Saturday, 11 July 2015

चावल बाबा पर 36000 करोड़ के घोटाले का आरोप?

आजकल आरोपों का दौर चल रहा है और निशाने पर हैं भाजपा शासित मुख्यमंत्री। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान की वसुंधरा राजे के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर हैं चावल बाबा अर्थात डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की ख्याति चावल बाबा के तौर पर है। राज्य में एपीएल और बीपीएल परिवारों को एक रुपए और दो रुपए प्रति किलो की दर से हर महीने 35 किलो चावल दिया जाता है। इसलिए गरीब आदिवासी लोग मुख्यमंत्री को चावल वाला बाबा भी कहते हैं। रमन सिंह का दोबारा राज्य की सत्ता में आने में उनके चावल बांटने की भूमिका अहम रही है। पर अब यही चावल उनके ऊपर आंच बनकर उभरा है। अब कांग्रेस नेता उनको चावल चुराने वाले बाबा कहकर निशाना साध रहे हैं। मुख्यमंत्री रमन सिंह पर कांग्रेस पार्टी ने 36000 करोड़ रुपए के चावल घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का आरोप कुछ इस प्रकार हैöपीडीएस योजना में एक रुपए प्रतिकिलो की दर से चावल उपलब्ध कराने के बहाने रमन सिंह ने चावल मिल मालिकों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का ऐसा तंत्र बनाया है जिससे पीडीएस दुकान मालिकों और अधिकारियों को हजारों करोड़ रुपए का कमीशन मिल रहा है। कांग्रेस ने कहा कि फरवरी 2015 में एसीबी ने 12 फरवरी 2015 को स्टेट सिविल सप्लाइज कारपोरेशन के 36 कार्यालयों पर छापा मार कर नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) के कार्यालय से 36463320 रुपए और कई संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए उनकी पत्नी और साली पर भी पैसे के लेनदेन का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में देश का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। कांग्रेस का दावा है कि जांच एजेंसी को छापे के दौरान एक डायरी मिली है जिसमें सीएम, उनकी पत्नी, साली समेत कई बड़े मंत्रियों के नाम हैं। कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई ने मार्च महीने में इस मामले को जोरशोर से उठाया था। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि राज्य में लाखों फर्जी राशन कार्ड बनाए गए हैं जिसके सहारे इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि मुख्यमंत्री रमन सिंह का परिवार इस गोरखधंधे में सीधे शामिल है। इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और अगर वह नहीं हटते तो मोदी सरकार को उन्हें तुरन्त बर्खास्त करना चाहिए। एसीबी द्वारा जब्त की गई डायरियों और दस्तावेजों में जनवरी से दिसम्बर 2014 के बीच घोटाले से कमाए गए पैसों का ब्यौरा है। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह और साली रेणुका सिंह के साथ कई मंत्रियों के नाम हैं। कांग्रेस ने कहा है कि घोटाले में स्वयं मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके परिवार के लोग शामिल हैं, इसलिए इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल यानि एसआईटी से कराई जानी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि घोटाले में  ब्यूरो ने गत छह जून को चालान पेश किया है। मुख्य आरोपी से ब्यूरो ने 113 पेजों का दस्तावेज हासिल किया है लेकिन इनमें से सिर्प छह पेज ही चालान में  लगाए गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि घोटाले में जो आरोपी हैं उनके नाम गवाह के रूप में दिए गए हैं इसलिए चालान में किसी का नाम नहीं है। एक अन्य डायरी प्रवृष्टि का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि रमन सिंह ने 16-16 करोड़ रुपए भाजपा मुख्यालय और नागपुर में आरएसएस कार्यालय को दिए। डॉ. रमन सिंह की छवि एक ईमानदार नेता की है। आरोपों के इस दौर में हर आरोप को तब तक सही नहीं माना जा सकता जब तक कोई स्वतंत्र व विश्वसनीय जांच नहीं होती और यह साबित नहीं होता कि छत्तीसगढ़ में इतना बड़ा घोटाला हुआ है तब तक यह महज आरोप है। डॉ. सिंह के खुद के लिए यह जरूरी है कि वह एक स्वतंत्र, निष्पक्ष व विश्वसनीय जांच कराएं।

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