Wednesday 8 July 2015

शियाओं पर बढ़ते हमलों से खाड़ी देश परेशान

यह पवित्र रमजान का महीना है। पर इन आतंकवादियों के लिए इस पवित्र महीने का कोई मतलब नहीं। हालांकि कहने को यह इस्लाम के नाम पर लड़ रहे हैं। चाहे जम्मू-कश्मीर हो, चाहे कुवैत हो, पाकिस्तान हो, सउदी अरब हो चाहे नाइजीरिया हो। सभी स्थानों पर निर्दोषों की हत्या करके ये आतंकी पता नहीं इस्लाम को कैसे बचा रहे हैं? आए दिन खबर आती है कि आतंकियों ने मस्जिदों पर हमला किया या नमाज पढ़ते हुए निर्दोष शिया मुसलमानों पर हमला कर उनकी हत्या कर दी है। आतंकी संगठन बोको हराम ने उत्तर पूर्व नाइजीरिया के गांवों में घुसकर घरों और मस्जिदों पर हमला करके करीब 150 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि बोको हराम के हत्यारों ने घरों पर मौजूद महिलाओं और मस्जिद में नमाज पढ़ रहे पुरुषों व बच्चों को गोली मार दी। 50 से ज्यादा बंदूकधारी आतंकियों ने बुधवार को बोरनो राज्य के तीन दूरदराज वाले गांवों पर धावा बोल दिया। उन्होंने स्थानीय लोगों की हत्या करने के बाद उनके घरों को आग लगा दी। इस हमले को पिछले दो महीनों में किया गया सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। मई में राष्ट्रपति मोहम्मद बुहारी के सत्ता में आने के बाद पहली बार आतंकियों ने इस तरह से मौत का खेल खेला है। शवों की गिनती करने वाले कुकावा गांव के कोलो नाम के शख्स ने कहा कि आतंकियों ने उसके चाचा के पूरे परिवार को खत्म कर दिया। उनके साथ उनके पांच बच्चों को मार दिया गया। उधर आईएस ने पहली बार एक महिला का सिर कलम कर दिया। खाड़ी देशों के मंत्रियों ने शिया मस्जिदों को लक्ष्य बनाकर किए जा रहे हमलों के खिलाफ एकजुट होने का संकल्प जताया है। इस्लामिक स्टेट के जेहादी समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। पिछले शुक्रवार को कुवैत में हुए ऐसे ही हमले में 26 लोग मारे गए थे। खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के मंत्रियों ने कुवैत में एक आपात बैठक की जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ये हमले क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं। पिछले दो महीने में सउदी अरब और कुवैत में शिया मस्जिदों पर हुए तीन आत्मघाती हमलों में करीब 50 व्यक्ति मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हो गए। सभी हमलों की जिम्मेदारी आईएस ने ली है। सुन्नी  जेहादी समूह शियाओं को धर्म विरोधी मानते हैं और पश्चिम एशिया में उन्हें आए दिन निशाना बनाते हैं। बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया है कि मंत्रियों ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों में समन्वय और सहयोग करने का फैसला किया है। यह समस्या अरब देशों की सुरक्षा व अस्थिरता के लिए खतरा है।

-अनिल नरेन्द्र

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