Wednesday, 11 August 2021

मामला जजों को धमकी का ः सीबीआई कुछ नहीं करती

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों को धमकी और अपशब्दों वाले संदेश मिलने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और सीबीआई न्यायपालिका की बिल्कुल मदद नहीं कर रही हैं और एक न्यायिक अधिकारी को ऐसी शिकायत करने की भी स्वतंत्रता नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े कई आपराधिक मामले हैं और कुछ स्थानों पर निचली अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी व्हाट्सएप या फेसबुक पर अपशब्दों वाले संदेशों के माध्यम से धमकी दी जा रही है। अदालत की पीठ धनबाद के एक न्यायाधीश की कथित तौर पर वाहन से कुचलने से मौत की हालिया घटना के मद्देनजर अदालतों और न्यायाधीशों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वत संज्ञान लिए मामले की सुनवाई कर रही थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहाöएक या दो जगहों पर अदालत ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि सीबीआई ने एक साल से अधिक समय में कुछ नहीं किया है। एक जगह मैं जानता हूं, सीबीआई ने कुछ नहीं किया। मुझे लगता है कि हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी लेकिन सीबीआई के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन यही स्थिति है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति शामिल हैं और यदि उन्हें अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वह हमारी छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं। पीठ ने कहाöदुर्भाग्य से यह देश में विकसित एक नया चलन है। न्यायाधीशों को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है। ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि न्यायाधीश, मुख्य न्यायाधीश या जिले से संबंधित प्रमुख से शिकायत करते हैं, जब वह पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो यह एजेंसियां प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। उन्होंने कहाöउन्हें लगता है कि यह उनके लिए प्राथमिकता वाली चीज नहीं है। सीबीआई, आईबी न्यायपालिका की बिल्कुल मदद नहीं कर रही हैं। मैं जिम्मेदारी के साथ यह बयान दे रहा हूं और मैं उस घटना को जानता हूं जिसके कारण मैं ऐसा कह रहा हूं। मैं इससे ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहता। पीठ ने इस मुद्दे को गंभीर करार दिया और वेणुगोपाल से कहा कि न्यायपालिका की मदद के लिए कुछ दिलचस्पी लेनी होगी। इस बीच झारखंड सरकार द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया कि धनबाद में जज की मौत के मामले की जांच, जांच एजेंसी को सौंप दी गई है। मुख्य न्यायाधीश ने कहाöएक युवा न्यायाधीश की मौत के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को देखें। यह राज्य की विफलता है। न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। पहले भी एक या दो जगहों पर अदालत ने सीबीआई जांच के आदेश दिए पर सीबीआई ने कुछ भी नहीं किया।

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