Saturday, 31 October 2020
सऊदी अरब की ओर से भारत को दीपावली का तोहफा
सऊदी अरब ने गुलाम कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया है। गुलाम कश्मीर के एक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने बुधवार को एक ट्वीट कर यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने एक तस्वीर भी ट्वीट की जिसके नीचे उन्होंने लिखाöसऊदी अरब की ओर से भारत को दीपावली का तोहफा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया कि सऊदी अरब ने 21-22 नवम्बर को जो जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपनी अध्यक्षता के लिए 20 रियाल (सऊदी मुद्रा) का बैंक नोट जारी किया, यह बताया गया कि बैंक नोट पर प्रदर्शित विश्व मानचित्र में गिलगित-बालटिस्तान और कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्सों के रूप में नहीं दिखाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सऊदी अरब का यह कदम पाकिस्तान को अपमानित करने के प्रयास से कम नहीं है जो खुद को अपने नए ब्लॉक में ढालने की कोशिश कर रहा है। मालूम हो कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सितम्बर में कहा था, उसने तथाकथित गिलगित बालटिस्तान विधानसभा के लिए 15 नवम्बर को होने वाले चुनाव के संबंध में रिपोर्ट देखी है। मंत्रालय का कहना थाöभारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के समक्ष कड़ा विरोध जता दिया है और दोहराया है कि तथाकथित गिलगित बालटिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर व लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें उसने भारत में गुजरात के जूनागढ़, सरक्रीक और माणवदर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के एक हिस्से पर दावा किया था। पाकिस्तान सरकार ने यह नक्शा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की पहली वर्षगांठ के बाद जारी किया था। पाकिस्तान सरकार ने इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। जी-20 शिखर सम्मेलन 21 और 22 नवम्बर को रियाद में आयोजित किया जाएगा। जी-20 समिट इस बार सऊदी अरब की रियाद में होगा। सऊदी अरब सरकार और प्रिंस सलमान के लिए अध्यक्षता का यह मौका फख्र की बात है। 24 अक्तूबर को इस मौके को यादगार बनाने के लिए सऊदी सरकार ने 20 रियाल का बैंक नोट जारी किया। इसमें सामने की तरफ सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज का फोटो और एक स्लगोन है। दूसरी ओर यानि पिछले हिस्से में वर्ल्ड मैप है। सऊदी अरब और ईरान में कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति पाकिस्तानी दूतावास को नहीं मिली। पाक के मिशन दोनों देशों में विरोध के कार्यक्रम करना चाहते थे। ईरान की तेहरान यूनिवर्सिटी में, जबकि सऊदी में रियाद में कार्यक्रम होना था।
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