Friday 31 July 2015

गुरदासपुर आतंकी हमले के यह अनसंग हीरोज

पंजाब के गुरदासपुर में हमला करने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से रावी नदी के जरिए भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे और ऐसा लगता है कि उनके इरादे तो बहुत खतरनाक थे जो पूरे नहीं हो सके। जहां हमारे पंजाब पुलिस के जांबाजों ने इन आतंकियों को मार गिराया वहीं कई और हीरो भी हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर निर्दोषों को बचाया। ऐसा एक व्यक्ति है नानक चन्द। आतंकी हमले के खौफनाक मंजर कभी न भूलने वाले नानक चन्द ने 80 बस यात्रियों को अपनी जान दांव पर लगाकर बचा लिया। नानक चन्द पंजाब रोडवेज की बस नम्बर पीबी-06जी 9569 चलाता है। उन्होंने बताया कि वह बनियाल से अपनी बस लेकर सुबह दीनानगर पुलिस थाने के आगे पहुंचा तो पुलिस थाने की तरफ से सीधी एक गोली बस के भीतर आ घुसी। उस गोली से पांच सवारियां घायल हो गईं। इसी बीच दूसरे आतंकी ने बस रोकने के लिए हाथ दिया तभी उन्हें आतंकी हमले का अहसास हुआ और उन्होंने बस को भगा लिया। पांच सवारियों को गोली लगने से बस के भीतर चीख-पुकार व दहशत मच गई। घायल सवारियों के मद्देनजर नानक चन्द सीधे सिविल अस्पताल पहुंचे। तब तक अस्पताल तक आतंकी हमले का शोर पहुंच चुका था। वहां पहुंचते ही डाक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू कर दिया। नानक चन्द अगर बस रोक लेता तो गदर मच जाता। हम नानक चन्द की बहादुरी और समझदारी को सलाम करते हैं। लगता है कि आतंकवादियों के निशाने पर जम्मूतवी-बठिंडा एक्सप्रेस ट्रेन थी। यह ट्रेन जम्मू से रात 9.30 पर चलकर दीनानगर के उस पुल से गुजरती है जहां पर आतंकियों ने बमों का जाल बिछा रखा था। सुबह करीब चार बजे ट्रेन को यह पुल पार करना था। लेकिन रेल मंडल फिरोजपुर ने एक हफ्ते पहले ट्रैक में कुछ तकनीकी कारणों के चलते इनका रूट बदल कर वाया मुकेरियां-जालंधर कर दिया था। की-मैन अश्विनी कुमार की सूझबूझ के कारण सोमवार को पठानकोट-अमृतसर रेलवे स्टेशन पर  बड़ा हादसा टला। गैंग नम्बर 13 एपी (अमृतसर-पठानकोट हेडक्वार्टर) दीनानगर में तैनात की-मैन अश्विनी कुमार ने बताया कि सुबह करीब साढ़े चार बजे वह ट्रैक की चैकिंग कर रहे थे कि किलोमीटर 85 पर पहुंचे। कुछ लोगों ने बताया कि पुल पर कुछ लगा है। इस पर वह तुरन्त किलोमीटर 84/5-6 पर स्थित ब्रिज नम्बर 236 के पास पहुंचे। वहां पुल पर तार से लिपटे चार-पांच सैलनुमा यंत्र लगे थे। इस पर उन्हें शक हुआ कि यह तो बम है। इस दौरान पठानकोट से अमृतसर पैसेंजर (ट्रेन नम्बर 54612) परमानन्द स्टेशन से निकल चुकी है और दो-तीन मिनट में पुल पर पहुंचने वाली थी। इस पर उन्होंने तुरन्त अपने थैले से लाल कपड़ा निकालकर ट्रैक के बीच लगा दिया। लाल कपड़ा देखकर पुल से करीब 60 मीटर पीछे ड्राइवर ने ट्रेन रोक ली। ट्रेन रुकने की जानकारी दीनानगर रेलवे स्टेशन मास्टर को मिली तो उन्होंने कंट्रोल रूम को बताया। इस पर जीआरपी, आरपीएफ व जिला पुलिस के अधिकारी एवं जवान मौके पर पहुंचे। रेल अधिकारियों ने बताया कि आज अगर की-मैन अश्विनी ने सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता तो यकीनन रेलगाड़ी उड़ जाती और कई लोगों की जान चली जाती। अश्विनी की प्रशंसा करते हुए उच्चाधिकारियों ने कहा कि उन्हें विशेष सम्मान दिलाया जाएगा। दीनानगर में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आरोपी पाकिस्तान से ही आए थे। इसके लिए आतंकियों ने जीपीएस सिस्टम का इस्तेमाल किया था। भारतीय सीमा में दाखिल होने के लिए आतंकियों ने शकरगढ़-बनियाल का रास्ता चुना। शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है। डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने कहा कि आतंकियों के जीपीएस की पहली लोकेशन रावी नदी के किनारे बनियाल की मिली है। डीजीपी देर शाम दीनानगर थाने का दौरा करने पहुंचे थे। पाकिस्तान के सियालकोट से कुछ ही दूरी पर स्थित गांव शकरगढ़ भारतीय सीमा से सटा हुआ है। यह गांव दीनानगर से सिर्प 20 किलोमीटर के फासले पर है। आतंकवादियों के पास कोई वाहन नहीं था, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल होकर पैदल ही दीनानगर रेलवे पटरी से गांव तलवंडी पहुंचे, जहां उन्होंने पुल पर बम फिट किए। इसके बाद एक किलोमीटर पैदल चलकर सिटी एरिया में आए। खुफिया एजेंसी के एक अफसर का मानना है कि इस गाड़ी को निशाना बनाने का मकसद सीधे तौर पर सेना के जवानों और अफसरों को निशाना बनाना था। क्योंकि इस गाड़ी में जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी करने वाले तमाम सेना के जवानों से लेकर आला अधिकारी सफर करते हैं। प्लान तो इन आतंकियों का रेल उड़ाने के बाद वापस पाकिस्तान भाग जाने का था पर इनकी बदकिस्मती कि यह दीनानगर पुलिस स्टेशन में घुस गए जहां इनका काम तमाम हो गया। जहां हम एसपी बलजीत सिंह की बहादुरी की दाद देते हैं वहीं हम पंजाब रोडवेज के बस चालक नानक चन्द और की-मैन अश्विनी को भी सलाम करते हैं। यह हैं गुरदासपुर आतंकी हमले के अनसंग हीरो।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday 30 July 2015

राबर्ट वाड्रा मुद्दे पर भाजपा-कांग्रेस में तल्खी बढ़ेगी

आपसी तनातनी से ठप लोकसभा में कांग्रेस के उग्र व्यवहार को देखते हुए भाजपा ने कांग्रेस की दुखती रग पर हमला बोल दिया। बृहस्पतिवार को सत्ता पक्ष ने जवाबी हमले के लिए सोनिया गांधी के दामाद और पियंका के पति राबर्ट वाड्रा का मुद्दा उछाल दिया। पहले लोकसभा और फिर कमबद्ध रूप से एक के बाद एक कई राज्यों में अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस और उसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी उसकी तलाश में आकामकता की कोशिशों पर सत्ता पक्ष ने उस पर ऐसी जगह हमला बोला जो उसको बैकफुट पर लाने में फायदेमंद रहा। चार दिन से संसद की कार्रवाई रोके कांगेस की तरफ से जब नो डिस्कशन विदाउट रेजिगनेशन का नारा दिया गया तो जवाब में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कथित भ्रष्टाचार के पिटारे खुलने लगे। संसद के भीतर और बाहर भाजपा सांसदों ने वाड्रा की कारगुजारियों के प्लेकार्ड दिखाकर सोनिया-राहुल गांधी के परिवार को घेरा। पिछले कई दिनों से यह खबरें आ रही हैं कि हरियाणा सरकार व राजस्थान सरकार ने राबर्ट वाड्रा द्वारा कथित भूमि घोटालों की जांच तेज कर दी है। इन खबरों से परेशान राबर्ट वाड्रा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पाटी (भाजपा) सरकार विभाजनकारी राजनीतिक हथकंडे अपना रही है। राबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखाः संसद की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही क्षुद्र राजनीतिक मतभेद भी दिखने लगते हैः भाजपा सरकार विभाजनकारी राजनीतिक हथकंडे अपना रही है। संसद का सत्र शुरू हो गया है और उनके संकीर्ण विभाजनकारी राजनीतिक हथकंडे भी। भारत की जनता मूर्ख नहीं है। तथाकथित नेताओं को भारत का नेतृत्व करते हुए देखकर दुख हो रहा है। राबर्ट वाड्रा ने अपने विवादित भूमि सौदे पर चर्चा की कोशिश को ध्यान भटकाने का सतही पयास बताया। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष व्यापमं घोटाले पर चर्चा कराना चाहता है तब सरकार भूमि सौदे की आड़ लेने की कोशिश कर रही है। भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने वाड्रा के खिलाफ अवमानना का नोटिस दिया। शोर शराबे में ही उन्होंने कहा कि वाड्रा ने संसद और सांसदों की अवमानना की है। एक दूसरे सदस्य पह्लाद जोशी ने थोड़ी और तीखी टिप्पणी करते हुए सास-दामाद तक की बात कह डाली और मांग की कि यह विशेषाधिकार समिति को भेजा जाए ताकि वाड्रा पर कार्रवाई हो सके। वाड्रा के मुद्दे ने सोनिया गांधी को भड़का दिया। सास-दामाद जैसे शब्द सुनते ही वह अपनी सीट से खड़ी हो गईं। पास बैठे खड़गे ने उठकर बेल में जाकर विरोध जताया। राबर्ट वाड्रा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन पस्ताव के साथ-साथ गांधी परिवार के लिए एसिड टेस्ट साबित हो सकता है। संसद की विशेषाधिकार समिति के भाजपा सांसदों ने गांधी परिवार के दामाद को बुलाने की उम्मीद में उनसे तीखे सवाल-जवाब करने की पूरी तैयारी कर ली है। कमेटी में 15 सदस्य हैं जिसमें सात भाजपा और दो  एनडीए सहयोगियें में से हैं। कमेटी में एक मात्र कांग्रेस सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। सत्तारूढ़ पाटी के सांसद दावा करते हैं कि उन पर इस बात को लेकर दबाव है कि वाड्रा को सजा दें। वे बताते हैं कि कमेटी निश्चित तौर पर वाड्रा को बुलाएगी और उनके फेसबुक पोस्ट के बारे में गहन पूछताछ करेगी। विशेषाधिकार समिति में वाड्रा को बुलाया गया तो निश्चित रूप से भाजपा-कांग्रेस की फेस-आफ राजनीति बढ़ेगी।

-अनिल नरेंद्र

पैसा हो न हो, इलाज पहले ः मोदी

पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देश की सड़क दुर्घटनाओं पर गहरी चिंता जताई। आकाशवाणी पर पसारित मन की बात कार्यकम में उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति, राष्ट्रीय सड़क कार्ययोजना व सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के इलाज के लिए चुनिंदा शहरों व राज्य मार्गों पर नकद रहित (कैशलेस) इलाज की व्यवस्था लागू करेगी। उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले दिल्ली की एक दुर्घटना के दृश्य पर मोदी की नजर पड़ी और दुर्घटना के बाद वह स्कूटर चालक दस मिनट तक तड़पता रहा। उसे कोई मदद नहीं मिली। पधानमंत्री की चिंता स्वाभाविक ही है। वास्तविक स्थिति तो यह है कि हमारे देश में पाकृतिक आपदाओं के चलते इतनी मौतें नहीं होतीं, जितनी सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती हैं और अक्सर देखा गया है कि सड़क पर पड़े घायल की कोई मदद नहीं करने आता। अगर कोई हिम्मत करके घायल आदमी को किसी अस्पताल में ले जाता है तो पहले तो उसकी पुलिस रिपोर्ट लिखी जाती है और फिर अगर वह किसी पाइवेट अस्पताल जाता है तो सबसे पहले उसे पैसा जमा करने को कहा जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए मोदी ने शहरों और राजमार्गों पर घायलों के लिए नकद रहित उपचार (कैशलेस ट्रीटमेंट) की सुविधा लाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा इसका मकसद होगा कि पैसे हैं कि नहीं, पैसे कौन देगा ये सब चिंता छोड़ सड़क हादसे में घायल शख्स को उत्तम से उत्तम सेवा दिलाने को पाथमिकता दी जाए। आकाशवाणी पर अपने 15 मिनट के  संबोधन में मोदी ने कहा नकद रहित उपचार की शुरुआत गुडगांव, जयपुर और बड़ोदरा से लेकर मुबंई, रांची, रणगांव, मौंडिया राजमार्गों के लिए होगी। देश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भयावह ढंग से बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे सड़कों की स्थिति में सुधार हो रहा है और वाहन बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे मार्ग दुर्घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। भारत में पति वर्ष करीब सवा लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं। 2014 के आंकड़े बता रहे हैं कि एक वर्ष में एक लाख चालीस हजार लेग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठे। केवल एक वर्ष में साढ़े चार लाख सड़क हादसे और उनमें 4,80,000 लोगों के घायल होने व करीब ढेड़ लाख लोगों के अपनी जान गंवाने का आकड़ा स्तब्ध करने वाला है। पधानमंत्री की इन घोषणाओं से सड़कों पर मंडराने वाले खतरे कम होने और आपातकालीन सहायता के पबंध की उम्मीद जरूर जागी है। अक्सर देखा जाता है कि चालक या गाड़ियों में सवार लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। राह चलते लोग उन्हें अस्पताल पहुंचाने की पहल इसलिए नहीं करते हैं कि वहां इलाज करने से पहले पैसा जमा करने को कहा जाता है। अस्पताल किसी अपरिचित व्यक्ति का इलाज करने से कतराते हैं। यह सोच कर कि इलाज का खर्च कौन उठाएगा? इस तरह समय पर इलाज न मिल पाने के कारण बहुत सारे लोग दम तोड़ देते हैं। पीएम ने ऐलान किया है कि दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति का पचास घंटे तक हुए इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। हम पधानमंत्री की इस पहल का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें भी इसी पकार के पभावी कदम उठाएंगी। हमारे देश में हर मिनट एक दुर्घटना होती है। दुर्घटना के कारण हर चार मिनट में एक मृत्यु होती है और सबसे बड़ा चिंता का विषय यह है कि करीब एक तिहाई मरने वालों में 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं और एक मृत्यु पूरे परिवार को हिला देती है।

Wednesday 29 July 2015

विदाई जनता के महामहिम की

भारत के सबसे लोकप्रिय व जनता के राष्ट्रपति जन-जन के प्रेरणास्रोत भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अब इस दुनिया में नहीं रहे। मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत रत्न का सोमवार शाम को निधन हो गया। 84 वर्षीय कलाम शिलांग में एक व्याख्यान के दौरान बेहोश हो गए थे और बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें बेपनी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर दी गई है। उनके निधन से सचमुच एक शून्य पैदा हो गया है। बहुत ही गरीबी में पले-बढ़े कलाम तमाम अभावों से दो-चार होने के बावजूद न केवल एक सफल वैज्ञानिक ही बने बल्कि राष्ट्र के सच्चे हितैषी के रूप में देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए। 21वीं सदी में जवान होती पीढ़ी के सामने कलाम एक प्रेरक पुंज के रूप में सामने आए। उनके पास एक विजन था, देश को विकसित मुल्कों की बराबरी में ला खड़ा करने का सपना था। जिस चीज के सहारे कलाम ने देश को बदलने का ख्वाब देखा वह है साइंस और टेक्नोलॉजी। तकनीक से उनके लगाव ने सिर्प युवाओं के बीच ही नहीं, सभी धर्म, जाति, संप्रदायों के बीच उन्हें खासा लोकप्रिय बनाया। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वे दूसरे ऐसे शख्स थे जिन्हें बच्चों से मिलने, बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी। बेशक डॉ. कलाम से हमारा साथ अब छूट गया है पर कह सकते हैं कि उनकी प्रेरणा हमेशा हमारा साथ देगी और लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। उन्होंने पहले रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर मिसाइल मैन के रूप में देश को अमूल्य सेवा दी, फिर राष्ट्रपति के रूप में समस्त देश को प्रेरणा प्रदान की। देशवासी यह कभी नहीं भूल सकते कि देश को एक सक्षम परमाणु सम्पन्न देश बनाने में उनका अद्वितीय योगदान था। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी वह राष्ट्रीय शिक्षक की भूमिका निभाते रहे। अंतिम सांस लेने से ठीक पहले भी वह आईआईएम शिलांग में व्याख्यान दे रहे थे। वह पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने सांसदों को कर्तव्य पथ पर अडिग रहने की शपथ दिलाई। उन्होंने न केवल देश को महाशक्ति बनाने का मूल मंत्र दिया बल्कि लोगों में यह विश्वास भी जगाया कि भारत एक महाशक्ति बन सकता है। देश के पहले पुंवारे राष्ट्रपति कलाम की हेयर स्टाइल अपने आपमें अनोखा था और एक राष्ट्रपति की आम भारतीय परिभाषा में फिट नहीं बैठता था, लेकिन देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य योगदान देकर देश की सेवा की। डॉ. कलाम के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। यह एक ऐसा शून्य है जिसे भरा नहीं जा सकता। देश उनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखेगा। भारत ने एक महान सपूत खो दिया है। हम उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

आतंकी हमले से फिर दहला पंजाब

सोमवार 27 जुलाई 2015 हमेशा याद रहेगी। क्योंकि सोमवार को देश को दोहरा झटका लगा। सुबह-सुबह खबर आई कि पाक समर्थित आतंकियों ने पंजाब में गुरदासपुर के दीनानगर में भारी हमला कर दिया है और शाम होते-होते खबर आ गई कि भारत के मिसाइल मैन, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अब इस दुनिया में नहीं रहे। बात करते हैं गुरदासपुर आतंकी हमले की। सेना की वर्दी पहने भारी हथियारों से लैस तीन आतंकियों ने सोमवार को एक चलती बस और एक पुलिस थाने पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं जिसमें एक पुलिस अधीक्षक सहित सात लोग मारे गए तथा 15 घायल हो गए। राज्य में आठ साल बाद पंजाब में यह हुआ पहला हमला था। माना जा रहा है कि यह आतंकी पाकिस्तान से आए थे और जिस तैयारी के साथ आए थे, जो हथियार व असला साथ लाए थे उससे लश्कर--तैयबा की बू आती है। हमलावरों के बारे में हालांकि कोई अधिकृत बयान तो अभी तक नहीं आया लेकिन संदेह है कि वे जम्मू और पठानकोट के बीच बिना बाड़ की सीमा के जरिये या जम्मू जिले के चक हीरा के रास्ते पाकिस्तान से भारत में घुस आए थे। इससे पहले 20 मार्च को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में जैश--मोहम्मद के आतंकी सेना की वर्दी में एक थाने में घुस आए थे और तीन सुरक्षाकर्मियों समेत छह लोग मारे गए थे। सेना की वर्दी पहने आतंकियों के हमले में चार आम नागरिकों और तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। शहीद हुए पुलिसकर्मियों में पुलिस अधीक्षक (खुफिया) बलजीत सिंह शामिल हैं। बलजीत अपने पिता निरीक्षक अधार सिंह की मौत के बाद वर्ष 1985 में एसएसपी के तौर पर बल में शामिल हुए थे। ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे शहीद एसपी (डिटेक्टिव) बलजीत सिंह के आखिरी शब्दöबातचीत के साथ मोर्चा संभाले एएसआई भूपेंद्र सिंह के मुताबिक आतंकवादियों की गोलियां लगातार एसपी के पास से निकल रही थीं। बलजीत थाने की छत पर एक टंकी के पीछे छिपकर जवाबी फायरिंग कर रहे थे। भूपेंद्र ने उनसे संभल कर रहने के लिए कहा। बलजीत सिंह का जवाब थाöआप मेरी चिंता मत करो और आगे बढ़कर लड़ो...मैं इनको खदेड़ कर ही दम लूंगा। तभी एक गोली बलजीत के सिर के पार हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। कपूरथला के रहने वाले बलजीत सिंह डेढ़ महीने पहले ही प्रमोशन पाकर एसपी बने थे। सोमवार को दीनानगर थाने में फायरिंग की खबर सुनते ही वह वहां पहुंच गए थे। उनके पिता ने भी देश के लिए अपने प्राण त्याग दिए और बेटे बलजीत ने भी। ऐसे सपूतों पर पूरे देश को गर्व है। पंजाब पुलिस के विशेष बल स्वात की तारीफ करनी होगी जो एक बार थाने के अंदर घुसे और तीनों आतंकियों को मारकर ही बाहर निकले। एक रिपोर्ट के अनुसार एक-एक आतंकी को 50-50 गोलियां लगीं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब के इन जांबाज सिपाहियों ने किस दिलेरी से उन पर हमला किया होगा। आतंक की हाई-वे नाम से कुख्यात पठानकोट-जम्मू राजमार्ग पर इस बार हमले की जगह जम्मू से बदलकर पंजाब बेशक कर दी थी मगर इरादे बड़े खतरनाक थे। भारी हथियारों और पूरी रसद-पानी की तैयारी के साथ आए इस शैतानी गिरोह का निशाना इस राजमार्ग से होकर गुजरने वाले अमरनाथ यात्रियों को मारना था लेकिन कश्मीर में बालटाल में बादल फटने के हादसे के बाद अमरनाथ यात्रा को तात्कालिक रूप से रोक दिया गया था। भोले शंकर की कृपा से तीर्थयात्रियों की जानें तो बच गईं लेकिन इसकी कीमत देश के सात सपूतों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आतंकी कितनी तैयारी से आए थे इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्होंने हमारे सुरक्षा बलों-सेना को सोलह घंटे से अधिक तक फंसाए रखा। विनाश फैलाने के पहले इस आत्मघाती गिरोह का सफाया करने वाले सुरक्षा बलों की दक्षता और बहादुरी तो बेशक काबिल--तारीफ है ही, लेकिन सुरक्षा तैयारियों व खुफिया विभाग की विश्वसनीयता पर जरूर प्रश्नचिन्ह लगता है। पठानकोट-जम्मू हाई-वे कोई साधारण राजमार्ग नहीं है। जम्मू-कश्मीर को भारत की मुख्यधारा से जोड़ने वाली लाइफ लाइन है। अब सारे देश की नजरें नरेंद्र मोदी सरकार की ओर हैं। देखें वे इस हमले पर क्या जवाबी कार्रवाई करते हैं? क्या अब भी दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे? आतंक ऐसा सियासी मुद्दा नहीं जिस पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जाएं। यह समय एकजुट होकर सतर्प रहने का है और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का है।

Tuesday 28 July 2015

स्पॉट फिक्सिंग मामले में सभी आरोपी बरी?

आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग बहुचर्चित मामले में दिल्ली पुलिस को करारा झटका लगा है। इस बहुचर्चित स्पॉट फिक्सिंग कांड में पुलिस ने आईपीएल टीम के एस. श्रीसंत, अजीत चन्देला, अंकित चव्हाण सहित 36 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसी आरोप पत्र में दाऊद इब्राहिम व छोटा शकील को भी आरोपी बनाया गया था। तत्कालीन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले का खुलासा करने के लिए इंडिया हैबिटेट सेंटर में बाकायदा एक हॉल बुक कराया था। नीरज कुमार ने पूरे लाव-लश्कर के साथ मीडिया कर्मियों से खचाखच भरे हॉल में जमकर अपनी पुलिस की पीठ ठोकी थी। लेकिन शनिवार को आए फैसले ने दिल्ली पुलिस की जांच पर ही सवालिया निशान लगा डाले। पटियाला हाऊस स्थित एडिशनल सैशन जज नीना बंसल की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने जैसे ही भगोड़ा करार आरोपियों को छोड़कर बाकी 36 लोगों के आरोपमुक्त होने की घोषणा की, कोर्ट रूम में मौजूद क्रिकेटर एस. श्रीसंत फूट-फूट कर रोने लगे। वहीं कोर्ट रूम में अन्य आरोपी एक-दूसरे से मिलकर बधाई देने लगे। फैसले के कुछ समय बाद ही बीसीसाई ने ऐलान किया, क्रिकेटरों पर आजीवन प्रतिबंध जारी रहेगा। इस मामले में 23 मई को सुनवाई पूरी हो चुकी थी। अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश करने का समय मांगा और दोबारा चार बजे से कोर्ट की कार्यवाही फिर शुरू हुई। इस दौरान भी कोर्ट अभियोजन पक्ष की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। इस मामले को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों ने उठाया था कि सटीक सूचना और पर्याप्त सबूत के बाद मैच फिक्सिंग मामले में कार्यवाही का निर्णय लिया गया था। लेकिन कोर्ट ने पुलिस के तमाम सबूतों व तर्कों को पूरी तरह खारिज कर दिया। जबकि इस मामले में क्रिकेटरों सहित दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील तक को आरोपी बनाया गया था। लेकिन पुलिस एक छोटे से बुकी पर भी आरोप तय कर पाने में असफल रही। यह भी सत्य है कि स्पेशल सेल के पास इस मामले में शुरू से ही पर्याप्त सबूत, साक्ष्य नहीं थे। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहाöइन सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। पुलिस के हाथ खाली हैं। जांच एजेंसी ऐसी स्थिति भी बनाने में नाकाम रही कि आरोपियों के खिलाफ गवाह, सबूत पेश कर मुकदमा चलाया जाए। कोर्ट के इस फैसले का पूर्वाभास होने पर सुबह दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में अर्जी दायर कर मामले की दोबारा जांच करने की मांग की थी। इसमें कहा गया कि पुलिस को न्याय के लिए कोर्ट जस्टिस लोढ़ा समिति की तफ्तीश में सामने आए तथ्यों पर दोबारा जांच का मौका दे। लेकिन कोर्ट ने पुलिस की अर्जी खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में छह हजार पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था। लेकिन इन हजारों पन्नों में भी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक साक्ष्य नहीं पाए गए। ऐसे में दोबारा जांच उचित नहीं है। उल्लेखनीय है कि पुलिस का दावा था कि नौ मई 2013 को पंजाब और राजस्थान के बीच हुए मैच में श्रीसंत ने पूर्व नियोजित तरीके से एक ओवर में 14 रन दिए थे। इसके लिए 40 लाख रुपए में डील हुई थी। श्रीसंत ने स्पॉट फिक्सिंग के लिए तौलिए को बतौर कोड इस्तेमाल किया था।

-अनिल नरेन्द्र

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं बलात्कार के केस?

एनसीबीआर के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में सबसे ज्यादा बलात्कार होते हैं। राजधानी में औसतन हर रोज चार महिलाएं दरिंदगी की शिकार होती हैं। 2015 के पहले दो महीनों में राजधानी के 181 पुलिस स्टेशनों में बलात्कार के 300 और छेड़छाड़ के 500 मामले दर्ज किए गए। 2014 में रेप के 2069 मामले दर्ज किए गए जबकि 2013 में यह आंकड़ा 1571 था। इससे साफ जाहिर होता है कि सारे प्रबंधों कानूनों के बावजूद रेप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हम पुलिस को ही इनके लिए दोष देते हैं पर देश का कानून और न्याय प्रणाली भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। दिल्ली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमसी गुप्ता ने 21 साल की लड़की का अपहरण करने एवं जबरन शादी कर उससे बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 10 साल की कैद की सजा सुनाई है। इस अपराध में सहयोग करने वाली महिला को भी अदालत ने इतनी ही सजा सुनाई। हमारे देश में बलात्कार के कानून निर्भया कांड के बाद सख्त किए गए। निर्भया कांड 16 दिसम्बर 2013 को हुआ था। आज तक इतना समय बीतने पर भी एक भी आरोपी को मौत की सजा नहीं दी जा सकी। अभी मामला अदालतों में ही लटका हुआ है। हमारे देश की न्यायिक प्रणाली पर उतने ही गंभीर प्रश्न उठते हैं जितने पुलिस और समाज पर। फेसबुक पर मेरे एक वाकिफ ने दुनिया के अन्य देशों में बलात्कार की सजाओं का ब्यौरा दिया है। मैं इनकी प्रमाणिकता पर तो दावा नहीं कर सकता पर मुझे यह सही लगता है। अब गौर फरमाएं दुनिया के अन्य मुल्कों में बलात्कार की सजा। कुवैतöसात दिनों के अन्दर मौत की सजा दी जाती है। ईरान में 24 घंटे के अन्दर पत्थरों से मार दिया जाता है या फांसी लगा दी जाती है। अफगानिस्तान में चार दिनों के भीतर सिर में गोली मार दी जाती है। चीन में तो कोई ट्रायल यानि मुकदमा ही नहीं होता, मेडिकल जांच में प्रमाणिक होने के बाद मृत्यु दंड। मलेशियाöमृत्यु दंड। मंगोलियाöपरिवार द्वारा बदले स्वरूप मृत्यु। डैथ एज रिवेज बाई फैमिली। इराक पत्थरों से मारकर हत्या। डैथ बाई स्टोनिंग टिल लॉस्ट  ब्रैथ। कतरöहाथ, पैर, योनांग काटकर, पत्थर मार कर हत्या। पोलैंडöसुअरों से कटवा कर मौत। श्रोन टू पिग्स। दक्षिण अफ्रीका में 20 साल की सजा होती है। अमेरिका में पीड़िता की उम्र और कूरता को देखकर उम्र कैद या 30 साल की सजा। सऊदी अरबöसात दिनों के अन्दर मौत की सजा या फांसी पर टांगने की दी जाती है। रूस में 20 साल की कठोर कारावास। नीदरलैंडöयौन अपराधों के लिए अलग-अलग सजा और भारत मेंöप्रदर्शन, धरना, कैंडिल मार्च, जांच आयोग, समझौता, रिश्वत, पीड़िता की आलोचना, मीडिया ट्रायल, राजनीतिकरण, जातिकरण, सालों बाद चार्जशीट, सालों बाद मुकदमा, अपमान व जलालत और अन्त में दोषी का बच निकलना। हमारे देश में पूरा ढर्रा ही खराब है। इसमें ठोस सुधार करने की आवश्यकता है, केवल पुलिस को दोष देने से बलात्कार रुकने वाले नहीं।

Sunday 26 July 2015

दिल्ली में सरकार का मतलब है उपराज्यपाल

दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति पर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के  बीच पैदा हुआ विवाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ही देन है। दिल्ली सरकार जानबूझ कर उपराज्यपाल और केंद्र सरकार से टकराने के मुद्दे उठाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को भलीभांति पता है कि संविधान के मुताबिक दिल्ली में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति केवल उपराज्यपाल ही कर सकते हैं। यह जानते हुए भी श्री केजरीवाल ने स्वाति को महिला आयोग का अध्यक्ष बना दिया। जब पिछली बार 49 दिनों की केजरीवाल सरकार थी तब उन्होंने सही तरीका अपनाया था जब वह तत्कालीन महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह को हटाना चाहते थे। उन्होंने तब उपराज्यपाल नजीब जंग को पत्र लिखकर यह मांग की थी जिसे जंग साहब ने नामंजूर कर दिया था पर वह सही तरीका और प्रोसीजर था। यह जानते हुए भी उन्हें सीधी नियुक्ति का अधिकार नहीं है फिर भी उन्होंने स्वाति मालीवाल को नियुक्त किया और बिना वजह विवाद-टकराव पैदा किया। नतीजा उन्हें मुंह की खानी पड़ी। उपराज्यपाल ने दो टूक कह दिया कि दिल्ली में सरकार का मतलब है उपराज्यपाल। मालीवाल की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल नजीब जंग के प्रमुख सचिव एससीएल दास ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के सचिव को भेजे पत्र में गृह मंत्रालय द्वारा जारी वर्ष 2002 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि दिल्ली में सरकार का मतलब ही उपराज्यपाल है। ऐसे में बगैर उनकी अनुमति के स्वाति मालीवाल की नियुक्ति गैर कानूनी है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह तस्दीक भी कर दी है कि यदि मालीवाल आयोग की अध्यक्ष के तौर पर कोई निर्णय लेती हैं तो वह भी पूरी तरह गलत होगा। इस बाबत आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं की यह दलील बेहद लचर और बचकानी लगती है कि पहली सरकार के वक्त उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल नहीं था, लेकिन अब है। सरकार के कर्ताधर्ता इतने नासमझ तो नहीं हो सकते कि वे इस बात से अनजान हों कि संवैधानिक प्रक्रियाओं को सभी सरकारों को समान ढंग से पूरा करना पड़ता है। इससे कोई फर्प नहीं पड़ता कि सरकार के पक्ष में कितने सांसद/विधायक हैं। जाहिर है कि सब कुछ जानते हुए भी केजरीवाल सरकार ने यह नियुक्ति की तो इसलिए कि केंद्र से टकराव हो और विवाद बढ़े। इसमें कोई बुराई नहीं कि केजरीवाल सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य बनवाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाएं लेकिन यह तरीका ठीक नहीं कि इसके लिए वर्तमान नियम-कायदों की अनदेखी की जाए।

-अनिल नरेन्द्र

नीतीश तो चंदन हैं और सांप कौन है?

प्रतीकों के माध्यम से अपने सियासी प्रतिद्वंद्वियों पर करारे हमले करने में माहिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ताजा ट्विट ने राज्य के सियासी पारे को फिर चढ़ा दिया है। नीतीश ने रहीम के एक चर्चित दोहे के जरिये खुद को चंदन घोषित किया जिस पर लिपटे रहने वाले सांपों के जहर का कोई असर नहीं होता। सांप किसे कहा गया है इसे लेकर दिनभर बयानों एवं अटकलों का बाजार गर्म रहा। यही अंदाजा लगाया गया कि इशारा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तरफ था। विरोधियों ने इसे एक नया मौका मान कर खुलेआम बयानबाजी शुरू कर दी। बार-बार गले मिलने और जहर पीकर भी भाजपा का विरोध करने की हद पर नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने वाले लालू के साथ गठबंधन पर नीतीश की दुविधा को आसानी से समझा जा सकता है। लालू के जंगलराज को उखाड़ने वाले विकास पुरुष की छवि बचाना उनकी और पार्टी कार्यकर्ताओं की बड़ी चुनौती है। नीतीश ने लिखाö`जो रहीम उत्तम प्रवृत्ति, का करि सकत कुसंगा। चंदन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।' लालू ने इसे भाजपा के लिए बताया हालांकि उन्होंने नीतीश को इसे स्पष्ट करने की बात भी कही। खुद पर शिकंजा कसते देखकर नीतीश ने भी स्पष्ट किया कि ट्विट लालू के संबंध में नहीं  बल्कि भाजपा के बारे में है। नीतीश और लालू में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दिल से तो एक-दूसरे को पसंद नहीं करते पर सियासी मजबूरी के चलते या यूं कहें भाजपा के बढ़ते कदमों से डर की वजह से दोनों को जबरन हाथ मिलाना पड़ रहा है पर हाथ तो मिल गए हैं, दिल कभी नहीं मिल सकते। इसीलिए नीतीश के प्रचार के पोस्टरों पर लालू का चित्र भी गायब है। जिस पर राजद के रघुवंश प्रसाद सरीखे नेता का कड़ा विरोध और प्रतिक्रिया भी आई है। जन अधिकारी पार्टी के संरक्षक व सांसद राजेश रंजन उर्प पप्पू यादव ने कहा कि पिछले 25 साल से लालू और नीतीश जहरीले सांप की तरह बिहार को डंस रहे हैं। उन्होंने  पत्रकारों से कहा कि नीतीश ने लालू की तुलना सांप से करके अपनी पीड़ा उजागर की है। अब लालू को बताना चाहिए कि उनकी नीतीश के प्रति क्या धारणा है। दोनों जातीय गठबंधन के जरिये बिहार को कौन-सा संदेश देना चाहते हैं? हकीकत तो यह है कि  लालू ने भी जहर पीकर नीतीश को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी माना है। ऐसे में सत्ता के अंक-गणित को साधने के लिए किया गया यह बेमेल गठबंधन चुनाव तक व्यवहार के गणित पर कितना खरा उतरता है यह समय ही बताएगा?

Saturday 25 July 2015

बीआरटी समाप्त करने का दिल्ली सरकार का सही फैसला

हम आप पार्टी सरकार द्वारा मूलचन्द से अम्बेडकर नगर तक बने बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरिडोर को खत्म करने के फैसले का स्वागत करते हैं। यह हमारी राय में एक सही फैसला है। ऐसा नहीं कि बीआरटी की व्यवस्था खराब है। दुनिया के कई बड़े शहरों में बीआरटी कॉरिडोर सफल रहे हैं। खुद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस बात को मानते हैं। बीआरटी और इसकी जैसी योजनाओं का मूल मकसद था कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विस्तार हो। अच्छी परिवहन सुविधा के लिए जरूरी है कि अलग-अलग प्रकार के पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विकास किया जाए ताकि कारों पर निर्भरता कम हो। लेकिन दिल्ली में निजी वाहनों की बढ़ती संख्या और सड़कों के तंग होने के कारण दिल्ली में बीआरटी फेल हो गई। शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली में 14 नए बीआरटी कॉरिडोर के निर्माण की मंजूरी दी थी। इनमें से सात लोक निर्माण विभाग तथा सात डिम्ट्स को बनाने थे। इस कॉरिडोर के भारी विरोध के बाद कांग्रेस सरकार ने कदम वापस खींच लिए थे। भाजपा तो शुरू से ही बीआरटी कॉरिडोर की मुखालफत करती रही है। बीआरटी पर सड़क के बीचोंबीच बना ट्रैक हादसों का कारण बन रहा है। ट्रैक के दोनों ओर बसें और अन्य वाहनों का परिचालन होने से बस यात्रियों के लिए ट्रैक तक पहुंचना मुसीबत भरा हो जाता है। यही वजह है कि इस पर 13 लोगों की मौत हो चुकी है। ट्रैफिक जाम के कारण अम्बेडकर नगर से चिराग दिल्ली तक की दूरी तय करने में वाहन चालकों को 40 मिनट से ज्यादा तक का समय लग रहा है। इस कॉरिडोर के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। इस पर राजधानी में जितनी बहस हुई शायद ही ऐसा किसी कॉरिडोर के लिए हुआ हो। बीआरटी से हाथ खींच लिया जाना इस बात की तस्दीक करता है कि इसको लेकर शहर में जबरदस्त विरोध का लो लावा फूटा था, वह सही था। सरकार का अनुमान है कि इस विवादास्पद कॉरिडोर को हटाने में करीब 35 करोड़ रुपए खर्च होंगे। जबकि निर्माण पर करीब 150 करोड़ का खर्च आया था। मकसद जो भी रहा हो पर प्रैक्टिकल स्थिति यह थी कि इस कॉरिडोर का लाभ कम और नुकसान ज्यादा हो रहा था। मनीष जी ने कहा है कि वह इसका सही अध्ययन करके ही आगे बढ़ेंगे। हम दिल्ली सरकार के इस फैसले को सही मानते हैं। वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर ध्यान देना होगा ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
-अनिल नरेन्द्र


...और अब शांता कुमार का लेटर बम

ललित मोदी मामले और व्यापमं घोटाले पर विपक्ष के तीखे हमलों से जूझ रही मोदी सरकार की मुश्किलें उन्हीं की पार्टी भाजपा के वरिष्ठ सांसद ने और बढ़ा दी हैं। इसे भाजपा में फूट का पहला बुलबुला भी कहा जा सकता है। 80 वर्षीय शांता कुमार ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर व्यापमं जैसे भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए पार्टी में लोकपाल की मांग की है। उन्होंने दो टूक कहा कि इस तरह के मामलों में हम सबका सिर शर्म से झुक गया है। हिमाचल प्रदेश से भाजपा के वयोवृद्ध नेता ने कुछ राज्यों पर आरोप लगाते हुए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व ललित मोदी विवाद और महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की ओर इशारा किया। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक नीति समिति को लोकपाल की तरह काम करना चाहिए ताकि वह सरकार में नेताओं के आचरण पर नजर रखे। पत्र में लिखे हरेक शब्द को वाजिब बताते हुए शांता कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी ने गौरवशाली उपलब्धियां हासिल की हैं। चुनाव में भारी सफलता के बाद एक साल तक सफल तरीके से सरकार चली। लेकिन अब कुछ जगहों पर कुछ दाग पड़ने लगे हैं। शांता कुमार ने अपनी पार्टी की इस पत्र पर नाराजगी के बावजूद कहा है कि उन्हें उठाए गए कुछ मुद्दों पर काफी मंत्रियों का समर्थन भी मिला है। उन्होंने कहा कि कथित रूप से कुछ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भाजपा की छवि खराब हुई है। संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले सामने आए शांता कुमार के इस पत्र में पार्टी और सरकार दोनों में हलचल होना स्वाभाविक ही है। कहा तो यह जा रहा है कि शांता कुमार उन वरिष्ठ नेताओं में हैं, जो नए दौर में भाजपा के अन्दर अपेक्षित तथा उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब चूंकि भाजपा के अनेक प्रभावशाली नेता भ्रष्टाचार या अनैतिक आचरण के आरोपों से घिरे हैं और इसके परिणामस्वरूप पार्टी के लिए सियासी मुश्किलें खड़ी हुई हैं, तो इसके बीच लेटर बम का विस्फोट कर शांता कुमार ने जवाबी चाल चली हैं। मुमकिन है कि इन बातों व दलीलों में कुछ सच्चाई भी हो। इसके बावजूद यहां उल्लेखनीय तथ्य वर्तमान परिस्थितियां हैं, जो शांता कुमार को अपनी भड़ास निकालने के लिए अनुकूल महसूस हुईं। भाजपा नेतृत्व के लिए विचारणीय है कि ये स्थितियां वास्तविक हैं या नहीं? शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं, फिलहाल वह सिर्प सांसद हैं। पार्टी से भारतीय जन संघ के जमाने से जुड़े हुए हैं, इसलिए उपरोक्त पत्र अगर उनकी निजी नाराजगी का इजहार हो, तब भी भाजपा के लिए उचित होगा कि इसमें लिखी बातों पर वह ध्यान दे। खासकर उनके इस सुझाव पर कि पार्टी के अन्दर लोकपाल नियुक्त किया जाना चाहिए, जो भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करे। स्मरणीय है कि पिछले पांच वर्षों में देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इसकी उपेक्षा करने की कांग्रेस पार्टी ने बहुत भारी कीमत चुकाई है इसलिए भाजपा को इससे सीख लेनी चाहिए और वही गलतियां नहीं दोहरानी चाहिए। सरकार का हनीमून पीरियड पूरा हो चुका है। अब पार्टी के अन्दर असंतोष के स्वर सामने आने लगे हैं। भाजपा नेतृत्व को इनको गंभीरता से लेना चाहिए न कि यह कहकर टाल दें कि यह तो अपने निजी कारणों से पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं।

Friday 24 July 2015

बिहार में अक्तूबर-नवम्बर में हो सकते हैं चुनाव

बिहार के अत्यंत महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावी संग्राम कई चरणों में होने की संभावना है। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्तूबर के आखिर से नवम्बर के शुरू तक हो सकते हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले राज्य की चुनाव मशीनरी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आयोग की एक टीम बिहार जाएगी। इससे पहले विभिन्न मुद्दों पर बारीकी से काम किया जा रहा है। मुख्य सूचना आयुक्त नसीम जैदी और सूचना आयुक्त अचल कुमार ज्योति के अगले महीने की शुरुआत में पटना जाने की संभावना है। संभवत चुनाव आयोग अक्तूबर के अंत में त्यौहारी सीजन शुरू होने से पहले चुनाव कराने की गुंजाइश देख रहा है। इस चुनाव में भाजपा और उसके प्रतिद्वंद्वी जनता परिवार का काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा की अवधि 29 नवम्बर को खत्म हो रही है और नए सदन का गठन इससे पहले हो जाना चाहिए। चुनाव तय तारीख से पहले छह महीने के भीतर कराए जा सकते हैं। इस बार भाजपा के साथ जद (एकी)-राजद गठबंधन दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा को बिहार से काफी उम्मीद है, वहीं नीतीश कुमार की जद (एकी) और लालू प्रसाद यादव के राजद के एक साथ आने के बाद इस गठबंधन का भविष्य कसौटी पर है। बिहार चुनाव के बाद तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से साझा प्रचार अभियान की रूपरेखा तैयार हो गई है। जद (यू), राजद, कांग्रेस और एनसीपी अगले माह से साझा प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। सूत्रों की मानें तो राजद और जद (यू) के साथ कुछ जगहों पर कांग्रेस भी मंच साझा कर सकती है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि होनी अभी बाकी है। उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जय प्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर जैसे समाजवादी नेताओं के सपनों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गत सप्ताह भाजपा का बिगुल पूंका। राज्य के विभिन्न हिस्सों के लिए परिवर्तन रथ को हरी झंडी दिखाने से पहले पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से राजग की रैली में शाह ने कहाöनीतीश कुमार ने सत्ता के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाकर अपने मार्गदर्शक जय प्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर जैसे समाजवादियों का सपना तोड़ा है। शाह ने इस मौके पर 160 रथों को हरी झंडी दिखाई जिसे उन्होंने दूत (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधि) बताया। ये रथ बिहार के विभिन्न हिस्सों में जाएंगे और केंद्र में राजग सरकार के दौरान हुए विकास के संदेश फैलाएंगे, साथ ही नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव के गठजोड़ का पर्दाफाश करेंगे जिसे भाजपा ने अपवित्र करार दिया है। याद रहे कि हाल ही में सम्पन्न हुए बिहार विधानमंडल परिषद चुनाव में भाजपा को अच्छी सफलता मिली है। एनडीए ने 14 जबकि जेडीयू गठबंधन को आठ सीटों पर जीत मिल सकी। भाजपा इस परिणाम से उत्साहित है। मुकाबला कांटे का होगा।

-अनिल नरेन्द्र

संसद में बहस से क्यों भाग रही है कांग्रेस?

जैसी कि आशंका थी, मंगलवार को संसद का मानसून सत्र हंगामे के साथ आरंभ हुआ है। जनता से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण बिल लगता है कि कांग्रेस के नकारात्मक रवैये के चलते पारित नहीं हो पाएंगे। यही नहीं, सर्वदलीय बैठक में बनी मानसून सत्र के सुचारू संचालन की तमाम संभावनाओं को ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने अपना बाधक रूप प्रकट कर दिया है। अपने नकारात्मक और अड़ियल रवैये से संसद के दो सत्रों के कीमती समय की बलि ले चुकी कांग्रेस जहां मानसून सत्र को भी न चलने देने पर अड़ी है वहीं उसके कुछ समर्थक दल उसके अड़ियल रुख से परेशान हैं और दबे लफ्जों में कह रहे हैं कि सत्र तो चलने दो। सत्तारूढ़ दल भी यही कह रहा है कि सुषमा स्वराज, वसुंधरा मुद्दे पर वह बहस के लिए तैयार है पर कांग्रेस इस बात पर अड़ी है कि पहले इनके इस्तीफे होने चाहिए फिर चर्चा होगी। सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस बहस करने से क्यों कतरा रही है? अगर चर्चा होगी तो भी वह अपनी बात रख सकते हैं और तथ्य पेश कर आरोप साबित कर सकते हैं। महज आरोप लगाना एक बात है और उसे साबित करना दूसरी बात है। महज आरोपों पर इस्तीफा लेना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। कांग्रेस के इस नकारात्मक रुख का परिणाम यह हुआ है कि भाजपा ने भी कांग्रेस के कुछ मुख्यमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनके इस्तीफे की मांग कर डाली। उत्तराखंड, असम, गोवा इत्यादि राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भाजपा ने भी लपेट लिया है। संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपए खर्च होते हैं। मतलब कि एक घंटे की कार्यवाही पर 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च होता है। इस हिसाब से पूरे दिन में लगभग जनता की गाढ़ी कमाई के नौ करोड़ रुपए बर्बाद हो रहे हैं। अब तक तीन दिनों में 27 करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। जनता ने इन सांसदों को अपनी समस्याएं रखने के लिए चुना है न कि संसद को सियासी अखाड़ा बनाने के लिए। यह सांसद जहां टीवी कैमरा देखते हैं हंगामा करना शुरू कर देते हैं। हम सभी को एक सुझाव देना चाहते हैं। सरकार के चैनलों, दूरदर्शन, लोकसभा टीवी, राज्यसभा टीवी, किसान चैनल पर इन सांसदों की हर मुद्दे पर बहस करा ली जाए और इनमें वह अपनी-अपनी बात रखें और संसद को असल मकसद के लिए चलाएं। जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया जाए, उन पर बहस हो। यह ठीक है कि संसद को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष की होती है पर विपक्ष के अड़ियल रुख के कारण संसद ठप है। हम सत्तापक्ष से भी अनुरोध करना चाहते हैं कि वह भी हर मुद्दे पर इतना अड़ियल रुख न अपनाए, विपक्ष की जायज मांगों को स्वीकार करे। सरकार सदन के भीतर और बाहर बार-बार यह बात दोहराती रही है कि सभी मुद्दों पर वह चर्चा के लिए तैयार है। राज्यसभा में अपने संख्या बल का दुरुपयोग करते हुए विपक्ष ने ठान ली है कि कार्यवाही सुचारू रूप से तब तक नहीं चलने दी जाएगी जब तक भाजपा नेताओं के इस्तीफे नहीं होते। राज्यसभा में जब कांग्रेस के नेताओं ने आक्रामक विरोध की कार्यवाही की उस वक्त भी नेता सदन ने उपसभापति से तत्काल चर्चा शुरू करने का आग्रह किया किन्तु कांग्रेस चर्चा से भागती रही। इस सत्र में भूमि बिल, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक 2014, बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक 2015, लोकपाल और लोकायुक्त और अन्य संबंधित कानून (संशोधन) विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण बिल लंबित हैं। सरकार के संसदीय प्रबंधन को इस गतिरोध का कितना श्रेय जाएगा, यह तो हम कह नहीं सकते लेकिन यह जरूर है कि देश के मतदाताओं की ठुकराई कांग्रेस संसद में भी अलग-थलग पड़ती जा रही है। क्या हमें `नो वर्प नो पे' सिद्धांत इन सांसदों पर भी लागू कर देना चाहिए?

Wednesday 22 July 2015

26/11 से जुड़े कश्मीरी अलगाववादी के तार

कश्मीर घाटी में बार-बार आतंकी संगठन आईएस के झंडे फहराए जाने का मसला एक चिन्ता का विषय है। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों से यह पता लगाने को कहा है कि झंडे फहराने वाले युवाओं का क्या वास्तव में आईएस से कोई संबंध है या शरारतपूर्ण तरीके से माहौल बिगाड़ने के लिए इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। घाटी में पाकिस्तान के झंडे पहले भी फहराए जाते रहे हैं। अलगाववादी तत्वों की छिटपुट हरकतें होती रही हैं, लेकिन व्यापक रूप से घाटी में इसका असर नहीं रहा है। लेकिन आईएस के खतरनाक इरादों और प्रभाव कायम करने की कोशिशों को देखते हुए घाटी में आईएस के झंडों को फहराने की घटना को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह अलगाववादी किसी भी हद तक जा सकते हैं। खबर आई है कि मुंबई के 26/11 हमलों के तार भी कश्मीर से जुड़ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार कट्टरपंथी हुर्रियत नेता व डेमोकेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट के चेयरमैन फिरदौस अहमद शाह व यार मोहम्मद खान को इटली की उसी कंपनी से हवाला नेटवर्प के जरिए पैसा मिला है, जिसे 26/11 में शामिल कसाब व उसके साथियों के लिए खरीदे गए संचार उपकरणों का भुगतान किया था। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का आरोप है कि शाह को 2007 से 2010 के बीच तीन करोड़ रुपए से अधिक प्राप्त हुए थे। कश्मीर घाटी में कुछ दिन पहले धन शोधन मामले में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। उसे धन इटली के ब्रसिया स्थित मदीना ट्रेडिंग से मिला और भेजने वाले का नाम पाक अधिकृत कश्मीर निवासी जावेद इकबाल बताया गया, लेकिन वह कभी इटली गया ही नहीं। साल 2009 में जब इटली पुलिस ने दो पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया था तो आरोप लगा कि कंपनी ने इकबाल के नाम पर करीब 300 बार रकम भेजी। इतालवी पुलिस ने कहा था कि मदीना ट्रेडिंग ने बेगुनाह, असंदिग्ध लोगों के चोरी के पहचान पत्र या पासपोर्ट के जरिए रकम भेजी थी। इकबाल भी संभवत ऐसा ही शख्स था। चौंकाने वाली बात यह रही कि 26/11 के मुंबई हमले की जांच के दौरान मदीना ट्रेडिंग का नाम सामने आया था। खबरों के मुताबिक हमले के दौरान इस्तेमाल वीओआईपी को चालू करने के लिए कालफोनेक्स को वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरिए 229 डॉलर की दूसरी किस्त भेजी थी। यह रकम भी जावेद इकबाल के नाम से मदीना ट्रेडिंग की ओर से भेजी गई थी। अपनी पहचान के लिए इकबाल ने मदीना ट्रेडिंग कंपनी को अपना पाकिस्तानी पासपोर्ट नम्बर केसी 092481 दिया था।

-अनिल नरेन्द्र

कूरता की नई हदें तय हो रही हैं

आनंद पर्वत इलाके में सरेआम एक युवती मीनाक्षी की जिस बेरहमी से हत्या की उससे जहां दिल्ली में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह तो लगता ही है साथ-साथ इस बात पर भी सवाल उठता है कि अपराधियों को अब किसी से डर नहीं  लगता। इससे साफ जाहिर है कि दिल्ली में बदमाशों के हौंसले बुलंद हैं और उन्हें अब किसी का भी डर नहीं है। आनंद पर्वत की वारदात को जिस तरीके से अंजाम दिया गया वह आरोपियों की कूरता का एक और उदाहरण है। मीनाक्षी उर्प अलका के परिजनों ने 10 अक्तूबर 2013 को आनंद पर्वत थाने में एसएचओ और 15 अक्तूबर 2013 को मध्य जिला के पुलिस आयुक्त को एक लिखित शिकायत में साफ लिखा है कि पड़ोस में रहने वाले जोगी की पत्नी शशि, उसके बेटे ईलू और सन्नी उनकी बेटी अलका के साथ गाली-गलौच करते हैं, तेजाब फेंकने की धमकी देते हैं, उनके साथ मारपीट भी की गई है। अलका का परिवार शांतिप्रिय है। पड़ोस में रहने वाले इन आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के घर अपराधी और गुंडों का आना-जाना है। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपी भाइयों के खिलाफ छेड़खानी का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस और लोगों ने बताया कि जब मीनाक्षी शाम को बाजार जा रही थी तो ईलू और सन्नी ने बड़ी बेरहमी से मीनाक्षी के चेहरे, सीने और पेट में चाकुओं से ताबड़तोड़ करीब 35 बार हमला किया। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपी भाइयों ने बाजार गई मीनाक्षी का पीछा किया। बचने के लिए मीनाक्षी एक इमारत की बालकनी में आ गई लेकिन दोनों युवकों ने उसे वहां दबोच लिया और उस पर चाकू से तब तक हमले किए जब तक वह बेहोश नहीं हो गई। मीनाक्षी को बचाने गई उसकी मां को भी नहीं बख्शा गया और उस पर भी वार किए गए। यह वारदात बिगड़ती कानून व्यवस्था के साथ-साथ गिरती नैतिकता का भी जीती-जागती मिसाल है। एक मां अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाती है पर जब मां ही किसी गलत काम में अपने बच्चों के साथ शामिल हो तो समझा जा सकता है कि सामाजिक व्यवस्था का तानाबाना किस तरह से बिखर गया है। हैरानी और दुख की बात यह भी है कि दिल्ली वालों में इतनी भी इंसानियत नहीं बची है कि वे एक युवती का इस कूरता से कत्ल होते देखते रहे, लेकिन बचाने के लिए एक भी व्यक्ति नहीं आया। यही तो वजह है कि अपराधी खुलेआम अपराध करते हैं और साफ निकल जाते हैं, कोई उन्हें रोकने वाला नहीं। पुलिस हर समय हर वारदात की जगह पर नहीं हो सकती, कुछ तो साहस पब्लिक को भी दिखाना पड़ेगा। वैसे चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि अब इन अपराधियों को पुलिस का भी डर नहीं लगता। यही वजह है कि पिछले दिनों कई बार पुलिस वालों को भी बदमाशों ने निशाना बनाया। जहां पुलिस का भय फिर से पैदा करना होगा वहीं हमारी अदालतें इन अपराधियों से सख्त बर्ताव करें। पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और अदालतें उन्हें जमानत आसानी से दे देती हैं ताकि वह फिर अपराध करें। सारे का सारा ढांचा ही बिगड़ा हुआ है। समझ नहीं आता कि दिल्ली को सुरक्षित कैसे बनाएं।

Tuesday 21 July 2015

क्या सीबीआई जांच में खुलेंगे बड़े घोटाले?

उच्च न्यायालय ने नोएडा के चीफ इंजीनियर रहे बहुचर्चित यादव सिंह की अकूत सम्पत्ति की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इस आदेश के बाद यादव सिंह ही नहीं, उससे जुड़े तमाम नेताओं व नौकरशाहों के भी कठघरे में आने की उम्मीद है। 28 नवम्बर 2014 को आयकर विभाग ने यादव सिंह के नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद सहित कई ठिकानों पर छापे मारकर करोड़ों की नकदी व जेवर बरामद किए थे। अरबपति चीफ इंजीनियर को लेकर हंगामा हुआ तो आठ दिसम्बर 2014 को राज्य सरकार ने यादव सिंह को निलंबित कर दिया था। 10 दिसम्बर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जांच सीबीआई से कराने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ व न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला की पीठ ने इसी याचिका पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं। यूपी के धनकुबेर यादव सिंह की काली कमाई का राज जानने के लिए सीबीआई को पिछले 10 सालों के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जमीन आवंटन में हुई धांधलियों की भी जांच करनी पड़ेगी। नोएडा फार्म हाउस घोटाला भी इसकी एक अहम कड़ी साबित हो सकती है, जिसमें कई दलों के बड़े नेताओं से लेकर आईएएस, आईपीएस अफसरों व बड़े उद्योगपतियों को बेशकीमती जमीनें कौड़ियों के भाव में बेच दी गईं। यादव सिंह के बारे में चर्चा है कि वह बिल्डरों को जमीन देने के बदले एक लाख रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से कमीशन लेता था। इसी के बूते उसने 20,000 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर लिया था, ऐसा माना जाता है। यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश से प्राधिकरण अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। खासतौर पर उन अधिकारियों-कर्मचारियों में जो वर्ष 2002 से 2014 के बीच यादव सिंह के करीबी रहे। भ्रष्टाचार और काली कमाई के आरोपों से घिरे यादव सिंह का विवादों से गहरा नाता रहा है। बसपा सरकार में पॉवरफुल रहे यादव सिंह का प्रमोशन से लेकर ठेकों में सीधा हस्तक्षेप रहा था। सपा सरकार आते ही उनके खिलाफ मनमाने तरीके से ठेके देने को लेकर कोतवाली सेक्टर-39 में 954 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज हुई। छापे से पहले आयकर विभाग को खुद उम्मीद नहीं थी कि उसके हाथ इतना बड़ा `कैच' लग सकता है। मामला सीबीडीटी के जरिए सुप्रीम कोर्ट की एसआईटी तक पहुंचा और सीबीआई जांच की उम्मीद जगी, लेकिन राज्य सरकार ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए न्यायिक जांच बैठा दी। इस बीच यादव सिंह ने कई बार राजधानी आकर अपने राजनीतिक आकाओं से भी मदद मांगी, नतीजतन आठ महीने तक उसे अभयदान मिलता रहा।

-अनिल नरेन्द्र

केजरीवाल जी जरा भाषा तो सही इस्तेमाल करें

चर्चा में बने रहने की दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की पुरानी आदत है। मीडिया में बने रहने के लिए वह बड़े विवादास्पद बयान देने से भी नहीं चूकते। केजरीवाल ने एक निजी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में दिल्ली पुलिस के लिए `ठुल्ला' शब्द का इस्तेमाल तक कर दिया। उन्होंने कहाöये कहते हैं कि दिल्ली पुलिस व ठुल्ला अगर किसी रेहड़ी पटरी वाले से पैसे मांगता है तो उसके खिलाफ भी केस नहीं होना चाहिए। यह मंजूर नहीं है। इस पर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का कड़ा ऐतराज जताना जायज भी है। यदि मुख्यमंत्री ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा तो यह अपमानजनक है। भीम सेन बस्सी ने कहा कि उन्हें पुलिस संगठन का सम्मान करना चाहिए। केजरीवाल ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार और भाजपा को डर था कि हम किसी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले हैं। इसलिए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर नियंत्रण हासिल करने के लिए उसका चीफ बदल दिया। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर में हिम्मत नहीं है कि वे हमारे लिए किसी तरह की परेशानी पैदा कर सकें। केजरीवाल को काम करने से रोकने के लिए जंग के जरिए मोदी काम कर रहे हैं। इसी बीच श्री केजरीवाल ने एक आश्चर्यचकित कर देने वाला बयान जारी कर दिया। शुक्रवार को उन्होंने दिल्ली के सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी। केजरीवाल का कहना है कि अगर पार्टी से बाहर निकाले गए योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण वापसी का फैसला करते हैं तो उन्हें खुशी होगी। अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू में कहा कि आम आदमी पार्टी में प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की वापसी का स्वागत होगा। वे लोगों के हित में सबको साथ लेकर काम करने में यकीन रखते हैं। दूसरी तरफ मीडिया से पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक दिलीप पांडेय ने कहा कि आप की विचारधारा से इत्तेफाक रखने वाले सभी लोगों का पार्टी में स्वागत है। वह कोई आम आदमी हो या प्रशांत भूषण या योगेन्द्र यादव, यहां व्यक्ति का सवाल नहीं है। केजरीवाल द्वारा प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को वापस आने के निमंत्रण पर प्रशांत भूषण ने उन्हीं की जुबान में करारा जवाब दिया। केजरीवाल पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि केजरीवाल पाखंडी हैं, निर्लज्ज और झूठे हैं। प्रशांत भूषण ने ट्विट कियाöसाले कमीने कहकर गालियां देने और सोची-समझी साजिश के तहत एनसी (नेशनल काउंसिल) मीटिंग में विधायकों से हमला कराने के बाद केजरीवाल हमें वापस चाहते हैं। पाखंडी, निर्लज्ज। प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने फर्जी डिग्री के आरोपों में गिरफ्तार किए गए कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर को टिकट दिए जाने से भी पार्टी को आगाह किया था। उन्होंने 28 मार्च को विवादास्पद राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अपने ऊपर हमला कराने का भी आरोप लगाया था। बाद में इन दोनों नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर अप्रैल में पार्टी से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने स्वराज अभियान का गठन किया। सवाल यह उठता है कि क्या अरविंद जी अब पार्टी और सरकार दोनों चलाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं जो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की वापसी चाहते हैं? बेशक यह सही है कि यह दोनों नेता पढ़े-लिखे, समझदार और अनुभवी हैं। शायद अब केजरीवाल को इनकी कमी महसूस हो रही है?

Sunday 19 July 2015

ऑटो ड्राइवर से जबरन संबंध बनाना चाहती थी

महिलाओं से बलात्कार की खबरें तो आए दिन सुनते ही रहते हैं पर यह कम ही सुना है कि एक महिला ने एक पुरुष से बलात्कार करने का प्रयास किया पर यह कलयुग है। यहां सब कुछ संभव है। खबर आई है कि एक ऑटो ड्राइवर ने संबंध बनाने से इंकार किया तो दो लड़कियों ने मिलकर उसे पहले तो पीटा और फिर लूट लिया। एक लड़की गिरफ्तार कर जेल भेज दी गई और दूसरी की तलाश जारी है। फरार महिला तंजानिया की रहने वाली है। यह घटना दक्षिण दिल्ली के अर्जुन नगर में हुई। यहां एक इमारत में 32 साल की अंजलि लालवानी किराये पर रहती है। इसी बिल्डिंग में तंजानिया की युवती भी रहती है। मंगलवार रात 12 बजे अंजलि इग्नू रोड पर मंडावली निवासी उमेश प्रसाद के ऑटो में अर्जुन नगर जाने के लिए सवार हुई। किराया 100 रुपए तय हुआ। पीवीआर साकेत पर अंजलि ने ऑटो रुकवाया और उमेश से 300 रुपए उधार लेकर सामान खरीदा। घर जाकर उसने सामान उमेश को पकड़ाया और उधार और किराया चुकाने के लिए उसे पहली मंजिल पर ले गई। उसने सामान अन्दर रखवाने के बहाने उमेश को अन्दर बुलाकर गेट बन्द कर लिया। अंजलि ने उमेश की कमीज और मोबाइल फोन निकाल लिया। अब उसने उमेश से संबंध बनाने के लिए कहा। उमेश ने इंकार कर दिया। अंजलि ने शराब के दो पैग बनाकर एक पैग उमेश को दिया। उसने पीने से मना कर दिया तो उसके मुंह पर अंजलि ने शराब उढ़ेल दी और उससे जबरन किस कर बाहर निकल गई। उसने बाहर से गेट बन्द कर दिया। अब वह तंजानिया की लड़की को बुला लाई। यह विदेशी लड़की मोबाइल से वीडियो बनाने लगी। उमेश ने विरोध किया तो अंजलि ने उसकी कमीज और बनियान फाड़ कर उसे लात मारी। वह नीचे गिर गया। अब विदेशी युवती ने उमेश की पेंट से पर्स निकाल कर उसमें रखे 500 रुपए और ड्राइविंग लाइसेंस निकाल लिया। अब उमेश हिम्मत कर दौड़ा और बॉलकनी से नीचे कूद गया। सड़क पर गिरने की वजह से उसके दोनों पैरों में फ्रैक्चर आ गया। वहां से गुजर रहे राहगीर ने 100 नम्बर पर कॉल कर दी। पुलिस के आने से पहले ही दोनों युवतियां वहां से नदारद हो गईं। कमरे में ताला लगा मिला। उमेश को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे प्लास्टर चढ़ा। सुबह अंजलि आई तो लेडीज पुलिस बुलाकर उसे पकड़ लिया गया। उसने पुलिस से कहा कि उमेश उसका जानकार है और उसे उमेश से 1500 रुपए का उधार वापस लेना है। पुलिस उसे उमेश के सामने ले गई। तब अंजलि ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। जैसा मैंने पहले कहा कि कलयुग है और कलयुग में कुछ भी असंभव नहीं।

-अनिल नरेन्द्र

याकूब मेमन की फांसी पर सियासत

मुंबई को 12 मार्च 1993 को दहलाने वाले मुख्य आरोपियों में से एक याकूब मेमन को 22 साल के लम्बे समय बाद 30 जुलाई को फांसी पर लटकाने का फरमान जारी हुआ है। टाडा अदालत की ओर से उसका डैथ वारंट जारी होते ही इस फैसले पर सियासत शुरू हो गई है। एनसीपी नेता एवं वरिष्ठ वकील माजिद मेनन ने इसे जल्दबाजी से उठाया गया कदम बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उधर समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने याकूब मेमन को बेगुनाह बताते हुए कहा कि यह सरकार की मार्केटिंग का हिस्सा है। माजिद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में याकूब मेमन की सजा को लेकर पुनर्विचार याचिका (क्यूरेटिव रिट) दायर की गई है। इससे पहले सरकार ने सजा का ऐलान कर दिया है, जिसका गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए और आखिरी फैसला आने तक सरकार को इंतजार करना चाहिए। उधर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि इस मुद्दे पर हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को मानेंगे। फड़नवीस ने बुधवार को कहा कि जो भी किया जाएगा उसे उपयुक्त समय पर सार्वजनिक किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला दिया था। न्यायालय की तरफ से जो निर्देश दिया जाएगा महाराष्ट्र सरकार उसके अनुरूप कार्य करेगी। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अगर 21 जुलाई को पुनर्विचार याचिका को खारिज कर देता है तो याकूब मेमन को फांसी दी जाएगी। मेमन नागपुर केंद्रीय कारागार में बंद है। मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि फिलहाल याकूब की फांसी पर कानूनी रोक नहीं है। सरकार ने टाडा अदालत से फांसी को अमल में लाने की अनुमति मांगी थी, जो मिल गई है। मुख्यमंत्री फड़नवीस ने भी फांसी की तैयारियों की पुष्टि की है। लेकिन तारीख, समय व स्थान को लेकर खुलासा नहीं किया है। मालूम हो कि ये धमाके मोस्ट वांटेड दाउद इब्राहिम के इशारे पर याकूब मेमन के भाई टाइगर मेमन ने करवाए थे। पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट याकूब (53) पर धमाकों की साजिश में शामिल होने के अलावा वारदात के लिए वाहनों का इंतजाम व विस्फोटक लदे वाहनों को निर्दिष्ट जगहों पर खड़ा करवाने का आरोप था। मामले में अभियोजन पक्ष के वकील रहे उज्ज्वल निकम का मानना है कि याकूब को फांसी देने से यहां ही नहीं, पाकिस्तान तक संदेश जाएगा कि भारत आतंकी घटनाओं को लेकर कड़ाई से निपटता है। शिवसेना प्रवक्ता और एमएलसी डॉ. नीलम गोहरे ने बुधवार को कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों को पक्षपात तथा सांप्रदायिक सियासत नहीं करनी चाहिए।

Saturday 18 July 2015

हेमराज का सिर काटने वाला आतंकी अनवर ढेर

ढाई वर्ष पूर्व जम्मू की सीमा पर 13 राजपूताना राइफल्स बटालियन के लांस नायक हेमराज सिंह का सिर काट कर पाकिस्तानियों को हमारे सुरक्षा बलों ने करारा जवाब दिया है। हेमराज के सिर को काटने वाले आतंकी मोहम्मद अनवर द्वारा सीमा में घुसपैठ करने के प्रयास में भारतीय सैनिकों ने उसे मार गिराया है। यह खबर आते ही कि हेमराज का हत्यारा मारा गया है हेमराज के गांव (कोसी कलां) में खुशी की लहर छा गई। गांव में इस बात पर खुशी है कि हेमराज का बदला ले  लिया गया है। हेमराज की पत्नी ने भारत सरकार से आतंकी का सिर भारत लाए जाने की मांग की है। हेमराज के परिजनों एवं गांव वालों ने बुधवार की शाम पटाखे व आतिशबाजी छुड़ाकर दीवाली मनाई और अपनी खुशी का इजहार किया। हेमराज की विधवा पत्नी धर्मवती ने अपने पति के समान ही उस आतंकी का भी सिर भारत लाए जाने की मांग सरकार से की है। उन्होंने मीडिया से कहा कि जिस प्रकार पाक सैनिकों की सहायता वह आतंकवादी उनके पति का सिर काट कर ले गया था, उसी प्रकार उसका भी सिर काट कर भारत लाया जाए। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में आठ जनवरी को जम्मू के वैष्णो देवी घाटी क्षेत्र में सीमा पर चौकसी करते समय पाकिस्तानी सैनिकों ने घात लगाकर 13 राजस्थान राइफल्स की 25 रोसियो फोर्स टुकड़ी में शामिल लांस नायक हेमराज सिंह तथा लांस नायक सुधाकर सिंह की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि पाक आतंकी मोहम्मद अनवर अपने साथियों के साथ हेमराज सिंह का सिर काट कर ले गया था। इसलिए उसके मारे जाने की खबर मिलने पर मथुरा से कोसी कलां थाना क्षेत्र में स्थित गांव में जश्न मनाया गया। सोमवार को पुंछ के मेडर मनकोट सेक्टर में हुई मुठभेड़ में हेमराज के सिर काटने की साजिश रचने वाला लश्कर--तैयबा के आतंकी मोहम्मद अनवर को सेना ने मार गिराया। बताते हैं कि जवानों के सिर काटने की साजिश अनवर के पीओके स्थित घर में रची गई थी। अनवर लश्कर--तैयबा का खूंखार आतंकी था और मेडर सेक्टर के कृष्णा घाटी में पाकिस्तान की बैट टीम का हिस्सा था। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि आतंकी अनवर पीओके के बरोच गांव का रहने वाला था और वहां पर इसकी किराने की दुकान थी। अनवर के घर पर पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के कर्नल सिद्दीकी की मौजूदगी में हुई बैठक में सूबेदार जावर खान, आजाद खान व अन्य शामिल हुए। इस घटना के बाद अनवर को लश्कर का कमांडर बना दिया गया था। इस घटना से आईएसआई को झटका लगा है।
-अनिल नरेन्द्र


12 साल बाद आखिर समझौता हो गया

करीब 12 साल की कोशिशों और 17 घंटे की लगातार मैराथन चर्चा के बाद महाशक्तियों ने ईरान से परमाणु हथियार मामले में डील कर ली है। ईरान और सभी महाशक्तियों ने इसे बातचीत का सफल नतीजा बताया है। अपनी एटमी तैयारी पर अंकुश लगाने और इसे अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में सौंपने का फैसला लेकर ईरान ने ऐसा व्यावहारिक कदम उठाया है जो उसके साथ पूरी दुनिया के लिए मुफीद साबित होगा। ईरान और छह देशों के बीच इस समझौते की बातचीत एक दशक से अधिक समय से झूल रही थी और इस बीच अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने उसका हाल बद से बदतर बना दिया था। ईरान अड़ा था कि समझौते के साथ ही उसे मिसाइल और भारी हथियारों की सप्लाई पर लगे प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया जाए। लेकिन दूसरे पक्ष को आशंका थी कि अगर ऐसा हुआ तो वह इराक, सीरिया और यमन में शिया उग्रवादियों तक खतरनाक हथियार धड़ल्ले से पहुंचाने लगेगा। ईरान इस शर्त पर तैयार नहीं था कि अगर समझौते का उल्लंघन होगा तो उस पर पहले वाली अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियां अपने आप बहाल हो जाएंगी। लेकिन इन शर्तों के बाद ईरान को झुकना पड़ा क्योंकि हथियारों पर लगी पाबंदी को हटने में पांच से आठ वर्ष उसे इंतजार करना ही होगा। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन के साथ कई सालों से चल रही ईरान की बातचीत कभी किसी ठोस नतीजे पर पहुंच जाएगी, इस बारे में एक साल पहले तक यकीन से कुछ नहीं कहा जा सकता था। लेकिन सीरिया और इराक में आंधी-तूफान की रफ्तार से उभरे चरमपंथी आतंकी संगठन आईएसआईएस ने देखते-देखते सारे समीकरण बदल दिए। ईरान से प्रतिबंध हटाने को लेकर खाड़ी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विरोध सऊदी अरब और इजरायल की ओर से आता रहा है। दोनों ही देशों के प्रवक्ताओं ने संदेह जताया है कि प्रतिबंध हटने से ईरान को विदेशों में फ्रीज किए गए असेटस के रूप में जो सैकड़ों अरब डॉलर एकमुश्त मिलने वाले हैं, उनको इस्तेमाल वह सीरिया में बशर अल असद की डगमगाती सत्ता को मजबूत करने के अलावा यमन में हूथी विद्रोहियों और लेबनान स्थित उड्डों से इजरायल को परेशान करने वाले हिजबुल्ला को और ताकतवर बनाने में करेगा। हम अपनी बात करें तो ईरान और महाशक्तियों के बीच समझौते से भारत को कई फायदे हो सकते हैं। सबसे ज्यादा लाभ कच्चे तेल के आयात में मिलेगा। ईरान से भारत जितना तेल चाहे उतना खरीद सकेगा। प्रतिबंध के कारण इस साल ईरान से 90 लाख टन से कुछ ज्यादा कूड आयात नहीं किया जा सकता था। उद्योग चैम्बर फिक्की ने कहा कि भारत-ईरान के बीच अरसे से रुके गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट आगे बढ़ेगा। ईरान समझौते के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दाम में तेज गिरावट आई भी है। फारस की खाड़ी में तेल-गैस का भारी भंडार फरजाद-बी नामक जगह पर है जिसे निकालने का सौदा हमें ईरान से मिल सकता है। यहां हमारी ओएनजीसी विदेश कंपनी ने सात साल पहले तेल-गैस का भारी भंडार खोजा था लेकिन ईरान पर लगे प्रतिबंधों के कारण आगे बढ़ने की हम हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। अब मौका है कि अर्जी के इस विशाल भंडार को अपने यहां लाने के उपाय तलाशें। कोई भी इस तरह के समझौते को जमीन पर उतारने में कठिनाइयां आती हैं। अब यह ईरान पर निर्भर करता है कि वह इन चुनौतियों से कैसे निपटता है। आमतौर पर पूरे विश्व ने इस समझौते का स्वागत ही किया है।

Friday 17 July 2015

जज के सामने ही चलता रहा बोलियों का दौर

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की जमानत से जुड़े मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रोचक मामला सामने आया। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सहारा की 140 एकड़ जमीन को बेचने पर बहस हो रही थी। दरअसल सहारा समूह के वकील ने कोर्ट को बताया था कि समृद्धि डेवलपर्स 64 करोड़ रुपए में यह प्रॉपर्टी खरीदने को तैयार है। लेकिन गोरखपुर रियल एस्टेट कंपनी ने इसके खिलाफ अर्जी लगा दी। सोमवार को जब इस पर सुनवाई शुरू हुई तो दोनों कंपनियों के वकील बैंच के सामने पेश हुए और जमीन की बोली लगाने लगे। बोली 150 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। उल्लेखनीय है कि सहारा ने सात जुलाई को 140 एकड़ जमीन 64 करोड़ में समृद्धि डेवलपर्स को बेचे जाने की सूचना अदालत को दी थी पर गोरखपुर रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कहा कि वह इस जमीन के लिए 110 करोड़ रुपए देने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि वह इसका 10 प्रतिशत रकम (11 करोड़ रुपए) जमा कराए फिर उसकी बात सुनी जाएगी। सोमवार को गोरखपुर डेवलपर्स 11 करोड़ रुपए जमा कर सुनवाई में शामिल हो गई। बहस शुरू हुई तो समृद्धि डेवलपर्स ने कहा कि वह 110 करोड़ भी देने को तैयार है। इस पर गोरखपुर डेवलपर्स ने 115 करोड़ रुपए की बोली लगा दी। यह सब कुछ जज साहबों के सामने होता रहा। इस पर जजों ने समृद्धि डेवलपर्स के वकीलों से पूछा कि वे कुछ कहना चाहते हैं? समृद्धि के वकील पारस कुहार को कोर्ट रूम में मौजूद कंपनी के लोगों ने इशारे में बोली बढ़ाने को कहा। कुहार ने बोली बढ़ाकर 125 करोड़ रुपए कर दी। इतना सुनते ही गोरखपुर डेवलपर्स के वकीलों ने कहाöहम 140 करोड़ रुपए भी देने को तैयार हैं। इस पर समृद्धि डेवलपर्स ने 145 करोड़ की बोली लगा दी। इस पर फिर गोरखपुर डेवलपर्स ने कहा कि हम 150 करोड़ रुपए देंगे। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई रोक दी और अगली तारीख तीन अगस्त की तय कर दी। साथ ही शर्त रखी कि दोनों पक्ष 150 करोड़ रुपए की 25 प्रतिशत रकम 31 जुलाई तक तीन किश्तों में डिपॉजिट करें। जो पक्ष बीच में भागा या बाकी रकम जमा कराने में नाकाम रहा उसके 37.5 करोड़ रुपए जब्त होंगे। जमीन से मिली रकम सेबी-सहारा के एकाउंट में जमा होगी। कोर्ट ने सुब्रत राय की जमानत के लिए इसी एकाउंट में पैसा जमा कराने को कहा है। जमानत के लिए 5000 करोड़ रुपए कैश और इतने की ही बैंक गारंटी जमा करानी है। इसके बाद 18 महीने में 26 हजार करोड़ रुपए चुकाने हैं। राय के वकील कपिल सिब्बल ने पिछली सुनवाई में कहा था कि दुनिया का कोई भी बिजनेस ग्रुप 18 माह में 30 हजार करोड़ रुपए नहीं चुका सकता। पीठ ने सेबी से कहा है कि वह सहारा समूह की सेबी-सहारा खाते का विवरण मुहैया कराए। यह भी बताए कि समूह द्वारा सेबी-सहारा खाते में जमा रकम का कहां-कहां निवेश किया गया है।

-अनिल नरेन्द्र

लोढ़ा कमेटी का दूरगामी व ऐतिहासिक फैसला

क्रिकेट के चमकते चेहरों से नकाब उतर गया। क्रिकेट को कलंकित करने वालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। आईपीएल में सट्टेबाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी द्वारा दिए गए फैसले से क्रिकेट की आड़ में चल रहे गोरखधंधे और लम्बे समय से जारी हितों के टकराव से जुड़ी आशंकाओं की ही पुष्टि हुई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आईपीएल की दो चर्चित टीमोंöचेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स की भागेदारी पर दो साल की रोक लगा दी है। साथ ही इन दो बड़ी टीमों के सहमालिक गुरुनाथ मयप्पन (चेन्नई) और राज पुंद्रा (राज) को सट्टेबाजी में लिप्त पाए जाने पर आजीवन क्रिकेट गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया है। यह फैसला उस बीसीसीआई के मुंह पर तमाचा है जो स्वतंत्र इकाई की दुहाई देकर दादागिरी के अंदाज में क्रिकेट चला रही थी और जिसने आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में जांच में ईमानदारी नहीं दिखाकर दोषियों को बचाने का काम किया। अगर बीसीसीआई में किसी ने गलत हो रहे काम के लिए आवाज उठाई होती तो आज उसे यह दिन नहीं देखना पड़ता। लेकिन तब सभी आंख मूंद कर अपने आका अध्यक्ष श्रीनिवासन की खुशामद में जुटे थे। असल सवाल भद्र जनों का खेल समझे जाने वाले क्रिकेट की साख का है, जिसे बट्टा लगाने में इसके कर्ताधर्ताओं ने ही कोई कसर नहीं छोड़ी है। इनमें सबसे ऊपर एन. श्रीनिवासन का नाम रखा जा सकता है, जिनके दामाद मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज पुंद्रा पर लोढ़ा कमेटी ने आजीवन रोक लगा दी है। हैरानी की बात यह है कि श्रीनिवासन अपने दामाद को सजा सुनाए जाने और चेन्नई सुपर किंग्स पर दो वर्ष की रोक लगाने के बावजूद नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं, इसके पूर्व कमिश्नर और भारत में वांछित ललित मोदी को लेकर उठे हालिया सियासी तूफान से इतर सच यह है कि इस फैसले ने आईपीएल की परिकल्पना को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिर्प श्रीनिवासन और ललित मोदी की मित्रता से बदलती प्रतिद्वंद्विता का नतीजा नहीं है बल्कि लगता है कि आईपीएल को कुछ लोगों ने खड़ा ही इसलिए किया ताकि खेल की आड़ में करोड़ों के वारे-न्यारे किए जा सकें। अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति ब्रिटिश नागरिक राज पुंद्रा जैसे लोगों की इस सट्टेबाजी में संलिप्तता तो यही दर्शाती है कि इसके तार विदेश से भी जुड़े हुए हैं। वैसे समिति के इस फैसले से कई सवाल भी उठ सकते हैं। पहला यह कि दोनों टीमों के खिलाड़ियों को सजा क्यों? दूसरा कि इन टीमों के खिलाड़ियों के भविष्य का क्या होगा? क्या उनकी फिर से नीलामी की जाएगी? तीसरा इन टीमों के नए मालिकों की स्थिति में क्या ये टीमें खेलने की पात्रता हासिल कर सकती हैं। जो स्थिति अब है इसका मतलब यह है कि आईपीएल में सिर्प छह टीमें ही भाग ले सकती हैं। अगले आईपीएल संस्करण में 34 मैच कम हो जाएंगे। इसका सीधा असर फ्रेंचाइजी, बीसीसीआई और प्रसारण अधिकार हासिल करने वालों की कमाई पर पड़ेगा। जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट और जस्टिस लोढ़ा कमेटी के फैसले से बहरहाल यह उम्मीद तो जरूर बंधी है कि सिर्प लीपापोती के लिए कुछ छोटे क्रिकेटरों को टांग दिया जाए, से काम नहीं चलेगा। सट्टेबाजी में लिप्त बड़े लोगों को भी बख्शा नहीं जाएगा। क्रिकेट में स्वच्छता लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे पर बड़ा सवाल तो यही है कि क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड श्रीनिवासन की छाया से बाहर निकल पाएगा? श्रीनिवासन ने अपने दामाद को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी और पूरे मामले को बरी करने का प्रयास किया। अगर वह समय रहते कड़ाई दिखाते तो बोर्ड की साख पर आंच नहीं आती और न ही आईपीएल बदनाम होता।

Thursday 16 July 2015

भारतीय टेनिस की ऐतिहासिक जीत बधाई

भारतीय खिलाड़ियों ने टेनिस के मक्का में तीन खिताब जीतकर इस बार विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट में इतिहास रच दिया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि की शुरुआत शनिवार देर रात सानिया मिर्जा ने स्विस जेड़ीदार मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर महिला डबल्स खिताब जीतने से की। इसके बाद रविवार को हरियाणा के सुमित नागल ने ब्वॉयज डबल्स वर्ग और फिर लिएंडर पेस और मार्टिना हिंगिस की जोड़ी ने मिक्स्ड डबल्स का खिताब जीतकर भारतीय टेनिस को एक यादगार उपलब्धि दी है। सानिया मिर्जा की जीत इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जाएगी क्योंकि वह विंबलडन में खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बन गईं। हरियाणा के झज्जर जिले के जैतपुर गांव के 18 वषीय सुमित नागल का भी यह पहला ग्रेंड स्लेम खिताब है। महेश भूपति की सरपरस्ती में अपनी पतिभा तराशने वाले सुमित जूनियर स्तर पर ग्रेंड स्लेम खिताब जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इसके बाद लोगों के हरदिल अजीज लिएंडर पेस और मार्टिना हिंगिस की जोड़ी के मुकाबले का बेताबी से इंतजार था। सातवीं वरीय पेस-हिंगिस ने भी फाइनल में आस्ट्रेलिया के एलेक्जेंडर पेया और हंगरी की टीमिया बबोस की पांचवीं वरीयता पाप्त जोड़ी को सीधे सेंटों में आसानी से 6-1, 6-1 से हराकर भारत को इस पतिष्ठित टूर्नामेंट में तीसरा खिताब जिताया। 42 वषीय लिएंडर पेस का यह ऑल इंग्लैंड कल्ब पर चौथा, जबकि करियर का 16वां ग्रेंड स्लेम खिताब है। भारत के रामनाथन कृष्णन ने 1954 में विंबलडन चैंपियनशिप में जूनियर एकल वर्ग का खिलाफ जीता था। लिएंडर पेस ने 1990 में विंबलडन और 1991 में यूएस ओपन में जूनियर एकल का खिताब अपने नाम किया था। सानिया मिर्जा ने भी वर्ष 2003 में विंबलडन में बालिका वर्ग की डबल्स स्पर्धा का खिताब अपने नाम किया था। सानिया मिर्जा को चारों ओर से बधाइयां मिल रही हैं। राष्ट्रपति पणब मुखजी, पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सानिया को बधाई देते हुए अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट कियाः सानिया मिर्जा और मार्टिना हिंगिस को विंबलडन जीतने पर दिली मुबारकबाद। सानिया मिर्जा की यह उपलब्धि भारतीय युवाओं को पेरणा देगी। मध्य एशिया की यात्रा पर गए पीएम ने ट्वीट कियाः मार्टिना हिंगिस और सानिया मिर्जा ने बेहतरीन टेनिस खेलकर विंबलडन में शानदार जीत दर्ज की है। हमें तुम पर गर्व है और हम बहुत खुश हैं। सानिया की शादी पाक किकेटर शोएब मलिक से हो रखी है। ट्विटर पर कई लोगों का कहना है कि यह पहला मौका है जब दोनों देश एक साथ खुशी मना रहे हैं। क्योंकि सानिया भारत की बेटी हैं और पाकिस्तान की बहू। भाभी हम आपको प्यार करते हैं। सानिया के पति और किकेटर शोएब मलिक ने उन्हें मुबारक बाद देते हुए लिखा है कि मुझे उस पर गर्व है, दृढ़ संकल्प, अनुशासन, फोकस और बड़े सपनों से ही एथलीट बनते हैं। वहीं पाकिस्तान के उमर ने लिखाः भाभी ये भारत के बारे में नहीं है, ये हमारी भाभी के बारे में हैं। भाभी आप जहां भी हों आगे बढ़ती रहो। हम पाकिस्तानी आपको प्यार करते हैं और हमें आप पर गर्व है।

-अनिल नरेंद्र

एक बार फिर पलटा पाकिस्तान

रूस के उफा में तीन दिन पहले नए सिरे से बातचीत शुरू करने पर सहमति जताने वाला पाकिस्तान अपनी आदत के अनुसार एक बार फिर मुकर गया है। यूटर्न लेने के लिए मशहूर पाक पधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा है कि जब तक कश्मीर का मुद्दा एजेंडा में नहीं होगा तब तक भारत से कोई बातचीत नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी गरिमा और सम्मान से कोई समझौता नहीं करेगा। पाक के राष्ट्रीय सलाहकार ने बताया रूस में मोदी और शरीफ के बीच हुई बातचीत किसी वार्ता पकिया की कोई औपचारिक शुरुआत नहीं थी। उसका मकसद दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव कम करने के लिए एक बेहतर सोच बनाना था। नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की रूस के उफा में हुई बातचीत से जगी उम्मीदों को पाकिस्तान ने तीन दिन भी जिंदा नहीं रहने दिया। भारत सरकार ने दोनों देशों के पधानमंत्रियों की मुलाकात की उपलब्धि यह बताई थी कि इससे 26/11 के दोषियों को सजा दिलवाने का मुद्दा फिर एजेंडे पर आया है। मोदी-शरीफ वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में जिक हुआ कि नवंबर 2008 में मुंबई पर आतंकी हमलों के षड्यंत्रकारियों की आवाज के नमूने देने पर पाकिस्तान राजी हो गया है। मगर पाकिस्तान सरकार के लोक अभियोजक ने यह कहते हुए इसका खंडन कर दिया कि ऐसे नमूने देने पर अदालती रोक लगी है। पाकिस्तान ने मुंबई बम कांड के मुख्य साजिशकर्ता और भारत में वांछित आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी के मुद्दे पर जिस तरह से रुख बदला है, उससे आतंकवाद के मुद्दे पर उसका दोहरा चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। उफा में दोनों पधानमंत्रियों के साझा बयान में दोनों नेताओं ने न केवल आतंकवाद के सभी रूपों की आलोचना की थी, बल्कि शांति और स्थिरता कायम करने के लिए इससे निपटने की साझा जिम्मेदारी भी स्वीकार की थी। इतना ही नहीं यह भी आश्वासन दिया था कि मुंबई कांड की सुनवाई तेज करने व आरोपियों के वॉयस सैंपल देने पर भी सहमति जताई थी। लेकिन महज तीन दिन के बाद ही पाक की ओर से जो बयानबाजी हो रही है उससे उसकी कथनी और करनी का फर्क साफ देखा जा सकता है। बची  खुची कसर सरताज अजीज के बयान से पूरी हो गई है। यह अकारण नहीं है कि ठीक इसी समय पाकिस्तानी उच्चायुक्त द्वारा ईद के बहाने कश्मीरी अलगाववादियों को आमंत्रित किए जाने की खबर आई है। इससे पहले भी पिछले वर्ष दोनों देशों के विदेश सचिवों की पस्तावित बातचीत से ऐन पहले भी पाक उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं को आमंत्रित कर भड़काने वाला काम किया था। यह तमाम बयान अच्छे इरादे का संकेत नहीं माने जा सकते। अब यह भारत को तय करना है कि वह कितना संयम दिखाता है। कश्मीर को जबर्दस्ती मुद्दा बनाने की मजबूरी पाक सरकार की हो सकती है, यह भी साबित होता है कि पाक सरकार पाक सेना के हाथों में महज एक कठपुतली है जिसे जब सेना चाहे घुमा सकती है। लेकिन इससे सच्चाई तो नहीं बदल जाएगी। हकीकत तो यह है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। यह भी हकीकत है कि पाकिस्तान इन जेहादी आतंकी समूहों को हर तरह मदद करने से बाज नहीं आएगा। हमें समझ नहीं आता कि जब तक पाक जमीनी माहौल नहीं बदलता तब तक अमन की बात करने का फायदा क्या है? क्यों हम बार-बार शांति की वार्ता करते हैं

Wednesday 15 July 2015

दागी विधायकों ने की आप पार्टी की छवि धूमिल

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर के बाद `आप' के एक और विधायक को फर्जीवाड़े के केस में गिरफ्तार किया गया है। कोंडली के विधायक मनोज कुमार पर एक प्लाट के फर्जी कागजात बनाकर उसका सौदा कर छह लाख रुपए बयाना लेने का आरोप है। शिकायतकर्ता के मुताबिक मनोज ने बाकायदा एग्रीमेंट कर 2012 में उनसे रुपए लिए थे। पीड़ित की शिकायत पर न्यू अशोक नगर थाना पुलिस ने मई 2014 में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। गत  बृहस्पतिवार को पुलिस इसी मामले में एक कागज पर हस्ताक्षर करने के बहाने बुलाकर उन्हें अपने साथ ले गई। वहां कुछ देर पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तारी के तुरन्त बाद विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को फैक्स भेजकर मामले की जानकारी दे दी गई थी। पुलिस के मुताबिक मनोज ने वर्ष 2012 में घड़ोली गांव के 46 गज के एक प्लाट पर फर्जी एग्रीमेंट बनाकर विजय कुमार नाम के एक शख्स से 21.60 लाख रुपए का सौदा किया था। उन्होंने न्यू अशोक नगर निवासी विजय कुमार से बतौर बयाना छह लाख रुपए लिए थे। गिरफ्तार विधायक मनोज कुमार के खिलाफ फर्जीवाड़े के तीन और मामले भी दर्ज हैं। इनमें मारपीट करना, धमकी देना, छेड़छाड़ व सरकारी काम में बाधा पहुंचाना शामिल है। मनोज कुमार की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के कई और विधायकों पर दिल्ली पुलिस शिकंजा कसने की तैयारी में है। इनमें पहला नाम मॉडल टाउन के विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी का बताया जा रहा है। मॉडल टाउन पुलिस दंगा उकसाने समेत कई अन्य मामलों में आने वाले दिनों में रोहिणी कोर्ट के न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार की अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है। आप समर्थकों का कहना था कि व्यापमं घोटाले से ध्यान हटाने के लिए आप पार्टी के विधायकों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि आप के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर मनोज सही हैं तो पार्टी उन्हें वकील मुहैया कराएगी, अगर वे दोषी हैं तो उनके बचाव में नहीं खड़ी होगी। आप के 21 विधायकों पर पुलिस की नजर है। इन मामलों से आप पार्टी की छवि बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इन दागी विधायकों की मौजूदगी से कैसे अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचारमुक्त, स्वच्छ प्रशासन का दावा कर सकते हैं। इन दागियों ने भी आप पार्टी के हक में बने माहौल का पूरा फायदा उठाया और पार्टी आलाकमान ने भी यह नहीं देखा कि इन लोगों का बैकग्राउंड क्या है, छवि क्या है। नतीजा यह है कि पार्टी और सरकार की छवि प्रभावित हो रही है।

-अनिल नरेन्द्र

इन सियासी दलों को पारदर्शिता से परहेज क्यों?

राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्राधिकार मान रहे आरटीआई यानि सूचना का अधिकार कानून के दायरे में लाने की मांग पिछले कई सालों से उठ रही है। मगर पार्टियां इसे मानने पर राजी नहीं हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा, कांग्रेस सहित छह राजनीतिक दलों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें क्यों नहीं आरटीआई के दायरे में लाया जाए? इन दलों को इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया गया है। गौरतलब है कि गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोकेटिक रिफॉर्म ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मांग की है कि वह सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के लिए अपनी आय के बारे में विस्तृत जानकारी का खुलासा करने को अनिवार्य बनाए। इसमें 20 हजार रुपए से कम चन्दा देने वालों का नाम बताना जरूरी नहीं है, इसलिए राजनीतिक दल बड़ी रकम को छोटी-छोटी राशियों में बांट कर दर्ज कर लेते हैं। जाहिर है कि यह चुनाव आयोग के नियमों से बचने का दरवाजा है जिसका फायदा सभी पार्टियां उठाती रही हैं। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने जून 2003 में फैसला दिया था कि सियासी पार्टियां सार्वजनिक प्राधिकारी (पब्लिक अथॉरिटी) की परिभाषा के दायरे में आती हैं, इसलिए उन्हें आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाएं देनी होंगी। मगर सियासी दलों ने इस फैसले की अनदेखी की। सीआईसी अर्द्ध न्यायिक व्यवस्था है। अत वह नोटिस भेजने के अलावा पार्टियों के खिलाफ कोई कदम उठाने में अक्षम था, इसलिए पार्टियां उन्हें गंभीरता से नहीं लेतीं पर अब यह प्रश्न देश की सर्वोच्च अदालत ने पूछा है। जाहिर है कि अब पार्टियां इस सवाल को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। उनकी यह दलील रही है कि आरटीआई अधिनियम पारित करते समय संसद ने सियासी दलों को इसके अंतर्गत नहीं रखने का फैसला किया। विधि निर्माण विधायिका का विवेकाधिकार है। अत किसी कानून की सीमा वहीं तक हो सकती है, जहां तक संसद उसे तय करती है। मगर अब प्रधान न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट एचएल दत्तू, जस्टिस अरुण कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की बैंच के सामने वह अर्जी है जिसमें सियासी पार्टियों को यह हिदायत देने की गुजारिश की गई है कि वे अपने सारे चन्दे का स्रोत घोषित करें। बेहतर होगा कि तमाम सियासी दल केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश का सम्मान करें। अब भी वक्त है कि वे अदालती नोटिस के जवाब में खुद को आरटीआई के तहत लाने का ऐलान कर दें। देर-सबेर तो उन्हें ऐसा करना ही पड़ेगा।