Tuesday, 21 July 2015

केजरीवाल जी जरा भाषा तो सही इस्तेमाल करें

चर्चा में बने रहने की दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की पुरानी आदत है। मीडिया में बने रहने के लिए वह बड़े विवादास्पद बयान देने से भी नहीं चूकते। केजरीवाल ने एक निजी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में दिल्ली पुलिस के लिए `ठुल्ला' शब्द का इस्तेमाल तक कर दिया। उन्होंने कहाöये कहते हैं कि दिल्ली पुलिस व ठुल्ला अगर किसी रेहड़ी पटरी वाले से पैसे मांगता है तो उसके खिलाफ भी केस नहीं होना चाहिए। यह मंजूर नहीं है। इस पर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का कड़ा ऐतराज जताना जायज भी है। यदि मुख्यमंत्री ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा तो यह अपमानजनक है। भीम सेन बस्सी ने कहा कि उन्हें पुलिस संगठन का सम्मान करना चाहिए। केजरीवाल ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार और भाजपा को डर था कि हम किसी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले हैं। इसलिए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर नियंत्रण हासिल करने के लिए उसका चीफ बदल दिया। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर में हिम्मत नहीं है कि वे हमारे लिए किसी तरह की परेशानी पैदा कर सकें। केजरीवाल को काम करने से रोकने के लिए जंग के जरिए मोदी काम कर रहे हैं। इसी बीच श्री केजरीवाल ने एक आश्चर्यचकित कर देने वाला बयान जारी कर दिया। शुक्रवार को उन्होंने दिल्ली के सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी। केजरीवाल का कहना है कि अगर पार्टी से बाहर निकाले गए योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण वापसी का फैसला करते हैं तो उन्हें खुशी होगी। अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू में कहा कि आम आदमी पार्टी में प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की वापसी का स्वागत होगा। वे लोगों के हित में सबको साथ लेकर काम करने में यकीन रखते हैं। दूसरी तरफ मीडिया से पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक दिलीप पांडेय ने कहा कि आप की विचारधारा से इत्तेफाक रखने वाले सभी लोगों का पार्टी में स्वागत है। वह कोई आम आदमी हो या प्रशांत भूषण या योगेन्द्र यादव, यहां व्यक्ति का सवाल नहीं है। केजरीवाल द्वारा प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को वापस आने के निमंत्रण पर प्रशांत भूषण ने उन्हीं की जुबान में करारा जवाब दिया। केजरीवाल पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि केजरीवाल पाखंडी हैं, निर्लज्ज और झूठे हैं। प्रशांत भूषण ने ट्विट कियाöसाले कमीने कहकर गालियां देने और सोची-समझी साजिश के तहत एनसी (नेशनल काउंसिल) मीटिंग में विधायकों से हमला कराने के बाद केजरीवाल हमें वापस चाहते हैं। पाखंडी, निर्लज्ज। प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने फर्जी डिग्री के आरोपों में गिरफ्तार किए गए कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर को टिकट दिए जाने से भी पार्टी को आगाह किया था। उन्होंने 28 मार्च को विवादास्पद राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अपने ऊपर हमला कराने का भी आरोप लगाया था। बाद में इन दोनों नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर अप्रैल में पार्टी से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने स्वराज अभियान का गठन किया। सवाल यह उठता है कि क्या अरविंद जी अब पार्टी और सरकार दोनों चलाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं जो प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की वापसी चाहते हैं? बेशक यह सही है कि यह दोनों नेता पढ़े-लिखे, समझदार और अनुभवी हैं। शायद अब केजरीवाल को इनकी कमी महसूस हो रही है?

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