Friday 1 April 2022

शाह ने कराया ऐतिहासिक समझौता

असम और मेघालय के बीच fिपछले 50 सालों से चले आ रहे सीमा विवाद पर ब्रेक लग गया है। दोनों राज्यों के बीच एक ऐतिहासिक करार हुआ है। दिल्ली में केन्द्राrय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौते पर सहमति जाहिर की है। मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, सांसद दिलीप सेकिया और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने राजधानी दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस सीमा विवाद का हल निकालने के लिए एक करार किया गया। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दोनों राज्यों की 70 पतिशत सीमा विवाद से मुक्त हो गई है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बताया कि आगे का विवाद भी हम बातचीत से सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि आज बहुत बड़ा काम हुआ है। शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और उनकी टीम को पीएम मोदी और भारत सरकार की तरफ से धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि विकसित नार्थ-ईस्ट का जो सपना पीएम मोदी ने देखा है, वह जल्द साकार होगा। अमित शाह ने बताया कि अब तक लगभग 4 हजार 800 से ज्यादा हथियार कानूनी अथारिटी के सामने सरेंडर किए गए है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि पधानमंत्री नरेन्द मोदी ने लगातार नार्थ-ईस्ट के गौरव के लिए काम किया है। शाह ने कहा कि उन्होंने पीएम से नार्थ-ईस्ट सीमा के बारे में बात की थी। सबसे पहले 2019 में त्रिपुरा में हथियारबंद गुट के बीच समझौता हुआ। दरअसल 1972 में जब असम को काटकर मेघालय को अलग राज्य बनाया गया था तभी से दोनों राज्यों के 12 सीमावर्ती क्षेत्रों के सीमांकन को लेकर विवाद पैदा हो गया था। दोनों राज्यों के बीच करीब 885 किलोमीटर लंबी सीमा का यह बड़ा हिस्सा है जिसके कारण उनके बीच कई बार टकराव की स्थिति बन गई। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद कितना जटिल रहा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक दशक पहले जनवरी 2012 में मेघालय ने गुवाहाटी स्थित असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के सरकारी आवास की जमीन को अपना बता दिया था। यहां तक कि 1985 में देश के सेवानिवृत्त पधान न्यायाधीश वाई के चद्रचूंड की अध्यक्षता में गठित समिति भी कोई समाधान नहीं निकाल सकी। ऐसे में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का दोनों राज्यों के 70 फीसदी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौते तक पहुंचाना वाकई एक बड़ी उपलब्धि है। दोनों राज्यों के बीच इसी साल जनवरी में सहमति बन गई थी जिसे अब अमित शाह ने समझौते का रूप दिया है। उम्मीद की जाती है कि इसी तरह अन्य राज्यों के सीमा संबंधी विवादों को बैठकर टेबल पर सुलझा लिया जाएगा। -अनिल नरेन्द्र

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