Wednesday 22 July 2015

कूरता की नई हदें तय हो रही हैं

आनंद पर्वत इलाके में सरेआम एक युवती मीनाक्षी की जिस बेरहमी से हत्या की उससे जहां दिल्ली में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह तो लगता ही है साथ-साथ इस बात पर भी सवाल उठता है कि अपराधियों को अब किसी से डर नहीं  लगता। इससे साफ जाहिर है कि दिल्ली में बदमाशों के हौंसले बुलंद हैं और उन्हें अब किसी का भी डर नहीं है। आनंद पर्वत की वारदात को जिस तरीके से अंजाम दिया गया वह आरोपियों की कूरता का एक और उदाहरण है। मीनाक्षी उर्प अलका के परिजनों ने 10 अक्तूबर 2013 को आनंद पर्वत थाने में एसएचओ और 15 अक्तूबर 2013 को मध्य जिला के पुलिस आयुक्त को एक लिखित शिकायत में साफ लिखा है कि पड़ोस में रहने वाले जोगी की पत्नी शशि, उसके बेटे ईलू और सन्नी उनकी बेटी अलका के साथ गाली-गलौच करते हैं, तेजाब फेंकने की धमकी देते हैं, उनके साथ मारपीट भी की गई है। अलका का परिवार शांतिप्रिय है। पड़ोस में रहने वाले इन आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के घर अपराधी और गुंडों का आना-जाना है। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपी भाइयों के खिलाफ छेड़खानी का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस और लोगों ने बताया कि जब मीनाक्षी शाम को बाजार जा रही थी तो ईलू और सन्नी ने बड़ी बेरहमी से मीनाक्षी के चेहरे, सीने और पेट में चाकुओं से ताबड़तोड़ करीब 35 बार हमला किया। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपी भाइयों ने बाजार गई मीनाक्षी का पीछा किया। बचने के लिए मीनाक्षी एक इमारत की बालकनी में आ गई लेकिन दोनों युवकों ने उसे वहां दबोच लिया और उस पर चाकू से तब तक हमले किए जब तक वह बेहोश नहीं हो गई। मीनाक्षी को बचाने गई उसकी मां को भी नहीं बख्शा गया और उस पर भी वार किए गए। यह वारदात बिगड़ती कानून व्यवस्था के साथ-साथ गिरती नैतिकता का भी जीती-जागती मिसाल है। एक मां अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाती है पर जब मां ही किसी गलत काम में अपने बच्चों के साथ शामिल हो तो समझा जा सकता है कि सामाजिक व्यवस्था का तानाबाना किस तरह से बिखर गया है। हैरानी और दुख की बात यह भी है कि दिल्ली वालों में इतनी भी इंसानियत नहीं बची है कि वे एक युवती का इस कूरता से कत्ल होते देखते रहे, लेकिन बचाने के लिए एक भी व्यक्ति नहीं आया। यही तो वजह है कि अपराधी खुलेआम अपराध करते हैं और साफ निकल जाते हैं, कोई उन्हें रोकने वाला नहीं। पुलिस हर समय हर वारदात की जगह पर नहीं हो सकती, कुछ तो साहस पब्लिक को भी दिखाना पड़ेगा। वैसे चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि अब इन अपराधियों को पुलिस का भी डर नहीं लगता। यही वजह है कि पिछले दिनों कई बार पुलिस वालों को भी बदमाशों ने निशाना बनाया। जहां पुलिस का भय फिर से पैदा करना होगा वहीं हमारी अदालतें इन अपराधियों से सख्त बर्ताव करें। पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और अदालतें उन्हें जमानत आसानी से दे देती हैं ताकि वह फिर अपराध करें। सारे का सारा ढांचा ही बिगड़ा हुआ है। समझ नहीं आता कि दिल्ली को सुरक्षित कैसे बनाएं।

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