Friday, 31 July 2015

गुरदासपुर आतंकी हमले के यह अनसंग हीरोज

पंजाब के गुरदासपुर में हमला करने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से रावी नदी के जरिए भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे और ऐसा लगता है कि उनके इरादे तो बहुत खतरनाक थे जो पूरे नहीं हो सके। जहां हमारे पंजाब पुलिस के जांबाजों ने इन आतंकियों को मार गिराया वहीं कई और हीरो भी हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर निर्दोषों को बचाया। ऐसा एक व्यक्ति है नानक चन्द। आतंकी हमले के खौफनाक मंजर कभी न भूलने वाले नानक चन्द ने 80 बस यात्रियों को अपनी जान दांव पर लगाकर बचा लिया। नानक चन्द पंजाब रोडवेज की बस नम्बर पीबी-06जी 9569 चलाता है। उन्होंने बताया कि वह बनियाल से अपनी बस लेकर सुबह दीनानगर पुलिस थाने के आगे पहुंचा तो पुलिस थाने की तरफ से सीधी एक गोली बस के भीतर आ घुसी। उस गोली से पांच सवारियां घायल हो गईं। इसी बीच दूसरे आतंकी ने बस रोकने के लिए हाथ दिया तभी उन्हें आतंकी हमले का अहसास हुआ और उन्होंने बस को भगा लिया। पांच सवारियों को गोली लगने से बस के भीतर चीख-पुकार व दहशत मच गई। घायल सवारियों के मद्देनजर नानक चन्द सीधे सिविल अस्पताल पहुंचे। तब तक अस्पताल तक आतंकी हमले का शोर पहुंच चुका था। वहां पहुंचते ही डाक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू कर दिया। नानक चन्द अगर बस रोक लेता तो गदर मच जाता। हम नानक चन्द की बहादुरी और समझदारी को सलाम करते हैं। लगता है कि आतंकवादियों के निशाने पर जम्मूतवी-बठिंडा एक्सप्रेस ट्रेन थी। यह ट्रेन जम्मू से रात 9.30 पर चलकर दीनानगर के उस पुल से गुजरती है जहां पर आतंकियों ने बमों का जाल बिछा रखा था। सुबह करीब चार बजे ट्रेन को यह पुल पार करना था। लेकिन रेल मंडल फिरोजपुर ने एक हफ्ते पहले ट्रैक में कुछ तकनीकी कारणों के चलते इनका रूट बदल कर वाया मुकेरियां-जालंधर कर दिया था। की-मैन अश्विनी कुमार की सूझबूझ के कारण सोमवार को पठानकोट-अमृतसर रेलवे स्टेशन पर  बड़ा हादसा टला। गैंग नम्बर 13 एपी (अमृतसर-पठानकोट हेडक्वार्टर) दीनानगर में तैनात की-मैन अश्विनी कुमार ने बताया कि सुबह करीब साढ़े चार बजे वह ट्रैक की चैकिंग कर रहे थे कि किलोमीटर 85 पर पहुंचे। कुछ लोगों ने बताया कि पुल पर कुछ लगा है। इस पर वह तुरन्त किलोमीटर 84/5-6 पर स्थित ब्रिज नम्बर 236 के पास पहुंचे। वहां पुल पर तार से लिपटे चार-पांच सैलनुमा यंत्र लगे थे। इस पर उन्हें शक हुआ कि यह तो बम है। इस दौरान पठानकोट से अमृतसर पैसेंजर (ट्रेन नम्बर 54612) परमानन्द स्टेशन से निकल चुकी है और दो-तीन मिनट में पुल पर पहुंचने वाली थी। इस पर उन्होंने तुरन्त अपने थैले से लाल कपड़ा निकालकर ट्रैक के बीच लगा दिया। लाल कपड़ा देखकर पुल से करीब 60 मीटर पीछे ड्राइवर ने ट्रेन रोक ली। ट्रेन रुकने की जानकारी दीनानगर रेलवे स्टेशन मास्टर को मिली तो उन्होंने कंट्रोल रूम को बताया। इस पर जीआरपी, आरपीएफ व जिला पुलिस के अधिकारी एवं जवान मौके पर पहुंचे। रेल अधिकारियों ने बताया कि आज अगर की-मैन अश्विनी ने सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता तो यकीनन रेलगाड़ी उड़ जाती और कई लोगों की जान चली जाती। अश्विनी की प्रशंसा करते हुए उच्चाधिकारियों ने कहा कि उन्हें विशेष सम्मान दिलाया जाएगा। दीनानगर में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आरोपी पाकिस्तान से ही आए थे। इसके लिए आतंकियों ने जीपीएस सिस्टम का इस्तेमाल किया था। भारतीय सीमा में दाखिल होने के लिए आतंकियों ने शकरगढ़-बनियाल का रास्ता चुना। शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है। डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने कहा कि आतंकियों के जीपीएस की पहली लोकेशन रावी नदी के किनारे बनियाल की मिली है। डीजीपी देर शाम दीनानगर थाने का दौरा करने पहुंचे थे। पाकिस्तान के सियालकोट से कुछ ही दूरी पर स्थित गांव शकरगढ़ भारतीय सीमा से सटा हुआ है। यह गांव दीनानगर से सिर्प 20 किलोमीटर के फासले पर है। आतंकवादियों के पास कोई वाहन नहीं था, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल होकर पैदल ही दीनानगर रेलवे पटरी से गांव तलवंडी पहुंचे, जहां उन्होंने पुल पर बम फिट किए। इसके बाद एक किलोमीटर पैदल चलकर सिटी एरिया में आए। खुफिया एजेंसी के एक अफसर का मानना है कि इस गाड़ी को निशाना बनाने का मकसद सीधे तौर पर सेना के जवानों और अफसरों को निशाना बनाना था। क्योंकि इस गाड़ी में जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी करने वाले तमाम सेना के जवानों से लेकर आला अधिकारी सफर करते हैं। प्लान तो इन आतंकियों का रेल उड़ाने के बाद वापस पाकिस्तान भाग जाने का था पर इनकी बदकिस्मती कि यह दीनानगर पुलिस स्टेशन में घुस गए जहां इनका काम तमाम हो गया। जहां हम एसपी बलजीत सिंह की बहादुरी की दाद देते हैं वहीं हम पंजाब रोडवेज के बस चालक नानक चन्द और की-मैन अश्विनी को भी सलाम करते हैं। यह हैं गुरदासपुर आतंकी हमले के अनसंग हीरो।
-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment