Saturday, 2 April 2022
चीन को सुनाई खरी-खरी
भारत ने दो टूक कहा है कि चीन के साथ उसके रिश्ते सामान्य नहीं हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई बातचीत की जानकारी देने के क्रम में एक सवाल के जवाब में बेहिचक कहा कि चीन के साथ भारत का रिश्ता सामान्य नहीं है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि हमारा रिश्ता सामान्य नहीं है और जब तक सीमा पर स्थितियां सामान्य नहीं होतीं, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। सीमा पर तनाव कम करने के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि चीनी विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वो अपने अधिकारियों से बात करेंगे। जयशंकर ने कहाöचीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वासन दिया कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे। 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। इसको देखते हुए हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। वर्तमान स्थिति को मैं एक वर्प इन प्रोग्रेस कहूंगा। हालांकि यह धीमी गति से हो रहा है। इसे आगे ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि डिसइंगेजमेंट के लिए यह आवश्यक है। उधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान पूर्वी लद्दाख में बाकी बचे सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को जल्द से जल्द और पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डोभाल ने द्विपक्षीय संबंधों को स्वाभाविक रूप से बरकरार रखने में आने वाली बाधाओं को दूर करने का भी आह्वान किया। वांग की यह यात्रा महत्वपूर्ण इसलिए है कि दोनों देशों के बीच पिछले दो साल से चल रहे गतिरोध के बीच चीन का कोई वरिष्ठ मंत्री पहली बार भारत आया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि चीनी विदेश मंत्री की यह यात्रा कोई पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि वह काबुल से अचानक दिल्ली पहुंचे। ऐसे में वांग का दिल्ली आना इस बात का भी संकेत माना जा सकता है कि शायद चीन फिलहाल विवादों को विराम देना चाहता हो। जो देश हाल तक भारत से सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं था, अब उसके विदेश मंत्री ने भारत आने की पहल करके बड़ा संदेश दिया है। जयशंकर ने मुस्लिम देशों के संगठन (ओआईसी) में कश्मीर मामले पर चीन के विदेश मंत्री की टिप्पणी पर भी भारत का कड़ा रुख रखा। जयशंकर ने कहाöउन्हें स्पष्ट तौर पर कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। चीन को इस संबंध में स्वतंत्र नीति अपनानी चाहिए, किसी देश के बहकावे में आकर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कुल मिलाकर चीन पर भारत विश्वास नहीं कर सकता। इतने दौरों की बातचीत पर हैरानी की बात यह है कि वार्ता के हर दौर में चीन कुछ न कुछ ऐसा अड़ियल रुख दिखाता रहा है जिससे गतिरोध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। तेल देखो तेल की धार देखो।
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