Thursday 30 July 2015

पैसा हो न हो, इलाज पहले ः मोदी

पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देश की सड़क दुर्घटनाओं पर गहरी चिंता जताई। आकाशवाणी पर पसारित मन की बात कार्यकम में उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति, राष्ट्रीय सड़क कार्ययोजना व सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के इलाज के लिए चुनिंदा शहरों व राज्य मार्गों पर नकद रहित (कैशलेस) इलाज की व्यवस्था लागू करेगी। उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले दिल्ली की एक दुर्घटना के दृश्य पर मोदी की नजर पड़ी और दुर्घटना के बाद वह स्कूटर चालक दस मिनट तक तड़पता रहा। उसे कोई मदद नहीं मिली। पधानमंत्री की चिंता स्वाभाविक ही है। वास्तविक स्थिति तो यह है कि हमारे देश में पाकृतिक आपदाओं के चलते इतनी मौतें नहीं होतीं, जितनी सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती हैं और अक्सर देखा गया है कि सड़क पर पड़े घायल की कोई मदद नहीं करने आता। अगर कोई हिम्मत करके घायल आदमी को किसी अस्पताल में ले जाता है तो पहले तो उसकी पुलिस रिपोर्ट लिखी जाती है और फिर अगर वह किसी पाइवेट अस्पताल जाता है तो सबसे पहले उसे पैसा जमा करने को कहा जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए मोदी ने शहरों और राजमार्गों पर घायलों के लिए नकद रहित उपचार (कैशलेस ट्रीटमेंट) की सुविधा लाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा इसका मकसद होगा कि पैसे हैं कि नहीं, पैसे कौन देगा ये सब चिंता छोड़ सड़क हादसे में घायल शख्स को उत्तम से उत्तम सेवा दिलाने को पाथमिकता दी जाए। आकाशवाणी पर अपने 15 मिनट के  संबोधन में मोदी ने कहा नकद रहित उपचार की शुरुआत गुडगांव, जयपुर और बड़ोदरा से लेकर मुबंई, रांची, रणगांव, मौंडिया राजमार्गों के लिए होगी। देश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भयावह ढंग से बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे सड़कों की स्थिति में सुधार हो रहा है और वाहन बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे मार्ग दुर्घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। भारत में पति वर्ष करीब सवा लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं। 2014 के आंकड़े बता रहे हैं कि एक वर्ष में एक लाख चालीस हजार लेग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठे। केवल एक वर्ष में साढ़े चार लाख सड़क हादसे और उनमें 4,80,000 लोगों के घायल होने व करीब ढेड़ लाख लोगों के अपनी जान गंवाने का आकड़ा स्तब्ध करने वाला है। पधानमंत्री की इन घोषणाओं से सड़कों पर मंडराने वाले खतरे कम होने और आपातकालीन सहायता के पबंध की उम्मीद जरूर जागी है। अक्सर देखा जाता है कि चालक या गाड़ियों में सवार लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। राह चलते लोग उन्हें अस्पताल पहुंचाने की पहल इसलिए नहीं करते हैं कि वहां इलाज करने से पहले पैसा जमा करने को कहा जाता है। अस्पताल किसी अपरिचित व्यक्ति का इलाज करने से कतराते हैं। यह सोच कर कि इलाज का खर्च कौन उठाएगा? इस तरह समय पर इलाज न मिल पाने के कारण बहुत सारे लोग दम तोड़ देते हैं। पीएम ने ऐलान किया है कि दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति का पचास घंटे तक हुए इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। हम पधानमंत्री की इस पहल का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें भी इसी पकार के पभावी कदम उठाएंगी। हमारे देश में हर मिनट एक दुर्घटना होती है। दुर्घटना के कारण हर चार मिनट में एक मृत्यु होती है और सबसे बड़ा चिंता का विषय यह है कि करीब एक तिहाई मरने वालों में 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं और एक मृत्यु पूरे परिवार को हिला देती है।

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