Sunday 27 February 2022

डॉक्टरों को मुफ्त उपहार से बढ़ती दवाओं की कीमत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दवा निर्माण करने वाली फार्मा कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को दिए जाने वाले उपहार मुफ्त नहीं होते हैं। इनका प्रभाव दवा की कीमतों में बढ़ोत्तरी के रूप में सामने आता है। जिससे एक खतरनाक सार्वजनिक कुचक्र बन जाता है। यह टिप्पणियां करते हुए शीर्ष अदालत ने फार्मा कंपनियों के मुफ्त उपहार देने के खर्च को आयकर छूट में जोड़ने संबंधी आग्रह को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मेडिकल प्रैक्टिशनर को उपहार देना कानूनन मना है। फार्मा कंपनियां इस पर आयकर कानून की धारा 37(1) के तहत आयकर छूट का लाभ नहीं ले सकतीं। इस धारा के तहत ऐसा कोई भी खर्च जिसे व्यवसाय को बढ़ाने के लिए किया गया है, उस पर आयकर छूट मिलती है। इस मामले पर फैसले में जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा कि डॉक्टर का मरीज के साथ एक ऐसा रिश्ता होता है, जिनका लिखा एक भी शब्द मरीज के लिए अंतिम होता है। डॉक्टर की लिखी दवा चाहे महंगी और मरीज की पहुंच से बाहर हो तो भी वह उसे खरीदने की कोशिश करता है। ऐसे में बहुत ही चिंता का मामला बनता है। जब यह पता लगता है कि डॉक्टर की ओर से लिखे परामर्श का संबंध फार्मा कंपनियों के मुफ्त उपहार से जुड़ा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि फ्रीबी (कांफ्रेंस फीस, सोने का सिक्का, लैपटॉप, फ्रीज, एलसीडी टीवी और यात्रा खर्च आदि) की आपूर्ति मुफ्त नहीं होती है, इन्हें दवाओं के दामों में जोड़ा जाता है। इससे दवा की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती है। फ्रीबी देना सार्वजनिक नीति के बिल्कुल खिलाफ है, इसे स्पष्ट रूप से कानून द्वारा रोका गया है। इंडियन मेडिकल काउंसिल के विनियमन, 2002 के उपनियम 6.8 के मुताबिक डॉक्टरों को फार्मा कंपनियों का फ्रीबी देना दंडनीय है। इसके अनुसार ही सीबीडीटी ने फैसला किया था कि कंपनियों द्वारा मेडिकल प्रैक्टिश्नरों को उपहार देना अवैध है। इसलिए इस मद में किए गए उनके खर्च को कंपनियों की आय और व्यवसाय प्रोत्साहन में नहीं जोड़ा जा सकता। क्योंकि यह अवैध कार्य में खर्च किया गया है और अवैध खर्च को आयकर लाभ की छूट नहीं दी जा सकती। इस फैसले को दवा कंपनियों ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।

रूस के बाद अब चीन ताइवान पर हमला कर सकता है

पूर्वी यूरोप में यूकेन और रूस के बीच जंग छिड़ गई है। इससे एशिया के उत्तर-पूर्वी भाग में बसे देश ताइवान की चिंता बढ़ गई है। ताइवान को लगता है कि ऐसे में जब अमेरिका और पश्चिमी देशों का पूरा ध्यान यूकेन संकट की तरफ है, चीन इसका फायदा उठाते हुए उसके खिलाफ दुस्साहसिक कदम उठा सकता है। ताइवान पर चीन अपना दावा ठोकता है और उसे अपना अविभाज्य हिस्सा बताता है। यूकेन संकट के बाद से ही ताइवान सरकार अत्यधिक चौकस हो गई है। उसने नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल के तहत यूकेन वर्किंग ग्रुप भी बना दिया है। गत दिनों इस वर्किंग ग्रुप की बैठक में ताइवनी राष्ट्रपति साईरंग-वेन ने कहा कि हमें क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को लेकर सतर्पता और निगरानी बढ़ा देनी चाहिए और दूसरे देशों द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं से निपटना चाहिए, हालांकि उन्होंने चीन का सीधे-सीधे नाम नहीं लिया पर पर इशारा साफ था। पिछले हफ्ते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी ताइवान के लिए खतरे की चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर पश्चिमी देश यूकेन की स्वतंत्रता को लेकर अपने वादे को नहीं निभाते हैं तो दुनिया में इसके गंभीर नतीजे होंगे। इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए बुधवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहाöताइवान यूकेन नहीं है। ताइवान हमेशा से चीन का अविभाज्य हिस्सा रहा है। यह एक निर्विवाद और ऐतिहासिक तथ्य है। ताइवान और यूकेन की स्थिति को समान बताने की कोशिशों को भी खारिज कर दिया। बता दें कि पिछले दो साल से चीन ने सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं।

समीर वानखेड़े पर धोखाधड़ी का केस दर्ज

ठाणे पुलिस ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के मुंबई क्षेत्र के पूर्व निदेशक समीर वानखेड़े के मालिकाना हक वाले एक होटल और बार लाइसेंस हासिल करने में धोखाधड़ी के आरोपों में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। ठाणे के जिलाधिकारी राजेश नार्वेकर ने नवी मुंबई स्थित वानखेड़े के होटल और बार का लाइसेंस रद्द करते हुए दावा किया था कि उसे गलत जानकारी देकर लाइसेंस धोखाधड़ी करके हासिल किया गया था। ठाणे पुलिस उपायुक्त विजय राठौड़ के मुताबिक राज्य आबकारी अधिकारियों की शिकायत के बाद वानखेड़े के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में यहां कोपरी पुलिस थाने में शनिवार प्राथमिकी दर्ज की गई। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने पिछले साल नवम्बर में आरोप लगाया था कि वानखेड़े का नवी मुंबई के वाशी में एक परमिट रूम और बार है, जिसके लिए लाइसेंस 1997 में प्राप्त किया गया था। तब वानखेड़े नाबालिग थे और इसलिए यह अवैध है। मलिक ने यह भी कहा था कि सरकारी नौकरी में होने के बावजूद वानखेड़े के पास परमिट रूम चलाने का लाइसेंस है, जो सेवा नियमों के खिलाफ है। वानखेड़े ने तब मंत्री के दावों को खारिज कर दिया था। राज्य के आबकारी विभाग ने बाद में वानखेड़े को बार के लाइसेंस के संबंध में नोटिस जारी किया था। एक अधिकारी ने बताया था कि नोटिस के जवाब और मामले की जांच के बाद जिलाधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि वानखेड़े ने 27 अक्तूबर 1997 को लाइसेंस प्राप्त किया था, जब उनकी आयु 21 साल की मान्य उम्र के बजाय 18 साल से कम थी। बता दें कि यह वही वानखेड़े हैं जिन्होंने शाहरुख खान के बेटे को आरोपी बनाया था। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 26 February 2022

महाराष्ट्र सरकार के दूसरे मंत्री गिरफ्तार

मनी लांड्रिंग केस में पकड़े गए नवाब मलिक महाराष्ट्र सरकार के दूसरे मंत्री हैं, जिन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया है। इससे पहले पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह दोनों ही मंत्री एनसीपी के हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, उनके गुर्गों की गतिविधियों से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को नवाब मलिक को सुबह छह बजे उनके घर से उठाया। सुबह आठ बजे से छह घंटे चली पूछताछ के बाद दोपहर करीब तीन बजे उन्हें गिरफ्तार किया गया। विशेष कोर्ट ने मलिक को तीन मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ईडी की एक टीम सुबह मलिक के कुर्ला स्थित नूर मंजिल आवास पहुंची और उन्हें साथ ले गई। ईडी अधिकारियों ने कुछ दस्तावेज भी जब्त किए। इस दौरान ईडी के वाहन में बैठे नवाब मलिक ने वहां मौजूद लोगों से कहाöहम आखिरी तक लड़ेंगे, जीतेंगे और सबको बेनकाब करेंगे। ईडी अधिकारियों ने बतायाöमनी लांड्रिंग कानून (पीएमएलए) के तहत मलिक के बयान दर्ज किए गए हैं। वह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए गिरफ्तार किया गया। मलिक नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व मुंबई क्षेत्र निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ आरोपों के बाद पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में थे। पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के बाद मलिक एनसीपी के दूसरे बड़े नेता हैं, जिन पर शिकंजा कसा गया है। यह महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के लिए बड़ा झटका है। ईडी ने इसी महीने यूएपीए के तहत डी कंपनी के खिलाफ नया मुकदमा दर्ज किया है। ईडी विगत 15 फरवरी को मुंबई की कई जगह छापेमारी, दाऊद के कुछ गुर्गों से पूछताछ और पांच दिन पहले दाऊद के भाई इकबाल कासकर की ठाणे जेल से गिरफ्तारी इसी कड़ी के हिस्से हैं, जिनके तहत अब नवाब मलिक को गिरफ्तार किया गया है। उन पर दाऊद के करीबियों से बाजार दर से कम कीमत पर जमीन खरीदने का आरोप है। हालांकि एनसीपी ने बगैर पूर्व नोटिस के मंत्री की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं, कहा यह भी जा रहा है कि कुछ बड़े लोगों से जुड़े सनसनीखेज खुलासे करने, केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व जोनल हैड समीर वानखेड़े जिसने शाहरुख खान के बेटे को गिरफ्तार किया था, के खिलाफ ट्वीट करने की कीमत नवाब मलिक को चुकानी पड़ी है। बेशक उनके सामने अदालत में खुद को निर्दोष साबित करने का रास्ता खुला है, पर सच यह है कि मलिक पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और अब वह लंबी कानूनी लड़ाई में उलझ गए हैं, उन पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का भी नैतिक दबाव है। जाहिर है कि इस घटनाक्रम से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नवम्बर 2019 को महाराष्ट्र की सत्ता में आई गठबंधन सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। एनसीपी ने कहा है कि मलिक मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। पार्टी नेता छग्गन भुजबल ने कहा कि केवल आरोप मात्र से इस्तीफे का सवाल नहीं उठता।

देश की ऊंची प्रतिमाएं चीन निर्मित क्यों हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कुछ दिन पहले 11वीं-12वीं सदी के महान हिन्दू संत रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी का अनावरण किया। 216 फुट ऊंची इस प्रतिमा का डिजाइन भले ही भारत में तैयार किया गया, लेकिन इसे चीनी कंपनी ने बनाया है। इसे बनाने में सात हजार टन पंचलोहे का इस्तेमाल किया गया। वहीं करीब सवा तीन साल पहले गुजरात के केवड़िया में लगी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में भी चीनी कंपनियों का योगदान रहा। देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह प्रतिमा 597 फुट ऊंची है। साल 2017 में तेलंगाना सरकार ने भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉक्टर बीआर अंबेडकर की 125 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित करने के इरादे से तब के उपमुख्यमंत्री कादियान श्रीहरि के नेतृत्व में एक दल चीन भेजा था। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत को बड़ी प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए आखिर चीन की मदद क्यों लेनी पड़ती है? क्या इन्हें भारत में ही नहीं बनाया जा सकता? तेलंगाना में लगने वाली अंबेडकर की यह प्रतिमा आखिर चीन से क्यों बनवाई गई? विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कंपनियों को विशाल प्रतिमाएं बनाने में महारथ हासिल है। उन्हें विशाल कांस्य प्रतिमाओं के निर्माण के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। चीन की कंपनियां ढलाई के पारंपरिक तरीके के साथ आधुनिक तकनीक मिलाकर बड़े पैमाने पर मूर्तियां बना रही हैं। चीन में ढलाई के बड़े-बड़े कारखाने हैं, जिसके चलते मूर्तियों के टुकड़ों को बहुत कम समय में ढालकर उनकी डिलीवरी कर पाना संभव है। चीन में प्रिंगटेंपल बुद्धा जैसी कई विशाल प्रतिमाएं इसके उदाहरण हैं। यही वजह है कि विशाल प्रतिमाओं के लिए हर कोई चीन की कंपनियों का ही रुख करते हैं। डिजाइन भारत में और निर्माण चीन में। भारत में विभिन्न धातुओं से मूर्तियां बनाने की कला काफी पुरानी है। यहां सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान बनी कांस्य प्रतिमाएं भी मिली हैं। भारत में धातु से बनीं देवी-देवताओं की मूर्तियां बड़े पैमाने पर बनाई जाती हैं। विदेशों तक इसका निर्यात किया जाता है। हालांकि उनका आकार ज्यादा बड़ा नहीं होता। इसलिए इन्हें ज्यादातर घरों में ही रखा जाता है। वहीं सैकड़ों फुट ऊंची प्रतिमाओं को बनाने के लिए विशेष तकनीक और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। राजकुमार वोडेमार जैसे मूर्तिकारों का कहना है कि भारत में बुनियादी ढांचे की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि यहां भी विशाल प्रतिमाएं बनाई जा सकती हैं। यदि सरकार इसके निर्माण को प्रोत्साहित करे और जरूरी सुविधाएं प्रदान करे। वोडेमार ने बताया कि ऑर्डर देने वाले यह भी देखते हैं कि भारत के मूर्तिकारों के पास करोड़ों की बड़ी परियोजनाएं शुरू करने लायक जरूरी वित्तीय साधन हैं या नहीं? इसके चलते छोटी फर्मों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें चीन से मूर्तियां बनवानी पड़ रही हैं। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 24 February 2022

लगातार साजिश रचते सीमा पर बैठे आतंकी

देश में माहौल खराब करने के लिए सीमापार बैठे आतंकी संगठन लगातार साजिश रच रहे हैं। पिछले माह 14 जनवरी को गाजीपुर के अलावा जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी इसी तरह के आईईडी बरामद हुए थे। खुफिया एजेंसियां लगातार सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी हमलों के इनपुट दे रही थीं। एजेंसियों का कहना है कि यूपी चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के लिए शरारती तत्व साजिश रच रहे हैं। राजधानी दिल्ली को निशाना बनाने के लिए यह तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। एक बार फिर राजधानी दिल्ली को बम धमाकों से दहलाने की साजिश नाकाम हुई। इससे पहले इसी वर्ष जनवरी महीने में गाजीपुर मंडी में विस्फोटक बरामद हुए। इस एक महीने के अंतराल में दो जगहों पर इंपोवाइज्ड इलेक्ट्रानिक डिवाइस (आईईडी) का मिलना वाकई चिंताजनक है। राहत की बात बस यही है कि दोनों ही जगहों पर दहशतगर्द इसमें धमाका नहीं कर सके। आईईडी एक ऐसा विस्फोटक होता है जो आरडीएक्स अमोनिया आदि के मेल से तैयार किया जाता है और इसके जरिए भयावह तबाही मचाई जा सकती है। पूर्वी दिल्ली के पुरानी सीमापुरी में जिस बंदे के घर से 3 किलोग्राम का आईईडी बरामद किया गया है, अगर वह फटता तो 500 मीटर के दायरे में तबाही मच जाती। पता चला है कि इस घर में तीन से चार युवक रहते थे जो फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद ही पूरी साजिश से पर्दा उठ सकेगा। सीमापुरी से मिले आईईडी को बिल्कुल गाजीपुर में मिले आईईडी के पैटर्न पर तैयार किया गया था। सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया कि जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी इसी तरह के आईईडी मिले थे। चिंता का सबसे बड़ा कारण दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना का यह बयान है कि बिना स्थानीय समर्थन के इतनी बड़ी साजिश की रचना नामुमकिन है। यानी कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर देश को अस्थिर करने वालों को यहां के कुछ लोगों का समर्थन हासिल है। लाजमी है कि स्थानीय स्तर पर खुफिया व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त और साजो-समान से युक्त रखना चाहिए। आतंकवाद से पार पाने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती देश के विभिन्न हिस्सों में फैले स्लीपर सेल्स और उन माध्यमों की पहचान करना है जिनके जरिए विस्फोटक सामग्री और हथियार पहुंचाए जाते हैं। हालांकि इसके लिए सुरक्षा बल सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हैं पर आतंकी संगठन उन्हें धक्का देने में सफल हो जाते हैं। यही वजह है कि न सिर्प घाटी में सुरक्षा बलों को हर गतिविधि पर नजर बनाए रख पाते हैं, बल्कि दूसरे शहर में भी दहशत के fिठकाने तलाशते रहते हैं। लगातार खुफिया एजेंसियों द्वारा गड़बड़ी फैलाने के बाबत अलर्ट जारी करना यही दर्शाता है कि खतरा पग-पग पर है। इसलिए माध्यमों के बीच समन्वय कायम करने की दिशा में सभी को काम करने की आवश्यकता है। हालांकि सीमा पर चल रहे आतंकी शिविरों का निष्किय करने में सेना ने काफी हद तक कामयाबी हासिल कर ली है, उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाने वालों की पहचान कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने में भी सफलता पाई है। मगर अब भी अगर सीमा पार से भेजे गए विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच जाते हैं तो सुरक्षा इंतजामों को और चुस्त बनाने की दरकार है।

बंपर वोटिंग ने बढ़ाई दिग्गजों की बेचैनी

भले ही पंजाब में 2017 के मुकाबले कम मतदान हुआ हो लेकिन राज्य की कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर मतदाताओं ने बंपर वोटिंग की है। इनमें पंजाब की सियासत के दिग्गज पकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, चरणजीत सिंह चन्नी व भगवंत मान की सीटें शामिल हैं। इनकी सीटों पर 70 पतिशत से अधिक वोट पड़े हैं। इस बंपर मतदान को लेकर सियासी दिग्गजों में बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक है। हालांकि अमृतसर ईस्ट जिस पर सिद्धू-मजीठिया आमने-सामने हैं, वहां सिर्प 65.05 फीसदी मतदान हुआ है। चमकौर साहिब में 74.57 और भदौड़ में 78.90 फीसदी वोट पड़े। यहां से सूबे के मुख्यमंत्री चन्नी चुनाव लड़ रहे हैं। जलालाबाद सीट से शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल मैदान में हैं। जलालाबाद में 80 फीसदी वोट पड़े हैं। धूरी से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भगवंत सिंह मान मैदान में हैं। यहां 77.34 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का पयोग किया है। लंबी विधानसभा क्षेत्र से 94 साल की उम्र में पकाश सिंह बादल चुनावी जंग लड़ रहे हैं। लंबी विधानसभा क्षेत्र में 81.35 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। सियासी दिग्गजों की सीटों में यह सबसे ज्यादा वोट पतिशत है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला शहर से चुनाव लड़ रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने परिवार के साथ पटियाला शहरी निर्वाचन क्षेत्रों से मतदान किया। पटियाला शहर के 63.58 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का पयोग किया है। बंपर वोटिंग क्या गुल खिलता है इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा। फिलहाल दिग्गजों की तब तक धड़कनें तेज हो जाएंगी। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 23 February 2022

एक साथ पहली बार 38 आतंकियों को मृत्युदंड

कई बार फैसला जब आता है, बहुत-सी यादें धुंधली पड़ जाती हैं। शुक्रवार को विशेष अदालत ने जब अहमदाबाद में 2008 के बम धमाकों के दोषियों को सजा सुनाई, तो लोगों को यह याद दिलाना पड़ा कि उस दिन कितनी बड़ी तबाही गुजरात के उस शहर ने देखी थी। 26 जुलाई, 2008 की शाम एक के बाद एक, 70 मिनट के भीतर शहर के अलग-अलग हिस्सों में 21 धमाके हुए थे, जिनमें 56 लोगों की जान चली गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। षड्यंत्र का पर्दाफाश करने में हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने ज्यादा वक्त नहीं लगाया और एक साल के भीतर ही इस मामले में मुकदमा दायर हो गया। कुल 78 लोगों को आरोपी बनाया गया और अब जब 13 साल की अदालती कार्रवाई के बाद फैसला आया है तो इनमें से 38 लोगों को मृत्युदंड दिया गया और 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। विशेष कोर्ट के जज एआर पटेल ने आठ फरवरी को 49 लोगों को दोषी करार दिया और 28 लोगों को बरी कर दिया। आजाद भारत में पहली बार एक साथ इतने दोषियों को मृत्युदंड दिया गया है। इससे पहले पूर्व पीएम राजीव गांधी की 1991 में हुई हत्या के मामले में तमिलनाडु की टाडा कोर्ट ने 1998 में सभी 26 दोषियों को मृत्युदंड दिया था। लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट ने कहा कि धमाकों में नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश थी, जो तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अभियोजक अमित पटेल ने बताया कि जज ने मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम बताया है। सभी दोषी आठ जेलों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मौजूद रहे। इन तमाम दोषियों को अहमदाबाद जेल, दिल्ली की तिहाड़ जेल और भोपाल, गया, बेंगलुरु, केरल, मुंबई जेल में रखा गया है। गौरतलब है कि अहमदाबाद बम विस्फोट में कुछ और आरोपियों की बाद में गिरफ्तारी हुई, जिनके मामलों की सुनवाई अभी शुरू भी नहीं हुई है। 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के भीतर 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया था। आतंकियों ने भीड़भाड़ और बाजार वाले इलाके में टिफिन में बम विस्फोट करने के लिए साइकिल पर रख दिया था और विस्फोट से कुछ मिनट पहले चैनलों और मीडिया को धमाकों की चेतावनी देते हुए ई-मेल भी किया गया था। सिलसिलेवार बम धमाकों में 56 लोग मारे गए थे, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे और भीषण बर्बादी हुई थी। बताया गया कि इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी ने यह धमाके गोधरा कांड का बदला लेने के लिए किए थे। यह अलग बात है कि उन धमाकों में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोग भी मारे गए थे। भीषणता का पता इससे भी चलता है कि पहले वाराणसी और जयपुर में ऐसे विस्फोट किए गए थे और अहमदाबाद के बाद सूरत में भी 29 जगहों पर बम पाए गए, जो सौभाग्यवश फटे नहीं थे। इन दोषियों के सामने ऊपरी अदालत में जाने का दरवाजा बेशक खुला है, लेकिन विशेष अदालत के इस फैसले का महत्व यह है कि देश को दहलाने वाले मामले में कठोरतम सजा देकर उसने विध्वंसकारी ताकतों को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।

जबरन गले लगाने, झूला झूलने से रिश्ते नहीं सुधरते

पंजाब में चुनाव प्रचार खत्म होने से एक दिन पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एंट्री करवा दी। मनमोहन सिंह का नाम पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल था लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वजह से वह नहीं जा सके। इसके चलते गुरुवार को चंडीगढ़ में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मनमोहन Eिसह का पंजाबी भाषा में एक वीडियो संदेश जारी किया गया। मनमोहन सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले सात सालों से अधिक समय से सत्ता में है, लेकिन लोगों की समस्याओं के लिए वह अब भी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को दोषी ठहरा रही है। उन्होंने किसान आंदोलन, विदेश नीति, महंगाई, बेरोजगारी समेत कई मामलों को लेकर कहा कि कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए कभी देश को नहीं बांटा और न ही सच छिपाया। 20 फरवरी को हुए पंजाब चुनाव के मतदान से पहले मनमोहन सिंह ने अपने पंजाबी भाषा के संदेश में कहाöएक ओर देश महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर पिछले साढ़े सात साल से सत्ता पर काबिज मौजूदा सरकार अपनी गलतियों को स्वीकार करने और सुधार करने की बजाय लोगों की समस्याओं के लिए अब भी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को दोषी ठहरा रही है। सिंह ने कहाöकुछ दिन पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा के नाम पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और राज्य के लोगों को बदनाम करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहाöकिसान आंदोलन के दौरान भी पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने का प्रयास किया गया। सिंह ने कहा कि दुनिया पंजाब के लोगों की बहादुरी, देशभक्ति और बलिदान को सलाम करती है। लेकिन राजग सरकार इस बारे में कुछ बात नहीं करती। उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी सेना पिछले एक साल से हमारी पवित्र धरती पर कब्जा जमाए है, लेकिन इस मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मनमोहन सिंह ने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहाöमुझे उम्मीद है कि अब सरकार को यह समझ आ गया होगा कि नेताओं को जबरदस्ती गले लगाने से, उनके साथ झूला झूलने से या बिना बुलाए बिरयानी खाने से देशों के संबंध नहीं सुधरते हैं। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 22 February 2022

केजरीवाल पर लगे आरोपों की जांच होगी

पंजाब में मतदान से महज दो दिन पहले अलगाववाद पर सियासी पारा चरम पर पहुंच गया। आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर उनके पुराने सहकर्मी कुमार विश्वास के आरोपों पर शुक्रवार को विपक्ष आक्रामक हो गया। खालिस्तानी अलगाववादियों से संबंधों को लेकर केजरीवाल के खिलाफ कुमार विश्वास के दावों की गृह मंत्रालय जांच कराएगा। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पत्र लिखकर जानकारी दी और मामले को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है। इससे पहले चन्नी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की थी। शाह ने चन्नी को लिखा कि आम आदमी पार्टी और प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस के बीच कथित संबंधों की जांच कराई जाएगी। शाह ने उन्हें भरोसा दिया कि भारत सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और वह व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि मामले को विस्तार से देखा जाए। कुमार विश्वास की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर खालिस्तानी समर्थकों का साथ देने का आरोप लगाए जाने के बाद पंजाब की सियासत गरमा गई। विश्वास ने एक साक्षात्कार में यह आरोप लगाए। उन्होंने केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री या खालिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। इस आरोप को लेकर शाह ने अपने पत्र में कहा है कि किसी को भी देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ नहीं करने दी जाएगी। शाह ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि सत्ता में आने के लिए कुछ लोग अलगाववादियों से हाथ मिलाने और पंजाब तथा देश को तोड़ने की हद तक चले जाते हैं। चन्नी ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में यह दावा किया था कि उन्हें सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का एक पत्र मिला है जो दर्शाता है कि समूह लगातार आम आदमी पार्टी (आप) के सम्पर्प में है। एसएफजे के पत्र में यह जिक्र किया गया है कि उसने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था और इसी तरह इस चुनाव में भी समर्थन करेगा। उन्होंने दावा किया कि एसएफजे ने मतदाताओं को आम आदमी पार्टी (आप) को वोट देने की अपील की है। चन्नी ने अपने पत्र में कहा कि राजनीति के अलावा पंजाब के लोगों ने अलगाववाद से लड़ते हुए भारी कीमत चुकाई है। माननीय प्रधानमंत्री को हर पंजाबी की चिंता को दूर करने की आवश्यकता है। आरोप बहुत गंभीर हैं। मामले की कड़ी जांच होनी चाहिए, साक्ष्यों पर दोष सिद्ध होना चाहिए। हवाई आरोपों से काम नहीं चलेगा।

दिल्ली पुलिस के त्याग व समर्पण का कोई मोल नहीं

देश की आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दिल्ली पुलिस के स्थापना दिवस के 75वें साल पर मनाए गए समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस परेड की सलामी ली और परेड का निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हर पुलिसकर्मी के सामने पहली चुनौती अपनी खुशियां लुटाकर हमारी-आपकी खुशियां बरकरार रखने की होती है। इसके अलावा पुलिसकर्मी हमेशा समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने में ही अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। पुलिसकर्मी के त्याग, समर्पण और उसकी कर्तव्यनिष्ठा का कोई मोल नहीं आंका जा सकता। इस मौके पर अमित शाह ने कहाöकोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली पुलिस के जवानों ने फ्रंटलाइन पर खड़े होकर लोगों की सेवा की है। लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना हो या उनके घर ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाना हो, वह कभी पीछे नहीं रहे। यहां तक कि दिल्ली पुलिस के जवानों ने शवों का अंतिम संस्कार भी किया। इस दौरान 79 जवानों ने असमय अपने प्राणों तक को त्याग दिया। अमित शाह ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में दंगों के दौरान सराहनीय कार्रवाई की है। विशेष रूप से दंगों की निष्पक्ष और सख्ती से जांच के लिए मैं दिल्ली पुलिस को बधाई देता हूं। उन्होंने दिल्ली पुलिस से अगले पांच साल और 25 साल के बेहतर लक्ष्यों के साथ रोडमैप तैयार करने को कहा। बता दें कि 16 फरवरी को दिल्ली पुलिस स्थापना दिवस के 75वें वर्ष में प्रवेश कर गई है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा कि 1948 में दिल्ली पुलिस स्वतंत्र पुलिस बल के रूप में अस्तित्व में आई थी। 75 वर्षों के साथ ही दिल्ली पुलिस ने पुलिसिंग के विभिन्न क्षेत्र में अपनी क्षमता को साबित किया है। इस मौके पर अमित शाह ने सात पुलिस बिल्डिंग प्रोजेक्ट का रनोग्यूटेशन किया। इसके अलावा दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने ई-न्यूजलेटर किस्सा खाकी को लांच किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस में इस वर्ष पांच हजार जवानों का प्रोमोशन हुआ है। इसके अलावा 48 जवानों को ओटीपी मिला है और 45 जवानों को असाधारण कार्य से सम्मानित किया गया है। दिल्ली पुलिस ने निस्संदेह दिल्लीवासियों को सुरक्षित रखने में सराहनीय काम किया है। राजधानी दिल्ली होने के कारण आए दिन कोई न कोई खतरा बना रहता है। हाल में ही आतंकियों के प्लान को दिल्ली पुलिस ने फेल किया है। इनकी सेवा का कोई मोल नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 20 February 2022

घूंघट, पगड़ी, क्रॉस पर रोक नहीं तो हिजाब पर क्यों?

कर्नाटक हाई कोर्ट में बुधवार को चौथे दिन हिजाब रोक के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम खोजी की बैंच में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहाöघूंघट, दुपट्टा, पगड़ी और बिंदी जैसे धार्मिक चिन्ह लोग पहन रहे हैं, केवल हिजाब को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील रवि वर्मा कुमार ने कहाöसमाज के सभी वर्गों में अनेक धार्मिक चिन्ह हैं। चूड़ी पहनी जाती है, क्या यह धार्मिक चिन्ह नहीं है? चूड़ी पहनने और बिंदी लगाने वाली लड़की को बाहर नहीं किया जा रहा है। क्रॉस पहनने पर रोक नहीं है। चूड़ी पहनने पर कोई रोक नहीं? केवल गरीब मुस्लिम छात्राएं ही इसके दायरे में क्यों? उनके धर्म के आधार पर क्लास से बाहर किया जा रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। बुधवार को भी हिजाब पहनने के कारण मुस्लिम छात्राओं को क्लास में नहीं जाने दिया गया। यह भेदभावपूर्ण है। कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। हमारा पक्ष नहीं सुना जा रहा। सीधे दंडित किया जा रहा है। इससे ज्यादा और क्या हो सकता है? दरअसल राज्य में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर रोक के आदेश के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा है। अंतरिम आदेश में अदालत ने शुक्रवार को हिजाब और भगवा गमछे जैसी चीजें पहनकर आने पर रोक लगा दी थी और स्कूलों को खोलने के लिए कहा था। इससे पहले छात्राओं की ओर से वकील देवदत्त कॉमत ने पक्ष रखा था। उन्होंने दलील दी थी कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है और राज्य संविधान के तहत मिले अधिकारों में दखल नहीं दे सकता।

हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के हिजाब विवाद में दखल देने से इंकार करते हुए कहा कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं लाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा का भरोसा देते हुए नसीहत दी, विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर नहीं फैलाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहाöअगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो उचित समय पर हस्तक्षेप करेंगे। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आदेश पर रोक की मांग की गई है। याचिकाकर्ता के वकील से पीठ ने पूछा कि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है? किसी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो हम उचित समय पर हस्तक्षेप करेंगे। इस पर वकील देवदत्त कॉमत ने कहाöकोर्ट ने छात्राओं को धार्मिक पहचान का खुलासा करने से रोक दिया है। इसका अर्थ संविधान के अनुच्छेद 25 को निलंबन करना है, इसके दूरगामी परिणाम होंगे। डीजे हल्ली फैडरेशन ऑफ मस्जिद मदारिस एंड वक्फ इंस्टीट्यूट ने याचिका में तर्क दियाöअंतरिम आदेश ने मुस्लिम व गैर-मुस्लिम छात्राओं में अंतर करके सीधे धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार किया है। यह संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। चीफ जस्टिस ने वादियों के वकील से कहाöहम जानते हैं कि क्या हो रहा है। सभी नागरिकों के संविधानिक अधिकारों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।

क्या फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस देखी है

निजी मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़ाने के लिए फर्जी मरीज भर्ती किए जाने का तथ्य जानकार सुप्रीम कोर्ट हैरान हो गया। शीर्ष अदालत ने कॉलेज की ओर से पेश वकील से पूछाöक्या आपने मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म देखी है? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सोमवार को धुले स्थित अण्णासाहेब चढ़ामन पाटिल मैमोरियल मेडिकल कॉलेज के मामले में सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कॉलेज के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहाöयह ऐसा मामला है, जहां बाल चिकित्सा वार्ड में सभी बच्चों को बिना किसी बीमारी के भर्ती किया गया था। अस्पताल में नकली मरीज कैसे थे? मकर संक्रांति पर बीमारी खत्म नहीं होती है। यह मामला फर्जी रिकॉर्ड का है। एनएमसी ने जनवरी में एक औचक निरीक्षण के बाद कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स के लिए छात्रों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 करने की अनुमति वापस ले ली थी। इतना ही नहीं, पहले से 100 छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया भी निलंबित कर दी गई। इस निर्णय को कॉलेज ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 19 February 2022

पांचवें मामले में भी लालू दोषी

चारा घोटाले के पांचवें मामले में भी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया गया है। अदालत के बाहर हजारों की संख्या में जमा उनके समर्थकों में मायूसी पसर गई। लंबे समय तक लालू यादव के निजी सचिव रहे विनोद श्रीवास्तव की आंखों में आंसू बहने लगे। कई समर्थक भी रोने लगे। अदालत के बाहर मौजूद रहे राजद के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मायूसी जाहिर करते हुए कहा कि लालू जी आजीवन गरीबों-पिछड़ों के लिए संघर्ष करते रहे। सिद्दीकी ने कहाöअदालत के फैसले पर वह कोई टिप्पणी नहीं करते लेकिन हम अपने नेता के गिरते स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक भी अदालत के बाहर खड़े थे। जैसे ही लालू प्रसाद को दोषी करार दिए जाने की खबर बाहर आई, वह चुपचाप कुछ कहे बगैर गाड़ी में जाकर बैठ गए। बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन हम लोग भी जानते हैं कि लालू प्रसाद यादव कैसे ईमानदारी के साथ हर व्यक्ति को उसका अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। बिहार और झारखंड के अलग-अलग इलाकों से बड़ी संख्या में लालू प्रसाद के समर्थक सोमवार को ही रांची पहुंचे थे। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए साढ़े ग्यारह बजे का वक्त तय कर रखा था। इसके एक-डेढ़ घटे पहले से ही लालू के समर्थक अदालत परिसर के बाहर इकट्ठे हो गए थे। लालू प्रसाद यादव और राजद के वरिष्ठ नेताओं ने पहले ही सबको हिदायत दे रखी थी कि अदालत परिसर में या बाहर कोई भी नाराजगी व नारेबाजी नहीं करेगा। सबको कहा गया था कि अदालत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा, हुआ भी ऐसा ही। फैसला आने पर समर्थकों में मायूसी पसर गई, लेकिन किसी ने कोई नारेबाजी नहीं की। लालू प्रसाद यादव की बड़ी पुत्री मीसा भारती सोमवार को रांची में ही थीं। उन्होंने टीवी पर निगाहें लगा रखी थीं। पिता को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की खबर सुनकर वह मायूस हो गईं। फैसला आने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करने से इंकार कर दिया। हालांकि इससे पहले सोमवार को उन्होंने रांची पहुंचने के बाद कहा था कि लालू जी इन दिनों काफी बीमार रहते हैं। बता दें कि अविभाजित बिहार के अरबों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले में डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की निकासी (अवैध) से जुड़े मामले में मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत ने लालू प्रसाद यादव समेत 75 आरोपियों को दोषी ठहराया, जबकि मामले में 24 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। अभियुक्तों की सजा के बिन्दुओं पर 21 को सुनवाई होगी।

चन्नी के विवादित बोल पर मचा बवाल

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा दिए गए विवादित बयान पर सियासी तूफान मच गया है। दरअसल सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो के अनुसार मंगलवार को पंजाब के रूप नगर में एक रोड शो के दौरान चन्नी ने कहाöप्रियंका गांधी पंजाब की बहू हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली के भैया, जो पंजाब में राज करना चाहते हैं, हम उन्हें राज्य में घुसने नहीं देंगे। आम आदमी पार्टी (आप) ने मुख्यमंत्री चन्नी की इस टिप्पणी की आलोचना की है। आप के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने टिप्पणी को बेहद शर्मनाक करार दिया। चन्नी के बयान के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहाöहम किसी भी व्यक्ति या किसी विशेष समुदाय के खिलाफ की गई गलत टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि चन्नी ने पूर्व में उनकी त्वचा के रंग को लेकर ताना मारते हुए उन्हें काला कहा था। जब भगवंत मान ने कहा कि प्रियंका गांधी भी उत्तर प्रदेश से जुड़ी हैं, तो केजरीवाल ने कहा कि वह भी भैया हैं। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि चन्नी ने जिस प्रकार से यूपी-बिहार के लोगों का अपमान किया है वह अतिशर्मनाक है। ऐसे में इन दोनों राज्यों के लोग कांग्रेस को पंजाब और यूपी में हो रहे विधानसभा चुनाव में जरूर सबक सिखाएंगे। दूसरी ओर बिहार के जल संसाधन व सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री संजय कुमार झा ने चन्नी की टिप्पणी को अभद्र बताया। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की। उनकी टिप्पणी को भारत की एकता पर एक अपवित्र हमला भी बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने नेता के इस कृत्य के लिए माफी मांगे। संजय झा ने पंजाब के सीएम को बिहार की समृद्ध विरासत की याद भी दिलाई। चुनाव के दिनों में इस प्रकार की टिप्पणी से कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 16 February 2022

सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी

सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया है। एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निवेशकों, अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजे इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और अधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया। बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवम्बर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ सफाई मांगी थी। बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की। अधिकारी ने कहा कि कंपनी को सीबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल हैं। यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है। गत सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों का पद भरोसे वाला है जहां ईमानदारी और सत्य निष्ठा की आवश्यक शर्तें हैं। उनकी तरफ से बरती गई किसी भी अनियमितता को नरमी से नहीं निपटा जाना चाहिए। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस. ओकाकी पीठ ने यह टिप्पणी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर अनियमितता के लिए एक बैंक क्लर्क की बर्खास्तगी के आदेश को बरकरार रखते हुए की। कहा कि कर्मचारी इस बीच अपने पद से सेवानिवृत्त हो गया, केवल उसे उस कदाचार से मुक्त नहीं किया जा सकता जो उसने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किया। पीठ ने कहा कि कर्मचारी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति की गंभीरता को देखते हुए उसकी बर्खास्तगी की सजा को किसी भी तरह से चौंकाने वाला नहीं कहा जा सकता है। कर्मचारी 1973 में क्लर्क-कम-टाइपिस्ट के तौर पर बैंक सेवा में शामिल हुआ था। सेवाकाल के दौरान गंभीर अनियमितताओं के चलते उसे सात अगस्त 1995 में निलंबित कर दिया गया था। दो मार्च 1996 में उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। बैंक ने अपने नियमों के तहत अनुशासनात्मक जांच कराई जिसमें जांच अधिकारी ने आरोपों को सही पाया। उसे छह दिसम्बर 2000 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही अपीलीय प्राधिकरण ने भी उसकी अपील खारिज कर दी। पटना हाई कोर्ट ने भी फैसले को बरकरार रखा। कर्मचारी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

मृत्युदंड नहीं जेल में अंतिम सांस तक की सजा

देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि अपराधी को मौत की सजा देने की बजाय उसे पूरी जैविक उम्र जेल में गुजारने की सजा दी जा सकती है। ऐसी सजा देने में कोई कानूनी समस्या नहीं है। जस्टिस एसके कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने यह टिप्पणी यूपी (लखीमपुर) के रविन्द्र के मामले में की। रविन्द्र को एक बच्चे की नृशंस हत्या करने में मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में पूरी जिंदगी जेल में गुजारने की सजा में बदल दिया गया। इस सजा के क्रम में वह 30 साल से जेल में बंद है। उसने अब पैरोल पर बाहर आने के लिए अर्जी दी है। अर्जी में उसने कहा है कि पूरी उम्र जेल में गुजारने की सजा के कारण उसे सजा माफी की अर्जी देने का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मौत की सजा की जगह पूरी उम्र जेल में गुजारने जैसी सजा दी जा सकती है। रविन्द्र ने 1990 में पारिवारिक रंजिश में एक 10 वर्षीय बच्चे को जिंदा आग में झोंक दिया था। इस अपराध में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे मृत्युदंड की सजा दी थी। इस सजा को सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में बरकरार रखा था। लेकिन 2010 में राष्ट्रपति ने सजा को माफ कर उसे जीवनभर जेल में गुजारने का दंड दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में एक भी मृत्युदंड की पुष्टि नहीं की है। इस दौरान कोर्ट ने 15 मामलों में अपराधियों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया और चार मामलों में मृत्युदंड की सजा माफ कर उन्हें अपराधों से बरी कर दिया। यह मामला यूपी का था। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ इसलिए कि अपराध घृणित है, इस बिनाह पर किसी अपराधी को मौत की सजा नहीं दी जा सकती। कोर्ट की संविधान पीठ ने 1980 में बचन सिंह बनाम राज्य, केस में मौत की सजा को संवैधानिक ठहराया था और कहा था कि यह सजा दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध में ही दी जानी चाहिए। सजा देने के बाद जज को इस सजा के देने का आधार विस्तृत रूप से बताना होगा। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 15 February 2022

पंजाब के डेरे

पंजाब विधानसभा चुनाव 20 फरवरी को हैं। सियासत पूरे ऊफान पर है। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल सभी अपनी-अपनी जीत के लिए मेहनत करने के साथ ही अन्य जुगत लगाने में जुटे हैं। सभी दलों को राज्य की राजनीति में डेरों के समर्थन की दरकार है। 10 मार्च को पता चल जाएगा कि मुख्यमंत्री की गद्दी किसके हाथ लगेगी। पंजाब की सियासत सिर्फ पार्टियों या जातीय समीकरण पर टिकी है, तो ऐसा नहीं है। सूबे की राजनीति में डेरों की निर्णायक भूमिका है और यह किसी पार्टी का भी खेल बना या बिगाड़ सकते हैं। सिख धर्म के अलावा पंजाब में विभिन्न धार्मिक संप्रदाय हैं, जिन्हें डेरा कहा जाता है। डेरे लंबे समय से पंजाब में धार्मिक आस्था का केंद्र बने हुए हैं। यहां डेरा प्रमुख होते हैं, जिन्हें बाबा या गुरुदेव इत्यादि कहा जाता है। पंजाब में छह ऐसे डेरे हैं, जिनके न सिर्फ लाखों-करोड़ों लोग अनुयायी हैं बल्कि इनका राजनीतिक रसूख भी है। पंजाब की एक-चौथाई आबादी किसी न किसी डेरे से ताल्लुक रखती है। यह डेरे हैंöडेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग, ब्यास, नूर महल डेरा (दिव्य ज्योति जागृति संस्थान), संत निरंकारी मिशन, नामधारी संप्रदाय और डेरा सचखंड बल्लन। यह डेरे बेहद प्रभावशाली हैं और चुनाव के दौरान 68 विधानसभा क्षेत्रों में अपना असर रखते हैं, जबकि 30-35 सीटें ऐसी हैं, जहां यह किसी भी प्रत्याशी का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं। पंजाब की आबादी 2.98 करोड़ है। इनमें से करीब 53 लाख वोटर ऐसे हैं, जो डेरों को मानते हैं। डेरों को मानने वाले लोग बाबा या गुरु के हुक्म का पालन ऐसे करते हैं, जैसे वह भगवान का आदेश हो। कुछ डेरे पंजाब में तो ऐसे भी हैं, जो सीधे-सीधे राजनीतिक पार्टियों का समर्थन करते हैं। वो अपने अनुयायियों तक में भी मैसेज पहुंचा देते हैं कि चुनाव में किसके आगे बटन दबाना है और किसके नहीं। माना जाता है कि डेरे गरीब तबकों का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन कई बार दोनों के अनुयायियों के बीच तकरार और हिंसा भी देखने को मिली है। जैसे सिख धर्म को मानने वालों और डेरा निरंकारी के अनुयायियों के बीच 1978 में हिंसा देखने को मिली थी। इसके अलावा 2001 में डेरा मनियार वाला, डेरा सच्चा सौदा (2008-09), डेरा नूर महल (2002) और डेरा सचखंड बल्लन (2009-10) की हिंसा की घटनाएं भी लोग भूले नहीं हैं। डेरों के विवाद भी कम नहीं थे। इस कड़ी में जो सबसे विवादित डेरा जहन में आता है, वो है डेरा सच्चा सौदा। सिरसा के इस डेरे के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों के रेप मामले में दोषी ठहराया गया था। वह फिलहाल कुछ दिनों के लिए जेल से पेरोल पर हैं। इसके अलावा पत्रकार राम चन्दर छत्रपति और डेरा अनुयायी रंजीत सिंह की हत्या को लेकर भी उस पर मुकदमा चल रहा है।

शराब पीने वालों की चांदी

राजधानी दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू हो जाने के बाद शराब के शौकीनों की तो जैसे बल्ले-बल्ले हो गई है। इसकी बानगी शुक्रवार को दिल्ली के कई इलाकों में देखने को मिली। शराब के ठेकों के बाहर उमड़ी भीड़ और पेटी पर पेटी फ्री ले जाते शराब का वीडियो दिनभर सोशल मीडिया पर वायरल रहा। यही नहीं, कई जगहों पर तो पुलिस को हल्का बल प्रयोग कर लोगों को तितर-बितर करना पड़ा। दरअसल नई आबकारी नीति की वजह से शराब के दामों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। शराब के दामों में 30-40 प्रतिशत तक की छूट ने लोगों को शराब की दुकानों की तरफ दौड़ने को मजबूर कर दिया है। बता दें कि सभी रिटेलर्स ने शराब के स्टॉक पर छूट देनी शुरू कर दी है। जानकारों के मुताबिक नई नीति की वजह से अब रिटेलर्स खुद अपने स्टॉक की कीमत तय कर सकते हैं। ऐसे में कई शराब विक्रेताओं ने शराब के दामों में भारी डिस्काउंट देना शुरू कर दिया है। अब दिल्ली में गुरुग्राम और नोएडा के मुकाबले में भी सस्ती शराब बिकने लगी है। देसी-विदेशी सभी ब्रांड पर छूट रिटेलर्स भारतीय ब्रांड पर तो भारी मात्रा में छूट दे रहे हैं। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो शेयर किए गए हैं जिसमें दिखाया गया है कि शराब की दुकानों पर पेटी के साथ पेटी, अद्धा और पव्वे के साथ पव्वा बिल्कुल फ्री। वीडियो में एक व्यक्ति बता रहा है कि नंदनगरी की एक शराब की दुकान में यह ऑफर दिया जा रहा है जिसकी वजह से फ्लाइओवर के ऊपर से लेकर नीचे तक लोगों की भारी भीड़ दिखाई पड़ रही है। आलम यह है कि शराब की दुकान से लोगों को दूर करने के लिए पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं। लोग अपने हाथों में पेटी की पेटी शराब लेकर जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में कई लिकर स्टोर्स ने कॉम्पिटिटिव प्राइजिंग शुरू कर दी है। -अनिल नरेन्द्र

Monday 14 February 2022

परिसीमन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट पर मचा बवाल

यदि परिसीमन आयोग के अंतरिम मसौदे में बदलाव नहीं किया गया तो जम्मू-कश्मीर के सियासी नेताओं की चुनावी राहें मुश्किल भरी हो सकती हैं। परिसीमन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विपक्ष ही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी पैदा कर दी। आयोग ने अपने एसोसिएट सदस्यों को जो अंतरिम मसौदा भेजा है, उस पर न केवल विपक्षी दल ऐतराज उठा रहे हैं, बल्कि भाजपा नेता भी ऐतराज कर रहे हैं। भाजपा में भी खलबली मची हुई है। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग का गठन छह मार्च 2020 को किया गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा तथा जम्मू के चुनाव आयुक्त केके शर्मा भी इसके सदस्य हैं। दिसम्बर में यह खबर सामने आई थी कि जम्मू-कश्मीर में सात विधानसभा सीटें बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है। छह सीटें जम्मू क्षेत्र तथा एक सीट कश्मीर में बढ़ेगी। अधिकतर विधानसभा सीटों के क्षेत्रों पर पुनर्निर्धारण किया गया है। अंतरिम मसौदे को लेकर घाटी तथा जम्मू संभाग में सियासत तेज हो गई है। जम्मू संभाग में इस बात की भी हैरानगी जताई जा रही है कि आखिर जम्मू पुंछ संसदीय क्षेत्र का पुंछ तथा राजौरी का अधिकतर इलाका दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट से कैसे जोड़ दिया गया है? लोगों का आरोप है क्योंकि गत लोकसभा चुनाव में पुंछ तथा राजौरी इलाके से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रमन भल्ला को भाजपा से काफी ज्यादा वोट मिले थे। जम्मू जिले में भारत-पाक सीमा से सटे सुचेतगढ़ तथा मढ़ इलाके से 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के चौधरी श्याम लाल तथा चौधरी सुख नंद विजयी हुए हैं। दोनों जाट नेता हैं। यह दोनों विधानसभा चुनाव किसान तथा किसानी के लिए जाने जाते हैं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का आरोप है कि इस संसदीय सीट का परिसीमन भाजपा तथा संघ के एजेंडा के मुताबिक किया गया लगता है। जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी का तो इससे भी बढ़कर कहना है कि अंतरिम रिपोर्ट भाजपा की तैयारी कराई लगती है। अंतरिम रिपोर्ट को लेकर सुचेतगढ़ इलाके के भाजपा कार्यकर्ता भी खासे नाराज हैं। सुचेतगढ़ विधानसभा सीट को आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में खत्म कर दिया गया। आरएस पुरा विधानसभा सीट काफी लंबे समय से आरक्षित थी, अब बिश्नाह विधानसभा सीट समाप्त किए जाने से स्थानीय नागरिक नाराज हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के कई स्थानीय भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करके भाजपा से इस्तीफा भी दे दिया है। छह मार्च को आयोग का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है, इसलिए यह कवायद छह मार्च से पहले पूरी करने की तैयारी है। संभवत 14 फरवरी के बाद आयोग की अंतरिम रिपोर्ट कभी भी राय जाहिर करने के लिए जनता के समक्ष रखी जा सकती है। इससे पहले ही सबकी नाराजगी दूर करनी होगी।

10 सैकेंड में मलबे में बदल जाएगी 32 मंजिला ट्विन टॉवर

नोएडा-ट्विन टॉवर को ध्वस्त करने की दिशा में कागजी कार्यवाही शुरू हो गई है। मुंबई की एडिफिस कंपनी से सूबर टैश ने करार किया है। विस्फोटक लगाकर इस इमारत को गिराया जाएगा। आगामी कुछ दिनों में ही एडिफिस कंपनी साइट पर मशीन उपकरण व अन्य सामान पहुंचाने का काम शुरू कर देगी। 22 मई को सिर्प एक धमाका होगा और मात्र 10 सैकेंड में ट्विन टॉवर मलबे में तब्दील हो जाएगा। गत बुधवार को सीईओ रितु माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली बैठक में ट्विन टॉवर ध्वस्तीकरण को लेकर मलबा हटाने की पूरी कार्ययोजना पर चर्चा हुई। 22 अगस्त तक बिल्डर या ध्वस्तीकरण कंपनी को मलबा मौके से पूरी तरह से हटाना होगा। एडिफिस को ट्विन टॉवर ध्वस्त करने का काम सौंपा गया है। कंपनी के इंजीनियरों ने बताया कि कंट्रोल ब्लास्ट से ट्विन टॉवर को पूरी तरह खाली जगह में गिराया जाएगा। विशेषज्ञों की देखरेख में विस्फोटक लगाने में 90 दिन का समय लगेगा। इसके बाद मात्र 10 सैकेंड में पूरी इमारत धराशायी हो जाएगी। धूल के गुबार कई दिनों तक छाये रह सकते हैं। आसपास रहने वालों को कुछ दिनों तक यहां से किसी अन्य जगह पर भी शिफ्ट किया जा सकता है।

अफसरों के तबादले की एवज में 10 करोड़ नकद

पंजाब सीएम चरणजीत Eिसह चन्नी के भतीजे भूपेंद्र सिंह उर्प हनी ने कुबूल किया है कि उसने राज्य में अधिकारियों के तबादले और रेत खनन कार्यों के बदले 10 करोड़ रुपए नकद लिए थे। यह दावा ईडी ने एक बयान में किया। हनी हिरासत में हैं। एजेंसी ने 18 जनवरी को हनी और अन्य लोगों के खिलाफ छापे की कार्रवाई की थी और उनके परिसरों से 7.9 करोड़ नकद और हनी से जुड़े संदीप कुमार नामक व्यक्ति के यहां से करीब दो करोड़ रुपए जब्त किए थे। एजेंसी ने कहा कि ईडी ने छापे के दौरान कुदरतदीप सिंह, भूपेंद्र सिंह उर्प हनी, हनी के पिता संतोख सिंह और संदीप सिंह के बयान रिकॉर्ड किए थे। इससे यह पता चलता कि जब्त किए गए 10 करोड़ रुपए भूपेंद्र Eिसह के थे। इसके अलावा भूपेंद्र ने यह भी कुबूल किया कि जब्त रकम उसे अधिकारियों की तैनाती, तबादले और रेत खनन कार्यों के बदले में मिली थी। ईडी का दावा है कि अब खुद भूपेंद्र सिंह हनी ने ही मान लिया है उसे रेत खनन कार्यों और अधिकारियों के स्थानांतरण-पोस्टिंग करवाने के बदले में नकद कैश मिले थे। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 13 February 2022

आशीष की जमानत किसानों के लिए बड़ा झटका

हाई कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में आरोपी बनाए गए केंद्रीय गृहमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्प मोनू की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। कोर्ट ने उसे पर्सनल बांड और दो जमानत पत्र दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस राजीव सिंह की सिंगल बेंच ने गुरुवार को पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में आरोप है कि तीन अक्तूबर 2021 को हुई घटना में गृह राज्यमंत्री का बेटा आशीष मिश्रा की बाईं सीट पर बैठा गोली चला रहा था व उसकी गोली से ही गुरबिंदर सिंह नाम के एक शख्स की मृत्यु हो गई, जबकि मृतकों या घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली की चोट नहीं आई है। घटना में पांच लोगों की मृत्यु और 13 लोग घायल हुए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का भी जिक्र किया है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि अगर आयोजन पक्ष की पूरी कहानी स्वीकार की जाए तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई हो और यह घटना घटित हो गई हो। याची की ओर से दलील भी दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें और लाठियां लेकर जमा थे। बहस के दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने किसी पर भी गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि कार में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। केस डायरी के साथ मौजूद फोटो से पता चलता है कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की हत्या प्रदर्शनकारियों ने कितनी निर्दयता से की है। इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस राकेश कुमार जैन की मॉनीटरिंग में हुई है। आशीष मिश्रा की जमानत के मामले में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के उन किसान नेताओं ने गंभीरता का परिचय नहीं दिया जिनको इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इसी क्रम में हाई कोर्ट में किसानों के वकील की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता तो यह पूछ रहे हैं कि क्या किसानों का वकील इस मामले की सुनवाई के दौरान गैर-हाजिर था? इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा में यूपी के प्रमुख किसान नेता युद्धवीर सिंह को फोन और एसएमएस भी किया गया लेकिन उनका जवाब नहीं आया। बताया जा रहा है कि इस मामले के स्टेटस के बारे में यूपी के किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को नियमित रूप से जानकारी नहीं दी। ऐसा किस वजह से हुआ इस पर मोर्चा के नेता कुछ नहीं कहते। हालांकि किसान मोर्चा आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को बड़े झटके के रूप में ले रहे हैं। जहां संयुक्त किसान मोर्चा के नेता आरोपी की जमानत खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के विषय में कानूनी परामर्श ले रहे हैं, वहीं यूपी के चुनाव में भाजपा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और तेज करने वाले हैं।

बेरोजगारी से 9000, दिवालिया होने से 16 हजार ने की खुदकुशी

केंद्र सरकार ने तीन वर्ष में आर्थिक तंगी के चलते दिवालिया होने और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा बुधवार को संसद में पेश किया गया। सरकार ने राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2018 से 2020 के बीच बेरोजगारी की वजह से 9140 लोगों ने जान दी है। केंद्रीय राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से बताया कि 2018 से 2020 के बीच दिवालिया होने और कर्ज के दबाव के कारण 16 हजार लोगों ने आत्महत्या की। मंत्री ने यह जानकारी राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह, छाया वर्मा और निशाद के सवालों के जवाब में दी। सरकार ने बताया कि मानसिक दबाव कम करने के लिए देशभर में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। रोजगार सृजन के लिए भी कार्यक्रम चलाए गए हैं। रॉय ने कहा कि यह आंकड़े एनएसआरवी से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि कर्ज में डूबे लोगों की खुदकुशी का ट्रेड हालांकि एक जैसा नहीं था। मौजूदा संसद सत्र के दौरान विपक्षी सदस्यों ने कई बार बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि बेरोजगारी संकट से जूझ रहे लोगों के लिए बजट में राहत प्रभावी होनी चाहिए और इससे निपटने के लिए पर्याप्त धन आवंटित किया जाना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Friday 11 February 2022

पकड़ा गया इंडिया की मोस्ट वांटेड लिस्ट का आतंकी

कई देशों में चल रहे भारत के एक बड़े सर्च ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों ने मुंबई 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में शामिल भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक अबू बकर को पकड़ने में सफलता हासिल की है। इस ब्लास्ट में मुंबई में अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके हुए थे, जिनमें 257 लोग मारे गए थे और 713 लोग घायल हुए थे। जानकारी के अनुसार अब पकड़े गए आतंकी अबू बकर को यूएई से इंडिया लाया जाएगा। भारतीय एजेंसियों की यह एक बहुत बड़ी सफलता है कि आतंकी की धरपकड़ के लिए एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ था। अबू बकर जो हथियारों और विस्फोटकों के प्रशिक्षण के अलावा सिलसिलेवार होने वाले ब्लास्ट में इस्तेमाल किए जाने वाले आरडीएक्स की लैंडिंग में शामिल रहा है तथा संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान में रह रहा था। उसे हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय एजेंसियों के इनपुट पर पकड़ा गया था। जानकारी के अनुसार इससे पहले 2019 में भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ दस्तावेजों के अभाव के कारण वह यूएई के अधिकारियों की हिरासत से खुद को रिहा कराने में कामयाब रहा। शीर्ष सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय एजेंसियां अबू बकर के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में हैं, जो लंबे समय से देश की मोस्ट वांटेड लिस्ट में था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार अबू बकर को ठोस सुबूतों के आधार पर अरेस्ट किया गया है। अब उसे भारतीय एजेंसियों को सौंप दिया जाएगा, जिससे उसे भारत लाने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड दाउद इब्राहिम आज भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। अबू बकर पिछले 29 साल से भारतीय एजेंसियों के मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था। अब यूएई से लाकर उसे कानून के कठघरे में पेश किया जाएगा। अबू बकर माफिया डॉन दाउद इब्राहिम के गुर्गे मोहम्मद और मुस्तफा दोसा के साथ मिलकर तस्करी करता था। वह खाड़ी देशों से सोना, कपड़े और इलैक्ट्रॉनिक सामान तस्करी से मुंबई और अन्य जगहों पर लाता था। फिलहाल अबू बकर के दुबई में कई बिजनेस हैं। उसने एक ईरानी महिला से शादी कर रखी है जो उसकी दूसरी पत्नी है। हम भारत की सुरक्षा एजेंसियों को इस शानदार सफलता के लिए बधाई देते हैं। अब वो दिन भी दूर नहीं जब दाउद इब्राहिम भी भारतीय एजेंसियों के काबू में होगा।

मैं अहंकारी सिद्धू के खिलाफ ही चुनाव लड़ूंगा

नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ अमृतसर से ताल ठोंकने वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता विक्रम सिंह मजीठिया ने आखिरकार मजीठा से अपनी दावेदारी वापस ले ली। हालांकि उनकी पत्नी गनी मजीठिया शिरोमणि अकाली दल की ओर से चुनाव मैदान में उतरेंगी। इस मौके पर मजीठिया कुछ भावुक भी नजर आए। उन्होंने कहा कि अब वह अहंकारी नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ पूर्वी हल्के से ही चुनाव लड़ूंगा। प्रेसवार्ता में मजीठिया ने कहा कि जब उन्होंने मजीठा से चुनाव लड़ा था तो इसी को अपना परिवार माना था। उन्होंने नम आंखों से कहा कि अहंकारी नवजोत सिंह सिद्धू का घमंड तोड़ने के लिए उन्हें पूर्व हल्के (अमृतसर) से चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लेना पड़ा। सिद्ध के साथ हंसते हुए अपनी एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए कहा कि अब वह सिद्धू को दिल से हंसना सिखाएंगे। सिद्धू लाफ्टर चैलेंज शो में हंसने का पैसा लेते हैं, लेकिन अब वह उन्हें मुफ्त में हंसाना सिखाएंगे। उन्होंने पूर्वी इलाके के लोगों को मजीठा हल्के के लोगों की तरह दिल से प्यार करेंगे और ऐसी विकास की तस्वीर पेश करेंगे, जो पिछले 18 सालों में नहीं हुई। सिद्धू को सिर्फ लड़ना आता है और लोगों के सामने झूठ का नमूना पेश करना आता है। उधर पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने स्वार्थ के लिए पंजाब की सुरक्षा के साथ समझौता करने वालों को देश की बागडोर नहीं सौंपी जा सकती। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के जिस सेना प्रमुख के इशारे पर हर दिन सीमा पर भारतीय सैनिक मारे जा रहे हैं, उनके साथ सिद्धू गले मिलते हैं और पाक पीएम इमरान खान से दोस्ती का दम भरते हैं।

बलोच सेना ने मारे 100 पाकिस्तानी सैनिक

बलोच मुक्ति सेना (बीएलए) के विद्रोहियों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले बलोचिस्तान प्रांत के पंजपुर, नशूरी इलाके में पाकिस्तानी सेना के फ्रंटियर कोर के दो ठिकानों पर भीषण हमला कर 100 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने का दावा किया है। बताया जा रहा है कि हमले में पाक सेना के फ्रंटियर कोर के आईजी मेजर जनरल अयमान बिलाल सफदर की भी मौत हो गई है। हालांकि पाकिस्तानी सेना ने बीएलए के विफल होने का दावा करते हुए कहा कि हमले में 10 सैनिकों की मौत हुई, जबकि 15 से ज्यादा विद्रोहियों को मार गिराया। पाकिस्तानी सेना ने शुरुआत में केवल एक सैनिक के मारे जाने का दावा किया था। लेकिन बाद में पाकिस्तान प्रमुख जनरल बाजवा ने 10 सैनिकों की मौत की बात स्वीकार कर ली। वहीं बीएलए के प्रवक्ता जियाद बलोच ने बयान में दावा किया कि 100 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई है। पाक सेना ने हमले के बारे में मीडिया में खबरें प्रसारित करने से रोक लगा दी है। इलाके में इंटरनेट और फोन बंद कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने हमले को विफल करने के लिए पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की तारीफ करते हुए कहा कि पूरा देश पाकिस्तानी सेना के साथ खड़ा है। कब्जे का विरोध कर रहे बलोच कबीलों के इलाकों पर पाक सेना ने कहर बरपा रखा है। परेशान बलोचों ने हथियार उठाए और 2000 लोगों ने बीएलए बनाई। इतना बड़ा हमला और इतने सैनिकों के हताहत होने वाली यह घटना बहुत बड़ी है। 100 सैनिक मारे गए आम घटना नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 10 February 2022

चुनाव में डेरा सच्चा सौदा

दुष्कर्म और हत्या का दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा सोमवार को 21 दिन की फरलो पर जेल से रिहा कर दिया गया। वह 2017 से हरियाणा की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। पंजाब में 20 फरवरी को मतदान होना है। ऐसे में मतदान से 13 दिन पहले हरियाणा सरकार ने उसे रिहा कर पंजाब की मालवा बेल्ट में नए पेंच डाल दिए हैं। पंजाब में सत्ता का रास्ता मालवा बेल्ट से होकर निकलता है। यहां राज्य की कुल 117 सीटों में से 69 सीटें हैं। इनमें से 47 सीटों पर डेरा सच्चा सौदा का सीधा प्रभाव रहा है। मालवा की 25 सीटें तो ऐसी हैं जहां 15 से 20 हजार वोटर डेरे के अनुयायी हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने 10 दिन पहले ही श्रीगुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में डेरा अनुयायियों को साजिशकर्ता करार देते हुए कोर्ट में चालान पेश किया है। इसलिए डेरा अनुयायी कांग्रेस से नाराज हैं। पंजाब में राजनीति करने वाले शिरोमणि अकाली दल से डेरा पहले ही दूर हो चुका है। मालवा बेल्ट में आम आदमी पार्टी मजबूत आधार बना चुकी है और इसी बेल्ट के दम पर वह सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसलिए कांग्रेस अपने सीएम कैंडिडेट चरणजीत सिंह चन्नी को मालवा बेल्ट से चुनाव लड़ा रही है, लेकिन अब डेरा प्रमुख का जेल से बाहर आना कांग्रेस के लिए चिंता का बड़ा कारण बन चुका है। पंजाब में इस बार बहुकोणीय मुकाबला है। ऐसे में जो उम्मीदवार जीतेगा, उसकी जीत का अंतर भी कम होगा। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ऐसी स्थिति में राम रहीम अपने समर्थकों को किसी एक दल को वोट करने को कहते हैं तो इस बात का चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि गुरमीत को फरलो मिलने का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन साल की सजा काटने के बाद कैदी का फरलो मांगना निजी अधिकार है। जेल प्रशासन ने सभी पहलुओं पर काम करके यह अनुमति दी है।

जब बीसीसीआई को संकट से निकाला लता ने

कपिल देव की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने जब लॉर्ड्स की बालकनी पर विश्व कप थामा था तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और इंदिरा गांधी सरकार के धाकड़ मंत्री दिवंगत एनकेपी साल्वे के सामने यक्ष प्रश्न था कि इस शानदार ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने के लिए धन कहां से आएगा? उस समय भारतीय क्रिकेट दुनिया की महाशक्ति नहीं बना था और आज के क्रिकेटरों की तरह धन-वर्षा भी उस समय के क्रिकेटरों पर नहीं होती थी। आज बीसीसीआई के पास पांच अरब डॉलर का टीवी प्रसारण करार है लेकिन तब खिलाड़ियों को बामुश्किल 20 पाउंड दैनिक भत्ता मिलता था। साल्वे ने समाधान के लिए राज सिंह डूंगरपुर से सम्पर्प किया। उन्होंने अपने करीबी दोस्त और क्रिकेट की दीवानी लता मंगेशकर से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक कन्सर्ट करने का अनुरोध किया। खचाखच भरे स्टेडियम में दो घंटे का कार्यक्रम किया। बीसीसीआई ने उस कन्सर्ट से काफी पैसा एकत्र किया और सभी खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपए दिए गए। सुनील वाल्सन ने कहा कि उस समय यह बड़ी रकम थी। वरना हमें दौरे से मिलने वाला पैसा और दैनिक भत्ता बचाकर पैसा जुटाना होता जो 60 हजार रुपए होता। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने हमसे पांच हजार या 10 हजार रुपए देने का वादा किया जो काफी अपमानजनक था। लता जी ने ऐसे समय में यादगार कन्सर्ट किया। बीसीसीआई उनके इस योगदान को नहीं भूला और सम्मान के तौर पर भारत के हर स्टेडियम में अंतर्राष्ट्रीय मैच के वीवीआई पास उनके लिए रखे जाते थे। मुंबई के एक वरिष्ठ खेल पत्रकार मकरंद वैंगणकर ने कहा कि लता जी और उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर ब्रेबोर्न स्टेडियम पर हमेशा टेस्ट मैच देखने आते थे। चाहे वह कितनी भी व्यस्त हों, 70 के दशक में हर मैच देखने आती थीं। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 8 February 2022

भारत में अब प्रधानमंत्री नहीं, राजा है

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर महामारी के बीच प्रदर्शनकारी किसानों को एक साल के लिए सड़कों पर छोड़ने का आरोप लगाया और कहा कि भारत में अब एक राजा है जिसे लगता है कि उसके निर्णय लिए जाते समय लोगों को चुप रहना चाहिए। किच्छा की एक रैली में किसानों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहाöकांग्रेस एक ऐसी सरकार देना चाहती है जो किसानों, युवाओं और गरीबों के साथ साझेदारी में काम करे। उन्होंने यहां उत्तराखंडी किसान स्वाभिमान संवाद रैली को संबोधित करते हुए कहाöअगर कोई प्रधानमंत्री सभी के लिए काम नहीं करता है तो वह प्रधानमंत्री नहीं हो सकता। उस हिसाब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं हैं। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाöकिसानों ने कर्जमाफी के लिए उनसे सम्पर्प किया और यह 10 दिन के भीतर किया गया तथा उन्हें 70 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी दी गई। राहुल गांधी ने कहाöयह कोई मुफ्त उपहार नहीं था। हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि आप देश के लिए 24 घंटे काम करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहाöकांग्रेस ने कभी किसानों के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए, हम किसानों, गरीबों और मजदूरों के साथ साझेदारी में काम करना चाहते हैं ताकि हर वर्ग को लगे कि यह उनकी सरकार है। उन्होंने कहाöमोदी ने एक साल के लिए कोविड और ठंड के बीच किसानों को सड़कों पर छोड़ दिया तथा शिकायतों को सुनने के लिए किसानों को आमंत्रित तक नहीं किया। राहुल ने आरोप लगायाöभारत में आज प्रधानमंत्री नहीं है। इसका एक राजा है, जो मानता है कि जब राजा निर्णय लेता है तो बाकी सभी को चुप रहना चाहिए। समाज में धन के अंतर का उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने दो भारत होने की बात कही। इस तरह की आय असमानता कहीं और नहीं देखी जाती है। उन्होंने कहाöहमारे पास एक अमीर उद्योगपतियों, पांच सितारा होटलों और मर्सिडीज कारों का भारत है और दूसरा गरीबों एवं बेरोजगारों का भारत है, जहां महंगाई बढ़ रही है। लगभग 100 लोगों के एक चुनिंदा समूह के पास भारत की 40 प्रतिशत आबादी के बराबर सम्पत्ति है। ऐसी आय असमानता कहीं और नहीं देखी जा सकती है। गांधी ने कहाöहम दो भारत नहीं बल्कि एक भारत चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अन्याय समाप्त हो। उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध करने के मुद्दे पर किसानों को बधाई दी, जिन्हें अंतत भाजपा नीत केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया है।

इतिहास का सबसे बंटा शीत ओलंपिक

इतिहास का सबसे बंटा हुआ शीतकालीन ओलंपिक का आगाज चीन के बीजिंग शहर में शुक्रवार को शुरू हो गया। स्कीयर आरिफ खान ने शुक्रवार को शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के दौरान छोटे से चार सदस्यों के भारतीय दल की अगुवाई की। खेलों में भी राजनीति को शामिल करना चीन को भारी पड़ा है। चीन की कुटिल चालों से वैसे ही पूरी दुनिया परेशान है, लेकिन इस बार उसने भारत को उकसाने वाली जो हरकत की है उसने भारत को बेहद नाराज कर दिया है। बीजिंग के शीतकालीन ओलंपिक की मशाल रिले में पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में बुरी तरह घायल हो चुकी चीनी सेना (पीएलए) के एक सैनिक कमांडर की फाबाओ को शामिल करने की भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। परिणामस्वरूप भारत ने शीतकालीन ओलंपिक खेल के उद्घाटन और समापन समारोहों का राजनयिक बहिष्कार कर दिया है। इस ओलंपिक को कई कारणों से दशकों तक याद रख जाएगा। सबसे पहले तो कोरोनाकाल में इसका आयोजन हो रहा है। दूसरा, दुनिया के कई देशों ने मानवाधिकार के हनन को लेकर इसका राजनयिक बहिष्कार किया है। भारत भी इस फेहरिस्त में शामिल है। अमेरिका ने सबसे पहले इसके राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड ने भी इसका बहिष्कर किया। भारत और दुनिया के कई देशों के बहिष्कार के बीच में खेल शुक्रवार से शुरू हो गए। राजनयिक बहिष्कार एक सांकेतिक विरोध है, इसका खेलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आधिकारिक तौर पर कोई बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सभाओं और प्रमुख शिखर सम्मेलनों में हिस्सा नहीं लेते हैं। हालांकि खिलाड़ी शिरकत करते हैं। राजनयिक बहिष्कार के पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला दिया। इसको चीन के शिनजियांग में मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न के खिलाफ उठाया गया। प्रतिनिधित्व को भेजना उत्पीड़न को नजरंदाज करने जैसा है। हालांकि पश्चिमी देशों के राजनयिक बहिष्कार से बौखलाए चीन ने उनको भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी है, साथ ही ड्रैगन ने इसको लेकर अमेरिका पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। -अनिल नरेन्द्र

मेरी आवाज ही पहचान है

लता मंगेशकर ने यूं तो लगभग आठ दशकों में हजारों गीतों को अपनी आवाज से सजाया, हालांकि कुछ ऐसे गीत रहे जिनसे उनका बेहद गहरा जुड़ाव बन गया और स्वर कोकिला ने कई बार इन गीतों का जिक्र भी किया। लता जी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अब भी इस बात को याद करती हैं कि किस तरह दिग्गज गीतकार गुलजार के शब्द मेरी आवाज की पहचान हैं, संगीत की दुनिया में उनकी यात्रा को दर्शाते हैं, उनके प्रशंसक उनकी आवाज से ही उनकी पहचान को जोड़ते हैं। यह शब्द वर्ष 1977 में आई फिल्म किनारा के गीत नाम गुम जाएगा के हैं। लता जी ने कहा थाöदेश में हर व्यक्ति जानता है कि गुलजार साहब खूबसूरत लिखते हैं। वह बहुत खूबसूरत बोलते भी हैं। जब मैं यह गीत गा रही थी, वह मेरे पास आए और कहाöमेरी आवाज ही पहचान है और यह पहचान और इसके बाद, मैंने भी यह कहना शुरू किया कि मेरी आवाज ही मेरी पहचान है। अब जो भी इस गीत को गाता है या मेरे बारे में लिखता है वह इन पंक्तियों को जरूर दोहराता है। कुछ प्रतिभाएं बनती हैं और कुछ पैदा हो जाती हैं। वह जैसे संगीत के लिए ही पैदा हुई थीं। जीते जी किवदंती बन गईं लता मंगेशकर ने जैसी ख्याति, लोकप्रियता और सम्मान पार्श्व संगीत की दुनिया में अर्जित किया था, वैसा शायद दुनिया में किसी ने भी नहीं किया। लता जी दुनियाभर में बहुत सारे लोगों के लिए प्रेरणा पुंज थीं। उनके व्यक्तित्व से सरस्वती की प्रतिभा उभरती थी। साधना तो सब करते हैं, पर वह उन्हीं में फलीभूत होती हैं, जिनकी प्रतिभा का आयतन विराट हो। भारतीय संगीत जगत में लोकप्रियता के स्वर पर सुर की सरस्वती लता मंगेशकर जैसा दूसरा नहीं हुआ। उनका जाना निश्चित तौर पर संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। उनकी सुरीली और मखमली आवाज में जो कशिश और रुहानियत थी, वह सुनने वालों के दिलों को गहराई से छूती थी। 80 साल तक संगीत के आसमान में ध्रुव तारे के समान चमकती रहीं। अनूठी गायिका को पूरी सदी का महानायक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रविवार सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में विस्मय विमुग्ध करने वाली लता की आवाज हमेशा के लिए लुप्त हो गई। फिल्मी दुनिया में पार्श्व गायिका के रूप में आठ दशक तक राज करने वाली लता जी ने अनगिनत गानों को अलग-अलग स्वाद में, भाषा में गया। वह शास्त्राrय सुगम संगीत, गजल, भजन आदि की मलिका लता जी के बारे में शास्त्राrय गायन की महान हस्ती उस्ताद बड़े गुलाम अली ने कहा थाöयह कमबख्त कभी बेसुरा नहीं होती। इंदौर में जन्मी लता जी के पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी नाटक और शास्त्राrय संगीत के प्रखर गायक और संगीतकार थे। नैसर्गिक प्रतिभा की धनी लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में ही पिता की निगरानी में संगीत के सुर सीखने शुरू कर दिए थे। उनके नाम से कई कीर्तिमान दर्ज हैं, तो बहुत सारे सम्मान उनके नाम से जुड़कर खुद धन्य हुए। सबसे अधिक भाषाओं में और सबसे अधिक गीत गाने का कीर्तिमान उन्हीं के नाम दर्ज है। उनके गाने से ऐसा लगता है जैसे सरस्वती लीन हो गई हो। मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी है, जिनका रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। अभिनेता ने अपने निजी ब्लॉग पर लता मंगेशकर को लाखों सदियों की आवाज के रूप में वर्णित किया। उन्होंने लिखाöवह हमें छोड़ गई हैं... एक लाख सदियों की आवाज हमें छोड़ गई है... शांति और शांति के लिए प्रार्थना। लता जी के जाने की पंक्ति को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।

ओवैसी पर हमला

हापुड़ के छिजारसी टोल पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गोलियां चलाने की घटना ने संसद से सड़क तक सियासत को गरमा दिया है। पुलिस ने दोनों हमलावरों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। आरोपियों के खिलाफ ओवैसी के मित्र और करीबी यासीन खान ने मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपी सचिन ने बताया कि वह ओवैसी की बयानबाजी से क्षुब्ध था जिसके चलते 2017 में उसने हमले की योजना बनाई। गौतमबद्ध नगर के बादलपुर थाना क्षेत्र के दुश्याई गांव का रहने वला बताया गया है। शुभम सहारनपुर के नकुड़ थाने के सापला बेगमपुर का रहने वाला है। हापुड़ पुलिस ने सहारनपुर पुलिस को उसके संबंध में जानकारी भेजी है और खोजबीन कराई जा रही है। प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि ओवैसी की कार पर फायरिंग करने वाले शुभम और सचिन नामक युवकों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से एक पिस्टल बरामद की गई है। गिरफ्तार युवकों के खिलाफ धारा 307, धारा 7 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। काफिले में शामिल अगसर ने बताया कि दो युवक कार से आए और टोल गेट पर कार खड़ी करके बूथ के पास खड़े हो गए। जब ओवैसी साहब की गाड़ी बूथ पर धीमी हुई तभी उन्होंने गोली चला दी। मैंने युवकों के हाथ में पिस्टल देखी तो अपनी गाड़ी से उन्हें टक्कर मारी। एक युवक वहीं गिर गया जबकि दूसरा भाग गया। इधर सांसद ओवैसी ने शुक्रवार को लोकसभा में अपने ंऊपर हापुड़ में हुए हमले को लेकर कहा कि मुझे जैड सिक्यूरिटी नहीं चाहिए। मैं मौत से डरता नहीं हूं। हम सभी को एक दिन दुनिया से जाना है। ओवैसी को लोकसभा स्पीकर ने बोलने से रोका तो उन्होंने कहा कि मैं यहां नहीं बोलूंगा तो कहां बोलूंगा? उन्होंने कहाöहमें नफरत को मिटाना है। हरिद्वार धर्म संसद में मेरे बारे में क्या-क्या कहा गया है? मेरे ऊपर गोली चलाने वालों पर यूएपीए क्यों नहीं लगाई गई? मुझे सुरक्षा नहीं चाहिए, देश का गरीब सुरक्षित होना चाहिए। यूपी की जनता गोली चलाने वालों को बुलैट का जवाब बैलेट से देगी। इस बात का यकीन है। हम इस कायराना हमले की निंदा करते हैं। सियासी मतभेद हो सकते हैं पर इसके लिए हिंसा पर उतरना स्वीकार नहीं। मामले की जांच होनी चाहिए और पूरी साजिश का पता लगना चाहिए। ओवैसी साहब से हमारे मतभेद हो सकते हैं पर ऐसे कायराना हमले को कभी स्वीकार नहीं कर सकते। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 6 February 2022

दो पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने

नैनीताल की लालकुआं सीट पर दिलचस्प चुनाव होने वाला है। यहां दो पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व पूर्व सीएम हरीश रावत। शनिवार को भाजपा नेता व पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने तीखा हमला किया। विजय बहुगुणा ने कहा कि हरीश रावत के लिए लालकुआं राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगा। इस पर हरीश रावत ने जवाबी हमला करते हुए कहाöलालकुआं से निकले अमृत से पूरे प्रदेश का भला होगा। उन्होंने बाहरी और पैराशूट कहने वाले भाजपाई संकीर्ण मानसिकता के हैं। हल्द्वानी के भाजपा संभाग कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने कहा कि लालकुआं हरीश रावत के लिए राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगा। उत्तराखंड में दल बदलने का सिलसिला अब भी जारी है। चुनाव से एक साल पहले दल बदलने वालों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था बनाने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरक सिंह का हरीश रावत से माफी मांगकर कांग्रेस में जाने का फैसला गलत होगा। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के तीखे बयान पर हरीश रावत ने नरम अंदाज में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुझे तो लालकुआं राजनीतिक मौत का कुआं नहीं बल्कि अमृत का पुंड लगता है। इस अमृत पुंड से भविष्य में लालकुआं के लोगों के साथ-साथ पूरे प्रदेश का भला होगा। उन्होंने कहा कि पता नहीं लालकुआं के प्रति वह कैसी भावना रखते हैं। जिस वजह से लालकुआं उन्हें मौत का कुआं लगता है। मुझे यहां अमृत नजर आया। भाजपा की संकीर्ण मानसिकता वाले लोग उन्हें बाहरी और पैराशूट प्रत्याशी बना रहे हैं। हमें लगता है कि लालकुआं से हरीश रावत को हराना आसान नहीं। पर चुनावों का क्या कहा जा सकता है कि किस करवट ऊंट बैठे? -अनिल नरेन्द्र

अमेरिका ने ऐसे किया आईएस सरगना को ढेर

अमेरिका ने दावा किया है कि चरमपंथी गुट इस्लामिक स्टेट के नेता अबू इब्राहिम-अल-हाशमी अल-कुरैशी की एक अमेरिकी कार्रवाई में मौत हो गई है। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुद देर रात हुई इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहाöदुनिया के लिए एक बड़े आतंकी खतरे को दूर कर दिया गया है। इस हमले में अल-कुरैशी के अलावा इस संगठन के उपनेता और कई अन्य लोगों की मौत की भी खबर है। वहीं कार्रवाई में शामिल सभी अमेरिकी सुरक्षित वापस लौट आए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने उपनेता का नाम नहीं बताया है लेकिन महीनों तक चली प्लानिंग का ब्यौरा दिया है जिसके बाद आखिर सीरिया के इदलिव प्रांत में घुसकर यह ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन का टारगेट थे-इस्लामिक स्टेट के नेता अबू इब्राहिम अल-हाशमी अल-कुरैशी कुख्यात चरमपंथी जिन्हें डिस्ट्रॉयर के नाम से भी जाना जाता था, साल 2019 में अबू बक्र अल-बगदादी की मौत के बाद अल-कुरैशी को इस्लामिक स्टेट का नेता बनाया गया। बगदादी की मौत के चार दिन बाद ही यह घोषणा हो गई कि समूह अब उल कुरैशी के नेतृत्व में काम करेगा। साल 1976 में जन्मे अल-कुरैशी पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। जब खुफिया रिपोर्ट से पता चला कि अल-कुरैशी अपने परिवार के साथ सीरिया के आतमेह कस्बे में रह रहा है। तुर्की की सीमा के पास इदलिव प्रांत में आने वाला यह इलाका जेहादी गुटों का गढ़ है जो इस्लामिक स्टेट का धुर विरोधी है। साथ ही वहां तुर्की समर्थित विद्रोही भी यहां सक्रिय हैं जो सीरिया की सरकार का विरोध कर रहे हैं। खुफिया जानकारी थी कि अल-कुरैशी वहां एक तीन मंजिला रिहायशी इमारत की दूसरी मंजिल पर रहे हैं। कुरैशी वहीं से कुरियर के जरिये अपने आदेश सीरिया और उक्त जगहों पर भेजकर समूह को चलाते थे। वो कभी भी घर से बाहर नहीं निकलता था। सिर्प नहाने के लिए बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर जाता था। हमला करने के तरीकों पर विस्तार से अध्ययन किया गया ताकि आम नागरिकों को खतरा न हो। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जमीन के रास्ते हमला बोलने के बारे में अध्ययन किया गया। रिहायशी इमारत का मॉडल बनाया गया। इंजीनियरों ने यह समझा कि अगर विस्फोट से बिल्डिंग को उड़ाया गया तो कैसी स्थिति बनेगी। बाइडन को दिसम्बर में इस संभावित ऑपरेशन के बारे में बताया गया। उन्होंने मंगलवार को कार्रवाई की अनुमति दी। गुरुवार की आधी रात कई अमेरिकी हैलीकॉप्टरों आतमेह पहुंचने लगे। अमेरिका स्पेशल फोर्सेज को आतमेह में कड़ी टक्कर मिल रही थी। गाड़ियों पर बंधे एंटी-एयर क्राफ्ट गन से जवाबी कार्रवाई की जा रही थी। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता किब्री ने बताया कि अमेरिकी सेना ने आठ बच्चों समेत 10 लोगों को इमारत से बाहर निकाला। कार्रवाई में मारे लोगों में कुरैशी के एक सहयोगी और उनकी पत्नी शामिल हैं जो अमेरिकी सेना पर फायरिंग कर रहे थे। ऑपरेशन के बारे में पता चलता है कि कुरैशी ने तीसरी मंजिल पर विस्फोट कर दिया, जिसमें खुद कुरैशी, उनकी पत्नी और दो बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद फिंगर प्रिंट और डीएनए से अल-कुरैशी की पहचान हुई। बगदादी की तरह खुद को उड़ाया कुरैशी ने। ठीक उसी तरह से साल 2019 में अमेरिकी फोर्स की कार्रवाई के वक्त अबू बक्र अल बगदादी ने खुद को उड़ा लिया था। बगदादी के साथ ही उनके तीन बच्चे भी विस्फोट में मारे गए थे। टारगेट अतिमहत्वपूर्ण कैटेगरी में होते हैं। जैसे साल 2001 में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन पर कार्रवाई के लिए टीम भेजी गई थी। अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के मुखिया को मारकर आतंक के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है।

Saturday 5 February 2022

75 साल पुराने पेड़ों का संरक्षण

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक नई अनूठी पहल की है। हरियाणा में 75 वर्ष पुराने पेड़ों के संरक्षकों को प्रदेश सरकार हर साल 2500 रुपए पेंशन देगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को वर्ल्ड वेटलैंड-डे पर सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि संरक्षकों को पेंशन देने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। इस मौके पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि आज गुजरात के खिजाड़िया वन्य जीव विहार और उत्तर प्रदेश के बखीरा वन जीव विहार को रामसर स्थलों में शामिल किया गया है। देश में रामसर साइट की संख्या 49 हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में दो वेटलैंड हैं। सुल्तानपुर और भिंडावास में हर साल हजारों पक्षी आते हैं। सुल्तानपुर में 100 से अधिक प्रजातियों के 50 हजार पक्षियों का आगमन होता है। वहीं भिंडावास में भी 80 के करीब प्रजातियों के 40 हजार पक्षी आते हैं। दोनों झीलों के आसपास के इलाके को होम स्टे पॉलिसी के तहत विकसित किया जाएगा। उनके आसपास के गांवों में ग्रामीणों के यहां पर्यटक ठहर सकेंगे और इससे वह ग्रामीण संस्कृति को भी समझ सकेंगे। श्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पौंड अथारिटी बनाकर 1900 तालाबों को इसी साल ठीक कराने का बीड़ा उठाया है। इसके साथ ही प्रदेश के सभी 18 हजार तालाबों को साफ किया जाएगा। उन्होंने ई-कार्ट से पक्षियों को भी निहारा। हरियाणा सरकार की इस पर्यावरण संबंधी घोषणा का स्वागत है। ग्लोबल वार्मिंग के दौर में ऐसी स्कीमों की पूरे देश में सख्त जरूरत है। इसका दुप्रभाव तो हम देख ही रहे हैं। मौसम में कितना परिवर्तन आ रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए हरियाणा ने पहल की है उसका हम स्वागत करते हैं।

रामपुर की रोमांचक सियासी जंग

चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का, सियासत में रोमांस ढूंढने वालों की नजर उत्तर प्रदेश के रामपुर पर जरूर होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि यहां कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर होती है। रामपुर सपा के कद्दावर नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है। आजम खान पिछले कई चुनावों में अपना सियासी दबदबा रखने में कामयाब रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं। आजम खान इस बार फिर मैदान में हैं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने जहां नवाब काजिम अली खान उर्प नवेद मियां को उतारा है तो वहीं भाजपा के टिकट पर आजम खान के धुर विरोधी आकाश सक्सेना ताल ठोंक रहे हैं। सक्सेना ने ही आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी डॉ. तजीन फात्मा के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराए हैं। बसपा ने इस सीट पर सदाकत हुसैन को प्रत्याशी बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने फैसल खान लाला पर दांव लगाया है। चुनावी इतिहास की बात करें तो 1980 के बाद से अब तक सिर्प 1996 में आजम खान को हार का सामना करना पड़ा था। आजम खान पिछले 23 माह से जेल मेंहैं। उनके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, उसको मुद्दा बनाकर सपा मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में है। वहीं भाजपा की कोशिश है कि आजम विरोधी वोटों का बिखराव नहीं होने पाए। क्योंकि रामपुर में आजम खान के पक्ष-विपक्ष में लोग बंटे हुए हैं। कांग्रेस के नवेद मियां खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर रहे हैं। उनकी भी कोशिश आजम के सियासी वर्चस्व को तोड़ने पर है। रामपुर की सियासी जंग में उतरने वाले हर राजनीतिक दल के लिए मुद्दा आजम खान ही हैं। रामपुर शहर विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है। शुरुआत में तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसमें नवाब परिवार के सहयोग से ही कांग्रेस की जीत हासिल होती रही। किन्तु इसके बाद नवाब परिवार का दबदबा कम होता गया और 1980 में आजम खान पहली बार नगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। यह चुनाव उन्होंने चौधरी चरण सिंह की जनता पार्टी सेक्युलर से लड़ा था। इसके बाद लोकदल, जनता दल और जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1993 में पहली बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और जीते, लेकिन 1996 में उन्हें कांग्रेस के अफरोज अली खान ने हरा दिया। तब आजम खान समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्यसभा सदस्य बने थे। इसके बाद से 2002 से लेकर 2017 तक सपा से उन्होंने बतौर विधायक जीत हासिल की। 2019 में उन्होंने सपा से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को चुनाव लड़ाया और वह जीत गईं। रामपुर की इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

सबसे छोटे राज्य में बड़ा सियासी घमासान

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में देश की निगाहें सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर लगी हैं, मगर सबसे छोटे राज्य गोवा का चुनावी घमासान भी कम दिलचस्प नहीं है। भाजपा से लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) तक कोई भी दल इस घमासान में अछूता नहीं है। वैसे गोवा में पाला बदलने से लेकर विद्रोही तेवरों का रंग सबसे अधिक सत्ताधारी भाजपा को परेशान कर रहा है। गोवा के चुनाव में सियासी पाला बदलने की शुरुआत चार महीने पहले राज्य में तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक एंट्री से हुई थी जब उसने कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फेलेरियो को तोड़ लिया था। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा और राज्य के कुछ स्थानीय पार्टियों के नेताओं को भी तोड़ा। मगर राज्य में चुनाव के ऐलान के बाद बड़े घमासान का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को हुआ है। सरकार के कद्दावर मंत्री माइकल लोबो भाजपा से खटपट के बाद कांग्रेस में जाकर अपनी पत्नी दिलाइल लोबो को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। लोबो के पाला बदलने से उनके प्रभाव वाली आधा दर्जन सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना भी पार्टी के चुनावी नेरेटिव को झटका दे रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपद नाइक के बेटे सिद्धेश नाइक ने बतौर निर्दलीय नामांकन तो नहीं किया, मगर नाराजगी जाहिर कर दी है। गोवा के चुनावी दंगल में हाई-प्रोफाइल नेताओं के स्तर पर भाजपा की अंदरूनी उठापटक का आलम यह है कि राज्य के एक उपमुख्यमंत्री बाबू कवडेकर की पत्नी सावित्री कवडेकर टिकट न मिलने के बाद भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। भाजपा के अन्य विधायक कार्लोस अल्मेडा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अभी तक की स्थिति तो यह लगती है कि गोवा में कांग्रेस का पलड़ा भारी है। -अनिल नरेन्द्र

Friday 4 February 2022

कसौटी पर होगा योगी सरकार के मंत्रियों का कामकाज

विधानसभा चुनाव में योगी सरकार के कामकाज का भी इम्तिहान होगा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की लोकप्रियता तो अपनी जगह जरूर है। लेकिन खुद भी मंत्रियों की परफार्मेंस की परख जनता करेगी। चुनावी नैया को पार लगाने में आठ मंत्री तो पहले ही चरण के चुनाव में इस तरह की अग्नि परीक्षा देने जा रहे हैं। चुनाव में इन दिनों मुफ्त बिजली का मुद्दा भी है और गन्ना किसानों, जानवरों व गोववंश आश्रय स्थल का भी। इन मंत्रियों में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा गन्ना मंत्री सुरेश राणा व पशुपालन मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के कामकाज की भी परीक्षा होगी है। इसके अलावा स्वतंत्र प्रभार के व्यावसायिक शिक्षा मंत्री कपिल अग्रवाल भी मैदान में हैं। पहले चरण में पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में इन मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। प्रदेश सरकार के मंत्री होने के नाते भाजपा को उनसे उम्मीदें भी हैं और उनके चुनाव सबकी निगाहों में भी हैं। पिछले चुनाव के समय सपा सरकार में थी। उसमें शिवपाल यादव, रामगोविंद चौधरी, दुर्गा यादव, महमूद अली, रघुराज प्रताप सिंह, मनोज पांडे, नितिन अग्रवाल, आजम खान, पारस नाथ यादव व शैलेन्द्र यादव समेत एक दर्जन मंत्री जीत पाए थे, लेकिन दो दर्जन से ज्यादा मंत्री चुनाव हार गए थे। इनमें अरविंद सिंह गोप, शिव प्रसाद यादव, शशिकांत, गोपाल ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी, रविदास मेहरोत्रा पवन पांडे, जियाउद्दीन रिजवी, अवधेश प्रसाद, गायत्री प्रजापति, राममूर्ति वर्मा, मदन चौहान, कैलाश चौरसिया व अभिषेक प्रमुख हैं। मथुरा से श्रीकांत शर्मा की सीट पर सपा-रालोद गठबंधन से देवेन्द्र अग्रवाल, बसपा के एके शर्मा व कांग्रेस के प्रदीप माथुर मैदान में हैं। अतरौली से संदीप सिंह (भाजपा के कद्दावर नेता कल्याण सिंह के पौत्र) दोबारा मैदान हैं। यहां सपा-रालोद गठबंधन से वीरेश यादव, बसपा से ओमवीर मैदान में हैं। गाजियाबाद से स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग का मुकाबला सपा-रालोद गठबंधन के विशाल वर्मा, बसपा के कृष्ण कुमार व कांग्रेस के सुशांत गोयल से है। छाता की प्रतिष्ठित सीट पर ठाकुर तेजपाल सिंह सपा-रालोद से लड़ रहे हैं तो बसपा से मोहन पाल सिंह और कांग्रेस से पूनम देवी मैदान में हैं। इसी तरह (शिकारपुर) बुलंदशहर की सीट पर मंत्री अनिल शर्मा के मुकाबले पर रालोद के किरनपाल हैं तो बसपा के मोहम्मद रफीक व कांग्रेस के जियाउर रहमान भी टक्कर दे रहे हैं। मुजफ्फरनगर की प्रतिष्ठित सीट पर व्यावसायिक शिक्षा राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल को अपने कामकाज पर भरोसा है। रालोद के सौरभ स्वरूप, बसपा के पुष्पाकर पाल भी मजबूती से लड़ रहे हैं। आगरा कैंट से राज्यमंत्री जीएस धर्मेश को चुनौती देने के लिए सपा-रालोद से कुंवर भद्र एडवोकेट, बसपा से मानेन्द्र अरुण हैं। कांग्रेस से सिकन्दर सिंह मैदान में हैं। सभी की निगाहें पहले चरण के मतदान पर टिकी हुई हैं।

एक बार फिर हूतियों ने अबुधाबी पर हमला किया

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कहा कि उसने यमन के हूति विद्रोहियों की तरफ से दागी गई एक बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर दिया है। हूती विद्रोहियों का यह हमला ऐसे समय हुआ है जब इजराइल के राष्ट्रपति आईजैक हर्जोग अमीरात की यात्रा पर हैं। यह किसी इजरायली राष्ट्रपति की पहली यूएई यात्रा है। यूएई के रक्षामंत्रालय ने सोमवार को कहा कि मिसाइल को रास्ते में ही रोक कर नष्ट कर दिया गया है। इससे किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। बताया गया कि मिसाइल का मलबा एक निर्जन क्षेत्र में गिरा। हालांकि बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि मिसाइल का निशाना यूएई की राजधानी अबुधाबी थी या दुबई को निशाना बनाकर हूतियों ने मिसाइल हमला किया था। यूएई की समाचार एजेंसी वाम के मुताबिक देश के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने कहा कि हमले के बावजूद देश में हवाई यातायात सामान्य रूप से जारी है। सोमवार का हमला तब हुआ जब इजरायली राष्ट्रपति आईजैक हर्जोग अबुधाबी में यूएई के शासक शेख मुहम्मद बिन जायद रूल रहमान के साथ सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा कर रहे हैं। एक इजरायली अधिकारी ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि राष्ट्रपति आईजैक हर्जोग ने रात अबुधाबी में बिताई। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि हूती हमले के बावजूद राष्ट्रपति अपनी यूएई यात्रा जारी रखेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले सप्ताह एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की थी और चेतावनी दी थी कि यूएई में लगातार मिसाइल या ड्रोन हमलों का जोखिम है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक ट्वीट में आलोचना कर कहा-ऐसे समय जब इजरायल के राष्ट्रपति पूरे क्षेत्र में बातचीत और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अरब अमीरात का दौरा कर रहे है, हूतियों ने नागरिकों के लिए खतरा पैदा करने वाले हमले जारी रखे हैं। हूतियों ने पहले भी मिसाइलें दागी हैं। इनमें से एक तो अबुधाबी में गिरी भी। मध्यपूर्व की स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है।

अकेले कार चलाते समय मास्क लगाना बेतुका

हाई कोर्ट ने कोरोना के दौरान अकेले कार चलाते समय मास्क लगाने के दिल्ली सरकार के आदेश को बेतुका करार दिया है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि यह बेतुका फैसला अब तक लागू क्यों है? यह दिल्ली सरकार का आदेश है, आप इसे वापस क्यों नहीं ले लेते हैं? यह क्या बात है कि आप अपनी ही कार में अकेले बैठे हैं और आपको मास्क भी लगाना है। न्यायमूर्ति जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसजीत सिंह की पीठ ने कहा, आप इस मुद्दे पर सरकार से जवाब लेकर स्पष्ट करें। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कोर्ट में एक घटना का जिक्र किया, जिसमें मास्क नहीं पहनने के कारण एक व्यक्ति का चालान किया गया था। दरअसल वह व्यक्ति मां के साथ एक कार में था और कॉफी पी रहा था। उस समय खिड़की का शीशा बंद था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश के 7 अप्रैल 2021 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने निजी कार चलाते समय मास्क नहीं पहनने पर चालान काटने के दिल्ली सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। वकील ने कहा, कार में अकेले बैठे व्यक्ति का 2000 रुपए का चालान किया जा रहा है। एकल न्यायाधीश का आदेश बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आदेश पारित किया था तब स्थिति अलग थी और महामारी लगभग खत्म हो गई थी। इस पर पीठ ने कहा, प्रारंभिक आदेश तो दिल्ली सरकार ने ही पाfिरत किया था, जिसको तब एकल न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी गई थी। मेहरा ने कहा कि यह दिल्ली या केन्द्र सरकार जिस किसी का आदेश है अनुचित है। इस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और खंडपीठ को आदेश को रद्द करना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 2 February 2022

फ्री गिफ्ट के वादों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

चुनाव के दौरान फ्री में बिजली-पानी या अन्य सुविधाएं देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि मुफ्तखोरी के वादे करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया जाए और चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस याचिका पर केंद्र व भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि निस्संदेह यह गंभीर मसला है। इससे मतदाता और चुनाव दोनों प्रभावित होते हैं। लेकिन कोर्ट ऐसे मामलों में क्या कर सकता है? मुफ्त योजनाओं की वजह नियमित बजट से आगे निकल रहा है। हालांकि फिर भी यह भ्रष्ट आचरण नहीं है, लेकिन चुनावों की निष्पक्षता को जरूर प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। कहाöचुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दल उपहार बांटने, बिजली-पानी फ्री देने और कई अन्य गैर-वाजिब वादे कर रहे हैं। बतौर उदाहरण पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 18 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को एक हजार रुपए प्रतिमाह देने का वादा किया है। शिरोमणि अकाली दल ने हर महिला को दो हजार रुपए प्रतिमाह देने का वादा किया है। कांग्रेस ने हर महिला को दो हजार रुपए प्रतिमाह, 10वीं पास करने पर 15 हजार रुपए और 12वीं पास पर 20 हजार रुपए व स्कूटी देने का वादा किया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस प्रकार के लोकलुभावन कदम उठाने पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए, क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन है और निर्वाचन आयोग को इसके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए। पीठ ने उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह के इस कथन पर गौर किया कि इसके लिए एक कानून बनाने और चुनाव चिन्ह जब्त करने या राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने या दोनों पर ही विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि अंतत इसके लिए भुगतान नागरिकों को करना है। पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा कि देखते हैं। फिलहाल हम नोटिस जारी करेंगे। सरकार और निर्वाचन आयोग को जवाब देने दीजिए। पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों को याचिका के पक्षकारों के रूप में बाद में शामिल किया जा सकता है।

क्या 2017 के हलफनामे को वापस लेगा केंद्र?

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि क्या वह अपने 2017 के उस हलफनामे को वापस लेना चाहती है जिसमें उसने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने का विरोध किया था? न्यायालय में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि यह विवाह की संस्था को अस्थिर कर सकती है। जस्टिस राजीव शकधर और सी. हरिशंकर की पीठ ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को इस पहलू पर सक्षम अधिकारियों से दिशानिर्देश लेने के लिए और अगली होने वाली सुनवाई पर अवगत कराने को कहा। पीठ ने यह निर्देश तब दिया जब याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन आरआईटी फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोकेटिक वूमेन्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता करुणा नंदी ने यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि क्या वह केंद्र सरकार द्वारा अब तक दाखिल दलील और हलफनामे के हिसाब से अपना रुख अपनाएं या वह (केंद्र) इसे वापस ले रहा है। इस पर जस्टिस शकधर ने एएमजी शर्मा से सक्षम अधिकारी से निर्देश लेने और सोमवार को होने वाली सुनवाई पर यह बताने को कहा कि आखिर आप चाहते क्या हैं? पीठ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र ने 2017 में हलफनामे में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने पहले ही धारा 498ए के बढ़ते दुरुपयोग को देखा है। इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को वैधानिक या कानूनी तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि दुष्कर्म अपराध की आईपीसी की धारा 375 के तहत परिभाषित है।

...जब प्रधानमंत्री घर छोड़कर परिवार सहित भागे

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो और उनके परिवार ने भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से देश की राजधानी ओटावा स्थित अपने आवास को छोड़ दिया है और एक गुप्त स्थान पर स्थानांतरित हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन जनादेश और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिबंधों को समाप्त करने का आह्वान करने के लिए शनिवार को हजारों ट्रक चालक और अन्य प्रदर्शनकारियों ने राजधानी शहर में एकत्रित होकर और पीएम ट्रूडो के आवास को घेर लिया। इन ट्रक चालकों ने करीब 20 किलोमीटर तक की लंबी लाइन बना दी। कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन के मुताबिक हजारों ट्रक ड्राइवर और अन्य प्रदर्शनकारी शनिवार को राजधानी ओटावा में इकट्ठे हो गए। राजधानी ओटावा में प्रधानमंत्री आवास को 50 हजार ट्रक ड्राइवरों ने 20 हजार ट्रकों के साथ चारों तरफ से घेर लिया। उनकी मांग है कि वैक्सीन जनादेश और अन्य हेल्थ प्रतिबंधों को खत्म किया जाए। प्रदर्शनकारी अपने बच्चे, बुजुर्ग और विकलांग लोगों को साथ लेकर पहुंचे। इन लोगों ने प्रधानमंत्री को लेकर अश्लीलता से भरी नारेबाजी भी की। प्रदर्शन कर रहे ट्रक चालकों को टेसला कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में से एफ एलन मस्क का भी समर्थन मिला। मस्क ने ट्वीट करके कहाöकनाडाई ट्रक चालकों का शासन और अब इसकी गूंज अमेरिका तक देखी जा रही है। ज्यादातर लोगों का विरोध कोविड महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के नियम को लेकर है। विंडसर से आए एक ट्रक ड्राइवर साव विजी ने कहा कि वह ज्यादा काम इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि बिना वैक्सीन लगवाए वह प्रांत की सीमा पार नहीं कर सकते, विजी अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। -अनिल नरेन्द्र