Thursday, 14 April 2022

यूपी में योगी की बुलंदियाँ

उत्तर प्रदेश के संपन्न हुए विधान परिषद के 36 सदस्यीय चुनाव में भाजपा को 33 और निर्दलीय 3 स्थानों पर जीते। मतलब यह कि सपा, बसपा और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। योगी आदित्यनाथ जमीनी नेता हैं इसलिए उन्होंने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थानीय निकायों का चुनाव उसी तरह लड़ा था, जैसे कि एमपी और एमएलए के चुनाव लड़े जाते हैं। कभी मुलायम सिंह यादव भी स्थानीय निकायों के चुनावों पर बहुत ध्यान देते थे। एमएलसी चुनावों में स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों का बहुत महत्व होता है। योगी के नेतृत्व में भाजपा के जनाधार में काफी विस्तार हुआ है। रही-सही कसर मोदी जी ने पूरी कर दी। उत्तर प्रदेश में भाजपा किसी एक जाति की पार्टी नहीं रह गई है। अब वह विभिन्न वर्गों की पार्टी बन गई है। जिन पार्टियों को लगता है कि भाजपा के मुकाबले उनका कोई हथकंडा सफल नहीं हो रहा है क्योंकि भाजपा हिंदुत्व का एजेंडा बनाकर चल रही है, वह वास्तविकता को स्वीकार करने से कतराती हैं। सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अपेक्षाओं यानी जरूरतों एवं व्यवहारों की राजनीति करती है। भाजपा जानती है कि भूख सभी को लगती है, बीमार सभी होते हैं, आवास की जरूरत सभी को होती है और शिक्षा की जरूरत सभी को होती है। इन्हीं अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर वह अपनी नीतियां बनाती है। सपा की मजबूरी है कि वह अपनी सारी नीति मुस्लिम-यादव तक सीमित रखती है। मजे की बात तो यह है कि सपा को सामान्य मुस्लिम से मतलब नहीं है। वह विशेष मुस्लिम यानि कट्टर और आपराधिक प्रवृत्ति के मुसलमानों को वरीयता देती है। इसी तरह उन यादवों को राजनीति में प्राश्रय देती है जो आपराधिक व दबंग प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिए अब उसका ‘हर मर्ज की दवा जमाल घोटा’ भाजपा के ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति के मुकाबले असफल हो रहा है। अनिल नरेंद्र

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