Wednesday, 25 August 2021

क्या सरकार देशमुख को बचाना चाह रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख के विरुद्ध सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचने पर महाराष्ट्र सरकार से तीखे सवाल पूछे। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सीबीआई जांच का विरोध करने से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री का बचाव कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य को प्रशासन में शुद्धता के लिए किसी भी जांच के लिए तैयार रहना चाहिए, साथ ही निष्पक्ष जांच की अनुमति देनी चाहिए। सीबीआई जांच की अनुमति देने वाले बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि राज्य सरकार अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच में सहयोग करना चाहती है लेकिन सीबीआई ने जो दस्तावेज मांगे हैं, वह अप्रासंगिक हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार जांच में सहयोग नहीं कर रही है। कोर्ट ने कहाöहम सीबीआई की जांच को कमतर नहीं कर सकते, न ही हम जांच को सीमित कर सकते हैं, यह संवैधानिक अदालत की शक्तियों को नकारने जैसा होगा। पीठ ने कहा कि यह धारणा बन रही है कि राज्य सरकार राज्य पुलिस अधिकारियों की तैनाती और सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की बहाली के पहलुओं पर जांच की अनुमति नहीं देकर पूर्व गृहमंत्री को बचाना चाहती है। पीठ ने कहा कि कौन-सी राज्य सरकार जांच का आदेश देगी जब उसका गृहमंत्री आरोपों के घेरे में हो। ऐसे में अदालत को ही जांच का आदेश देने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की गुहार लगाई थी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने देशमुख द्वारा बंबई हाई कोर्ट के 22 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कहाöहाई कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इसमें कोई त्रुटि नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

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