Saturday 31 October 2020

अगले महीने आ जाएगी ऑक्सफोर्ड की कोविड वैक्सीन?

दुनियाभर में कोरोना के संक्रमण के कारण मचे कोहराम के बीच अच्छी खबर यह है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन नवम्बर के पहले हफ्ते से उपलब्ध हो सकती है। ब्रिटेन के अस्पतालों के स्टाफ से कहा गया है कि जल्द ही उन्हें टीके की पहली खेप सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट्स के अनुसार अस्पतालों से कहा गया है कि वह नवम्बर से शुरू हो रहे सप्ताह से वैक्सीन के वितरण की तैयारी शुरू कर दें। ब्रिटेन के अस्पतालों में अन्य सभी नैदानिक परीक्षणों को रोक दिया गया है, क्योंकि सभी संसाधन ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनका वैक्सीन के टीकाकरण की तैयारी में जुट गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन बुजुर्गों और वयस्कों दोनों पर अच्छा असर दिखा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन देने के बाद बुजुर्गों में एंटीबॉडीज और टी सेल बने, जो कोरोना वायरस को मात देने में व्यक्ति को सक्षम बनाते हैं। परीक्षण में शामिल बुजुर्ग वॉलंटियर के पिछले जुलाई में लिए गए रक्त के नमूनों से मिली रिपोर्ट के आंकड़े के विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया है कि टीका देने के बाद उनमें अच्छी-खासी मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। वहीं 18 से 55 साल की आयु वर्ग के वॉलंटियर में भी अच्छा प्रभाव दिखा। बता दें कि यूनिसेफ टीकाकरण के लिए इस साल के अंत तक 52 करोड़ सीरिंज्स का भंडारण करेगा। 50 लाख सेफ्टी बॉक्स भी खरीदेगा ताकि सीरिंज और सुइयों को सुरक्षित स्थान पर रखा जा सके। वैक्सीन से पहले दुनियाभर में सीरिंज और सेफ्टी बॉक्स पहुंचाने की तैयारी है। हम उम्मीद ही नहीं, प्रार्थना करते हैं कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह कोरोना वैक्सीन अगले महीने तक आ जाए और दुनिया थोड़ी राहत की सांस ले सके। -अनिल नरेन्द्र

सऊदी अरब की ओर से भारत को दीपावली का तोहफा

सऊदी अरब ने गुलाम कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया है। गुलाम कश्मीर के एक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने बुधवार को एक ट्वीट कर यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने एक तस्वीर भी ट्वीट की जिसके नीचे उन्होंने लिखाöसऊदी अरब की ओर से भारत को दीपावली का तोहफा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया कि सऊदी अरब ने 21-22 नवम्बर को जो जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपनी अध्यक्षता के लिए 20 रियाल (सऊदी मुद्रा) का बैंक नोट जारी किया, यह बताया गया कि बैंक नोट पर प्रदर्शित विश्व मानचित्र में गिलगित-बालटिस्तान और कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्सों के रूप में नहीं दिखाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सऊदी अरब का यह कदम पाकिस्तान को अपमानित करने के प्रयास से कम नहीं है जो खुद को अपने नए ब्लॉक में ढालने की कोशिश कर रहा है। मालूम हो कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सितम्बर में कहा था, उसने तथाकथित गिलगित बालटिस्तान विधानसभा के लिए 15 नवम्बर को होने वाले चुनाव के संबंध में रिपोर्ट देखी है। मंत्रालय का कहना थाöभारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के समक्ष कड़ा विरोध जता दिया है और दोहराया है कि तथाकथित गिलगित बालटिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर व लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें उसने भारत में गुजरात के जूनागढ़, सरक्रीक और माणवदर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के एक हिस्से पर दावा किया था। पाकिस्तान सरकार ने यह नक्शा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की पहली वर्षगांठ के बाद जारी किया था। पाकिस्तान सरकार ने इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। जी-20 शिखर सम्मेलन 21 और 22 नवम्बर को रियाद में आयोजित किया जाएगा। जी-20 समिट इस बार सऊदी अरब की रियाद में होगा। सऊदी अरब सरकार और प्रिंस सलमान के लिए अध्यक्षता का यह मौका फख्र की बात है। 24 अक्तूबर को इस मौके को यादगार बनाने के लिए सऊदी सरकार ने 20 रियाल का बैंक नोट जारी किया। इसमें सामने की तरफ सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज का फोटो और एक स्लगोन है। दूसरी ओर यानि पिछले हिस्से में वर्ल्ड मैप है। सऊदी अरब और ईरान में कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति पाकिस्तानी दूतावास को नहीं मिली। पाक के मिशन दोनों देशों में विरोध के कार्यक्रम करना चाहते थे। ईरान की तेहरान यूनिवर्सिटी में, जबकि सऊदी में रियाद में कार्यक्रम होना था।

निकिता की हत्या में लव जेहाद का एंगल

कम से कम निकिता तोमर केस में हरियाणा पुलिस ने वारदात के कुछ घंटों के अंदर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और मंगलवार को दोनों को अदालत में भी पेश कर दिया। मजिस्ट्रेट ने दोनों आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। बल्लभगढ़ में दिनदहाड़े छात्रा निकिता की हत्या कर दी गई। एसपी बल्लभगढ़ जयवीर राठी ने बताया कि बीकॉम फाइनल की छात्रा निकिता (21) सोमवार को अग्रवाल कॉलेज से पेपर देकर घर लौट रही थी तभी मुख्य आरोपी तौसीफ ने निकिता को जबरन कार में बैठाने की कोशिश की। इंकार करने पर आरोपी ने तमंचे से छात्रा के सिर में गोली मार दी। छात्रा गिर गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। तौसीफ व उसका साथी रेहान कार में सवार होकर फरार हो गए। तौसीफ और रेहान को नूंह से गिरफ्तार किया गया। तौसीफ पुत्र जाकिर गुड़गांव से सोहना के कबीर नगर का रहने वाला है। वहीं रेहान नूंह जिले के रीवासन का है। नाराज परिजनों व विभिन्न संगठनों ने दोपहर को बल्लभगढ़ में नेशनल हाइवे व बीके चौक पर दिनभर जाम लगाए रखा। मृतका के परिजनों का आरोप है कि हत्या का आरोपी तौसीफ जबरन लड़की का धर्म परिवर्तन करवाना चाहता था। ऐसा करने में असफल रहने के बाद उसने पहले अपहरण करने का प्रयास किया और नाकाम रहने पर लड़की को गोली मार दी और हत्या कर दी। परिजनों का आरोप है कि अगर उनकी बेटी समुदाय विशेष होती तो उसे न्याय मिल जाता। छात्रा निकिता के परिजनों और प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार सुबह से ही सोहना मेन रोड, सेक्टर-23 स्थित अपना घर सोसाइटी के सामने जाम लगा दिया। परिजनों की मांग है कि आरोपियों को या तो फांसी दो या फिर एनकाउंटर कर उनकी बेटी को न्याय दिलाया जाए। उनका कहना है कि जब वीडियो में साफ है कि आरोपी ने ही हत्या की है तो उसे तुरन्त सजा क्यों नहीं दी जा सकती? हम न्याय के लिए 15 साल तक इंतजार नहीं कर सकते। वहीं निकिता के पिता का दावा है कि आरोपी की मां पिछले दो साल से बेटी पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाल रही थी। पुलिस आयुक्त ओपी सिंह के अनुसार मामला संज्ञान में आने के बाद तुरन्त प्रभाव से क्राइम ब्रांच की 10 टीमों को जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार करने के दिशानिर्देश दिए थे। जिस पर कार्य करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम फरीदाबाद से पलवल एवं मेवात तक चलाए गए पांच घंटे के ऑपरेशन के दौरान आरोपित को धर दबोचा। उन्होंने बताया कि आरोपित वर्ष 2018 में भी लड़की को अपने साथ ले गया था जिस पर मामला थाना सिटी बल्लभगढ़ में दर्ज किया गया था। गिरफ्तार आरोपित तौसीफ की उम्र 21 वर्ष है, आरोपित फिजियोथैरेपिस्ट का कोर्स कर रहा है और वह थर्ड ईयर में है। दूसरा आरोपित रेहान निवासी रीवासन मेवात का रहने वाला है। इस मामले में एसआईटी गठित की गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस पीड़ित परिवार के साथ है। पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर कोर्ट में अच्छी पैरवी कर आरोपितों को दोषी साबित करवा कड़ी सजा दिलाई जाएगी। यह एक और लव जेहाद का मामला लगता है।

Friday 30 October 2020

भारत-अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग

भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की दिल्ली में हुईं अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक में पांच समझौते हुए जिन्हें दोनों देशों के बीच वूटनीतिक एवं सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों देशों के नेताओं द्वारा हुए समझौतों का महत्व इसी से स्पष्ट हो गया कि भारत के दोनों शत्रु राष्ट्र चीन और पाकिस्तान में जबरदस्त प्रातिव््िराया हुईं। चीन तो तिलमिलाया जबकि पाकिस्तान में सैन्य प्रातिष्ठान यह मान चुका है कि उसकी सरकार की नाकामियों की वजह से अब भारत और अमेरिका के बीच जो सहयोग तंत्र विकसित हुआ है उससे पाकिस्तान न घर का रहा न घाट का, क्योंकि अमेरिका के साथ ही उसके सारे सहयोगी देशों ने भी भारत के साथ नजदीकियां बढ़ा लीं और जो कभी पाकिस्तान की मदद करते थे वे भी भारत के हर मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ और भारत के साथ खड़े दिख रहे हैं। बहरहाल दोनों देशों के बीच बीईंसीए यानि बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट सम्पन्न हुआ। इस समझौते के तहत अत्याधुनिक सैन्य प्राौदृाोगिकी उपग्राह के गोपनीय डाटा एवं दोनों देशों की सेनाओं के बीच अहम सूचना साझा करने की अनुमति होगी। इस महत्वपूर्ण समझौते के बावजूद भी चार समझौते और सम्पन्न हुए हैं। इनमें पहला है पृथ्वी अवलोकन, पृथ्वी विज्ञान में तकनीकी सहयोग के लिए करार। दूसरा है दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा से जुड़े समझौते का ि़वस्तार। तीसरा है डाक परिचालकों में सीमा शुल्क डाटा का इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रादान। चौथा है आयुव्रेद और वैंसर के छात्रों में शोध व अनुसंधान सहयोग बढ़ेगा। इन सभी पांचों समझौतों में से बीईंसीए समझौता इसि़लए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका इस तरह का समझौता सिर्प नाटो सहयोगी देशों के साथ ही करता है और इस समझौते का मतलब है भारत के शत्रु देश के साथ युद्ध के समय भारत को पूरा खुफिया तकनीकी एवं अस्त्र-शस्त्र की सहायता करना। सच तो यह है कि भारत अब किसी तरह के मुगालते में नहीं है। नईं दिल्ली इस बात को अच्छी तरह समझती है कि उसे किस देश से वैसा संबंध स्थापित करके रखना है। शीत काल के दौर की भारत अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति का श्राद्ध कर चुका है। भारत के नीति-निर्धारक गुटनिरपेक्षता की नीति की आड़ में सोवियत संघ के अगुवाईं वाले वारसा पैक्ट का ही समर्थन करते थे। इससे नाटो खासकर अमेरिका भारत से चिढ़ा रहता था। वाजपेयी-क्लिंटन के बीच सम्पन्न हुए समझौते ‘विजन 2000’ में ही यह समझ बन चुकी थी दोनों लोकतांत्रिक देशों को एक साथ खड़ा होना चाहिए। कालांतर में दोनों देशों के नेताओं ने सहयोग की भावना को आगे बढ़ाया। किन्तु वुछ गलतफहमी की वजह से 2012 से 2014 के बीच दोनों देशों में तल्खी भी आईं। इन तल्ख रिश्तों के लिए कारण बहुत छोटे-छोटे थे किन्तु दोनों देशों ने सुलझाने की कोशिश नहीं की। दरअसल मईं 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्राधानमंत्री मोदी ने अपनी सितम्बर 2014 की अमेरिका यात्रा के पूर्व इस बात का समुचित अध्ययन किया कि किस तरह दोनों देशों के बीच सुरक्षा, वूटनीति और व्यवसाय के क्षेत्र में सहयोग मजबूत किया जाए। सितम्बर में राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलकर समूची स्थिति की समीक्षा और आकलन करने के बाद प्राधानमंत्री मोदी ने एक सप्ताह के अंदर ही संबंधों में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया तथा संबंधों को मजबूत करने की परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने के लिए विस्तृत रूपरेखा बनाने के लिए अपनी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को अमेरिका में ही छोड़ दिया। सुषमा जी और डोभाल ने व्हाइट हाउस, स्टेट डिपार्टमेंट और पेंटागन के रणनीतिकारों से समुचित वार्ता की और रणनीति को आगे बढ़ाने की योजना बनाईं। बहरहाल उसके बाद ओबामा भारत आए और दोनों देशों ने संबंधों में गति देने में ईंमानदारी से काम किया। दोनों देशों के बीच जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफाम्रेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईंए) पर 2002 में ही हस्ताक्षर हो चुके थे किन्तु दोनों तरफ से डेढ़ दशक तक वुछ काम नहीं हुआ। किन्तु 2016 में रक्षा समझौता एवं प्राौदृाोगिकी साझा करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अमेरिका ने 2016 में भारत को प्रामुख रक्षा सहयोगी का दर्जा दिया। दोनों देशों ने 2016 में लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट किया। भारत और अमेरिका ने 2018 में एक और महत्वपूर्ण समझौता किया जिसे कोमकासा कहा जाता है। कोमकासा समझौता भी दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों के बीच सम्पन्न हुईं बैठक के बाद ही सम्पन्न हुआ था। सच तो यह है कि भारत बीईंसीए समझौता करके अमेरिका के साथ रक्षा क्षेत्र में प्रामुख सहयोगी बन गया है। इससे शत्रु राष्ट्रों की चिन्ता बढ़ना स्वाभाविक है। किन्तु भारत अपने शत्रु राष्ट्रों की परवाह नहीं करता बल्कि परवाह करता है अपने सदाबहार मित्र रूस की जिसे पहले ही इस बात का आश्वासन दे चुका है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अमेरिका की मदद लेने के लिए विवश है। किन्तु अमेरिका के साथ भारत के रक्षा समझौतों से उसे यानि रूस को किसी तरह चितित होने की जरूरत नहीं है। भारत हमेशा रूस के सामरिक हितों के प्राति संवेदनशील रहेगा। रूस भी भारत के साथ संबंधों को लेकर सहज है और वह भारत की जरूरतों के प्राति सजग है और भारतीय भावनाओं को महसूस करता है। सच तो यह है कि भारत ने अब अपने शत्रु पड़ोसियों को इस बात का अहसास दिला दिया है कि वह बदल चुका है, उसके लिए अपनी सुरक्षा सबसे अहम है क्योंकि सुरक्षित भारत ही समृद्धि की तरफ बढ़ सकता है। यदि सुरक्षा को ही चुनौती मिलती रहेगी तो आर्थिक विकास के लिए व्यवसाय का बाधित होना स्वाभाविक है। इसलिए सुरक्षा की कीमत पर व्यापार संभव नहीं है।