अचानक हमले की योजना बनाने में मदद की। इजरायल का कहना है कि ईंरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड की वुद्स फोर्स और उनके क्षेत्रीय प्रतिनिधियों का सबसे बड़ा म़कसद इजरायल का अतिव््रामण और विनाश है। इजरायल के मुताबि़क इस म़कसद को हासिल करने के लिए ईंरानी शासन ने इजरायल की सीमाओं पर हिजबुल्लाह, हमास, इस्लामिक जिहाद और शिया मिलिशिया जैसे आतंकी संगठनों को स्थापित करने की कोशिशों में अरबों डॉलर खर्च किए हैं। हमास, हिजबुल्लाह और इस्लामिक जिहाद जैसे आतंकी संगठनों से बढ़े हुए ़खतरे से निपटने के लिए इजरायल को अपने मित्र देश अमेरिका से भी मदद मिल रही है। जो आने वाले व़क्त में बढ़ती जाएगी। हमास के हमले ने ये सुनिाित कर दिया है कि ़फलस्तीन का मुद्दा दोबारा फोकस में आ गया है। चिताएं उठ रही थी की क्या दुनिया के देश इजरायल के साथ सम्बन्ध सामान्य कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमास ये सोचता होगा कि अगर कईं मुस्लिम देश इजरायल के दोस्त बन गए तो फिर ़फलस्तीन का मुद्दा कौन उठाएग। हमास जानता था कि जवाबी कार्रवाईं होगी और इसके लिए वह तैयार भी था।

Thursday 2 November 2023

मामला गुमनामी चुनावी बांड का

उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पर्टियों के राजनीतिक वित्त पोषण के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर 31 अक्टूबर से सुनवाईं करना शुरू कर दी है। चुनावी बांड योजना को 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था। इसे राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पार्टियों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया था। योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बांड भारत की नागरिकता रखने वाले व्यक्ति या भारत में स्थापित संस्थान द्वारा खरीदे जा सकते हैं। इसे कोईं व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से खरीद सकता है। प्रधान न्यायाधीश डीवाईं चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कांग्रेस नेता जया ठावुर और मार्क्‍सवादी पार्टी (माकपा) द्वारा दायर याचिका सहित चार याचिकाओं पर सुनवाईं कर रही है। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवईं, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति अचेत मिश्रा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को कहा था कि उठाए गए मुद्दों के महत्व के मद्देनजर और संविधान के अनुच्छेद 145 (4) के आलोक में विषय को कम से कम पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा। न्यायालय ने 10 अक्टूबर को गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फार डेमोव्रेटिक राइट्स (एडीआर) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की इन दलीलों पर गौर किया गया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बांड योजना शुरू होने से पहले इस विषय पर निर्णय की जरूरत है। करीब छह साल बाद अंतत: चुनावी बांड का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 31 अक्टूबर को सुना। सन 2017 में बजट प्रस्तुत करते हुए सरकार ने इसे फाइनेंशियल एक्ट के रूप में मनी बिल कहकर पारित करवाया था। तत्कालीन वित्त मंत्री ने इस कानून का उद्देश्य चुनावी पंडिंग में पारदर्शी लाना बताया था। यह बिल स्वर्गीय अरुण जेटली ने संसद में पेश किया था। दुख से कहना पड़ता है कि उद्देश्यों से भटकर इसने उल्टा इसकी पारदर्शिता को उलझा दिया है। कानून के अनुसार कोईं भी व्यक्ति या संस्था एसबीआईं द्वारा जारी बांड खरीद कर दलों को दे सकती है। न तो दाता को बताना होगा कि उसने किस दल को बांड दिया, न ही दल बताने के लिए मजबूर है। चूंकि एसबीआईं इसे जारी करती है लिहाजा सरकार को पता रहता है कि किस कारपोरेट ने किस दल को कितना पंड दिया है। यानी न तो वोटर को पता चलता है और न ही विपक्षी दलों को लेकिन सरकार सब जानती है। आरटीआईं से पता चला कि भाजपा को इन पांच वर्षो में (2018 से जब बांड कानून की अधिसूचना जारी हुईं) 90 प्रतिशत बांड मिले और इनमें 90 प्रतिशत सबसे ऊपर के बांड (एक करोड़ रुपए प्रति बांड) थे, यानी कापोरेट ने ही इसमें पंड दिया। कानून में बदलाव कर दान की सीमा खत्म की गईं जिससे कोईं भी वंपनी कितनी भी राशि तक दान कर सकती है। दूसरा भारत में रजिस्टर्ड विदेशी वंपनियां भी मर्यांदित बांड खरीद सकती हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट इन तताम पहलुओं को देखेगा? ——अनिल नरेन्द्र

संघर्ष-विराम प्रस्ताव से दूर रहना स्तब्ध करने वाला है

रहना स्तब्ध करने वाला है भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए उस प्रस्ताव की वोटिंग में भाग नहीं लिया जो गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी व मानवीय कदमों को जारी रखने की वचनबद्धता के समर्थन में था। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में जार्डन यह प्रस्ताव लाया जिस कोस्पांसर (शुरुआती समर्थन) बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, रूस और दक्षिण अप्रीका समेत 40 देशों ने किया। इस प्रस्ताव पर हुईं वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। भारत के अलावा जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इराक, इटली, ब्रिटेन, यूव्रेन, साउथ सूडान, टाूनिशिया, फिलीपींस, स्वीडन और जिम्बाब्वे जैसे देशों ने भी वोट नहीं डाले। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, जबकि इजरायल, अमेरिका समेत 14 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं 45 देशों ने वोटिंग के समय अनुपस्थित रहने का पैसला किया। फलस्तीनी क्षेत्र में शांति लाने के उद्देश्य से लाए गए इस प्रस्ताव पर वोटिंग में भारत की अनुपस्थति को लेकर देश में विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिव्रिया दी है। सीपीआईं और सीपीएम ने इसे चौंकाने वाला बताया तो प्रियंका गांधी ने कहा कि वो भारत सरकार के इस पैसले पर शर्मिदा हैं, वहीं शरद पवार ने कहा कि सरकार भ्रम की स्थिति में है। वामदलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि गाजा में संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव पर भारत की अनुपस्थिति चौंकाने वाली है, यह दर्शा रही है कि भारतीय विदेश नीति अब अमेरिकी साम्राज्यवाद के तहत काम करने वाले एक छोटे सहयोगी के रूप में बदल रही है। सीताराम येचुरी और डी राजा ने कहा कि गाजा में इस नरसंहार को रोवें। उन्होंने कहा यह फलस्तीनी उद्देश्यों पर लंबे समय से चले आ रहे भारत के समर्थकों को नकारने वाला पैसला है। उन्होंने कहा इजरायल ने 28 लाख से अधिक फलस्तीनी लोगों के घरों वाले गाजा पट्टी में सभी संचार बंद कर दिए हैं। यूएन के प्रस्ताव का सम्मान करते हुए वहां फौरन सीजफायर किया जाना चाहिए। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा फलस्तीनी मुद्दे पर भारत सरकार भ्रम की स्थिति में है। हम फिलिस्तिनियों का समर्थन करते आए हैं। इजरायल ने कहा हजारों लोग मार दिए हैं और भारत ने कभी उसका समर्थन नहीं किया। प्रियंका गांधी बोली : जब मानवता के साथ सभी कानूनों को ताक पर रख दिया गया हो तो ऐसे में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है। उन्होंने महात्मा गांधी के शब्दों को ट्वीट करते हुए लिखा, आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है। मैं इस बात से स्तब्ध और शर्मिदा हूं कि हमारा देश गाजा में सीजफायर के लिए इस मतदान पर अनुपस्थिति रहा। हमारे घरों की बुनियाद अंहिसा और सत्य के सिद्धांतों पर रखी गईं, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। ये सिद्धांत संविधान का आधार है और हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करता है। उन्होंने लिखा कि जब लाखों लोगों के भोजन, पानी, मेडिकल, संचार, आपूर्ति और बिजली काट दी गईं है और जब फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मारा जा रहा है, ऐसे समय में स्टैंड लेने से इंकार करना और इसे चुपचाप होते देखना गलत है। एआईंएमआईंएम के चीफ और सांसद आसुद्दीन औवेसी ने भारत का वोट हिस्सा न लेने पर कड़ी निंदा की है। प्रस्ताव गाजा के नागरिकों की सुरक्षा और वहां कानूनी और मानवीय कदमों को जारी रखने के समर्थन में थे। यह ये स्तब्ध करने वाला है कि नरेन्द्र मोदी सरकार अपने मानवीय समझौते और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहे। उन्होंने कहा कि गाजा में अब तक 7028 लोग मारे जा चुके है, इनमें 3000 बच्चे और 1700 महिलाएं हैं।