Tuesday 8 February 2022

मेरी आवाज ही पहचान है

लता मंगेशकर ने यूं तो लगभग आठ दशकों में हजारों गीतों को अपनी आवाज से सजाया, हालांकि कुछ ऐसे गीत रहे जिनसे उनका बेहद गहरा जुड़ाव बन गया और स्वर कोकिला ने कई बार इन गीतों का जिक्र भी किया। लता जी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अब भी इस बात को याद करती हैं कि किस तरह दिग्गज गीतकार गुलजार के शब्द मेरी आवाज की पहचान हैं, संगीत की दुनिया में उनकी यात्रा को दर्शाते हैं, उनके प्रशंसक उनकी आवाज से ही उनकी पहचान को जोड़ते हैं। यह शब्द वर्ष 1977 में आई फिल्म किनारा के गीत नाम गुम जाएगा के हैं। लता जी ने कहा थाöदेश में हर व्यक्ति जानता है कि गुलजार साहब खूबसूरत लिखते हैं। वह बहुत खूबसूरत बोलते भी हैं। जब मैं यह गीत गा रही थी, वह मेरे पास आए और कहाöमेरी आवाज ही पहचान है और यह पहचान और इसके बाद, मैंने भी यह कहना शुरू किया कि मेरी आवाज ही मेरी पहचान है। अब जो भी इस गीत को गाता है या मेरे बारे में लिखता है वह इन पंक्तियों को जरूर दोहराता है। कुछ प्रतिभाएं बनती हैं और कुछ पैदा हो जाती हैं। वह जैसे संगीत के लिए ही पैदा हुई थीं। जीते जी किवदंती बन गईं लता मंगेशकर ने जैसी ख्याति, लोकप्रियता और सम्मान पार्श्व संगीत की दुनिया में अर्जित किया था, वैसा शायद दुनिया में किसी ने भी नहीं किया। लता जी दुनियाभर में बहुत सारे लोगों के लिए प्रेरणा पुंज थीं। उनके व्यक्तित्व से सरस्वती की प्रतिभा उभरती थी। साधना तो सब करते हैं, पर वह उन्हीं में फलीभूत होती हैं, जिनकी प्रतिभा का आयतन विराट हो। भारतीय संगीत जगत में लोकप्रियता के स्वर पर सुर की सरस्वती लता मंगेशकर जैसा दूसरा नहीं हुआ। उनका जाना निश्चित तौर पर संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। उनकी सुरीली और मखमली आवाज में जो कशिश और रुहानियत थी, वह सुनने वालों के दिलों को गहराई से छूती थी। 80 साल तक संगीत के आसमान में ध्रुव तारे के समान चमकती रहीं। अनूठी गायिका को पूरी सदी का महानायक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रविवार सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में विस्मय विमुग्ध करने वाली लता की आवाज हमेशा के लिए लुप्त हो गई। फिल्मी दुनिया में पार्श्व गायिका के रूप में आठ दशक तक राज करने वाली लता जी ने अनगिनत गानों को अलग-अलग स्वाद में, भाषा में गया। वह शास्त्राrय सुगम संगीत, गजल, भजन आदि की मलिका लता जी के बारे में शास्त्राrय गायन की महान हस्ती उस्ताद बड़े गुलाम अली ने कहा थाöयह कमबख्त कभी बेसुरा नहीं होती। इंदौर में जन्मी लता जी के पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी नाटक और शास्त्राrय संगीत के प्रखर गायक और संगीतकार थे। नैसर्गिक प्रतिभा की धनी लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में ही पिता की निगरानी में संगीत के सुर सीखने शुरू कर दिए थे। उनके नाम से कई कीर्तिमान दर्ज हैं, तो बहुत सारे सम्मान उनके नाम से जुड़कर खुद धन्य हुए। सबसे अधिक भाषाओं में और सबसे अधिक गीत गाने का कीर्तिमान उन्हीं के नाम दर्ज है। उनके गाने से ऐसा लगता है जैसे सरस्वती लीन हो गई हो। मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी है, जिनका रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। अभिनेता ने अपने निजी ब्लॉग पर लता मंगेशकर को लाखों सदियों की आवाज के रूप में वर्णित किया। उन्होंने लिखाöवह हमें छोड़ गई हैं... एक लाख सदियों की आवाज हमें छोड़ गई है... शांति और शांति के लिए प्रार्थना। लता जी के जाने की पंक्ति को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।

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