Tuesday, 3 August 2021
दानिश को मारने से पहले उनकी पहचान पूछी गई थी
पुलित्जर से सम्मानित भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में 16 जुलाई को हुई मौत पर अमेरिकी मीडिया ने नया खुलासा किया है जिससे बिडेन प्रशासन भी निशाने पर आ गया है। वाशिंगटन एग्जामिनर डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारें और मीडिया कहता रहा कि दानिश अफगान सुरक्षाबलों और तालिबान की झड़प में फंसकर क्रॉस फायरिंग में मारे गए। हालांकि उनकी मौत के बाद की तस्वीरों और वीडियो से पता लगा है कि उनकी हत्या तालिबान ने की थी। शव के साथ क्रूरता भी हुई थी। न सिर्फ उनके सिर पर गहरी चोटें थीं बल्कि शरीर गोलियों से छलनी था। अफगानिस्तान की स्थानीय अथारिटीज से पता लगा है कि दानिश अफगान नेशनल आर्मी के साथ स्पिन बोलदाक इलाके में युद्ध को कवर करने गए थे। यह पाकिस्तान से लगती सीमा पर है और अफगानिस्तानी सुरक्षाबलों को इस मोर्चे पर जीत का भरोसा था। हालांकि इस बॉर्डर क्रॉसिंग तक पहुंचने से पहले ही तालिबान ने हमला कर दिया और दानिश तीन अन्य सुरक्षाबलों के साथ बाकी टीम से अलग हो गए। एक छर्रा दानिश को लगा जिससे वह घायल हुए और उन चारों ने इलाके की एक मस्जिद में शरण ली। हालांकि दानिश के एक पत्रकार होने की बात फैल गई और तालिबान ने उन पर हमला बोल दिया। रिपोर्ट के मुताबिक जब तालिबान ने हमला किया तब दानिश जिंदा थे। उनकी पहचान साबित करवाई गई और उसके बाद बाकी सुरक्षाबलों के साथ उनकी हत्या कर दी गई। शव के मुआयने से यह भी पता लगा कि दानिश के सिर पर गोलियां मारी गई थीं। उधर कंधार में मजाकिया वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करने के लिए पहचाने जाने वाले अफगान पुलिस अफसर को तालिबान ने मार डाला। यह बात तालिबान ने गुरुवार को कही। सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप भी सामने आई है जिसमें फजल मोहम्मद नाम के इस अफसर की पिटाई और उसके शव की तस्वीर देखी जा सकती है। उसे दो हफ्ते पहले ही अगवा किया गया था। दानिश की निर्मम हत्या पर रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि आखिर जब यह क्रूर हत्या तालिबान की कारस्तानी थी तो इस पर सरकारों ने लीपापोती क्यों की? अमेरिकी मीडिया में अब बिडेन सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि क्यों मामले की पूरी तफ्तीश के बिना ही इसे हादसा करार दिया गया। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि बिडेन प्रशासन तालिबान की काली करतूतों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
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