Sunday, 1 August 2021

तालिबान के सहारे ड्रैगन का नया पैंतरा

तालिबान अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन की मदद चाहता है। इसके लिए उसने चीन को यह भरोसा दिलाया है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिए नहीं करने देगा। तालिबान नेता मुल्ला बरादर अखुंब ने एक डेलीगेशन के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी से 27 जुलाई को मुलाकात की है। तालिबान के प्रतिनिधिमंडल ने झिंगजियांग शहर में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की। बैठक में वांग ने कहाöचीन अफगानिस्तान के मामले में दखल नहीं देगा। लेकिन वहां शांति कायम करने में मदद जरूर करेगा। इसके बाद वांग ने चीन की ओर से चाल चली। उन्होंने कहाöउम्मीद है कि तालिबान पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट पर कार्रवाई करेगा। तालिबान इसे कुचल देगा। वह चीन विरोधी इस आतंकी संगठन से संबंध तोड़ लेगा। यह संगठन चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। यह संगठन चीन के झिंगजियांग प्रांत में सक्रिय है। इधर तालिबान के नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व इसके प्रमुख वार्ताकार अब्दुल गनी बरादर ने किया। बरादर ने चीन का भरोसा हासिल करने की कोशिश की। उन्होंने कहाöतालिबान ने चीन को यह आश्वासन दिया है कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी विदेशी सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा। बता दें कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी चीन के दौरे से लौटे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने पाकिस्तान की तरह तालिबान के लिए भी नरम रुख अपना लिया है। चीन को शक है कि तालिबान चीनी झिंगजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को उसके खिलाफ भड़का सकता है, यहां तक कि उन्हें असलहा-बारूद मुहैया करा सकता है। इसका सीधे तौर पर असर तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान से हो रही चीन के आर्थिक संबंधों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा चीन अपने पुराने दोस्त पाकिस्तान से खुश नहीं है। लिहाजा वह अफगानिस्तान को पाकिस्तान के विकल्प के तौर पर भी देख सकता है। अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार और तालिबान, दोनों ही देश में चीनी निवेश का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। -अनिल नरेन्द्र

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