Saturday, 4 July 2015

जनता के पैसों की आप में बंदरबांट

सादगी की दुहाई देने वाले आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सत्ता की सेवा के बजाय मेवा खाने और खिलवाने की नीतियों पर चलने लगे हैं। आम आदमी पार्टी स्वच्छ राजनीति करने के दावे से सत्ता में आई। केजरीवाल की मेहरबानी से अब आप वालंटियर सत्ता की मलाई जमकर काट रहे हैं। दिल्ली के सीएम केजरीवाल और उनके कैबिनेट के मंत्रियों के दफ्तरों में 200 स्टाफ काम कर रहे हैं। भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा के सवाल पर इसकी लिखित जानकारी बजट सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को दी गई। जवाब में कहा गया है कि सिर्प सीएमओ में कुल 79 स्टाफ, डायवर्टड कैटेगरी में 67 अधिकारी हैं। को-टर्मिनस स्टाफ की सैलरी 18 हजार से 1.15 लाख रुपए तक है। मसलन सीएम के निजी सचिव बिभव कुमार 37,400 से 67,000 के ग्रेड पे पर हैं। जिनकी कुल सैलरी 98,627 रुपए है, जबकि ज्वाइंट सैकेटरी के रूप में अस्वाति मुरलीधरन को 15,600 से 39,100 रुपए की ग्रेड पे के मुताबिक महज 49,000 रुपए मिलते हैं। आम जनता की बात करने वाली आप सरकार में आप वालंटियर जमकर सत्ता की मलाई का स्वाद ले रहे हैं। बहुमंजिला प्लेयर्स बिल्डिंग यानि दिल्ली सचिवालय में सरकार की मेहरबानी से विभिन्न दफ्तरों में जमे आप वालंटियर भले ही जनता के दुख-दर्द के निवारण का दावा करते हैं लेकिन उन्हीं से जुटाए गए टैक्स से मोटी सैलरी लेकर अलग तरह की संस्कृति पेश कर रहे हैं। आप वालंटियर की सरकार में दो तरह की नियुक्ति की गई है। पहली श्रेणी में रेग्यूलर और दूसरी श्रेणी में कांट्रेक्ट के आधार पर नियुक्ति की गई और इस आधार पर वे 60 हजार से करीब डेढ़ लाख रुपए प्रति माह सैलरी सरकार से ले रहे हैं। मामला यहीं नहीं रुका, सरकार की ओर से उन्हें बंगला और गाड़ी जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें ज्यादातर वे आप वालंटियर शामिल हैं जो केजरीवाल से जुड़े इंडिया अगेंस्ट करप्शन के दौर से जुड़े हैं। शपथ के बाद केजरीवाल ने यह कहा कि इन मूलभूत सुविधाओं के बगैर कामकाज नहीं हो सकता तो उनकी साफगोई वाली स्वीकारोक्ति भी बहुतों को भाई थी। लेकिन अब लगातार तथ्य सामने आ रहे हैं कि सरकारी सुविधाएं लेने का सिलसिला सिर्प मंत्रिमंडल तक सीमित नहीं है, बल्कि आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को घर-गाड़ी के साथ-साथ लाखों रुपए के वेतन से उपकृत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक और मीडिया सलाहकारों को जिस तरह घर-गाड़ी और लाखों की तनख्वाह पर नियुक्त किया गया है। साफ है कि आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार उसी तरह संसाधनों की बंदरबांट में लग गई है जैसा करने के आरोप वह दूसरे दलों पर लगाती रही हैं। इसी तरह जिस ढंग से दर्जनों विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें सरकारी सुविधाओं से लैस किया गया है उसकी मिसाल तो दिल्ली में किसी और सरकार के दौर में मौजूद ही नहीं है। भ्रष्टाचार का मतलब सिर्प करोड़ों के घोटाले नहीं होते। आखिर यह भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है कि जिस व्यक्ति के पास वाहन चलाने तक का लाइसेंस न हो, उसे केजरीवाल सरकार चालक नियुक्त कर दे और उसे लाइसेंस हासिल करने लिए तीन माह से एक साल तक का समय दे दे। जाहिर है कि अपने नेताओं, विधायकों व वालंटियरों पर बरसाई जा रही इन रहमतों का हर्जाना दिल्ली की जनता से ही वसूला जाएगा। हालांकि मोटी सैलरी का लाभ उठा रहे एक आप कार्यकर्ता का कहना है कि इसमें हर्ज क्या है? हम सरकार के कामकाज से दिन-रात जुड़े हुए हैं। लेकिन इस सवाल पर कि जनता की गाढ़ी कमाई को इस तरह आप वालंटियरों, विधायकों पर लुटाना कहां तक जायज है वे बगलें झांकने लगते हैं। इन्हीं चन्द कदमों की वजह से जनता में अब केजरीवाल सरकार की आलोचना आरम्भ हो चुकी है।
-अनिल नरेन्द्र


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