Thursday 27 April 2023

बिहार में अवैध बालू खनन

पर्यांवरण पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनईंपी के मुताबिक पानी के बाद लोगों के इस्तेमाल में आने वाला दूसरा सबसे बड़ा प्रावृतिक संसाधन बालू और वंकड़ है। दुनियाभर में हर साल 50 बिलियन टन (5 अरब टन) बालू और वंकड़ का इस्तेमाल वंस्ट्रक्शन के काम में होता है। वुछ दशक पहले तक बालू का खनन घाटों के आसपास रहने वाले गरीब परिवारों का काम था। आमतौर पर वो ही बैलगािड़यों पर लाद कर इसे शहर और कस्बों में बेचते थे। ट्रैक्टर और ट्रक से भी बालू खरीदने पर इसकी ढुलाईं और मजदूरी का ही खर्च चुकाना होता था। मांग बढ़ने के साथ ही बालू की भी कीमत तय होने लगी। फिर शुरू हुईं वर्चस्व की लड़ाईं। जानकारों का दावा है कि बिहार में सरकार को भी बड़ा मुनाफा दिखने लगा और उसने खनन के पट्टे, लाइसेंस और नीलामी के माध्यम से इसे कमाईं का जरिया बना लिया। बालू अब मुफ्त की चीज न रहकर पीला सोना कहलाने लगा है और इस धंधे में बड़ी-बड़ी वंपनियां भी शामिल हो गईं हैं। हाल ही में बिहार की राजधानी पटना के विहटा इलाके में वुछ लोगों ने पुलिस और खनन विभाग की महिला अधिकारी पर हमला कर दिया। आरोपों के मुताबिक महिला अधिकारी पर हमला करने वाले लोग बालू के अवैध खनन से जुड़े हुए हैं। खनन विभाग की टीम उस दौरान बालू के अवैध कारोबार की जांच करने के लिए पहुंची थी। इस छापेमारी में पुलिस के करीब 25 जवान सरकारी टीम की मदद के लिए मौजूद थे। इतनी बड़ी टीम (50) की मौजूदगी में भी खनन कारोबार से जुड़े लोगों ने सरकारी अधिकारियों के साथ मारपीट की और खनन विभाग की एक महिला इंस्पेक्टर को जमीन पर घसीटकर पीटा। दरअसल इस छापेमारी में बालू के अवैध खनन और ट्रकों पर ओवरलोडिंग के आरोप में करीब 50 ट्रकों को जब्त किया गया था। इसी के विरोध में कईं ट्रक ड्राइवर और वंडक्टर ने पत्थरबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। बिहार में सोन नदी के बालू को इलाके में वंस्ट्रक्शन के लिहाज से बेहतर माना जाता है क्योंकि इसमें मिट्टी की मात्रा कम होती है। इसलिए सोन नदी के बालू की मांग बहुत ज्यादा होती है और यह बिहार के अलावा पड़ोसी राज्यों तक भी पहुंचाईं जाती है। पटना, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, सारण और वैशाली इलाके में बालू माफिया के हमलों की घटना बढ़ती जा रही हैं। बालू का अवैध कारोबार इतना बड़ा है कि कईं बार दो गुटों के बीच कईं गैंगवार हो चुके हैं। साल 2022-23 में राज्य में बालू के अवैध कारोबार के संबंध में 4435 एफआईंआर दर्ज किए। 2439 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। 20 हजार से ज्यादा वाहन भी जब्त किए गए। अब सरकार को भी बालू खनन में प्राॉफिट नजर आने लगा है। सरकार ने खनन पर टैक्स लगाकर कमाईं का रास्ता तलाश लिया। बिहार में साल 2016 में शराब पर पाबंदी लगने के बाद से बालू का खनन सरकार के लिए भी राजस्व का एक बड़ा जरिया है। बिहार के खान, भूतत्व विभाग के अनुसार पिछले वित्त वर्ष यानि साल 2022-23 में सरकार ने बालू के कारोबार से 2650 करोड़ रुपए की कमाईं की। इसमें रेंट के कारोबार का भी एक छोटा हिस्सा शामिल है। ——अनिल नरेन्द्र

फिर धरने पर पहलवान

देश के शीर्ष पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक तीन माह बाद रविवार को भारतीय वुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिह के खिलाफ फिर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए हैं। पहलवानों का आरोप है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने यौन शोषण की एफआईंआर दर्ज नहीं की। पहलवानों के अनुसार एक नाबालिग समेत सात महिला पहलवानों ने दो दिन पूर्व वुश्ती संघ के अध्यक्ष के खिलाफ कनॉट प्लेस थाने में यौन शोषण और पॉस्को एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराईं थी। पीिड़ताओं में एक नाबालिग भी है, इसलिए तुरन्त केस दर्ज होना चाहिए।बजरंग ने कहा—केस दर्ज होने पर वह धरना खत्म कर देंगे। वहीं खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जांच के बीच में मंत्री या अफसरों का किसी से बात करना ठीक नहीं था। इससे जांच प्राभावित करने के आरोप लगते हैं।मंत्रालय ने पहलवानों की हर बात मानी। उनके कहने पर बबीता फोगाट को समिति में रखा गया। पहलवानों ने कहा कि खेल मंत्रालय की ओर से मैरीकॉम की अगुवाईं वाली समिति की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने और ब्रजभूषण के खिलाफ एफआईंआर दर्ज नहीं करने के चलते उन्हें फिर से धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पहलवान इससे पहले जनवरी में इसी मामले में धरने पर बैठे थे। तब ब्रजभूषण सिह ने आरोपों को निराधार बताया था। विनेश फोगाट का कहना था कि हम तीन महीने से मानसिक प्राताड़ना के दौर से गुजर रहे हैं। अब महिला पहलवानों की प्रातिष्ठा का सवाल बन गया है। मंत्रालय और निगरानी समिति के अधिकारी भी फोन नहीं उठा रहे हैं। वहीं बजरंग पुनिया ने कहा कि हमारे साथ धोखा हुआ है।वुश्ती संघ अब फिर काम करने लगा है। ऑफिस भी खुल गया। वैडेट राष्ट्रीय वुश्ती चैंपियनशिप ब्रजभूषण के घर गोंडा में हो रही है। यह हमारे साथ धोखा है। पिछली बार पहलवानों ने राजनीतिक दलों से मदद नहीं मांगी थी। पर इस बार पहलवानों ने राजनीतिक दलों के नेताओं से सपोर्ट मांगा है।पिछली बार कहा था कि किसी पॉलिटिकल पाटा के नेता को मंच नहीं दिया जाएगा। पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा कि शिकायत किए 48 घंटे से ज्यादा का समय हो गया, मगर एफआईंआर दर्ज नहीं हुईं। इस बार सभी का स्वागत है। चाहे भाजपा, कांग्रोस या आम आदमी पाटा (आप) आए। कोईं भी पाटा आए, सभी का स्वागत है। क्योंकि जब पहलवान मैडल जीतते हैं तो किसी पाटा का झंडा नहीं लहराता है। तिरंगा लहराता है। जब मैडल जीतते हैं तो सब बधाईं देने के लिए आते हैं न कि एक पाटा का कोईं आता है। हम किसी पाटा से जुड़े नहीं हैं। देश से जुड़े हैं। सभी देशवासियों का वैलकम है। अगर हम आज अपनी बहन-बेटियों के लिए नहीं लड़ें, तो कभी भी हम किसी के खिलाफ नहीं लड़ सकते। सरकार को पहलवानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करके संतोषजनक हल निकालना चाहिए।

Tuesday 25 April 2023

जामताड़ा के ठग

नेटफ्लिक्स पर एक वेब सीरीज जामताड़ा देखने का मुझे मौका मिला।इसमें दिखाया गया है कि किस तरह जामताड़ा जगह से यह भोलेभाले लोगों को फोन करके उन्हें पहले लालच देकर पंसाते हैं और फिर जब वह पंस जाता है तो उसका बैंक खाली कर लेते हैं। आपकी गाढ़ी कमाईं से जामताड़ा के साइबर ठगों की आलीशान कोठियां खड़ी हैं। आपसे ठगी गईं रकम से लग्जरी कारों से जामताड़ा के साइबर ठग चलते हैं। आउटर नॉर्थ जिले के साइबर थाने के शिवंजे में पंसे जामताड़ा रैकेट लाइफ स्टाइल और स्टेटस को देखकर पुलिस भी हैरत में थी। जांच टीम के सूत्रों ने बताया कि मेट्रो सिटी की तरह सुविधाओं से सुसज्जित इनकी कोठियां हैं। पिछले पांच साल में ही इनके रहन-सहन में तेजी से परिवर्तन आया है। यह जॉब फिशिग से लेकर ओटीपी के मास्टर माइड हैं। अब बिजली, बिल अपरेट से लेकर 5जी सिम अपग्रोड का हथवंडा अपना रहे हैं। आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि जामताड़ा के हैलो गैंग का हर सदस्य महीने के करीब 25 से 30 लाख रुपए साइबर प्राॉड के जरिये आसानी से कमा रहा है। यह लोग सालाना करोड़ों की कमाईं का टारगेट लेकर पूरा कर लेते हैं। जितनी कमाईं, उतना लग्जरी लाइफ स्टाइल। कमाईं का पैसा हर रोज मौजमस्ती में जीभर के उड़ाते हैं। दिल्ली, मुंबईं यहां तक कि दुबईं तक हवाईं जहाजों में आए दिन सैरसपाटा करते हैं। आईंपीएल मैच कहीं भी हो। बाकायदा फ्लाइट से जाते हैं। पािम बंगाल के मुर्शिदाबाद का रहने वाला नसीम मालित्य की कोठी भी जामताड़ा वाले गैंग से कम नहीं है। सूत्रों ने बताया कि उसका घर लग्जरी विला की तरह है। सूत्रों ने बताया कि इस केस में सबसे अहम कड़ी है साबिर जो फरार है। साबिर ही सिम को ऑन डिमांड हजारों की संख्या में उपलब्ध कराता है। सूत्रों ने बताया कि साबिर के घर से महज 20 किलोमीटर दूर है बंगलादेश। फिलहाल उसके बंगलादेश भागने के चांस हैं। जामताड़ा रैकेट का मास्टर माइंड निजामुद्दीन अंसारी ही वेस्ट बंगाल के मुर्शिदाबाद निवासी नसीम से सिम कार्ड खरीदता था।नसीम के पास से बरामद 21,761 सिम कार्ड बरामद हुए। इसने 12500 सिम कार्ड पहले भी लिए थे। पुलिस को इनके पास से 774 विदेशी सिम कार्ड भी मिले हैं, जो नेपाल, भूटान और चीन के हैं। साबिर ही सिम कार्ड नसीम को उपलब्ध करता है। आरोपियों ने बताया कि यह लोग पािम बंगाल में आरोपी नसीम से मोबाइल के लिए प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड मंगवा लेते थे। इन्हें प्राप्त करने के बाद आरोपी इन नम्बरों को लगभग सभी बैंक के अलावा फिल्म कार्ड, अमेजन, मीशो और दूसरे ईं-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डाल देते थे। इसके बाद जैसे ही पीिड़त इन नम्बरों पर कॉल करता था तो आरोपी बहुत पेशेवर अंदाज से बातचीत करके बाद में धोखे से इनको एनीडेक्स क्विक के एक सपोर्ट जैसे एप डाउनलोड करवाने के बाद उनके मोबाइल से उनका खाता साफ कर देते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

अमरनाथ यात्रा से पहले दहशत पैलाना

पुंछ में सेना के उस वाहन को आतंकियों द्वारा हथगोला और रॉकेटों से उड़ा दिया। इस घटना के बाद सेना गुस्साईं हुईं है जिसमें सवार सैनिक रमजान के महीने में रोजा रखने वालों के लिए सामान लेकर जा रहे थे। इस हमले में पांच से सात आतंकी शामिल थे। सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की पड़ताल में यह सामने आया है। सूत्रों के अनुसार इनमें से चार आतंकी सीमापार यानि पाकिस्तान के हैं, जिन्होंने अपने पाकिस्तानी हैंडलरों के जरिये स्थानीय आतंकियों को शामिल कर करतूत को अंजाम दिया। इस इनपुट के आधार पर पुंछ हमले के जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईंए) को सौंप दी गईं है। एनआईंए टीम का नेतृत्व डीआईंजी स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। सेना के बकौल सात से 10 पाक पस्त आतंकियों के दो गुटों ने इस वृत्य को अंजाम दिया है। जिनको ढेर करने की खातिर भट्टा दुराईं इलाके में सैकड़ों की संख्या में जवानों को उतारा गया है। उनकी मदद को न सिर्प खोजी वुत्ते, ड्रोन और लड़ावू हथियार लगाए गए हैं, बल्कि एनआईंए की टीम भी पहुंची है। इतना जरूर था कि इस वृत्य के खिलाफ पूरा जम्मूकश्मीर उबाल पर है और जगह-जगह पाकिस्तान विरोधी प्रादर्शनों की खबरें हैं। रक्षा सूत्रों ने इसे माना है कि हमले में वह ही आतंकी शामिल हैं जो पिछले करीब डेढ़ साल से इस इलाके में एक्टिव हैं और एक बार अक्तूबर 2021 में वह सेना के सैकड़ों जवानों को 20 से अधिक दिनों तक थका चुका है। तब भी सेना के नौ जवान मारे गए थे। हमले के बाद इलाके में हाईं अलर्ट जारी करने के साथ ही इस मार्ग पर आवाजाही बंद की जा चुकी है। जबकि स्थानीय लोगों को तब तक घरों से बाहर न घूमने के निर्देश जारी किए गए हैं जब तक तलाशी अभियान समाप्त नहीं हो जाता है। पुंछ की इस घटना के बाद पूरा देश उबाल पर भी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि आतंकियों ने सेना के वाहन पर पहले एक तरफ से फायरिग की, अफरातफरी मचने पर दूसरी तरफ और पीछे से भी फायरिग शुरू कर दी। स्टिकी बम (एंटी टैंक) को इस्तेमाल भी किया गया। सूत्रों के अनुसार सेना के वाहनों पर हमले का यह तरीका पूवरेतर के उग्रावादी संगठनों जैसा है। कश्मीर में संभवत: पहली बार सामने आया है। पुंछ के भट्टा दुराईं क्षेत्र में अक्तूबर 2021 में भी सेना पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें भी सेना के चार जवान शहीद हुए थे। लगभग एक पखवाड़े तक सर्च ऑपरेशन भी चला था। लेकिन अब तक कोईं गिरफ्तारी नहीं हो पाईं। दरअसल भट्टा दुराईं में घने जंगल हैं। यहां छिपने की कईं गुफानुमां जगह है। हालांकि एलओसी से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है। वारदात के बाद सीमा के उस पार भागना आसान है। राजाैरी और पुंछ में अभी गजनवी फोर्स का आतंक है। जैश के पिछलग्गू संगठन पीएएफएफ ने वारदात का जिम्मा लिया है, लेकिन आशंका है कि इसके पीछे लश्कर का हाथ हो सकता है। अमरनाथ यात्रा से पहले आमजन में दहशत पैदा करने की नीयत से इसे अंजाम दिया गया है।

Thursday 20 April 2023

नौ राज्यों में सीबीआईं की नो एंट्री

तेलंगाना और मेघालय समेत नौ राज्यों ने चुनिंदा अपराधों की जांच के लिए वेंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआईं) को दी गईं आम सहमति वापस ले ली है। वेंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिह ने लोकसभा को बताया कि दिल्ली विशेष पुलिस प्रातिष्ठान अधिनियम (डीएसपीआईं एक्ट) की धारा छह के तहत किसी राज्य की सीमा के भीतर जांच के लिए सीबीआईं को संबंधित राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। सिंह ने बताया कि राज्यों ने वुछ खास तरह के अपराधों और वुछ विशेष श्रेणी के लोगों के खिलाफ जांच के लिए सीबीआईं को एक आम सहमति दे रखी थी ताकि वह सीधे केस दर्ज कर जांच कर सके। हालांकि छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पािम बंगाल ने सीबीआईं को दी गईं आम सहमति वापस ले ली है। गैर-भाजपा शासित राज्यों ने सीबीआईं पर विपक्षी नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाने का आरोप लगाया है। आम सहमति वापस लेने से सीबीआईं को उन मामलों की जांच में कहीं दिक्कत आ सकती है जिनका राष्ट्रीय महत्व है या अंतर्राज्यीय विस्तार है। यह देखना होगा कि सीबीआईं इन चुनौतियों का किस प्राकार सामना करती है और प्राभावी ढंग से अपने कर्तव्य का निर्वहन करती है। नौ राज्यों द्वारा आम सहमति वापस लेने के बाद डीएसपीए एक्ट, 1946 और सीबीआईं के अधिकार क्षेत्र तथा अधिकारों की वृहद समीक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस साल मार्च में एक संसदीय समिति ने कईं राज्यों द्वारा सीबीआईं को दी गईं आम सहमति वापस लेने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संघीय जांच एजेंसी को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून की कईं सीमाएं हैं। समिति ने सीबीआईं के अधिकार और काम के लिए नए सिरे से कानून बनाने का सुझाव दिया है। उसने कहा—समिति महसूस करती है कि दिल्ली विशेष पुलिस प्रातिष्ठान अधिनियम की कईं सीमाएं हैं और इसलिए सिफारिश करती है कि एक नया कानून बनाने और सीबीआईं की स्थिति, कार्यो और शक्तियों को परिभाषित करने की आवश्यकता है और निष्पक्षता सुनिाित करने के लिए सुरक्षा उपायों को निर्धारित करने की भी आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विव््राम सिह ने कहा कि आम सहमति वापस लेने का मतलब है कि सीबीआईं को हर मामले की जांच से पहले नए सिरे से आवेदन करना होगा और सहमति दिए जाने से पहले वह कार्यं नहीं कर सकती है। ——अनिल नरेन्द्र

मिलिए अतीक के हत्यारों से

वुख्यात अपराधी अतीक को सबके सामने गोली मारने वाले लड़कों की खुद की हिस्ट्री है। इन तीन हत्यारों ने पुलिस, मीडिया के सामने अतीक और उसके भाईं अशरफ को गोलियों से भून दिया। मौके पर पुलिस ने तीनों को दबोच लिया। लवलेश तिवारी, मोहित उर्प सन्नी और अरुण मौर्यं उर्प कालिया, तीनों के खिलाफ कईं आपराधिक मामले चल रहे हैं। लवलेश तिवारी, बांदा नगर कोतवाली क्षेत्र के क्यातेरा इलाके का रहने वाला है और उसका परिवार किराये के मकान में रहता है। उसके पिता का नाम यज्ञ तिवारी है और वह एक निजी स्वूल में बस चलाते हैं। लवलेश की मां का नाम आशा तिवारी है। लवलेश चार भाइयों में तीसरे नम्बर पर है। लखनऊ विश्वविदृालय में पहले वर्ष में विफलता के बाद लवलेश ने पढ़ाईं छोड़ दी थी। लवलेश के पिता यज्ञ तिवारी की मानें तो लवलेश ने दो साल पहले ही एक लड़की को बीच चौराहे पर थप्पड़ मार दिया था। लवलेश तिवारी के ऊपर चार मुकदमे दर्ज हैं। हमीरपुर जिले के वुरारा थाना क्षेत्र के वार्ड नम्बर 11 कस्बा वुरारा निवासी मोहित सिह उर्प सन्नी का पुराना आपराधिक इतिहास लूट, आयुद्ध अधिनियम और हत्या के प्रायासों से भरा पड़ा है। मोहित के खिलाफ लूट और हत्या के प्रायास समेत वुछ 14 अभियोग पंजीवृत हैं। सन्नी पर वुरारा थाने में वर्ष 2016 में पहला मामला लूट और हमले का दर्ज हुआ था और आखिरी मामला 2019 में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किया गया। सन्नी सिह के भाईं पिंटू ने कहा कि मेरा भाईं वुछ नहीं करता था। उस पर वुछ मामले हैं। सूत्रों का दावा है कि सन्नी के सम्पर्व लॉरेंस बिश्नोईं गिरोह से भी हैं। अरुण मौर्यं उर्प कालिया का घर सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता गांव में है। अरुण के पिता का नाम हीरा लाल था। अरुण उर्प कालिया छह साल से बाहर रह रहा है। घर पर दो बड़े भाईं रहते हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। मां-बाप की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी है। चाचा ने बताया कि अरुण काफी पहले ही गांव छोड़कर चला गया था, तब से वह नहीं आया। उसकी खेती पड़ी हुईं है यहां। अरुण शातिर अपराधी है। इसने जीआरपी थाने के एक पुलिसकमा की हत्या कर दी थी। इसके बाद यह फरार हो गया था, तब से अरुण घर नहीं आया है। हालांकि यह तीनों आपराधिक प्रावृत्ति के हैं पर इसमें संदेह है कि इन्होंने अकेले अतीक और उसके भाईं पर हमला नहीं किया। इनके पीछे कौन है या कौन-सी ताकतें हैं, यह शायद ही पता चले। बेशक जांच हो रही है पर उसमें सच्चाईं निकले यह मुश्किल लगता है। कहानी असल क्या है यह जांच से पता चलेगा। यह तीनों हिस्ट्रीशीटर हैं। जिस किसी ने इन्हें चुना है वह जानता था कि यह अतीक की हत्या को अंजाम दे सकते हैं। गोली मारने के बाद इन तीनों ने भागने की कोशिश भी नहीं की। बड़ी आसानी से पुलिस की पकड़ में आ गए। यह भी शक पैदा करता है। देखें, जांच में क्या निकलता है? के हत्यारों से

Tuesday 18 April 2023

बाल विवाह निषेध कानून

सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों को लागू करने के लिए वेंद्र के उठाए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। सीजेआईं डीवाईं चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने वेंद्र सरकार से इस मुद्दे पर विभिन्न राज्यों के आंकड़ों को समेटने और उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। पीठ सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वालंटरी एक्शन की जनहित याचिका पर सुनवाईं कर रही थी। इसमें दावा किया गया कि बाल विवाह के एक सदी पहले बंद किए जाने और 2006 में नया कानून बनने के बावजूद 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी कराईं जा रही है। वेंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने कहा—महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल तक बढ़ाने के प्रावधान वाला एक बिल 2001 में स्थायी समिति के पास लंबित है। इस पर पीठ ने कहा—यह बिल भी बाल विवाह निषेध अधिनियम के कार्यांन्वयन के मुद्दे को संबंधित नहीं करेगा। हम मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

दया याचिकाओं में देरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा—मौत की सजा पाए दोषी दया याचिकाओं पर पैसला होने में अत्याधिक देरी का फायदा उठा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और इन याचिकाओं को देखने वाले अधिकारियों से इन पर जल्द पैसला लेने का निर्देश दिया। जस्टिस एमआर शाह व जस्टिस सीटी रविवुमार की पीठ ने कहा—शीर्ष अदालत के अंतिम निष्कर्ष के बाद भी दया याचिका पर पैसला नहीं करने में अत्याधिक देरी हुईं है। इससे मौत की सजा का उद्देश्य विफल हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि राज्य सरकार और इन मामलों को देखने वाले अधिकारी पूरी कोशिश करें कि दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द निपटारा हो। ताकि आरोपी को भी अपना हश्र पता चल सके और पीिड़त को न्याय भी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार की बॉम्बे हाईं कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर आईं। हाईं कोर्ट ने एक महिला और उसकी बहन को दी गईं मौत की सजा को आजीवन कारावास में इस आधार पर बदल दिया था कि राज्यपाल की ओर से अभियुक्तों की दया याचिकाओं पर पैसला नहीं करने में एक अमान्य और अस्पष्ट देरी हुईं थी। दया याचिका लगभग सात साल 10 महीने तक लंबित रही थी। यही नहीं माननीय राष्ट्रपति के पास बहुत सी दया याचिकाएं पड़ी हुईं हैं जिन पर पैसला होना बाकी है। दया याचिकाओं के निपटारे के लिए एक समय सीमा तय होनी चाहिए।

पुलवामा : सरकार की लापरवाही का नतीजा

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जाने-माने पत्रकार करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में 2019 के पुलवामा हमले के लिए वेंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कईं सनसनीखेज दावे किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ हमला सिस्टम की अक्षमता और लापरवाही का नतीजा था। मलिक ने भ्रष्टाचार के प्राति प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित जीरो टॉलरेंस नीति पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए दावा किया है कि पीएम को करप्शन से बहुत नफरत नहीं है। न्यूज पोर्टल द वॉयर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अनुच्छेद 370 की समाप्ति और भाजपा नेता राम माधव से जुड़े विवादों पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी है। सत्यपाल मलिक के इन आरोपों के बाद सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों के साथ कईं अन्य लोग भी सवाल खड़े करते हुए इंटरव्यू के क्लिप ट्वीट कर रहे हैं। कश्मीर में भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाएंगे वुछ नेता मलिक ने कहा। कांग्रोस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में पीएम मोदी पर आरोप लगाया है कि पुलवामा हमला और उसमें 40 जाबांजों की शहादत सरकार की गलती से हुईं। इस ट्वीट के अनुसार नरेंद्र मोदी जी पुलवामा हमला और उसमें 40 जाबांजों की शहादत आपकी सरकार की गलती से हुईं। अगर हमारे जवानों को एयरव््राफ्ट मिल जाता तो आतंकी साजिश नाकाम हो जाती। आपको इस गलती के लिए एक्शन लेना था और आपने न सिर्प इस बात को दबाया और अपनी छवि बचाने में लग गए। पुलवामा पर सत्यपाल मलिक की बात सुनकर देश स्तब्ध है। कांग्रोस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक जी के खुलासों से ऐसा प्रातीत होता है कि मोदी जी को राष्ट्रहानि से उतना डर नहीं जितना मानहानि से है। वहीं राहुल गांधी ने लिखा—प्राधानमंत्री जी को करप्शन से कोईं बहुत नफरत नहीं है। कांग्रोस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट में लिखा—मैंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की करण थापर के साथ बहुत सावधानी से हुईं बातचीत देखी। माननीय पूर्व राज्यपाल जो कह रहे हैं यदि वो सही है तो यह बहुत परेशान करने वाली बात है। देश के बाहर इसका बहुत खराब असर होगा। आम आदमी पाटा (आप) ने ट्वीट किया—मोदी जी, अगर केजरीवाल भ्रष्टाचारी हैं तो दुनिया में कोईं ईंमानदार नहीं। मलिक ने भी बोला है कि मोदी जी को भ्रष्टाचार से कोईं परहेज नहीं है। जो सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, उसके लिए भ्रष्टाचार क्या मुद्दा होगा? तृणमूल कांग्रोस की तेजतर्रार सांसद महुआ मिइत्रा ने लिखा—जम्मूकश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने एक बहुत स्पष्ट इंटरव्यू में पुलवामा के पीछे के झूठ से पर्दा उठाया है। इसमें बताया गया है कि आरएसएस का आदमी अडाणी के लिए वैसे रिश्वत देता है। मुख्य धारी के चुनिंदा मीडिया संस्थानों में इस बारे में खबर प्राकाशित होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मीडिया संस्थान कब तक रेंगता रहेगा? जाने-माने पत्रकार रवीश वुमार ने सत्यपाल मलिक के एक अन्य प्राकाशित इंटरव्यू में राम माधव पर ट्वीट किया—जगे हैं? एक बात पूछनी थी। राम माधव ने सत्यपाल मलिक को मानहानि का नोटिस भेजा क्यों?

Thursday 13 April 2023

भिडरावाले जैसा दिखने का जुनून

खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे संगठन के प्रामुख अमृतपाल सिह अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका है। इसी बीच उसे लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है। अमृतपाल ने भारत आने से पहले भिडरावाले की तरह दिखने के लिए अमेरिका के जॉर्जिया में सर्जरी कराईं थी। इसका खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि अमृतपाल के साथियों ने किया है, जो फिलहाल डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं। सूत्रों के मुताबिक खालिस्तान समर्थक के साथियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि अमृतपाल करीब दो महीने तक जॉर्जिया में रहा था। एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने खुलासा किया है कि अमृतपाल ने यह सर्जरी भिडरावाले की तरह दिखने के उद्देश्य से कराईं थी। अमृतपाल 18 मार्च से फरार है। उसके चाचा हरजीत सिह और दलजीत सिह कलसी समेत उसके आठ करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ भेजा जा चुका है। हाल ही में खुफिया अधिकारियों की एक टीम उनसे पूछताछ करने वहां गईं थी, जहां से सनसनीखेज खुलासा हुआ। पंजाब में पिछले वुछ दिनों से उसे जरनैल सिह भिडरावाले-2.0 तक कहा जा रहा है। दरअसल भिडरावाले ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाईं थी और पूरे पंजाब में कोहराम मचा दिया था। ठीक उसी तर्ज पर अमृतपाल सिह पर तुलनात्मक रूप से भारी पगड़ी बांधता है और भीड़ को उकसाने वाले बयान देकर माहौल गरम कर देता है। पाक खुफिया एजेंसी आईंएसआईं के इशारे पर गत 29 सितम्बर 2022 को वारिस पंजाब दे संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोंगा जिले के रोडे गांव में एक बड़ा कार्यंव््राम आयोजित किया गया था। इसी प्राोग्राम में अमृतपाल को संगठन का प्रामुख नियुक्त किया गया था। माना जाता है कि कार्यंव््राम स्थल का चयन काफी रणनीतिक था, क्योंकि यह जरनैल सिह भिडरावाले का पैतृक गांव है। भिडरावाले की तरह अमृतपाल भी नीली गोल पगड़ी पहनता है। अपने सपेद कपड़ों में एक छोटी-सी वृपाण रखता है और भड़काऊ भाषण भी देता है। इससे कट्टरपंथी सिख युवाओं के बीच लोकप््िराय हो रहा है। अमृतपाल सिह जो संगठन वारिस पंजाब दे संचालित करता है, वो एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने बनाया था। बाद में 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गईं थी। दीप सिद्धू किसान आंदोलन में सव््िराय रहा और लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने से चर्चा में आया था। दीप सिद्धू के निधन के बाद इस संगठन की कमान वुछ महीने पहले ही दुबईं से लौटे अमृतपाल सिह ने संभाल ली और वो इसका प्रामुख बन गया। उसने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाईं थी। दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिह ने वारिस पंजाब दे वेबसाइट बनाईं और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया। ——अनिल नरेन्द्र

क्यों बढ़ रहे हैं युवाओं में हार्ट पेल?

तंदरुस्त युवाओं की हंसते-हंसते, खेलते-खेलते अचानक हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों में वेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित है। कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से शक की सूईं कोविड या उससे बचने के लिए ली गईं दवाएं और वैक्सीन पर भी जा रही है। लॉकडाउन में खानपान, रहन-सहन में आए बदलावों के कारण सेहत पर प्रातिवूल प्राभावों की आशंका भी है। मेरे कईं जानने वाले जिम में ही चल बसे। कहा जा रहा है कि युवा अपनी बॉडी (सिक्स पैक) बनाने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा स्टिरायर्डस पर निर्भर हो रहे हैं और यही जानलेवा बन रही है। हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के कारणों का पहली बार व्यापक अध्ययन होने जा रहा है। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद लोग टीकाकरण को हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ने के लिए भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस तरह की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि इस बात के कोईं प्रामाण नहीं हैं कि टीका लगवाने से दिल का दौरा हो सकता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार भारत में लगभग एक चौथाईं (24.8 प्रातिशत) लोगों की मौत हृदय रोगों के कारण होती है। हाल के दिनों में देखा गया है कि कईं बड़ी हस्तियों, कलाकारों, एथलीटों और खिलाड़ी जो आमतौर पर फिट रहते हैं और दिल की बीमारी की उनके कोईं हिस्ट्री नहीं है, उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनमें से वुछ की मौत भी हो गईं। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईंसीएमआर) से मेयोकॉर्डियलर पंक्शन यानि हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के अध्ययन में कहा है। सूत्रों के अनुसार अध्ययन में आईंसीएमआर ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज वंट्रोल (एनसीडीसी) की मदद से दो तरीकों से ऑकस्मिक मौत की बारीकियों को समझने का मॉडल से स्टडी के लिए विशेषज्ञों की अलग-अलग टीमें बना ली हैं। सरकार ने हाल में ही राज्यसभा में आईंसीएमआर की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2016 में होने वाली वुछ मौतों में से 28.1 प्रातिशत हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों की वजह से हुईं। वहीं साल 1990 में यह आंकड़ा 15.2 प्रातिशत था। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक से मौतों का कारण मुख्य रूप से तंबावू और शराब का उपयोग, बढ़ता जंक पूड और कम शारीरिक श्रम है। अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेंद्र स्वूल ऑफ बॉयोसाइसिस के डीन डॉ. अनुराग अग्रावाल ने बताया—दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि को इस प्राकार सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है कि लगभग हर व्यक्ति को कोविड हुआ था, वुछ लोगों को कईं बार। हालांकि इस बात का कोईं सुबूत नहीं है कि दिल के दौरे का कोविड वैक्सीन से कोईं संबंध है। पर दिल के दौरे सहित हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा उन व्यक्तियों में बढ़ जाता है जो कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रहे हैं।

Tuesday 4 April 2023

क्या ब्लादिमीर पुतिन गिरफ्तार होंगे?

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को गिरफ्तार करने के अंतर्राष्ट्रीय व््िरामिनल कोर्ट (आईंसीसी) ने 17 मार्च 2023 को रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चिल्ड्रेंस राइट्स के लिए रूस की कमिशनर मारिया मवोवा-बेलोबा के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। आईंसीसी ने फरवरी 2022 में यूव््रोन पर रूस का हमला होने के बाद यूव््रोन से बच्चों के आपराधिक डिपोर्टेशन के मामले में दोनों पर निजी तौर पर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया। आईंसीसी ने पुतिन पर इसे रोकने के लिए राष्ट्रपति के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल न करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्यांप्त सुबूत हैं। आईंसीसी ने कहा कि यूव््रोन के सैकड़ों बच्चों को अनाथालयों और बालगृहों से रूस लाया गया ताकि रूस में रह रहे परिवार और गोद ले सवें। यूव््रोन के नेशनल इनफाम्रेशन ब्यूरो के अनुसार 16221 बच्चों को जबरन रूस ले जाया गया है। कोर्ट ने कहा कि जिस वक्त बच्चों को डिपोर्ट किया गया उन्हें चौथे जेनेवा कन्वेंशन के तहत सुरक्षा दी गईं थी। यूव््रोन ने अंतर्राष्ट्रीय व््िरामिनल कोर्ट से अपनी जमीन पर हो रहे युद्ध अपराधों की जांच करने की गुजारिश की थी जिसके बाद उसकी सुनवाईं की गईं। यह पहली बार है जब कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक के नेता के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है। यूव््रोनी राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की ने इस पैसले का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक पैसला बताया है जो इस मामले में जिम्मेदारी तय करेगा। रूस ने कोर्ट के इस पैसले को अस्वीकार्यं बताया और कहा कि यह गिरफ्तारी वारंट किसी काम का नहीं है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय व््िरामिनल कोर्ट का मुख्यालय नीदरलैंड्स के द हेग में है। यह कोर्ट नरसंहार अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर मुकदमा चलाती है। 1998 में रोम संविधि के तहत इसकी स्थापना हुईं थी। हालांकि इसने 2002 में ही अपना काम शुरू कर दिया था। इसका सालाना बजट 13 करोड़ पाउंड का है जिसे यह मामलों की जांच पर खर्च करती है। अब तक कोर्ट 31 मामलों की सुनवाईं कर चुकी है और 10 लोगों को सजा सुना चुकी है। आईंसीसी जजों ने अब तक वुल 40 अरेस्ट वारंट जारी किए हैं। अब तक दूसरे मुल्कों की मदद से 21 लोगों को पकड़ कर आईंसीसी डिटेशन सेंटर में रखकर कोर्ट के सामने पेश किया गया है जबकि 18 को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया। आईंसीसी वारंट तो जारी कर सकता है, लेकिन उसके पास व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट के अध्यक्ष प्यूटर हाफमैनस्की ने कहा है कि पुतिन को गिरफ्तार करना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर निर्भर करता है। लेकिन रूस में मौजूदा वक्त में पुतिन की जो हैसियत है उन्हें कोईं भी चुनौती नहीं दे सकता। वैसे भी रूस आईंसीसी में सिगनेटरी नहीं है। ——अनिल नरेन्द्र

धर्म का राजनीति में इस्तेमाल बंद हो

हेट स्पीच का मामला पिछले कईं दिनों से चर्चा में है। अंतत: माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस क्षण धर्म और राजनीति को अलग कर दिया जाएगा और राजनेता सियासत में धर्म का इस्तेमाल करना बंद कर देंगे, उसी क्षण नफरती भाषण बंद हो जाएंगे। यह टिप्पणी आज के परिपृश्य में बहुत महत्वपूर्ण है, आंखें खोलने वाली है कि जब राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता धर्म के जरिये राजनीति में ऊंचे मुकाम हासिल करने का सपना छोड़ देंगे तभी हेट स्पीच को खत्म किया जा सकता है। हर पक्ष के खुराफाती तत्वों की तरफ से ही ऐसे भाषण दिए जा रहे हैं। लोगों को भी खुद को संयमित रखना चाहिए। जस्टिस केएम जोसेफ व जस्टिस बीबी नागरत्ना की पीठ ने नफरती भाषणों पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि आखिर अदालतें कितने लोगों के खिलाफ अवमानना के मामले शुरू कर सकती है? देश के लोग ही दूसरे लोगों या समुदायों के खिलाफ गलत नहीं बोलने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते? पीठ ने कहा—प्रात्येक दिन खुराफाती (प््िरांज) तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों समेत अन्य जगहों पर लोगों के प्राति नफरत पैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। इसमें हर तरफ के लोग हैं। बयानबाजी के बाद अदालत पहुंचते हैं और एक-दूसरे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाईं की मांग करते हैं। शीर्ष अदालत शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर सुनवाईं कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में पिछले चार महीने में 50 से ज्यादा नफरती भाषण देने के मामले सामने आए हैं। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी करने के साथ ही मामले की सुनवाईं 28 अप्रौल तक स्थगित कर दी। हेट स्पीच को दुष्चव््रा बताते हुए कोर्ट ने कहा कि इससे फायदा उठाने के प्रायास में छोटी मानसिकता के लोग ऐसे-ऐसे भाषण देते हैं जिनसे हालात में तनाव के सिवाय वुछ हासिल नहीं होता। कोर्ट की टिप्पणियां नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने को लेकर राज्यों के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाईं के दौरान सामने आईं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा—हम कहां जा रहे हैं? हमारे पास पूर्व प्राधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे वक्ता हुआ करते थे। लोग दूरदराज के इलाकों, नुक्कड़ चौराहों और ग्रामीण क्षेत्रों से उन्हें सुनने के लिए आते थे। अब जिनके पास कोईं जानकारी नहीं है, वह इस तरह के नफरती भाषण दे रहे हैं। यह काम पूरी तरह से सरकारों का है कि ऐसी घटनाओं पर नजर रखें और आवश्यक कार्रवाईं करें। इसी कर्तव्य का निर्वाहन करते हुए बैंच ने पूछा कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद क्या कार्रवाईं की गईं? पिछले साल अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि संविधान भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है और दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकारों को प्रातीक्षा किए बगैर दोषियों के खिलाफ मामले दर्ज करने चाहिए।