Wednesday 25 August 2021

पंजशीर के शेरों ने मारे 300 तालिबानी

तालिबान ने बेशक काबुल पर कब्जा कर लिया हो, लेकिन अफगानिस्तान का एक इलाका ऐसा भी है जहां कब्जा करने का उसका सपना शायद ही कभी पूरा हो। इस पर कब्जा 20 साल में पूरा नहीं हो सका और न ही अब। काबुल पर कब्जे के बाद तालिबानी लड़ाके अब विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर घाटी की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीच उन्हें करारा झटका लगा है। खबर है कि पंजशीर के लड़ाकों ने घात लगाकर हमला किया और 300 तालिबानियों को मार गिराया है। पंजशीर के लड़ाकों ने न सिर्फ 300 तालिबानी मार गिराए बल्कि कई बंदी भी बना लिए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंजशीर विद्रोहियों ने घात लगाकर बलगान के अंद्राब में तालिबानियों पर यह बड़ा हमला किया। हमले में तालिबानियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है, तालिबान विद्रोही लड़ाकों की तरफ से वादा किया गया है कि इस हमले में उन्होंने 300 तालिबानियों को मार गिराया है। बीबीसी की पत्रकार मालदा हकीम ने कुछ तालिबानियों की तस्वीर ट्वीट की हैं। उन्होंने लिखाöतालिबान विरोधियों ने मुझे बताया कि यह बलगान घाटी के अंद्राब में युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए तालिबानी कैदी हैं। जानकारी के मुताबिक तालिबान ने कारी फसीहुद्दीन हाफिजुल्लाह के नेतृत्व में पंजशीर पर हमला करने के लिए सैकड़ों लड़ाके भेजे थे। लेकिन बलगान प्रांत की अंद्राब घाटी में घात लगाकर बैठे पंजशीर के लड़ाकों ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले में 300 तालिबानियों के मारे जाने की खबर है। इससे तालिबान का सप्लाई रूट भी ब्लॉक हो गया है। जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, तभी से पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाकों के जुटने का सिलसिला शुरू हो गया था। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा संख्या अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की है। इस गुट का नेतृत्व नॉर्दर्न अलायंस के चीफ रहे मुजाहिद्दीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। एंटी तालिबान फोर्स के प्रवक्ता अली मैसम नाजरी ने बताया कि राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से हजारों की संख्या में लोग पंजशीर आए हैं। पंजशीर में अहमद मसूद ने लगभग 9000 विद्रोही सैनिकों को इकट्ठा किया है। न्यूज एजेंसी एएफपी ने बताया है कि इस इलाके में दर्जनों रंगरूट ट्रेनिंग एक्सरसाइज और फिटनेस प्रैक्टिस करते दिखे हैं। इन लड़ाकों के पास हम्बी गाड़ियां भी हैं। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी इस हमले की ओर इशारा किया है। एक ट्वीट के जरिये तालिबान पर तंज कसते हुए कहा गया है, जब से तालिबानियों पर बड़ा हमला किया गया है, उसके लिए एक पीस में जिंदा वापस आना भी चुनौती थी। अब तालिबान ने पंजशीर में अपने लड़ाकों की संख्या बढ़ा दी है। सालेह ने लिखाöपड़ोसी अंद्राब प्रांत में मुंह की खाने के बाद तालिबान ने अपने लड़ाके पंजशीर घाटी के प्रवेश द्वार के पास इकट्ठे करने शुरू कर दिए हैं। इस बीच सालांग हाइवे को हमारे लड़ाकों ने बंद कर दिया है। कुछ इलाके ऐसे हैं जहां जाने से बचना चाहिए। जल्द मिलेंगे। पंजशीर के नेता अहमद शाह मसूद के 32 वर्षीय बेटे अहमद मसूद ने कहा है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों को तालिबान को नहीं सौंपेंगे। पंजशीर के लड़ाके हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

आतंकियों के निशाने पर भाजपा नेता

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी मारे गए, जिनमें से एक भाजपा पार्षद की हत्या में शामिल था। कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक के विजय कुमार ने बताया, मुठभेड़ में मारा गया आतंकी वकील शाह त्राल इलाके में दो जून को भाजपा के नगर निगम पार्षद राकेश पंडित की हत्या में शामिल था। कश्मीर में भाजपा नेताओं की जान सांसत में है। नतीजा सामने है। एक भाजपा नेता की हत्या के बाद आतंकियों द्वारा जारी की गई धमकियों के परिणामस्वरूप आधा दर्जन भाजपा नेता एक सप्ताह में भाजपा का दामन छोड़ चुके हैं। ताजा घटनाक्रम में कुलगाम में भाजपा के विधानसभा क्षेत्र के इंचार्ज ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। पिछले दो हफ्ते में कश्मीर खासतौर पर दक्षिण कश्मीर में चार नेताओं की हत्या हुई है। इसके बाद से इलाके के नेताओं में डर का माहौल बना हुआ है। कुलगाम में भाजपा के विधानसभा क्षेत्र के इंचार्ज मुबारक अहमद बट की तरफ से इस्तीफा दे दिया गया है। इसी इलाके में कुछ दिन पहले भाजपा नेता की हत्या हुई थी। बताया जा रहा है कि आतंकियों की तरफ से लगातार नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। खासतौर पर भाजपा नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं। भाजपा के नेताओं पर हमले होने के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। भाजपा कश्मीर में अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी हुई है लेकिन इस प्रकार की घटनाओं के बाद नेताओं में खौफ का माहौल बना हुआ है। कुछ अरसा पहले कश्मीर में भाजपा का साथ छोड़ने वालों में दो प्रमुख नेता बारामुल्ला के भाजपा युवा इकाई के प्रधान यारुफ बट तथा कुपवाड़ा के भाजपा के जिला उपाध्यक्ष आसिफ अहमद भी हैं। दोनों ने बांदीपुरा के पूर्व जिलाध्यक्ष शेख वसीम बारी की हत्या के बाद ऐसा कदम उठाया था। कइयों ने बाकायदा फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफों की घोषणा करते हुए सुरक्षा के मुद्दे को उठाया था। सुरक्षा अधिकारियों ने इसे माना है कि वर्ष 2019 में पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर राज्य के दो टुकड़े कर देने की कवायद के बाद से ही भाजपा नेता व कार्यकर्ता आतंकियों के निशाने पर थे। इस अवधि में आतंकियों ने कइयों पर जानलेवा हमले भी किए थे। अब जबकि आतंकी खुलकर भाजपा नेताओं को पोस्टरों के माध्यम से धमकियों व चेतावनियों को जारी करने में लगे हैं तो जान बचाने की खातिर भाजपा नेताओं ने पार्टी की अतिरिक्त राजनीति से भी किनारा करने का ऐलान करने आरंभ कर दिए हैं। पिछले शनिवार को ही तहरीकुल मुजाहिद्दीन ने इस आशय के पोस्टर चिपका दिए थे जिन्हें बाद में उतार तो लिया गया था, पर वह अपना असर जरूर छोड़ गए थे। घाटी में सियासतदानों की जानें खतरे में हैं और प्रशासन को इनकी सुरक्षा के लिए जरूरी कदम अविलंब उठाने पड़ेंगे। पाक समर्थक आतंकी गुट नहीं चाहते कि घाटी में भाजपा समेत अन्य ऐसे ही राजनीतिक दल वहां अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकें। भाजपा घाटी में अपनी जड़ें पक्की करने में जुटी हुई है पर अगर इन हत्याओं पर तुरन्त रोक नहीं लगी तो पार्टी से सभी कश्मीरी नेता भाग जाएंगे।

क्या सरकार देशमुख को बचाना चाह रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख के विरुद्ध सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचने पर महाराष्ट्र सरकार से तीखे सवाल पूछे। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सीबीआई जांच का विरोध करने से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री का बचाव कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य को प्रशासन में शुद्धता के लिए किसी भी जांच के लिए तैयार रहना चाहिए, साथ ही निष्पक्ष जांच की अनुमति देनी चाहिए। सीबीआई जांच की अनुमति देने वाले बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि राज्य सरकार अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच में सहयोग करना चाहती है लेकिन सीबीआई ने जो दस्तावेज मांगे हैं, वह अप्रासंगिक हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार जांच में सहयोग नहीं कर रही है। कोर्ट ने कहाöहम सीबीआई की जांच को कमतर नहीं कर सकते, न ही हम जांच को सीमित कर सकते हैं, यह संवैधानिक अदालत की शक्तियों को नकारने जैसा होगा। पीठ ने कहा कि यह धारणा बन रही है कि राज्य सरकार राज्य पुलिस अधिकारियों की तैनाती और सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की बहाली के पहलुओं पर जांच की अनुमति नहीं देकर पूर्व गृहमंत्री को बचाना चाहती है। पीठ ने कहा कि कौन-सी राज्य सरकार जांच का आदेश देगी जब उसका गृहमंत्री आरोपों के घेरे में हो। ऐसे में अदालत को ही जांच का आदेश देने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की गुहार लगाई थी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने देशमुख द्वारा बंबई हाई कोर्ट के 22 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कहाöहाई कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इसमें कोई त्रुटि नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

Friday 20 August 2021

पेगासस खरीदा या नहीं, हलफनामा दें

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह विस्तार से हलफनामा दायर करना चाहती है? वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले में छिपाने के लिए कुछ नहीं है। केंद्र ने अपने हलफनामे में याचिकाकर्ताओं की ओर से जासूसी के आरोपों को नकार दिया है और कहा कि याचिका विचार योग्य नहीं है। आईटी मंत्री के रुख को भी बताया गया कि सदन में सभी आरोपों को नकारा गया था। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि याचिकाओं में जो सवाल उठाए गए हैं, केंद्र सरकार उसके जवाब से बच रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं एन. राम और शशि कुमार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार हलफनामा दायर कर यह बताए कि क्या पेगासस जासूसी के लिए इस्तेमाल हुआ है या नहीं? उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया है तो हमारी दलील अलग होगी। केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है, उसमें उसने यह नहीं कहा कि सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं? तब केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर सरकार यह कहेगी कि उसने पेगासस का इस्तेमाल जासूसी के लिए नहीं किया है तो क्या याचिकाकर्ता अपनी अर्जी वापस ले लेंगे? चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि अगर आप डिटेल में इस बारे में हलफनामा दायर करने की सोच रहे हैं तो हमें बताएं। शीर्ष अदालत ने केंद्र से एक विस्तृत हलफनामा पेश करने को कहा, चाहे सरकार ने पेगासस खरीदा या इस्तेमाल किया या फिर इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने तब कहा कि मामला संवेदनशील है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ नहीं हैं। कमेटी की सीमाएं हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मंजूर करेगी तो स्वतंत्र एक्सपर्ट कमेटी होगी। इस पर सिब्बल ने दोहराया कि हम याचिकाकर्ताओं की ओर से यही सवाल है कि हम जानना चाहते हैं कि क्या केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया है या नहीं? कांग्रेस ने पेगासस मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए समिति गठित करने संबंधी केंद्र सरकार के हलफनामे को लेकर उस पर निशाना साधा। उसने सवाल किया कि बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है? कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाöक्या अपराधी खुद ही जांच करेगा? मोदी जी सीधा जवाब दें कि आपने पेगासस स्पाइवेयर खरीदा या नहीं? -अनिल नरेन्द्र

सेना वापस बुलाने का फैसला सही : जो बाइडन

अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपनों के ही निशाने पर आ गए हैं। उन्हें न केवल विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी का विरोध झेलना पड़ रहा है बल्कि कई डेमोक्रेट सांसद उनके फैसले की जमकर आलोचना कर रहे हैं। दूसरी ओर जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान नेतृत्व को बिना संघर्ष के तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया और साथ ही तालिबान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिकी कर्मियों पर हमला किया या देश में उनके अभियानों में बाधा पहुंचाई तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई करेगा। बाइडन ने अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरों को अत्यंत परेशान करने वाली बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिक किसी ऐसे युद्ध में नहीं मर सकते, जो अफगान बल अपने लिए लड़ना ही नहीं चाहते। उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहाöमैं अपने फैसले से पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं। मैंने 20 वर्षों के बाद यह सीखा है कि अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का अभी अच्छा समय नहीं आया, इसलिए हम अभी तक वहां थे। हम जोखिमों को लेकर स्पष्ट थे। हमने हर आकस्मिक स्थिति की योजना बनाई लेकिन मैंने अमेरिकी लोगों से हमेशा वादा किया कि मैं आपसे बिल्कुल स्पष्ट बात करूंगा। उन्होंने कहाöसच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा जल्दी हुआ। तो क्या हुआ? अफगानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए। अफगान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना। पिछले हफ्ते के घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को खत्म करना सही फैसला है। बाइडन ने साथ ही कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के अभियानों में हस्तक्षेप करता है तो अमेरिका विध्वंसक बल के साथ जवाब देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहाöहम जरूरत पड़ने पर विध्वंसकारी बल के साथ अपने लोगों की रक्षा करेंगे। हमारे मौजूदा अभियान का मकसद अपने लोगों और सहयोगियों को सुरक्षित और जल्द से जल्द बाहर निकालना है। उन्होंने कहा कि हम 20 वर्षों के खूनखराबे के बाद अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करेंगे। अब हम जो घटनाएं देख रहे हैं, वह दुखद रूप से यह साबित करती हैं कि कोई भी सेना स्थिर, एकजुट और सुरक्षित अफगानिस्तान नहीं बना सकती। जैसे कि इतिहास रहा है, यह साम्राज्यों का कब्रिस्तान है। बाइडन ने कहाöहमने एक हजार अरब डॉलर से अधिक खर्च किए। हमने अफगानिस्तानी सेना के करीब 3,00,000 सैनिकों को प्रशिक्षित किया। उन्हें साजो-सामान दिया। उनकी सेना हमारे कई नाटो सहयोगियों की सेनाओं से कहीं अधिक बड़ी है। हमने उन्हें वेतन दिया, वायुसेना की देखरेख की, जो तालिबान के पास नहीं है। तालिबान के पास वायुसेना नहीं है। हमने अफगानिस्तान को अपना भविष्य तय करने का हर मौका दिया। हम उन्हें उस भविष्य के लिए इच्छाशक्ति नहीं दे सकते। उन्होंने कहाöअफगान सेना में कई बहादुर और सक्षम सैनिक हैं, लेकिन यदि अफगानिस्तान अब तालिबान का कोई प्रतिरोध करने में असमर्थ है तो एक साल, एक और साल, पांच और साल या 20 साल तक अमेरिका के वहां रहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जब अफगानिस्तान की सशस्त्र सेना लड़ना नहीं चाहती, तो अमेरिका की और सेना भेजना गलत है। अफगानिस्तान के राजनीतिक नेता अपने लोगों की भलाई के लिए एक साथ आगे नहीं आ पाए।

Wednesday 11 August 2021

मामला जजों को धमकी का ः सीबीआई कुछ नहीं करती

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों को धमकी और अपशब्दों वाले संदेश मिलने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और सीबीआई न्यायपालिका की बिल्कुल मदद नहीं कर रही हैं और एक न्यायिक अधिकारी को ऐसी शिकायत करने की भी स्वतंत्रता नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े कई आपराधिक मामले हैं और कुछ स्थानों पर निचली अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी व्हाट्सएप या फेसबुक पर अपशब्दों वाले संदेशों के माध्यम से धमकी दी जा रही है। अदालत की पीठ धनबाद के एक न्यायाधीश की कथित तौर पर वाहन से कुचलने से मौत की हालिया घटना के मद्देनजर अदालतों और न्यायाधीशों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वत संज्ञान लिए मामले की सुनवाई कर रही थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहाöएक या दो जगहों पर अदालत ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि सीबीआई ने एक साल से अधिक समय में कुछ नहीं किया है। एक जगह मैं जानता हूं, सीबीआई ने कुछ नहीं किया। मुझे लगता है कि हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी लेकिन सीबीआई के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन यही स्थिति है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति शामिल हैं और यदि उन्हें अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वह हमारी छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं। पीठ ने कहाöदुर्भाग्य से यह देश में विकसित एक नया चलन है। न्यायाधीशों को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है। ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि न्यायाधीश, मुख्य न्यायाधीश या जिले से संबंधित प्रमुख से शिकायत करते हैं, जब वह पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो यह एजेंसियां प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। उन्होंने कहाöउन्हें लगता है कि यह उनके लिए प्राथमिकता वाली चीज नहीं है। सीबीआई, आईबी न्यायपालिका की बिल्कुल मदद नहीं कर रही हैं। मैं जिम्मेदारी के साथ यह बयान दे रहा हूं और मैं उस घटना को जानता हूं जिसके कारण मैं ऐसा कह रहा हूं। मैं इससे ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहता। पीठ ने इस मुद्दे को गंभीर करार दिया और वेणुगोपाल से कहा कि न्यायपालिका की मदद के लिए कुछ दिलचस्पी लेनी होगी। इस बीच झारखंड सरकार द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया कि धनबाद में जज की मौत के मामले की जांच, जांच एजेंसी को सौंप दी गई है। मुख्य न्यायाधीश ने कहाöएक युवा न्यायाधीश की मौत के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को देखें। यह राज्य की विफलता है। न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। पहले भी एक या दो जगहों पर अदालत ने सीबीआई जांच के आदेश दिए पर सीबीआई ने कुछ भी नहीं किया।

नाम बदलने पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

देश के सर्वोच्च खेल सम्मान का नाम राजीव गांधी खेल रत्न से बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न किए जाने पर भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई है। एक तरह से भाजपा ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस ने सवाल कियाöक्या नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम भी बदलेगी केंद्र सरकार? कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार रखने का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी नाम से नहीं अपने कर्म से जाने जाते हैं। वह आधुनिक भारत के निर्माता थे। उन्होंने सरकार के इस फैसले को अपनी झेंप मिटाने की कोशिश करार दिया है। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद उम्मीद है कि अब खिलाड़ियों के नाम पर स्टेडियम का नाम रखा जाए, इसलिए सबसे पहले नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अरुण जेटली स्टेडियम का नाम बदल देना चाहिए। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैरी कॉम, सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, गोपीचंद सहित दूसरे खिलाड़ियों के नाम पर स्टेडियमों के नाम रखे जाएं। अरविंद सावंत शिवसेना सांसद ने कहा कि खेल रत्न का नाम बदलना गलत है। हर मुद्दे में राजनीति करना ठीक नहीं है। राजीव गांधी किसी पार्टी नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री थे। इसलिए इस तरह के फैसलों से मोदी सरकार को बचना चाहिए। मेजर ध्यानचंद के नाम से कोई और पुरस्कार भी दिया जा सकता था या कोई नया पुरस्कार भी शुरू किया जा सकता था, पर राजीव गांधी के नाम से पुरस्कार को बदलकर मेजर ध्यानचंद पुरस्कार करना सही नहीं माना जा सकता, वहीं भाजपा ने पलटवार किया और केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहाöखेल रत्न अवार्ड को देश के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। यह खेल जगत से जुड़े हर व्यक्ति के लिए गर्व का निर्णय है। केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि खेल रत्न का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखे जाने का कोई औचित्य ही नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि मैं आज तक समझ नहीं सका हूं कि खेल रत्न सम्मान राजीव गांधी के नाम पर क्यों था? उन्होंने तो अपने जीवनकाल में कभी हॉकी स्टिक तक नहीं पकड़ी थी। इस पर सवाल किया जा सकता है कि भाजपा नेताओं ने कितने खेलों में महारथ हासिल की थी जो इनके नाम पर बड़े-बड़े स्टेडियमों के नाम रखे जा रहे हैं?

कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकारों को पांच लाख की मदद

केंद्र सरकार ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले 101 पत्रकारों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की सहायता देने के लिए 5.05 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऐसे पत्रकारों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद देने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। पवार ने कहाöपत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) से प्राप्त और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के तहत निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले आवेदनों के आधार पर कोविड-19 से जान गंवाने वाले 101 पत्रकारों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने के लिए 2020 और 2021 के दौरान कुल 5.05 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। हम सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं। कोरोना काल के दौरान सैकड़ों पत्रकारों ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए जान की परवाह किए बिना जान तक की बाजी लगा दी। ऐसे भी बहुत से पत्रकार हैं जो कोरोना की वजह से बेरोजगार हो गए हैं। सैकड़ों अखबार-पत्रिकाएं बंद हो चुकी हैं। जहां सरकार ने जान देने वाले पत्रकारों के परिवारों की मदद की है वहीं बेरोजगार हुए पत्रकारों की मदद के लिए भी सोचना चाहिए। अखबारी संस्थानों की भी आर्थिक मदद करनी चाहिए। यह वक्त की पुकार है। -अनिल नरेन्द्र

Friday 6 August 2021

सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या ने पकड़ा तूल

दिल्ली कैंट के नांगल गांव में सामूहिक दुष्कर्म के बाद नौ साल की बच्ची की हत्या कर शव का अंतिम संस्कार कराने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मंगलवार को बच्ची के परिजनों से मिलने के लिए कई पार्टियों के नेता पहुंचे। इनमें भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी प्रमुख रहे। इन नेताओं को स्थानीय लोगों का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों ने इस मामले को राजनीतिक बनाने पर आपत्ति जताई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को बच्ची के परिजनों से मिले। चंद्रशेखर ने मुलाकात के दौरान परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राजधानी में बच्ची सुरक्षित नहीं है तो देश के अन्य हिस्सों में क्या हाल होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। दिल्ली में महिला सुरक्षा के नाम पर बसों में मार्शल तैनात हैं, लेकिन घर के बाहर ही बच्ची सुरक्षित नहीं है। यह कैसी दिल्ली है? उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के मामले में यह नया चलन है कि सुबूत मिटाने के लिए शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाए। पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए। उधर अनिल चौधरी ने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले इसके लिए जो भी बन पड़ेगा, किया जाएगा। स्थानीय लोगों ने गांव पहुंचे नेताओं से साफ कह दिया कि उन्हीं को परिवार से मिलने की इजाजत होगी, जो इस मामले में राजनीति नहीं करेंगे। मंच के पास पार्टी का झंडा लहराने पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई और कहा कि इसे हटाया जाए। लोगों ने कहा कि यह समाज की बेटी के साथ जघन्य अपराध का मामला है। इस पर राजनीति करने की इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी जाएगी। सामूहिक दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या के मामले में परिजनों ने आरोपियों को मौत की सजा की मांग की है। मंगलवार को बच्ची के माता-पिता सहित इलाके के सैकड़ों लोगों ने घटनास्थल के पास धरना दिया। बच्ची की मां ने आरोप लगाया कि उनकी सहमति के बिना ही पुजारी ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। उसने कुछ देर के लिए बच्ची के शरीर को दिखाया। उसके होंठ नीले पड़े थे। पुजारी झूठ बोल रहा है कि बच्ची को करंट लगा। आरोपी ने उससे दुष्कर्म किया है। जब लोगों को पता चला तो जलती चिता को बुझाया और शव निकाला। बच्ची के पिता ने एक व्यक्ति पर मारपीट करने और शिकायत दर्ज नहीं करने की धमकी देने का आरोप लगाया। उसने बताया कि घटना के समय वह बाजार गया था। शाम साढ़े सात बजे उसे पता चला कि बेटी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उसने बताया कि एक व्यक्ति ने उसे 20 हजार रुपए देने की कोशिश की थी, लेकिन उसने मना कर दिया। लोगों के आक्रोश को देखकर परिक्षेत्र के संयुक्त आयुक्त जसपाल सिंह बच्ची के परिजनों से मिलने पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि आरोपियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उनके साथ पुलिस उपायुक्त इंगित प्रताप सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे। जिला पुलिस उपायुक्त ने बताया कि चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने घटनास्थल से सभी सुबूतों को एकत्र कर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। ऐसे दरिन्दों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पुलिस को चाहिए कि वह वारदात केस बनाए ताकि आरोपी बच न सकें। इस जघन्य कांड ने एक बार फिर हमें शर्मसार कर दिया है।

चौटाला चाहते हैं नीतीश तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करें

राजनीति में कुछ भी बेमतलब नहीं होता। हर मुलाकात का कोई न कोई मंतव्य छिपा होता है। भले ही उसे शिष्टाचार या कोई और रूप दिया जाए। हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रविवार को हुई मुलाकात को भी इसी राजनीतिक मंतव्य की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। राजना]ित के धुरंधर खिलाड़ी माने जाने वाले दोनों मित्रों ने बंद कमरे में घंटों बातचीत की। भोजन भी किया और राजनीति पर चर्चा भी। लगता है कि श्री चौटाला की रणनीति है कि तीसरे मोर्चे की परिकल्पना को साकार करने के लिए नीतीश कुमार उसका नेतृत्व करें। हालांकि नीतीश ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। नीतीश कुमार इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के गुरुग्राम स्थित आवास पर मिलने खुद पहुंचे। जनता दल (यू) के महासचिव डॉ. केसी त्यागी इस मुलाकात के सूत्रधार बने। जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में 10 साल की सजा पूरी कर चौटाला जब जेल से बाहर आए तो त्यागी उनसे मिलने गए थे। उस समय चौटाला की बाजू में फ्रैक्चर था। उनकी गाड़ी का भारी एक्सीडेंट हो गया था और उसके कारण उनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। त्यागी और चौटाला ने उस समय साथ-साथ भोजन किया और दोनों के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुई। त्यागी ने वहीं से चौटाला और नीतीश कुमार की बात कराई। उसी समय नीतीश ने चौटाला का भोजन निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। तब संभावना जताई जाने लगी थी कि सरकारें बनाने और बिगाड़ने में माहिर चौटाला जेल से बाहर आने के बाद चैन से बैठने वाले नहीं हैं। दोनों नेताओं ने मुलाकात का दिन भी सोच-समझ कर रखा। रविवार को फ्रेंडशिप डे था। नीतीश कुमार अपने पुराने दोस्त के लिए शाल लेकर आए। शाल ओढ़ाकर सम्मान किया तो अभिभूत चौटाला ने नीतीश को अपने हाथों से भोजन परोसा। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला और केसी त्यागी भी इस मुलाकात के गवाह बने। केसी त्यागी से मुलाकात के बाद चौटाला ने जिस दम-खम के साथ यह बयान दिया कि वह भाजपा व कांग्रेस के विरुद्ध तीसरे मोर्चे का गठन करना चाहते हैं, तभी लग रहा था कि चौटाला कुछ ऐसा करेंगे, जिसके जरिये न केवल इनेलो के काडर बेस कार्यकर्ता को दोबारा पार्टी में पूरी मजबूती के साथ जोड़ा जाए, साथ ही पोते दुष्यंत चौटाला के जननायक जनता पार्टी बनाकर भाजपा के साथ खड़ा होने के फैसले पर भी सवाल उठाए जा सकें। चौटाला की रणनीति है कि तीसरा मोर्चे का गठन हो। वहीं जद (यू) के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने रविवार को दावा किया कि बिहार में अगर आज चुनाव हों तो जनता दल यूनाइटेड सबसे बड़ी पार्टी की भूमिका में होगी। उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। लेकिन देश में कई पीएम मेटिरियल हैं, जिनमें एक बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) के नेता नीतीश भी हैं, उनकी लोकप्रियता देशभर में है और उनमें पीएम बनने के सारे गुण हैं। चौटाला अपने पुराने साथियों और पिता चौधरी देवी लाल के मित्रों को बहुत महत्व देते हैं। वह इस बार भी स्वर्गीय देवी लाल की जयंती पर 25 सितम्बर को राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन करने वाले हैं। चौटाला का दावा है कि तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के बाद वह इसी जयंती समारोह में तीसरे मोर्चे के गठन का विधिवत ऐलान कर देंगे।

वेदिका को 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन भी नहीं बचा सका

दुर्लभ बीमारी-एसएमए (स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी) की शिकार एक साल की बच्ची वेदिका की मौत हो गई है। पुणे, महाराष्ट्र के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में उसने अंतिम सांस ली। खास यह है कि वेदिका को इसके इलाज के लिए दुनिया का सबसे महंगा, 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन भी लगाया जा चुका था। इसके बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। इस इंजेक्शन के लिए पैसे क्राउडफंडिंग के जरिये जुटाए गए थे। खबरों के मुताबिक वेदिका को पिछले महीने जोलेगेंसमा इंजेक्शन लगाया गया था। इसे खासतौर पर अमेरिका से मंगवाया गया था क्योंकि यह वहीं उपलब्ध होता है। वेदिका की बीमारी का पता चलने के बाद तमाम मंचों पर पैसे जुटाने का अभियान चलाया गया था। लोगों ने खुले हाथों से पैसे दिए भी। लेकिन बच्ची ठीक नहीं हो सकी। बच्ची के पिता सौरभ शिंदे ने मीडिया को बताया कि बीती शाम वेदिका को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसे तुरन्त हम पहले नजदीकी अस्पताल ले गए। वहां उसकी हालत स्थिर हुई तो दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ले गए। तुरन्त उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने पूरे प्रयास किए उसे बचाने के। लेकिन सफल नहीं हुए। वेदिका जब चार महीने की थी तब उसमें एसएमए की बीमारी का पता चला। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 5 August 2021

नीतीश के साथ भाजपा के अंदर से भी उठी आवाज

पेगासस जासूसी मामले को लेकर संसद में लगातार हंगामा जारी है। विपक्ष की मांग है कि पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति और सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच कराई जाए। विपक्ष की इस मांग को सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समर्थन किया। वहीं पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने भी पेगासस जांच का समर्थन करते हुए कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष को बातचीत का कोई रास्ता निकालना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहाö पेगासस मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में है। इसलिए इस मामले को अब शीर्ष अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए। हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके सोलंकी ने कहा ः लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका हुआ है और दूसरी इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए। पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है। इसमें दोनों पक्षों के सांसद, पत्रकार सहित कई लोगें के नाम हैं। इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है। इसमें सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए। जिस दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और फिर मामला खत्म हो जाएगा। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के स्वर के साथ स्वर मिलाते हुए सोमवार को कहा कि फोन टैपिंग से जुड़े सब पहलू की जांच की जानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। मुख्यमंत्री सचिवालय (पटना) परिसर में सोमवार को आयोजित जनता दरबार में मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान फोन टैपिंग से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि फोन टैपिंग की बात काफी दिनों से सामने आ रही है और इस पर पहले ही चर्चा हो जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा मेरी समझ से इससे जुड़े एक-एक पहलू को देखकर उचित कदम उठाया जाना चाहिए। फोन टैपिंग को लेकर संसद में कुछ सदस्यें ने अपनी बात रखी है। इससे जुड़े सभी पहलुओं की जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि सच्चाई सामने आ सके। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश ने कहा, वे हमारी पार्टी के साथी हैं, वे कुछ भी बोल देते हैं लेकिन हमारे बारे में यह सब कहने की जरूरत नहीं है। उधर एक वरिष्ठ पत्रकार ने इजरायली जासूसी साफ्टवेयर पेगासस का वंचित तौर पर उसके मोबाइल में उपयोग करने संबंधी मंजूरी और जांच से जुड़ी सामग्री का खुलासा करने के लिए केन्द्र को निर्देश दिए जाने के अनुरोध के साथ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत पहुंचने वाले वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता का नाम भी इस कथित सूची में सामने आया था जिन्हें पेगासस का उपयोग कर कथित तौर पर जासूसी के लिए निशाना बनाया गया। ठाकुरता ने उच्चतम न्यायालय से जासूसी साफ्टवेयर के उपयोग को गैर-कानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया और कहा कि पेगासस की मौजूदगी का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। वरिष्ठ पत्रकार ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि केन्द्र सरकार को पेगासस जैसे जासूसी साफ्टवेयर का साइबर हथियारों से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दे।

यूएनएससी की अध्यक्षता करने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी

भारत ने रविवार को अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल ली है। इस दौरान समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद विरोधी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। भारत के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में अपने कार्यकाल के दौरान भारत को इसकी अध्यक्षता के लिए फ्रांस का आभार व्यक्त किया है। सोमवार को पहले कार्यकाल के लिए टीएस तिरुमूर्ति परिषद के मासिक कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। कार्यक्रम के तहत तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों को परिषद के काम पर एक ब्रीफिंग भी देंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि वह यूएनएससी में हमारा आठवां कार्यकाल है। 75 से ज्यादा साल में यह पहली बार है कि जब भारतीय राजीतिक नेतृत्व ने 15 सदस्यीय यूएनएससी के कार्यक्रम की अध्यक्षता का निर्णय लिया है। अकबरुद्दीन ने कहा, नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने का फैसला किया। मोदी वीडियो कांफ्रेंस से अध्यक्षता करेंगे जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला न्यूयार्क जाएंगे। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने उम्मीद जताई है कि भारत यूएनएससी के अध्यक्ष के तौर पर अपने महीने भर के कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष रूप से काम करेगा। पाकिस्तान को उम्मीद है कि भारत प्रासंगिक नियमों का पालन करेगा।

1980 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में महिला हाकी टीम

टोक्यो ओलंपिक में जारी हाकी मुकाबलों में जब भारतीय पुरुष हाकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई तो पूरे भारत में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन इस खुशी को सोमवार को भारतीय महिला हाकी टीम ने तब दोगुना कर दिया जब उन्होंने क्वार्टर फाइनल में खिताब की दावेदार मानी जा रही आस्ट्रेलियाई टीम को 1-1 से हरा दिया। भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर धमाका कर दिया। पुरुषों की टीम तो विश्व चैंपियन बेल्जियम से 5-2 से बेशक हार गई पर उन्होंने बहुत अच्छा हाकी का प्रदर्शन किया है। ऐसा लगता है कि शायद गार्ड मॉटिंग की कोचिंग से भारतीय महिला हाकी टीम में नई जान आ गई। यह वही कोच हैं जिन्होंने ग्रुप मैच में नीदरलैंड के हाथों 1-5 से हार के बाद पूरी टीम को जमकर लताड़ा था। तब लगने लगा कि भारतीय महिला हाकी टीम का टोक्यो में अभियान अब समाप्त होता नजर आ रहा था। पर टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और अगले मैच में ही आयरलैंड को 1-0 से और पूल के निर्णायक मैच में दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हरा दिया। इस कांटे के मुकाबले में वंदना कटारिया ने तीन गोल कर हैट्रिक जमाकर एक नया इतिहास लिख दिया। आस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम कभी भी दबाव में नहीं दिखी। उसका डिफैंस बेहद मजबूत था और सात पेनल्टी कार्नर मिलने के बाद भी आस्ट्रेलियाई टीम उसका डिफेंस तोड़ नहीं पाई। इससे पहले भारतीय पुरुष टीम 1972 में मैक्सिको ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। मैच में विजेता गोल करने वाली गुरजीत कौर ने कहा कि पूरी टीम ने जबरदस्त तैयारी की थी। उन्होंने कहा कि 1980 से (41 साल के बाद) पहली बार सेमीफाइनल में पहुंच कर गर्व महसूस कर रही हैं। पूरे देश की दुआएं महिला टीम के साथ है। उम्मीद करते हैं कि वह अगले मैचों में भी यही लह रखेंगी और देश को गौरवांवित करेंगी। बेस्ट आफ लक। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 4 August 2021

मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक से प्रेस की स्वतंत्रता पर असर

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर मीडिया को रोकने का आदेश जारी करने से प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने निर्देश दिया कि निजी व्यक्तियों के यूट्यूब चैनलों पर डाली गई तीन वीडियो हटा दिए जाएं और इन्हें फिर से अपलोड नहीं किया जाए क्योंकि वह दुर्भाग्यपूर्ण है और विषय की सच्चाई की जांच करने की तनिक भी कोशिश नहीं करते हैं। अदालत ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता व्यक्ति की निजता के अधिकार के साथ संतुलित रखनी होगी। ऐप पर अश्लील सामग्री कथित तौर पर बनाने और स्ट्रीमिंग (वितरित) करने से जुड़े एक मामले में शिल्पा के पति राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अभिनेत्री की नैतिकता पर तीनों वीडियो में टिप्पणी की गई थी और उनके अभिभावक के तौर पर भूमिका पर सवाल किए गए थे। अदालत 19 जुलाई को कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद शिल्पा और उनके परिवार के खिलाफ कथित मानहानिकारक आलेख प्रकाशित किए जाने पर अभिनेत्री द्वारा दायर एक मुकदमे पर सुनवाई कर रही है। कुंद्रा (45) अभी न्यायिक हिरासत के तहत जेल में हैं। अदालत से शिल्पा ने एक अंतरिम अर्जी के जरिये मीडिया को किसी भी गलत, झूठी, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोकने का अनुरोध किया था। हालांकि न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि मीडिया को रोके जाने की मांग वाले याचिकाकर्ता के अनुरोध का प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अदालत ने कहाöअच्छी या खराब पत्रकारिता क्या है, उसकी एक न्यायिक सीमा है क्योंकि यह प्रेस की स्वतंत्रता से बहुत करीबी तौर पर जुड़ा हुआ विषय है। अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि शिल्पा ने अपने वाद में जिन आलेखों का जिक्र किया है वह मानहानिकारक नहीं प्रतीत होते हैं। न्यायमूर्ति पटेल ने कहाöयह ऐसा नहीं हो सकता कि यदि आप (मीडिया) मेरे (शिल्पा के) बारे में कुछ अच्छा लिखते हैं या बोल नहीं सकते हैं तो बिल्कुल कुछ नहीं कहिए? अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि वाद में उल्लेख किए गए ज्यादातर आलेख पुलिस सूत्रों पर आधारित हैं।

बाबुल सुप्रियो ने क्यों लिया राजनीति से संन्यास?

हाल ही में मोदी कैबिनेट से हटाए गए आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति और सांसद पद छोड़ने की घोषणा की है। फेसबुक पोस्ट पर पहले उन्होंने यह भी कहा है कि वह सिर्फ भाजपा को पसंद करते हैं और वह किसी भी पार्टी में नहीं शामिल होने जा रहे हैं। पूर्व पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने यह भी कहा है कि उनके इस फैसले का संबंध मंत्रिमंडल से हटाए जाने से है। पहली फेसबुक पोस्ट को एडिट कर उन्होंने दोबारा पोस्ट डाली जिसमें से यह पंक्तियां गायब थीं कि वह किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहे। इससे संकेत मिलते हैं कि राजनीति से उनका संन्यास केवल कुछ समय के लिए होगा तब तक वह अपनी भावी योजना पर विचार कर लेंगे। पिछले दिनों जब उन्हें कैबिनेट से हटाया गया था तो उन्होंने ट्वीट करके कहा था कि वह अपने लिए दुखी हैं। कैबिनेट से हटाए जाने के बाद ही सुप्रियो कोप भवन में चले गए थे। राजनीति में आने से पहले गायक के रूप में फेमस बाबुल ने फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट लिखते हुए कहा कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में अमित शाह और जेपी नड्डा को राजनीति छोड़ने के फैसले के बारे में बता दिया था। 2014 में भाजपा में शामिल होने के बाद दो बार आसनसोल से सांसद बने बाबुल ने लिखाöसवाल उठेगा कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? मंत्रालय के जाने से इसका कोई लेन-देन है क्या? हां, वह हैöकुछ लोगों के पास होना च]िहए? वह सवाल का जवाब देंगे तो सही होगा, इससे मुझे भी शांति मिलेगी। बाबुल ने कहा कि 2014 और 2019 में काफी अंतर है। तब वह भाजपा के टिकट पर अकेले थे, लेकिन आज बंगाल में भाजपा मुख्य विपक्षी दल है। मैंने वही किया, जब मैंने 1992 में स्टैंडर्ड चार्टेर्ड बैंक में अपनी नौकरी छोड़ी थी और मुंबई भाग गया, मैंने आज भी वही किया है!!! तो फिर चलता हूं... हां, कुछ बातें बाकी हैं.... शायद किसी दिन बात होगी। भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति को अलविदा कहने के बाबुल सुप्रियो के फैसले को निजी फैसला बताया। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत फैसला है।

रचा इतिहास ओलंपिक में दो पदक जीते सिंधु ने

भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने रविवार को टोक्यो ओलंपिक्स में चीन की खिलाड़ी बिंग जियाओ को सीधे सेटों में हराया और इस तरह ब्रांज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। सिंधु ओलंपिक्स में लगातार दो मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। न सिर्फ बैडमिंटन में, बल्कि किसी इंडीविजुअल गेम में दो पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। सुशील कुमार के बाद ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली वह दूसरी एथलीट हैं। सुशील ने 2008 में बीजिंग ओलंपिक में ब्रांज और 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीता था। सिंधु पहली बार 2016 में रियो ओलंपिक में उतरी थीं और सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। टोक्यो ओलंपिक में सिंधु सेमीफाइनल में नम्बर वन चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 21-18, 21-13 से हारकर गोल्ड और सिल्वर की रेस से बाहर हो गई थीं। लेकिन ब्रांज का मुकाबला जीतकर सिंधु ने ओलंपिक्स में भारत की झोली में तीसरा मेडल पक्का किया है। खास बात यह है कि सिंधु ने हमेशा चीनी खिलाड़ियों का वर्चस्व तोड़ा है। वर्ल्ड चैंपियनशिप 2017, 2019 में चीन की येन यूफेई को हराया था। हमें सिंधु पर गर्व है। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 3 August 2021

जज की टक्कर मारकर हत्या अतिगंभीर मामला है

झारखंड में न्यायपालिका की सुरक्षा पर सवाल खड़े करने वाली जो घटना हुई है, उसने पूरे न्याय जगत को झकझोर कर रख दिया है। पूरी न्याय बिरादरी न केवल दुखी है बल्कि नाराज भी है। झारखंड के धनबाद जिले में मॉर्निंग वॉक पर निकले जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की ऑटो से टक्कर मारकर हत्या कर दी गई। पहले इसे हिट एंड रन केस समझा जा रहा था लेकिन सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद केस पलट गया। आरोपी ऑटो ड्राइवर ने सड़क किनारे जज साहब को इरादतन टक्कर मारी और उनकी हत्या कर दी। आरोपी ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पूरे घटनाक्रम को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। अगर किसी अपराधी को जमानत न देने या किसी अपराधी को सजा सुनाने की वजह से जज को निशाना बनाया गया है, तो यह पूरी कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है। आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन ऑटो का संतुलन बिगड़ने की दलील को सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि खाली सड़क पर पीछे से ऑटो अपनी लेन बदलते हुए सड़क के एकदम किनारे आता है और एक जज या व्यक्ति को टक्कर मारकर गिराने के बाद रुकता भी नहीं। वह तो भला हो सीसीटीवी फुटेज का कि सच सामने आ गया, वरना इस मामले को सामान्य दुर्घटना मानकर रफा-दफा कर दिया जाता। ऑटो भी चोरी का बताया जा रहा है। मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। मामले में एसआईटी बना दी गई है। जांच की निगरानी खुद हाई कोर्ट करेगा। हाई कोर्ट इस बात से भी काफी नाराज है कि घटना के बाद एफआईआर तक दर्ज करने में पुलिस ने देरी की। कोर्ट ने यहां तक कहाöपहले राज्य नक्सलियों के लिए जाना जाता था लेकिन उस दौरान भी किसी न्यायिक अधिकारी पर हमला नहीं हुआ था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खुद संज्ञान ले लिया। उत्तम आनंद जब 28 जुलाई को सुबह सैर कर रहे थे तो एक टैम्पो ने पीछे से उन्हें जानबूझ कर टक्कर मारी थी। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को इस घटना की जांच रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए एक हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, साथ ही कहा है कि वह इस मामले में दूसरे राज्यों को भी नोटिस जारी करने के बारे में फैसला सुनवाई की अगली तारीख पर करेगा। जज को टक्कर मारने की घटना का वीडियो भी एक अन्य वाहन चालक द्वारा बनाया जा रहा था, जिससे साबित होता है कि यह हत्या जानबूझ कर की गई थी। पीठ ने इस मामले को ‘अदालतों की पुन सुरक्षा व जजों की सुरक्षा’ नाम दिया है। पीठ ने साफ कर दिया कि वह इस बात से अवगत है कि झारखंड हाई कोर्ट इस मामले को देख रहा है लेकिन खुद संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट की कार्रवाई में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। पीठ ने कहा कि उसकी चिंता करने की प्रकृति की व्यापक मुद्दे को लेकर है। अपराधियों का दुस्साहस अगर इतना बढ़ गया है, तो माकूल कार्रवाई करके उन्हें जवाब मिलना चाहिए। मामले की तह तक जाने की आवश्यकता है। ऑटो-टैम्पो वाले ने किसकी हिदायत पर यह कार्रवाई की और क्यों की, यह सत्य सामने आना चाहिए। जजों को पर्याप्त सुरक्षा भी देना आवश्यक है।

दानिश को मारने से पहले उनकी पहचान पूछी गई थी

पुलित्जर से सम्मानित भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में 16 जुलाई को हुई मौत पर अमेरिकी मीडिया ने नया खुलासा किया है जिससे बिडेन प्रशासन भी निशाने पर आ गया है। वाशिंगटन एग्जामिनर डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारें और मीडिया कहता रहा कि दानिश अफगान सुरक्षाबलों और तालिबान की झड़प में फंसकर क्रॉस फायरिंग में मारे गए। हालांकि उनकी मौत के बाद की तस्वीरों और वीडियो से पता लगा है कि उनकी हत्या तालिबान ने की थी। शव के साथ क्रूरता भी हुई थी। न सिर्फ उनके सिर पर गहरी चोटें थीं बल्कि शरीर गोलियों से छलनी था। अफगानिस्तान की स्थानीय अथारिटीज से पता लगा है कि दानिश अफगान नेशनल आर्मी के साथ स्पिन बोलदाक इलाके में युद्ध को कवर करने गए थे। यह पाकिस्तान से लगती सीमा पर है और अफगानिस्तानी सुरक्षाबलों को इस मोर्चे पर जीत का भरोसा था। हालांकि इस बॉर्डर क्रॉसिंग तक पहुंचने से पहले ही तालिबान ने हमला कर दिया और दानिश तीन अन्य सुरक्षाबलों के साथ बाकी टीम से अलग हो गए। एक छर्रा दानिश को लगा जिससे वह घायल हुए और उन चारों ने इलाके की एक मस्जिद में शरण ली। हालांकि दानिश के एक पत्रकार होने की बात फैल गई और तालिबान ने उन पर हमला बोल दिया। रिपोर्ट के मुताबिक जब तालिबान ने हमला किया तब दानिश जिंदा थे। उनकी पहचान साबित करवाई गई और उसके बाद बाकी सुरक्षाबलों के साथ उनकी हत्या कर दी गई। शव के मुआयने से यह भी पता लगा कि दानिश के सिर पर गोलियां मारी गई थीं। उधर कंधार में मजाकिया वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करने के लिए पहचाने जाने वाले अफगान पुलिस अफसर को तालिबान ने मार डाला। यह बात तालिबान ने गुरुवार को कही। सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप भी सामने आई है जिसमें फजल मोहम्मद नाम के इस अफसर की पिटाई और उसके शव की तस्वीर देखी जा सकती है। उसे दो हफ्ते पहले ही अगवा किया गया था। दानिश की निर्मम हत्या पर रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि आखिर जब यह क्रूर हत्या तालिबान की कारस्तानी थी तो इस पर सरकारों ने लीपापोती क्यों की? अमेरिकी मीडिया में अब बिडेन सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि क्यों मामले की पूरी तफ्तीश के बिना ही इसे हादसा करार दिया गया। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि बिडेन प्रशासन तालिबान की काली करतूतों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।

सात लाख का इनामी काला जठेड़ी गिरफ्तार

दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में आतंक का पर्याय बना टॉप मोस्ट गैंगस्टर और सात लाख के इनामी संदीप उर्फ काला जठेड़ी को दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। जठेड़ी को गुप्त सूचना के आधार पर सहारनपुर से दबोचा गया। गिरफ्तारी की पुष्टि स्पेशल सेल के काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट के डीसीपी मनीष चंद्रा ने की है। काला जठेड़ी पर दिल्ली पुलिस ने मकोका भी लगाया हुआ है। वह सोनीपत के जठेड़ी गांव का रहने वाला है। पुलिस को शक था कि काला जठेड़ी विदेश में बैठकर गैंग चला रहा है लेकिन उसके हरियाणा में छिपे होने की खबर मिली तो पुलिस तलाश में जुट गई। जठेड़ी का नाम पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड के बाद ही सुर्खियों में आया था। उसके भांजे सोनू चहाल की सुशील पहलवान व उसके साथियों ने पिटाई की थी। इसके बाद काला जठेड़ी ने सुशील को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। काला जठेड़ी की शुक्रवार को सहारनपुर से गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस उससे पूछताछ कर यह पता लगाने में जुटी है कि उसके साथी वीरेंद्र प्रताप उर्फ काली राणा का ठिकाना कहां है। काली राणा गैंग के लोगों के संदेश जठेड़ी तक पहुंचाता है। उसकी लोकेशन थाइलैंड में या फिर कहीं और है, इसका पता किया जा रहा है। जबकि उसका दूसरा साथी गैंगस्टर गोल्डी बरार कनाडा में बैठकर गैंग के ऑपरेशन से जुड़ा बताया जा रहा है। पिछले 10 महीने में काला जठेड़ी गैंग ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में 25 से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया है। काला जठेड़ी गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई का भी खास है और यह दोनों मिलकर 100 से ज्यादा बदमाशों का गैंग चला रहे हैं। इसी साल 25 मार्च को इनके गैंग ने गैंगस्टर कुलदीप छज्जा को जीटीबी अस्पताल से पुलिस हिरासत से भगाया था। काला जठेड़ी फरवरी 2020 में फरीदाबाद में पुलिस कस्टडी से भाग गया था। पुलिस को नीतीश कुमार नाम के बदमाश ने बताया था कि काला जठेड़ी हरियाणा में छिपा हुआ है। स्पेशल सेल ने इससे पहले काला जठेड़ी गैंग के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था। लारेंस बिश्नोई गैंग की कमान भी अब जठेड़ी ही संभाल रहा था, क्योंकि रंगदारी और लूट की वारदात में लारेंस जेल में बंद है। हम दिल्ली पुलिस को बधाई देना चाहते हैं कि उन्होंने इस शानदार काम को अंजाम दिया है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 1 August 2021

मजबूरी में भीख मांगते हैं, सामाजिक-आर्थिक मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर भीख मांगने पर रोक की मांग को ठुकराते हुए कहा कि अभिजात्य दृष्टिकोण अपनाकर वह भिखारियों व बेघरों को हटाने का आदेश नहीं देंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह शिक्षा व रोजगार के अवसरों की कमी से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक समस्या है। लोग भीख इसलिए मांगते हैं क्योंकि उनके पास विकल्प नहीं है। अदालतों ने कोरोना से पैदा हुई चुनौतियों को देखते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार को भिखारियों के पुनर्वास व टीकाकरण के उपायों पर सुझाव देने को कहा है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ के समक्ष वकील कुश कालरा ने जनहित याचिका में कोविड संक्रमण रोकने के लिए भिखारियों का टीकाकरण सुनिश्चित करने को कहा। याचिका के पहले हिस्से में मांग की थी कि कोरोना से बचाने के लिए सभी राज्यों में भिखारियों-बेघरों को ट्रैफिक जंक्शनों, बाजारों में भीख मांगने से रोका जाए। इस पर पीठ ने कहा कि हम ऐसा आदेश नहीं दे सकते। भिक्षावृत्ति गरीबी का परिणाम है। ऐसा रुख नहीं अपना सकते कि हम भिखारियों को नहीं देखना चाहते। कोई भी व्यक्ति भीख नहीं मांगना चाहता। हालांकि पीठ ने पुनर्वास से जुड़ी याचिका के दूसरे हिस्से पर सुनवाई के लिए हामी भर दी। पीठ ने कहाöइस सामाजिक-आर्थिक समस्या पर केंद्र व राज्यों को गौर करना होगा। उन बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, जिन्हें सड़कों पर भीख मांगते देखते हैं। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुनवाई की अगली तारीख पर इस संबंध में सहायता करने का अनुरोध किया है। भीख मांगने वालों के प्रति जिस श्रेष्ठ संवेदना का प्रदर्शन सर्वोच्च अदालत ने किया है, वह न केवल स्वागतयोग्य है, बल्कि अनुकरणीय भी है। अदालत का इशारा साफ था कि भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं होगा और इससे भीख मांगने की समस्या का समाधान नहीं होगा। अदालत ने समस्या की व्याख्या जिस संवेदना के साथ की है, वह गरीबी हटाने की दिशा में आगे के फैसलों के लिए बहुत गौरतलब है। अदालत ने पूछा कि आखिर लोग भीख क्यों मांगते हैं? गरीबी के कारण यह स्थिति बनी है। सबसे बड़ी समस्या दाल-रोटी की है। रोजगार के अवसर खत्म हो गए हैं, ऐसे में अपने परिवारों का पेट भरने की मजबूरी में लोग भिखारी का विकल्प अपनाते हैं। सड़कों और रेड लाइटों पर दर्जनों छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हुए मिलते हैं जो हाथ फैलाए खड़े होते हैं। अपाहिज भी मिलते हैं। यह एक सामाजिक गरीबी की समस्या है इस पर संवेदना से ही फैसला हो सकता है, डंडे से नहीं।

पेगासस समूह पर छापेमारी

इजरायल सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर को विकसित करने वाले एनएसओ समूह के कार्यालयों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई मीडिया में आई उन खबरों के बाद की गई है जिनमें पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कई देशों की सरकारों की ओर से विपक्षी नेताओं और अन्य महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी करने में किया गया है। छापेमारी की यह कार्रवाई बुधवार को की गई। एनएसओ समूह के एक प्रवक्ता ने इजरायल की एक समाचार वेबसाइट से कहा कि इजरायली रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने उनके दफ्तरों का दौर किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी इजरायल सरकार के साथ पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। हमें पूरा विश्वास है कि यह निरीक्षण हमारे उन दावों को पुख्ता करेगा, जिन मीडिया हमलों के बारे में कंपनी लगातार बताती रही है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि पेगासस का उपयोग सरकारी गुप्तचर और कानून लागू करने वाली एजेंसियां ही कर सकती हैं। इसके अलावा कंपनी की ओर से कहा गया कि कंपनी पेगासस का उपयोग किन लोगों पर किया जा रहा है, इसकी जानकारी नहीं रखती है। लेकिन यदि हमें इसके गलत इस्तेमाल की शिकायत मिलती है तो हम उन लोगों की सूची उपलब्ध करा सकते हैं जिन पर स्पाइवेयर का उपयोग किया गया है और इसका दुरुपयोग साबित होने के बाद इसे बंद भी किया जा सकता है। हाल ही में एक वैश्विक सहयोगी खोजी परियोजना में सामने आया था कि पेगासस स्पाइवेयर के निशाने पर भारत में 300 से अधिक मोबाइल नम्बर थे। इसमें केंद्र सरकार के मंत्री, विपक्ष के नेता, संवैधानिक संस्थाओं से जुड़े प्रमुख लोग, पत्रकार और व्यापारी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और रेल वेब सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव भी इस सूची में शामिल थे। विपक्षी पार्टियों की ओर से इन मुद्दों पर बड़े हंगामे के बीच सरकार ने इस आरोप से इंकार किया है कि पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और संवैधानिक संस्थाओं की जासूसी के लिए किया गया है। सरकार की ओर से इस जासूसी के मामले को सनसनीखेज बताया गया है। साथ ही इसे संस्थाओं की छवि को खराब करने का प्रयास बताया गया है।

तालिबान के सहारे ड्रैगन का नया पैंतरा

तालिबान अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन की मदद चाहता है। इसके लिए उसने चीन को यह भरोसा दिलाया है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिए नहीं करने देगा। तालिबान नेता मुल्ला बरादर अखुंब ने एक डेलीगेशन के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी से 27 जुलाई को मुलाकात की है। तालिबान के प्रतिनिधिमंडल ने झिंगजियांग शहर में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की। बैठक में वांग ने कहाöचीन अफगानिस्तान के मामले में दखल नहीं देगा। लेकिन वहां शांति कायम करने में मदद जरूर करेगा। इसके बाद वांग ने चीन की ओर से चाल चली। उन्होंने कहाöउम्मीद है कि तालिबान पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट पर कार्रवाई करेगा। तालिबान इसे कुचल देगा। वह चीन विरोधी इस आतंकी संगठन से संबंध तोड़ लेगा। यह संगठन चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। यह संगठन चीन के झिंगजियांग प्रांत में सक्रिय है। इधर तालिबान के नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व इसके प्रमुख वार्ताकार अब्दुल गनी बरादर ने किया। बरादर ने चीन का भरोसा हासिल करने की कोशिश की। उन्होंने कहाöतालिबान ने चीन को यह आश्वासन दिया है कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी विदेशी सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा। बता दें कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी चीन के दौरे से लौटे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने पाकिस्तान की तरह तालिबान के लिए भी नरम रुख अपना लिया है। चीन को शक है कि तालिबान चीनी झिंगजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को उसके खिलाफ भड़का सकता है, यहां तक कि उन्हें असलहा-बारूद मुहैया करा सकता है। इसका सीधे तौर पर असर तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान से हो रही चीन के आर्थिक संबंधों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा चीन अपने पुराने दोस्त पाकिस्तान से खुश नहीं है। लिहाजा वह अफगानिस्तान को पाकिस्तान के विकल्प के तौर पर भी देख सकता है। अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार और तालिबान, दोनों ही देश में चीनी निवेश का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। -अनिल नरेन्द्र