Thursday 14 April 2022

भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत

भारत और अमेरिका के संबंधों की अहमियत आज जितनी है, उतनी कभी नहीं थी। इतिहास तो संबंधों की दृष्टि से खट्टा-मीठा रहा किंतु चीन की वजह से भारत के लिए जितना अमेरिका महत्वपूर्ण हो चुका है, अमेरिका के लिए उतना ही भारत। यह गलतफहमी हमें अपने दिल और दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि हमारे संबंध रूस से बहुत अच्छे हैं तो वह चीन के मामले में हमारा साथ देगा। ऐसा पहले भी हुआ है। 1962 के युद्ध में भारत ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति से गुहार लगाई थी कि वह चीन के खिलाफ कार्रवाई करे किंतु सोवियत सरकार ने टका-सा जवाब देते हुए कहा, ‘आप हमारे दोस्त हैं और चीन हमारा भाई, इसलिए हम आप व चीन के मामले में तटस्थ ही रहना उचित समझते हैं।’ लेकिन अमेरिका ने ऐसा नहीं किया। अमेरिका ने पहले ही कूटनीतिक चैनल से भारत को आगाह कर दिया था कि चीन हमले की तैयारी में है। सोवियत संघ से जवाब मिलने के बाद हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत-अमेरिका के राजदूत जेके गालब्रेथ की पहल पर राष्ट्रपति जान एफ केनेडी से मदद की गुहार लगाई थी। केनेडी ने मना नहीं किया। तत्कालीन पाक सरकार को भनक लगी कि अमेरिका भारत की मदद के लिए पं. नेहरू को वचन दे चुका है तो भी टांग अड़ाने की कोशिश की थी किंतु केनेडी प्रशासन ने पाकिस्तान को दो टूक कह दिया कि अमेरिका भारत की जो भी सामरिक सहायता कर रहा है उसका इस्लामाबाद से कोई मतलब नहीं है। इसलिए पाकिस्तान फटे में टांग न अड़ाए। अमेरिका ने सिर्फ आश्वासन ही नहीं दिया पंडित नेहरू को बल्कि अमेfिरकी एयरफोर्स जैसे ही चुसूल हवाई अ़ड्डे पर पहुंची चीन ने एकतरफा युद्धबंदी की घोषणा कर दी। इसलिए हमारी चीन के मामले में अमेरिका जितनी मदद कर सकता है, उतनी रूस कभी भी नहीं कर पाएगा। यद्यपि रूस इस वास्तविकता को जानता है कि आज से पांच दशक बाद रूस और चीन की आपस में ही भिड़ंत होनी है। बहरहाल भारत और अमेरिका के बीच संबंध जितने अच्छे आज हैं, उतने इतिहास में कभी भी नहीं रहे। इसका कारण है कि शीत युद्ध के दौरान भारत ने खुलकर अमेरिका का विरोध किया था और सोवियत संघ का समर्थन किया था। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की वास्तविकता इसी बात से आंकी जा सकती है। भारत ने 1971 में सोवियत संघ से बीस वर्षों के लिए मैत्री संबंधों पर हस्ताक्षर किए थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत को दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अमेरिका, यूरोपियन एवं अफ्रीकी देशों में पैठ बढ़ाने की जरूरत पड़ी। ऐसा तभी संभव था जब भारत रूस को नाराज किए बिना अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए। दूसरी तरफ अमेरिका को लगा कि चीन को एशिया में ही नहीं घेरा गया तो वह अफ्रीका और यूरोपीय देशों में उसके लिए सिर दर्द बन जाएगा। इसीलिए राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत के साथ संबंधों को सामरिक एवं व्यापारिक बनाने की शुरुआत की। आज की तारीख में भले ही ब्रिक्स (भारत, ब्राजील, चीन, साउथ अफ्रीका), इरिक (भारत, रूस, चीन) शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य है किंतु अमेरिका के साथ क्वाड (अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत और जापान) में मिलकर चीन के खिलाफ रणनीति बनाने वालों में भी शामिल है। जी-23 का अहम सदस्य होने के कारण वह अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में सम्मानपूर्वक अपनी भूमिका निभाता है। भारत को पहले सिर्फ पाकिस्तान की खुराफातों से ही डर था किंतु अब पाकिस्तान और चीन दोनों से ही एक साथ डर है। भारत और अमेरिका के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठकों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक एवं सामरिक संबंधों के बीच व्यावहारिक अड़चनों पर विचार-विमर्श होता रहता है। इस बार हमारे रक्षा और विदेश मंत्री वाशिंगटन डीसी गए थे जबकि इससे पहले अमेरिका के दोनों मंत्री नई दिल्ली आए थे। अब अगली बैठक जब भी होगी तो फिर अमेरिका के दोनों मंत्री नई दिल्ली आएंगे। संबंधों में इतनी परिपक्वता आ चुकी है कि भारत के साथ रूस के संबंधों पर अमेरिकी सांसदों की टिप्पणी का जवाब खुद राष्ट्रपति बिडेन, रक्षामंत्री और वहां के प्रवक्ताओं ने यह कह कर दिया कि रूस के साथ भारत के पुराने रिश्ते हैं और कुछ भारत की मजबूरी है। किंतु उसके संबंध अमेरिका से बहुत अच्छे हैं। जो बात भारत नहीं कह सकता, वह अमेरिकी प्रशासन भारत की तरफ से सफाई देते हुए कहता है। अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल पर उठे बवंडर को शांत करने के उद्देश्य से ही कहा कि जितना भारत ने रूस से पूरे महीने में तेल लिया उससे ज्यादा अमेरिका ने सिर्फ दो दिनों में ले लिया। भारत सिर्फ 2 प्रतिशत तेल लेता है जबकि अमेरिका 43 प्रतिशत तेल रूस से ले रहा है, इसी तरह एस-400 मिसाइल को लेकर अमेरिका के सेनेटर और कांग्रेस मैन खुलकर अपने राष्ट्रपति से आग्रह कर चुके हैं कि भारत जो भी अपनी सुरक्षा सामग्री रूस से ले रहा है, वह चीन के खिलाफ ही तैयारी के लिए ले रहा है। इसलिए अमेरिका काटसा के तहत भारत के खिलाफ प्रतिबंध न लगाए। लब्बोलुआब यह है कि भारत के लिए रूस की मित्रता महत्वपूर्ण है किंतु भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों की वजह से अमेरिका के साथ संबंध प्रगाढ़ बनाए बिना नहीं रह सकता। यही कारण है कि दशकों से भारत और अमेरिका के बीच बाधा बनी अविश्वास की खाई अब पूरी तरह पट चुकी है और दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक, खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं रक्षा के क्षेत्र में संबंध स्थापित हो चुके हैं। जरूरत है अमेरिका और रूस के साथ अपने संबंधों को जारी रखते हुए संतुलन बनाए रखने की।

यूपी में योगी की बुलंदियाँ

उत्तर प्रदेश के संपन्न हुए विधान परिषद के 36 सदस्यीय चुनाव में भाजपा को 33 और निर्दलीय 3 स्थानों पर जीते। मतलब यह कि सपा, बसपा और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। योगी आदित्यनाथ जमीनी नेता हैं इसलिए उन्होंने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थानीय निकायों का चुनाव उसी तरह लड़ा था, जैसे कि एमपी और एमएलए के चुनाव लड़े जाते हैं। कभी मुलायम सिंह यादव भी स्थानीय निकायों के चुनावों पर बहुत ध्यान देते थे। एमएलसी चुनावों में स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों का बहुत महत्व होता है। योगी के नेतृत्व में भाजपा के जनाधार में काफी विस्तार हुआ है। रही-सही कसर मोदी जी ने पूरी कर दी। उत्तर प्रदेश में भाजपा किसी एक जाति की पार्टी नहीं रह गई है। अब वह विभिन्न वर्गों की पार्टी बन गई है। जिन पार्टियों को लगता है कि भाजपा के मुकाबले उनका कोई हथकंडा सफल नहीं हो रहा है क्योंकि भाजपा हिंदुत्व का एजेंडा बनाकर चल रही है, वह वास्तविकता को स्वीकार करने से कतराती हैं। सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अपेक्षाओं यानी जरूरतों एवं व्यवहारों की राजनीति करती है। भाजपा जानती है कि भूख सभी को लगती है, बीमार सभी होते हैं, आवास की जरूरत सभी को होती है और शिक्षा की जरूरत सभी को होती है। इन्हीं अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर वह अपनी नीतियां बनाती है। सपा की मजबूरी है कि वह अपनी सारी नीति मुस्लिम-यादव तक सीमित रखती है। मजे की बात तो यह है कि सपा को सामान्य मुस्लिम से मतलब नहीं है। वह विशेष मुस्लिम यानि कट्टर और आपराधिक प्रवृत्ति के मुसलमानों को वरीयता देती है। इसी तरह उन यादवों को राजनीति में प्राश्रय देती है जो आपराधिक व दबंग प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिए अब उसका ‘हर मर्ज की दवा जमाल घोटा’ भाजपा के ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति के मुकाबले असफल हो रहा है। अनिल नरेंद्र

Wednesday 13 April 2022

अगर हमें ही सब मुद्दों पर सोचना पड़े तो सरकार क्यों चुनी?

रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह शासन से जुड़े मुद्दे हैं। इन्हें सरकार के पास ले जाएं। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यदि हमें ही सभी जनहित याचिकाओं पर विचार करना है तो हमने सरकार क्यों चुनी है? हालांकि पीठ याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गई। पीठ ने याचिकाकर्ता वकील एवं भाजपा नेता अश्विन कुमार उपाध्याय से कहाöहर दिन हमें सिर्प आपका केस ही सुनना होता है? आप सभी समस्याओं को लेकर अदालत में आते हैं। चुनाव सुधार, संसद, जनसंख्या नियंत्रण हो या और कुछ और...। पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका पर सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि अवैध प्रवासियों द्वारा करोड़ों नौकरियां छीनी जा रही हैं और इससे भारतीय नागरिकों की आजीविका के अधिकार पर प्रभाव पड़ रहा है। चीफ जस्टिस रमण ने उनसे कहाöयह राजनीतिक मुद्दे हैं। इन्हें सरकार के पास ले जाएं। अगर हमें ही आपकी सभी जनहित याचिकाओं पर विचार करना है तो हमने सरकार क्यों चुनी? राज्यसभा और लोकसभा जैसे सदन हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में पिछले साल मार्च में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है, वहीं कोर्ट रूम में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को अवैध घुसपैठ को संज्ञेय गैर-जमानती और गैर-समझौतावादी अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार न तो देश में अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए गंभीर है और न ही निर्वासित करने के प्रति गंभीर। याचिका में कहा गया है कि केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि एक वर्ष के भीतर बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं समेत सभी अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाए और उन्हें हिरासत में लेकर उनके देश भेजा जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि फॉरेंनर्स एक्ट 1946 में केंद्र व सभी राज्य सरकारों को घुसपैठियों के लिए प्रभावी कदम उठाने की बात कही गई है।

सैकड़ों टन का पुल चोरी हो गया

बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में दिन-दिहाड़े लोहे का पुल चोरी होने का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चोर सिंचाई विभाग के कर्मचारी बनकर गांव में आए और जेसीबी से पुल तोड़ दिया। फिर गैस कटर से काटकर लोहा ट्रक में लादकर चलते बने। पुल 100 फुट लंबा और 10 फुट चौड़ा था। बताया जा रहा है कि पुल में 500 टन लोहा था। चोरी के तीन दिन बाद जाकर विभाग ने अज्ञात चोरों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। चोरी के इस मामले में पुलिस ने एसआईटी बनाई है। बता दें कि दरअसल पुराना यह पुल आरा की मुख्य नहर पर बना था। चोर जब पुल तोड़ रहे थे, तब गांव वालों ने सवाल किया जिस पर चोरों ने कहा कि वह सिंचाई विभाग के कर्मचारी हैं। पुल जर्जर हो गया है, इसलिए इसे तोड़ा जा रहा है। जब चोर चले गए तो ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग से बात की और तब पूरे मामले का खुलासा हुआ। ऐसा ही एक किस्सा दिल्ली की यमुना नदी पर बने पंटून पुल का भी सामने आया था। नदी को पार करने के लिए पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी पुश्ते पर बना लोहे का पंटून पुल 16 जनवरी 2013 को चोरी हो गया था। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 12 April 2022

दिखावे की कार्रवाई

पाकिस्तान की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने शुक्रवार को 26/11 (मुंबई हमले) के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को आतंकी फंडिंग के दो और मामलों में 32 साल जेल की सजा सुनाई। इससे पहले ऐसे पांच मामलों में उसको पहले ही 36 साल कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। कुल 68 साल कैद की सजा एकसाथ चलेगी। अदालत ने सईद पर 3.42 लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवाद-रोधी अदालत के न्यायाधीश एजाज अहमद मुहर ने सईद को 32 साल जेल की सजा सुनाई। पंजाब पुलिस के आतंकवाद-रोधी विभाग द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों के आधार पर उसे यह सजा सुनाई गई है। बताते चलें कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफटीएफ) द्वारा पाकिस्तान पर लगातार इस बात के लिए दबाव डाला जा रहा है कि वह अपने यहां आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे। इसके अलावा भारत सरकार भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मुद्दा उठाती रही है। हाफिज सईद को लाहौर की कोट लखपत जेल से अदालत लाया गया, जहां वह 2019 से कड़ी सुरक्षा में कैद है। सईद को संयुक्त राष्ट्र आतंकी घोषित कर चुका है। अमेरिका का विदेश विभग भी उसे वैश्विक आतंकी घोषित कर चुका है। उसको जुलाई 2019 में आतंकी फंडिंग के मामलों में गिरफ्तार किया गया था। उसका जमात-उद-दावा अंसल में लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है, जो वर्ष 2008 के मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार है। इसमें छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे। हाफिज सईद पर अदालती कार्रवाई कोई नई बात नहीं है। हाफिज सईद सहित अन्य मोस्ट वांटेड आतंकियों को पाकिस्तान में सजा सुनाई जाने के बावजूद भी कुछ समय तक नजरबंद रहने के बाद आजाद घूमते हैं। बीएसएफ के पूर्व डीजीपी पीके मिश्रा ने बताया कि पाकिस्तान बार-बार दिखावे की कार्रवाई करता है। उससे पहले भी उसने हाफिज सईद, मसूद अजहर, लखवी आदि के मामले में आंख में धूल झोंकने का काम किया है। आतंकी अदालती आदेश के बावजूद सेना और आईएसआई के संरक्षण में खुलेआम अपनी गतिविधियां चलाते हैं। मुंबई हमले के मामले में पाकिस्तान ने कभी भारत के साथ सहयोग नहीं किया। उसका दोहरा चेहरा दुनिया के सामने स्पष्ट है। जानकारों का कहना है कि पाक सेना और आईएसआई की सरपरस्ती में पलने वाले आतंकियों पर मजबूरी में दिखावे की कार्रवाई होती है। पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। खुद पाकिस्तानी सेना अपने देश को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, इसलिए पाकिस्तान दिखावा करने में जुटा है। हाफिज सईद पाकिस्तान आतंकवादी है। उसका जन्म चार जून, 1950 को पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था। उसने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का गठन किया था। फिलहाल वह जमात-उद-दावा नाम के आतंकवादी संगठन का प्रमुख है। हाफिज सईद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित किया जा चुका है। ताजा कार्रवाई ा़दिखावे के अलावा और कुछ नहीं है, पाकिस्तान की नौटंकी है।

विधायक शहजिल इस्लाम के पंप पर बुलडोजर चला

उनकी आवाज निकली तो हमारी बंदूकों से गोलियां चलेंगी, धमकी देने वाले सपा विधायक शहजिल इस्लाम का पेट्रोल पंप ध्वस्त हो गया है। गुरुवार को बरेली में विकास प्राधिकरण ने इसे अवैध निर्माण बताकर बुलडोजर चला दिया। सपा नेतृत्व ने ट्वीट कर विरोध की रस्म निभा चुका और स्थानीय नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बरेली के भोजीपुरा से सपा विधायक शहजिल इस्लाम का रामपुर रोड पर शार्प फिली सरताक नाम से पेट्रोल पंप है। गुरुवार को फोर्स लेकर पहुंचे बरेली विकास प्राधिकरण ने पेट्रोल पंप की मशीनें सील कीं, ग्राहकों को वहां से लौटा दिया। टीम ने शहजिल इस्लाम को बुलाया तो उनके पिता पूर्व विधायक साबिर आ गए। उन्हें बताया कि अवैध तरीके से पंप बनाया गया है, इसके नोटिस का जवाब भी नहीं दिया गया, इसलिए ध्वस्तीकरण होगा। शहजिल कहते रहे कि उन्हें नोटिस नहीं मिला। एक अप्रैल को एक स्वागत समारोह में शहजिल इस्लाम ने कहा कि पिछली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में हमारे लोगों के प्रति गलत शब्दों का प्रयोग करते रहे थे। दबंग शेर अखिलेश यादव के नेतृत्व में अब मजबूत विपक्ष है। यदि इस बार उनकी आवाज निकली तो हमारी बंदूकों से धुआं नहीं बल्कि गोलियां निकलेंगी। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 7 April 2022

पत्रकार से आतंकी जीवन गाथा

जम्मू-कश्मीर के रैनावारी इलाके में गत बुधवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकी मारे गए। कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने बताया कि मारे गए आतंकवादियों में से एक के पास मीडिया का पहचान पत्र था। कुमार ने ट्वीट किया मारे गए लश्कर के एक आतंकवादी के पास मीडिया का पहचान पत्र था जो मीडिया के गलत इस्तेमाल का साफ संकेत देता है। पहचान पत्र में नाम लिखा है रईस अहमद भट और वह वैली मीडिया सर्विस का मुख्य संपादक है। इस समाचार एजेंसी का कोई अता-पता नहीं है। दूसरे आतंकवादी की पहचान हिलाल अहमद के तौर पर हुई है। आईजीपी ने चेतावनी देते हुए कहा कि सूचना विभाग और पत्रकारों को भारतीय पेस परिषद की गाइड लाइंस का पालन करना चाहिए वरना पुलिस इस संबंध में कार्रवाई करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान और कश्मीर के कुछ पत्रकारों द्वारा सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। कुमार ने कहा- मैं पत्रकारों से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, लोगों को उकसाने या झूठी खबरें फैलाने जैसे कृत्यों में शामिल नहीं होने की अपील करता हूं। पुलिस को आतंकवादियों के शहर के रैनावारी इलाके में छिपे होने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने इलाके की घेराबंदी करके तलाशी अभियान शुरू किया था और इस दौरान आतंकवादियों के गोलीबारी करने के कारण अभियान मुठभेड़ में तब्दील हो गया। मारे गए दोनों आतंकवादी अनंतनाग जिले के निवासी थे। रईस अहमद भट 2021 में आतंकवादी संगठन में शामिल होने से पहले एक पत्रकार था। अनंतनाग जिले में हत्याओं की कई घटनाओं में शामिल था। उन्होंने कहा, भट कुछ लोगों को निशाना बनाने के लिए श्रीनगर आया था... हमें समय पर उसके संबंध में जानकारी मिल गई और तलाशी अभियान चलाया गया। वह आम नागरिकों की हत्या की घटनाओं में शामिल था और उसके खिलाफ दो पाथमिकी भी दर्ज हैं। उधर श्रीनगर जम्मू-पुलिस ने कहा कि सोपोर शहर में सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड फेंकने वाली महिला की पहचान हो गई है। कश्मीर रेंज के आईजीपी विजय कुमार ने कहा कि बुर्का पहने महिला की पहचान हो गई है और इसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। महिला ने मंगलवार शाम को सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड फेंका था। विस्फोट में एक स्थानीय पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ का एक जवान घायल हो गया। ग्रेनेड फेंकने का पूरा कम मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकार्ड हो गया। अब आतंकी संगठन महिलाओं को भी आतंकी गतिविधियों में शामिल करने लगे हैं।

श्रीलंका जैसे न हो जाएं हालात

पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ बैठक में कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताई और दावा किया कि वह आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वह उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। यह बात सूत्रों ने रविवार को कही। मोदी ने रविवार को 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे बैठक की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पधानमंत्री के पधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौतम के अलावा केन्द्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शमिल हुए। सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वह आर्थिक रूप से fिटकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप में कहा कि वे कर्मियों के पबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के पबंधन की नई चुनौती का सामना करें। मोदी ने पमुख विकास योजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर गरीबी का हवाला देते हुए पुरानी कहानी को छोड़ने और उसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने को कहा। कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में काम करना चाहिए न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और पधानमंत्री के साथ अपनी पतिकिया साझा की जिन्होंने उन सबको ध्यान से सुना। 2014 के बाद से पधानमंत्री की सचिवों के साथ नौवीं बैठक थी। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 6 April 2022

चंडीगढ़ को लेकर मान और मनोहर आमने-सामने

पंजाब विधानसभा में पहली अप्रैल को एक अहम प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने की मांग की गई। आम आदमी पार्टी (आप) के बहुमत वाली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर अन्य सभी पार्टियों ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन दिया, जिसके बाद यह प्रस्ताव विधानसभा से पारित हो गया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया, उन्होंने केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन के साथ ही साझा सम्पत्तियों में संतुलन बिगाड़ने का आरोप भी लगाया। प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भाजपा के दो विधायक सदन से अनुपस्थित रहे। उन्होंने सदन का बहिर्गमन किया और सीएम भगवंत मान ने भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति में ही यह प्रस्ताव पेश किया, जिसे आम आदमी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों और बहुजन समाज पार्टी के इकलौते विधायक का भी समर्थन हासिल हुआ। प्रस्ताव का समर्थन करने वाली पार्टियों ने केंद्र सरकार के कदम को तानाशाही और निरंकुश बताया। उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ के मसले पर पंजाब विधानसभा में रेजुलेशन पास करने को लेकर कहा कि चंडीगढ़ दोनों राज्योंöहरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी भी। उन्होंने राजधानी चंडीगढ़ पर हरियाणा की दावेदारी मजबूत करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया है। हरियाणा सरकार चंडीगढ़ पर अपने हक को लेकर प्रस्ताव पारित कराएगी। इसके अलावा सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) का पानी देने और हिन्दीभाषी पंजाब के क्षेत्रों को हरियाणा में स्थानांतरण करने का भी प्रस्ताव ला सकती है। चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने की मांग पर पंजाब विधानसभा की ओर से पारित प्रस्ताव के बाद हरियाणा की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। खुद मोर्चा संभालते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जब तक हरियाणा की जनता साथ है, तब तक चंडीगढ़ को कोई नहीं छीन सकता। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बने चन्द दिन हुए हैं और उसने विवादित मुद्दा छेड़ दिया है। चंडीगढ़ पर दावा करने से पहले पंजाब सरकार को एसवाईएल से हरियाणा के हिस्से का पानी देना चाहिए। पंजाब हरियाणा का बड़ा भाई है और बड़े को छोटे के हितों के बारे में भी सोचना चाहिए। पंजाब सरकार ने गलत निर्णय लेते हुए हरियाणा के हितों के साथ कुठाराघात करना शुरू कर दिया है।

पीएम मोदी को खत्म कर दूंगा

ई-मेल के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी दी गई है। धमकी भरा मेल आने के बाद खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की मुंबई ब्रांच को भेजे गए ई-मेल में पीएम को मारने की धमकी दी गई है। इसमें कहा गया है कि 20 स्लीपर सेल तैयार हैं जिनके पास 20 किलो आरडीएक्स मौजूद है। ई-मेल करने वाले ने लिखा है कि वह आत्महत्या कर रहा है ताकि मोदी को मारने की साजिश का पर्दाफाश हो सके। सुरक्षा एजेंसियां जानकारी जुटा रही हैं कि पीएम मोदी को मारने की साजिश के संबंध में जो ई-मेल मिला है उसका स्रोत क्या है? ई-मेल के मुताबिक हमले की योजना तैयार हो चुकी है। मेल में कहा गया है कि ई-मेल लिखने वाले के अनेक आतंकियों से भी संबंध हैं। नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने धमकी भरा ई-मेल खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को भेज दिया है। जिस ई-मेल आईडी से मेल आया है उसकी गहन जांच जरूरी है। पिछले साल जून में 22 साल के सलमान ने पुलिस को कॉल करके पीएम को जान से मारने की धमकी दी थी। युवक ने कॉल कर कहा था कि मुझे मोदी को मारना है। पुलिस जांच में सामने आया था कि आरोपी कुछ दिन पहले ही बेल पर बाहर आया था। उसके खिलाफ पहले से ही कई केस दर्ज थे। आरोपी ने शुरुआती पूछताछ में बताया था कि जेल के अंदर जाने के लिए उसने यह कॉल किया था। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 5 April 2022

डॉक्टर खुदकुशी केस में भाजपा नेता गिरफ्तार

राजस्थान के दौसा में एक महिला डॉक्टर की कथित सुसाइड का मामला गर्माता जा रहा है। बता दें कि राजस्थान के दौसा में एक महिला को डिलीवरी के बाद काफी ब्लीडिंग होने लगी थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। परिवार व अन्य लोगों ने शव को बाहर रखकर प्रदर्शन किया था। इसके चलते डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर लिया था जिसके कारण उन्होंने फांसी लगाकर जान दे दी। इस मामले में पुलिस ने भाजपा के प्रदेश सचिव जितेन्द्र गोठवाल समेत दो लोगों को रंगदारी और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार इस मामले में गोठवाल के साथ अन्य लोगों में राम मनोहर भी शामिल है। दोनों पर धारा 384, 388 और 306 (जबरन वसूली और आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत मामला दर्ज किया गया है। राजस्थान के दौसा जिले के लालसोर कस्बे में एक निजी अस्पताल की स्त्राr विशेषज्ञ डॉ. अर्चना शर्मा ने मंगलवार को कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनके खिलाफ सोमवार को उनके निजी अस्पताल में एक गर्भवती महिला की मौत के बाद इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज किया गया। उस अस्पताल के प्रबंध निदेशक और डॉक्टर के पति डॉ. सुनीत उपाध्याय ने एक वीडियो बयान में कहा कि उनकी पत्नी डॉ. अर्चना शर्मा ने अपने खिलाफ हत्या के मामले में खबर पढ़ी। वह जेल जाने को लेकर डरी हुई थीं। गर्भवती महिला की मौत के मामले में डॉक्टर के खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था। गर्भवती महिला की मौत के बाद सोमवार को अस्पताल के बाहर धरने में गोठवाल भी मौजूद थे और डॉ. उपाध्याय ने भी उन पर मामले में शामिल होने का आरोप लगाया। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राज्य के निजी अस्पताल और नर्सिंग होम गुरुवार को दूसरे दिन भी बंद रहे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले पर संज्ञान लेते हुए बुधवार को दौसा के एसपी अनिल कुमार को हटा दिया था। गोठवाल ने गुरुवार सुबह ट्वीट किया, आधी रात को मुझे गिरफ्तार करने जयपुर पुलिस मेरे आवास पर पहुंची। लालसोर की डॉ. अर्चना शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने का दर्ज किया गया मामला झूठा है। गहलोत सरकार अपनी गलती और नाकामी छिपाने के लिए मुझे जबरन फंसा रही है। उधर डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के खिलाफ दिल्ली के एम्स और लेडी हार्डिंग कॉलेज में कैंडल मार्च निकाला गया। उनकी मांग थी कि फांसी लगाकर जान देने वाली डॉ. अर्चना शर्मा को न्याय मिले।

यूकेन ने पहली बार रूस पर हमला किया

रूस की सीमा से लगे क्षेत्र वेल्गोरोद के गवर्नर ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार तड़के रूस की सीमा में यूकेन ने हेलीकॉप्टरों से गोलीबारी की और तेल के एक डिपो को निशाना बनाया जिससे उसमें आग लग गई। इस दावे की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। टेलीग्राम ऐप पर व्यामेसलाव ग्लादकोव की पोस्ट के अनुसार रूस की ऊर्जा कंपनी रोसनेफर के तेल डिपो पर हमला किया गया जिसमें दो लोग घायल हो गए। गवर्नर ग्लादकोव ने ऐप पर लिखाöतेल के डिपो पर यूकेन के दो हेलीकॉप्टरों ने हवाई हमला किया जिससे आग लग गई। वह कम ऊंचाई पर रूस की सीमा में घुसे थे। इस कथित हमले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही हैं जिनकी पुष्टि नहीं की जा सकती। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार यूकेन की सेनाओं ने चर्नोबिल के दक्षिण में स्थित ग्लोवोदा और लुकाशिवका गांवों के क्षेत्रों को वापस अपने कब्जे में ले लिया है। मंत्रालय ने कहा कि यूकेन ने कीव के पूर्व और पूर्वोत्तर में सफलतापूर्वक लेकिन सीमित जवाबी हमला किया है। चर्नोबिल और कीव में रूस द्वारा कार्रवाई कम करने के दावे के बीच इन इलाकों में लगातार हवाई और मिसाइल हमले हो रहे हैं। रूस के सैनिक चर्नोबिल से ऐसे वक्त में पीछे हट रहे हैं जबकि संकेत मिल रहा हैं कि क्रमलिन यूकेन में पीछे हटने के वास्ते बातचीत करने की आड़ में अपने सैनिक फिर तैनात करने की कोशिश कर रहा है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 3 April 2022

पाक फौज का डेढ़ लाख करोड़ का बिजनेस

पाकिस्तान की सत्ता में 70 साल से अधिक समय तक दखल रखने वाली वहां की फौज 50 से ज्यादा बड़े बिजनेस चलाती है। पाकिस्तान की संसद में रखे गए आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार सेना का कुल बिजनेस लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। पाकिस्तान की सेना वहां का सबसे बड़ा बिजनेस हाउस है। इसके कारण सेना पाकिस्तान की सियासत में अपना पूरा दखल रखती है। पाकिस्तान के इतिहास में अब तक मेजर रैंक से ऊपर के 72 फौजी अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सस्पेंड किया जा चुका है। इमरान सरकार के इस कार्यकाल में भी छह अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले हफ्ते एक जनसभा में तंज कसते हुए कहा था कि भारत की सेना में भ्रष्टाचार नहीं है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने सभी अंगों के लिए ट्रस्ट बनाया हुआ है। फौजी फाउंडेशन, आर्मी वैलफेयर ट्रस्ट और शाहीन फाउंडेशन एयरफोर्स और थलेसना के पूर्व कर्मियों के लिए है। बाहरिया फाउंडेशन नौसेना के पूर्व कर्मियों के लिए है। बिजनेस से होने वाले फायदे को शेयर होल्डर रिटायर्ड फौजियों में बांटा जाता है। सेना के पास पाकिस्तान के आठ शहरों में डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी (डीएचए) की कमान है। यह शहर हैंöइस्लामाबाद, रावलपिंडी, कराची, लाहौर, मुल्तान, गुजरांवाला, बहावलपुर, पेशावर और क्वेटा। कैंट एरिया के साथ प्रमुख शहरों के पॉश एरिया में सेना भूमि का आवंटन करती है। सेना के पास लगभग दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन है। क्रड़िट सुईस की अक्तूबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना के लगभग 25 पूर्व अफसरों के स्विस बैंक में अकाउंट हैं। इससे लगभग 80 हजार करोड़ रुपए की अघोषित सम्पत्ति जमा है। इनमें आईएसआई के पूर्व चीफ रहे अख्तर अब्दुल रहमान खान के अकाउंट में 15 हजार करोड़ रुपए जमा हैं। अन्य अफसरों के भी खाते हैं। हाल ही में पनामा पेपर्स लीक में लेफ्टिनेंट जनरल शहतुल्ला शाह के लंदन में पांच हजार करोड़ रुपए की सम्पत्ति का खुलासा हुआ है। मुशर्रफ के राष्ट्रपति काल में शाह दूसे सबसे सीनियर अफसर थे। आईएसआई के पूर्व चीफ मेजर जनरल नुसरत नईम की 2700 करोड़ रुपए की ऑफशोर कंपनियां भी सामने आई। अफगानिस्तान में 1980 के दशक में मुजाहिद्दीन लड़ाकों के लिए अमेरिका से मिलने वाली मदद का बड़ा हिस्सा आईएसआई के प्रमुख रहे दुट ने हड़प लिया। सूत्रों के अनुसार असद दुट ने अफीम के कारोबार में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के जुसूसों को भी उतार दिया। बाद में जांच में असद के स्विस बैंक में लगभग दो हजार करोड़ रुपए की अघोषित सम्पत्ति मिली। पाकिस्तानी सेना की क्वेटा कार्प्स के लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने जनरल को पापा-जोंस कहा जाता था। उन्होंने अपने परिवार के लोगों के नाम पर अमेरिका के मशहूर पिज्जा चेन पापा जोंस में लगभग 22 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया था। पूर्व सेनाध्यक्ष अशफाक कमानी के दो भाई इस्लामाबाद के 15 हजार करोड़ के हाउसिंग स्कैंडल में लिप्त रहे।

गांधी परिवार को झटका

आयकर अपीलीय न्यायधिकरण ने गांधी परिवार के खिलाफ 800 करोड़ रुपए से अधिक की अचल वाणिज्य सम्पत्ति से संबंधित टैक्स चोरी के मामले को बरकरार रखा है। यह मामला गांधी परिवार द्वारा पांच लाख रुपए के शेयर कैपिटल वाली कंपनी यंग इंडियन बनाने व कोलकाता की शेल कंपनी से हवाले के माध्यम से एक करोड़ रुपए की रकम से जुड़ा है। 26 फरवरी 2011 को एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के शेयरों के अधिग्रहण के साथ मामला चर्चा में आया था। एजेएल का गठन एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर 20 नवम्बर 1937 को भारतीय कंपनी अधिनियम 1913 के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्रों के प्रकाशन के लिए किया गया था। एजेएल ने अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिन्दी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित करने शुरू किए थे। इस मामले में आयकर विभग की कार्रवाई और असेनमेंट आदेश को गांधी परिवार द्वारा दो बार दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को निरस्त कर दिया था। आयकर अधिकारियों द्वारा 249.15 करोड़ रुपए का टैक्स लगाए जाने के आदेश पर आयकर आयुक्त अपील (सीआईटीए) छह दिसम्बर 2018 को मुहर लगा चुका है। बता दें, एजेएल की वाणिज्य परिसम्पत्तियों का अधिग्रहण यंग इंडियन का गठन होने के तीन माह के भीतर कोई टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी चुकाए बिना ही परा कर लिया गया था। 27 दिसम्बर 2017 के आदेश में आयकर विभाग ने इस धोखाधड़ी वाले सौदे में गांधी परिवार को अवर्जित (एक्रूड) 414.40 करोड़ के आदेश को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी। इसका दूसरी अपील का अधिकरण ने 31 मार्च 2022 को निरस्तांतरण किया। इसमें न्यायाधिकरण ने मूल्यांकन अधिकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी को गांधी परिवार को उपर्जित लाभ की रकम 395 करोड़ करने के फैसले को बरकरार रखा।

बैंकिंग धोखाधड़ी से हर दिन 100 करोड़ की चपत

देश को बैंक धोखाधड़ी की वजह से पिछले सात वर्षों में हर रोज 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि नुकसान की इस रकम में साल-दर-साल गिरावट आ रही है। रिजर्व बैंक के मुताबिक देश में बैंकिंग धोखाधड़ी के 83 प्र]ितशत मामले केवल पांच राज्यों में हैं। इसमें 50 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर है, जबकि दिल्ली दूसरे स्थान पर है। इसके बाद सबसे ज्यादा बैंकिंग धोखाधड़ी तेलंगाना, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में है। आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल 2015 से 31 दिसम्बर 2021 तक सभी राज्यों में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए की बैंकिंग धोखाधड़ी हुई। इनमें इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा यानि 83 प्रतिशत है। आरबीआई ने बैंकिंग धोखाधड़ी को आठ वर्गों में बांटा है। हालांकि वित्त मंत्रालय का कहना है कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग और रोकथाम के लिए कदम उठाए गए हैं। इससे बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में हर साल कमी आ रही है। धोखाधड़ी की ज्यादातर घटनाएं उधारी देने में होती है। ऐसे मामलों में या तो नियमों से ज्यादा कर्ज दिया जाता है या जमानत नहीं रखी जाती है। अमेरिका में हर दिन उधारी से जुड़े मामलों में असेसमेंट होता है, जो भारतीय बैंकों में नहीं किया जाता। इसके लिए बैंकों को विशेष टीम गठित करनी चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 2 April 2022

चीन को सुनाई खरी-खरी

भारत ने दो टूक कहा है कि चीन के साथ उसके रिश्ते सामान्य नहीं हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई बातचीत की जानकारी देने के क्रम में एक सवाल के जवाब में बेहिचक कहा कि चीन के साथ भारत का रिश्ता सामान्य नहीं है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि हमारा रिश्ता सामान्य नहीं है और जब तक सीमा पर स्थितियां सामान्य नहीं होतीं, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। सीमा पर तनाव कम करने के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि चीनी विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वो अपने अधिकारियों से बात करेंगे। जयशंकर ने कहाöचीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वासन दिया कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे। 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। इसको देखते हुए हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। वर्तमान स्थिति को मैं एक वर्प इन प्रोग्रेस कहूंगा। हालांकि यह धीमी गति से हो रहा है। इसे आगे ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि डिसइंगेजमेंट के लिए यह आवश्यक है। उधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान पूर्वी लद्दाख में बाकी बचे सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को जल्द से जल्द और पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डोभाल ने द्विपक्षीय संबंधों को स्वाभाविक रूप से बरकरार रखने में आने वाली बाधाओं को दूर करने का भी आह्वान किया। वांग की यह यात्रा महत्वपूर्ण इसलिए है कि दोनों देशों के बीच पिछले दो साल से चल रहे गतिरोध के बीच चीन का कोई वरिष्ठ मंत्री पहली बार भारत आया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि चीनी विदेश मंत्री की यह यात्रा कोई पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि वह काबुल से अचानक दिल्ली पहुंचे। ऐसे में वांग का दिल्ली आना इस बात का भी संकेत माना जा सकता है कि शायद चीन फिलहाल विवादों को विराम देना चाहता हो। जो देश हाल तक भारत से सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं था, अब उसके विदेश मंत्री ने भारत आने की पहल करके बड़ा संदेश दिया है। जयशंकर ने मुस्लिम देशों के संगठन (ओआईसी) में कश्मीर मामले पर चीन के विदेश मंत्री की टिप्पणी पर भी भारत का कड़ा रुख रखा। जयशंकर ने कहाöउन्हें स्पष्ट तौर पर कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। चीन को इस संबंध में स्वतंत्र नीति अपनानी चाहिए, किसी देश के बहकावे में आकर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कुल मिलाकर चीन पर भारत विश्वास नहीं कर सकता। इतने दौरों की बातचीत पर हैरानी की बात यह है कि वार्ता के हर दौर में चीन कुछ न कुछ ऐसा अड़ियल रुख दिखाता रहा है जिससे गतिरोध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। तेल देखो तेल की धार देखो।

जरूरतमंदों को मिलता रहेगा मुफ्त राशन

बढ़ती महंगाई के बीच गरीबों के लिए सरकार बड़ी राहत लेकर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने अब इस साल सितम्बर तक 80 करोड़ आबादी को मुफ्त राशन देने का फैसला किया है। कोरोना महामारी की शुरुआत होने पर वर्ष 2020 के अप्रैल में गरीबों को मुफ्त में राशन देने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की थी ताकि महामारी के दौरान गरीबों का भोजन सुनिश्चित किया जा सके। इस साल 31 मार्च को मुफ्त राशन की इस योजना की अवधि समाप्त हो रही थी। माना जा रहा था कि यूकेन युद्ध की वजह से बढ़ रही महंगाई को देखते हुए सरकार ने गरीबों से जुड़ी अन्न योजना को जारी रखने का फैसला किया है ताकि उन पर अनाज खरीदने का आर्थिक भार नहीं आए। इस साल अप्रैल से सितम्बर तक 80 करोड़ जनता को मुफ्त में राशन देने से सरकार पर 80 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल, 2020 से लेकर इस साल मार्च तक सरकार 2.60 लाख करोड़ रुपए का खर्च कर चुकी है। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह पांच किलो राशन निशुल्क मिलता रहेगा। यूपी समेत चार राज्यों के चुनाव में भाजपा को शानदार जीत मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब कल्याण अन्न योजना का भी बड़ा फायदा भाजपा को मिला है। यह माना जा रहा है कि महंगाई के कारण जो नाराजगी सरकार के प्रति थी वह इस योजना से कम हुई। केंद्र सरकार ने भी योजना को विस्तार देने का फैसला किया है। हालांकि इस समय कोरोना संकट खत्म हो चुका है। कोरोना की वजह से लॉकडाउन के समय शुरू हुई इस योजना को पांच बार विस्तारित किया जा चुका है। इसे पूरे दो साल हो चुके हैं। अब छठी बार छह महीने और इस योजना का लाभ मिलेगा। वैसे गरीबों को राहत और रियायत देने की योजनाएं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही संचालित की जानी चाहिए, न कि केवल राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से। कई बार ऐसी योजनाएं गरीबों के लिए बैसाखी बनकर रह जाती हैं और कुछ लोग अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयत्न करना ही छोड़ देते हैं।

फ्लैट खाली करवाने के लिए बाउंसरों का इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट को यह जानकर हैरानी हुई है कि राजधानी में खान मार्केट के निकट सुजान सिंह पार्प में रहने वाले सरकारी अधिकारियों से मकान खाली करवाने के लिए निजी फर्म अपने बाउंसर भेजती है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुजान सिंह पार्प के फ्लैट में रहने वाले अधिकारियों से बाउंसर भेजकर जबरन फ्लैट खाली कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। चीफ के साथ पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण कुमारी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार भी थे। मेहता की बात सुनकर चीफ जस्टिस बोलेöभारत सरकार के खिलाफ बाउंसर वह कैसे भेज सकते हैं? मेहता का कहना था कि जिस आदेश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट आए हैं, उसमें दूसरे पक्ष को मकान खाली करने की इजाजत दी गई है। मेहता ने मामले की तत्काल सुनवाई का चीफ जस्टिस से अनुरोध किया था। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए मामले को अगले हफ्ते सूचीबद्ध करने का आदेश दे दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में केंद्र को आदेश दिया था कि सोमा सिंह एंड सन्स को बकाया किराये का भुगतान किया जाए। इस फर्म ने अतिरिक्त किराया नियंत्रण की अदालत में फ्लैट खाली कराने का दावा किया था। अदालत ने फैसला फर्म के पक्ष में सुनाया था। -अनिल नरेन्द्र

Friday 1 April 2022

भारत में बनेगा रूस-यूकेन युद्ध खत्म करने का समझौता

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में शांति कायम करने के लिहाज से आने वाले कुछ दिन बेहद अहम साबित हो सकते हैं। रूस-यूकेन के बीच एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे युद्ध को विराम देने का फार्मूला भारत में बनाने की तैयारी है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का अचानक भारत दौरा इसी दिशा में अहम कदम है। लावरोव जल्द भारत आएंगे। हालांकि यह तय है कि उनकी यात्रा इजराइल के पधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की यात्रा से ठीक पहले होने वाली थी परंतु कुछ कारणों से उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया है और जल्द ही नई तारीख की घोषणा करेंगे। नफ्ताली 2 अपैल को भारत पहुंचने वाले थे। रूसी विदेश मंत्री से बातचीत के बाद पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नफ्ताली के साथ बात करने वाले थे। अब मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और यूकेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात करेंगे। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लगातार संघर्ष विराम की वकालत कर रहा है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में एक ही दिन में दो पस्ताव पर वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। एक पस्ताव यूकेन के पक्ष में था जबकि दूसरा रूसी पक्ष में था। शांति के फार्मूले पर विस्तृत बातचीत रूस-यूकेन के बीच भी जारी है। भारत और इजराइल की भूमिका मतभेद के अहम पहलुओं को सुलझाने की है। 25 मार्च को अमेरिका की विदेश उप सचिव विक्टोरिया न्यूलैंड भी इसी मकसद से भारत आई थीं। भारत के रिश्ते रूस से अच्छे हैं। इसी तरह यूकेन के पीछे खड़े अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियें में रूस और अमेरिका दोनों ही भारत की जरूरत हैं। इसलिए विवाद सुलझाने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। क्वाड में भारत की हिस्सेदारी को लेकर अमेरिका उत्सुक है। वहीं ब्रिक्स में पुतिन को चाहिए कि वह मोदी और शी जिनपिंग के साथ खड़े होकर पूरी दुनिया को रूस, चीन और भारत की एक जुटता दिखाएं। इजराइल का सबसे नजदीकी दोस्त अमेरिका है। दूसरी ओर यूकेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की यहूदी हैं। जो इजराइल के लिए अहम हैं। नफ्ताली इसलिए भी मध्यस्थता की पहल कर रहे हैं। यूकेन में युद्ध खत्म कराने को लेकर भारत पहले से ही कोशिशें कर रहा है। पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले एक महीने में पुतिन और जेलेंस्की के साथ फोन पर दो बार लंबी बातचीत की है। फांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैकों पुतिन से दो बार लंबी बातचीत कर चुके हैं। इसी दौरान मैकों और मोदी के बीच भी लंबी बातचीत हुई है। इन कोशिशों का मकसद युद्ध रोकना था। अमेरिका भी चाहता है कि भारत और इजराइल युद्ध रोकने का फार्मूला तैयार करें।

शाह ने कराया ऐतिहासिक समझौता

असम और मेघालय के बीच fिपछले 50 सालों से चले आ रहे सीमा विवाद पर ब्रेक लग गया है। दोनों राज्यों के बीच एक ऐतिहासिक करार हुआ है। दिल्ली में केन्द्राrय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौते पर सहमति जाहिर की है। मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, सांसद दिलीप सेकिया और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने राजधानी दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस सीमा विवाद का हल निकालने के लिए एक करार किया गया। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दोनों राज्यों की 70 पतिशत सीमा विवाद से मुक्त हो गई है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बताया कि आगे का विवाद भी हम बातचीत से सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि आज बहुत बड़ा काम हुआ है। शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और उनकी टीम को पीएम मोदी और भारत सरकार की तरफ से धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि विकसित नार्थ-ईस्ट का जो सपना पीएम मोदी ने देखा है, वह जल्द साकार होगा। अमित शाह ने बताया कि अब तक लगभग 4 हजार 800 से ज्यादा हथियार कानूनी अथारिटी के सामने सरेंडर किए गए है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि पधानमंत्री नरेन्द मोदी ने लगातार नार्थ-ईस्ट के गौरव के लिए काम किया है। शाह ने कहा कि उन्होंने पीएम से नार्थ-ईस्ट सीमा के बारे में बात की थी। सबसे पहले 2019 में त्रिपुरा में हथियारबंद गुट के बीच समझौता हुआ। दरअसल 1972 में जब असम को काटकर मेघालय को अलग राज्य बनाया गया था तभी से दोनों राज्यों के 12 सीमावर्ती क्षेत्रों के सीमांकन को लेकर विवाद पैदा हो गया था। दोनों राज्यों के बीच करीब 885 किलोमीटर लंबी सीमा का यह बड़ा हिस्सा है जिसके कारण उनके बीच कई बार टकराव की स्थिति बन गई। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद कितना जटिल रहा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक दशक पहले जनवरी 2012 में मेघालय ने गुवाहाटी स्थित असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के सरकारी आवास की जमीन को अपना बता दिया था। यहां तक कि 1985 में देश के सेवानिवृत्त पधान न्यायाधीश वाई के चद्रचूंड की अध्यक्षता में गठित समिति भी कोई समाधान नहीं निकाल सकी। ऐसे में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का दोनों राज्यों के 70 फीसदी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौते तक पहुंचाना वाकई एक बड़ी उपलब्धि है। दोनों राज्यों के बीच इसी साल जनवरी में सहमति बन गई थी जिसे अब अमित शाह ने समझौते का रूप दिया है। उम्मीद की जाती है कि इसी तरह अन्य राज्यों के सीमा संबंधी विवादों को बैठकर टेबल पर सुलझा लिया जाएगा। -अनिल नरेन्द्र