Wednesday 13 April 2022

अगर हमें ही सब मुद्दों पर सोचना पड़े तो सरकार क्यों चुनी?

रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह शासन से जुड़े मुद्दे हैं। इन्हें सरकार के पास ले जाएं। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यदि हमें ही सभी जनहित याचिकाओं पर विचार करना है तो हमने सरकार क्यों चुनी है? हालांकि पीठ याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गई। पीठ ने याचिकाकर्ता वकील एवं भाजपा नेता अश्विन कुमार उपाध्याय से कहाöहर दिन हमें सिर्प आपका केस ही सुनना होता है? आप सभी समस्याओं को लेकर अदालत में आते हैं। चुनाव सुधार, संसद, जनसंख्या नियंत्रण हो या और कुछ और...। पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका पर सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि अवैध प्रवासियों द्वारा करोड़ों नौकरियां छीनी जा रही हैं और इससे भारतीय नागरिकों की आजीविका के अधिकार पर प्रभाव पड़ रहा है। चीफ जस्टिस रमण ने उनसे कहाöयह राजनीतिक मुद्दे हैं। इन्हें सरकार के पास ले जाएं। अगर हमें ही आपकी सभी जनहित याचिकाओं पर विचार करना है तो हमने सरकार क्यों चुनी? राज्यसभा और लोकसभा जैसे सदन हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में पिछले साल मार्च में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है, वहीं कोर्ट रूम में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को अवैध घुसपैठ को संज्ञेय गैर-जमानती और गैर-समझौतावादी अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार न तो देश में अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए गंभीर है और न ही निर्वासित करने के प्रति गंभीर। याचिका में कहा गया है कि केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि एक वर्ष के भीतर बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं समेत सभी अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाए और उन्हें हिरासत में लेकर उनके देश भेजा जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि फॉरेंनर्स एक्ट 1946 में केंद्र व सभी राज्य सरकारों को घुसपैठियों के लिए प्रभावी कदम उठाने की बात कही गई है।

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