ब्रिटेन ने उत्तरी अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया में एक होटल
पर शुक्रवार को हुए आतंकी हमले के बाद देश में ऐसे ही और हमलों की चेतावनी दी है। इस
हमले में 39 लोग मारे गए थे जिसमें
15 ब्रिटेन के नागरिक थे। उधर फ्रांस, कुवैत और
ट्यूनीशिया के बाद आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस)
शनिवार को ब्रिटेन को दहलाने की फिराक में था। लेकिन पुलिस ने आर्म्स
डे परेड के दौरान धमाके की साजिश को विफल कर दिया। ली रिग्बी रेजीमेंट के सैनिकों की
परेड देखने आए लोगों को निशाना बनाकर प्रेशर कुकर बम के जरिए यह हमला किया जाना था।
2013 में भी इस रेजीमेंट के सैनिकों को इस्लामी कट्टरपंथियों ने निशाना
बनाया था। शुक्रवार को ट्यूनीशिया पर हुए आतंकी हमले के बाद अगले दिन शनिवार को यहां
की सरकार ने देश की 80 मस्जिदें बंद करने की घोषणा की है। इन्हें
एक हफ्ते के अंदर बंद कर दिया जाएगा। ये मस्जिदें सरकारी नियंत्रण से बाहर हैं। प्रधानमंत्री
हबीब अल असीद ने कहा कि इन मस्जिदों में जहरीला प्रचार किया जाता है और हिंसा भड़काई
जाती है। शुक्रवार को ट्यूनीशिया के पर्यटन स्थल सूस में हुए आतंकी हमले में
39 लोग मारे गए थे। इनमें काफी संख्या में यूरोपियन नागरिक भी थे। हमले
की जिम्मेदारी आतंकी गुट आईएस ने ली है। प्रधानमंत्री हबीब अल असीद ने कहा कि संविधान
के खिलाफ काम करने वाले दलों और समूहों पर भी कार्रवाई होगी। इस बीच ब्रिटिश टूर ऑपरेटरों
थामसन और फर्स्ट च्वाइस ने सैलानियों को ट्यूनीशिया से निकालने के लिए 10 विमान भेजे हैं। इनसे 2500 लोगों को बचाकर लाया जा सकेगा।
इन दोनों ऑपरेटरों ने कहा है कि मरने वालों में ज्यादातर इनके कस्टमर थे। ट्यूनीशिया
के सकल घरेलू उत्पाद का 15.2 फीसदी हिस्सा पर्यटन से आता है और
करीब 13.2 फीसदी नौकरियों के अवसर भी पर्यटन क्षेत्र से जुड़े
हैं। पिछले साल ट्यूनीशिया में आने वाले पर्यटकों की संख्या 60 लाख थी। शुक्रवार को आईएस ने सोची-समझी रणनीति के तहत
साउसे के ऐसे होटल पर हमला किया जहां यह विदेशी सैलानी रहते हैं। उन्होंने ट्यूनीशिया
की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने के लिए ऐसा स्थान चुना जहां पर्यटक ठहरते हैं ताकि
देश का टूरिज्म प्रभावित हो। दूसरी ओर ट्यूनीशिया के प्रधानमंत्री हबीब अल असीद की
हिम्मत की दाद देनी होगी कि उन्होंने 80 मस्जिदों को बंद करने
की घोषणा की है। मस्जिदों से कट्टरपंथियों को उकसाने के भाषण दिए जाते हैं पर ऐसा नहीं
कि सारी मस्जिदों में कट्टरपंथी प्रचार होता है पर कुछ मस्जिदों में युवाओं को भड़काने
का काम किया जाता है। यह कटु सत्य किसी से छिपा नहीं। पर अवाम और मौलवियों व कट्टरपंथियों
के डर से कोई देश ऐसी मस्जिदों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से कतराता है। ट्यूनीशिया
ने हिम्मत दिखाई है। अगर वह इन 80 मस्जिदों को बंद करने में सफल
होता है तो यह काम सारी दुनिया के लिए एक उदाहरण होगा।
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