Sunday 13 February 2022

आशीष की जमानत किसानों के लिए बड़ा झटका

हाई कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में आरोपी बनाए गए केंद्रीय गृहमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्प मोनू की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। कोर्ट ने उसे पर्सनल बांड और दो जमानत पत्र दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस राजीव सिंह की सिंगल बेंच ने गुरुवार को पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में आरोप है कि तीन अक्तूबर 2021 को हुई घटना में गृह राज्यमंत्री का बेटा आशीष मिश्रा की बाईं सीट पर बैठा गोली चला रहा था व उसकी गोली से ही गुरबिंदर सिंह नाम के एक शख्स की मृत्यु हो गई, जबकि मृतकों या घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली की चोट नहीं आई है। घटना में पांच लोगों की मृत्यु और 13 लोग घायल हुए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का भी जिक्र किया है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि अगर आयोजन पक्ष की पूरी कहानी स्वीकार की जाए तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई हो और यह घटना घटित हो गई हो। याची की ओर से दलील भी दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें और लाठियां लेकर जमा थे। बहस के दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने किसी पर भी गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि कार में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। केस डायरी के साथ मौजूद फोटो से पता चलता है कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की हत्या प्रदर्शनकारियों ने कितनी निर्दयता से की है। इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस राकेश कुमार जैन की मॉनीटरिंग में हुई है। आशीष मिश्रा की जमानत के मामले में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के उन किसान नेताओं ने गंभीरता का परिचय नहीं दिया जिनको इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इसी क्रम में हाई कोर्ट में किसानों के वकील की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता तो यह पूछ रहे हैं कि क्या किसानों का वकील इस मामले की सुनवाई के दौरान गैर-हाजिर था? इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा में यूपी के प्रमुख किसान नेता युद्धवीर सिंह को फोन और एसएमएस भी किया गया लेकिन उनका जवाब नहीं आया। बताया जा रहा है कि इस मामले के स्टेटस के बारे में यूपी के किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को नियमित रूप से जानकारी नहीं दी। ऐसा किस वजह से हुआ इस पर मोर्चा के नेता कुछ नहीं कहते। हालांकि किसान मोर्चा आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को बड़े झटके के रूप में ले रहे हैं। जहां संयुक्त किसान मोर्चा के नेता आरोपी की जमानत खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के विषय में कानूनी परामर्श ले रहे हैं, वहीं यूपी के चुनाव में भाजपा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और तेज करने वाले हैं।

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