Friday, 1 April 2022
भारत में बनेगा रूस-यूकेन युद्ध खत्म करने का समझौता
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में शांति कायम करने के लिहाज से आने वाले कुछ दिन बेहद अहम साबित हो सकते हैं। रूस-यूकेन के बीच एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे युद्ध को विराम देने का फार्मूला भारत में बनाने की तैयारी है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का अचानक भारत दौरा इसी दिशा में अहम कदम है। लावरोव जल्द भारत आएंगे। हालांकि यह तय है कि उनकी यात्रा इजराइल के पधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की यात्रा से ठीक पहले होने वाली थी परंतु कुछ कारणों से उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया है और जल्द ही नई तारीख की घोषणा करेंगे। नफ्ताली 2 अपैल को भारत पहुंचने वाले थे। रूसी विदेश मंत्री से बातचीत के बाद पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नफ्ताली के साथ बात करने वाले थे। अब मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और यूकेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात करेंगे। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लगातार संघर्ष विराम की वकालत कर रहा है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में एक ही दिन में दो पस्ताव पर वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। एक पस्ताव यूकेन के पक्ष में था जबकि दूसरा रूसी पक्ष में था। शांति के फार्मूले पर विस्तृत बातचीत रूस-यूकेन के बीच भी जारी है। भारत और इजराइल की भूमिका मतभेद के अहम पहलुओं को सुलझाने की है। 25 मार्च को अमेरिका की विदेश उप सचिव विक्टोरिया न्यूलैंड भी इसी मकसद से भारत आई थीं। भारत के रिश्ते रूस से अच्छे हैं। इसी तरह यूकेन के पीछे खड़े अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियें में रूस और अमेरिका दोनों ही भारत की जरूरत हैं। इसलिए विवाद सुलझाने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। क्वाड में भारत की हिस्सेदारी को लेकर अमेरिका उत्सुक है। वहीं ब्रिक्स में पुतिन को चाहिए कि वह मोदी और शी जिनपिंग के साथ खड़े होकर पूरी दुनिया को रूस, चीन और भारत की एक जुटता दिखाएं। इजराइल का सबसे नजदीकी दोस्त अमेरिका है। दूसरी ओर यूकेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की यहूदी हैं। जो इजराइल के लिए अहम हैं। नफ्ताली इसलिए भी मध्यस्थता की पहल कर रहे हैं। यूकेन में युद्ध खत्म कराने को लेकर भारत पहले से ही कोशिशें कर रहा है। पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले एक महीने में पुतिन और जेलेंस्की के साथ फोन पर दो बार लंबी बातचीत की है। फांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैकों पुतिन से दो बार लंबी बातचीत कर चुके हैं। इसी दौरान मैकों और मोदी के बीच भी लंबी बातचीत हुई है। इन कोशिशों का मकसद युद्ध रोकना था। अमेरिका भी चाहता है कि भारत और इजराइल युद्ध रोकने का फार्मूला तैयार करें।
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