Monday, 14 February 2022

परिसीमन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट पर मचा बवाल

यदि परिसीमन आयोग के अंतरिम मसौदे में बदलाव नहीं किया गया तो जम्मू-कश्मीर के सियासी नेताओं की चुनावी राहें मुश्किल भरी हो सकती हैं। परिसीमन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विपक्ष ही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी पैदा कर दी। आयोग ने अपने एसोसिएट सदस्यों को जो अंतरिम मसौदा भेजा है, उस पर न केवल विपक्षी दल ऐतराज उठा रहे हैं, बल्कि भाजपा नेता भी ऐतराज कर रहे हैं। भाजपा में भी खलबली मची हुई है। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग का गठन छह मार्च 2020 को किया गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा तथा जम्मू के चुनाव आयुक्त केके शर्मा भी इसके सदस्य हैं। दिसम्बर में यह खबर सामने आई थी कि जम्मू-कश्मीर में सात विधानसभा सीटें बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है। छह सीटें जम्मू क्षेत्र तथा एक सीट कश्मीर में बढ़ेगी। अधिकतर विधानसभा सीटों के क्षेत्रों पर पुनर्निर्धारण किया गया है। अंतरिम मसौदे को लेकर घाटी तथा जम्मू संभाग में सियासत तेज हो गई है। जम्मू संभाग में इस बात की भी हैरानगी जताई जा रही है कि आखिर जम्मू पुंछ संसदीय क्षेत्र का पुंछ तथा राजौरी का अधिकतर इलाका दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट से कैसे जोड़ दिया गया है? लोगों का आरोप है क्योंकि गत लोकसभा चुनाव में पुंछ तथा राजौरी इलाके से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रमन भल्ला को भाजपा से काफी ज्यादा वोट मिले थे। जम्मू जिले में भारत-पाक सीमा से सटे सुचेतगढ़ तथा मढ़ इलाके से 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के चौधरी श्याम लाल तथा चौधरी सुख नंद विजयी हुए हैं। दोनों जाट नेता हैं। यह दोनों विधानसभा चुनाव किसान तथा किसानी के लिए जाने जाते हैं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का आरोप है कि इस संसदीय सीट का परिसीमन भाजपा तथा संघ के एजेंडा के मुताबिक किया गया लगता है। जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी का तो इससे भी बढ़कर कहना है कि अंतरिम रिपोर्ट भाजपा की तैयारी कराई लगती है। अंतरिम रिपोर्ट को लेकर सुचेतगढ़ इलाके के भाजपा कार्यकर्ता भी खासे नाराज हैं। सुचेतगढ़ विधानसभा सीट को आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में खत्म कर दिया गया। आरएस पुरा विधानसभा सीट काफी लंबे समय से आरक्षित थी, अब बिश्नाह विधानसभा सीट समाप्त किए जाने से स्थानीय नागरिक नाराज हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के कई स्थानीय भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करके भाजपा से इस्तीफा भी दे दिया है। छह मार्च को आयोग का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है, इसलिए यह कवायद छह मार्च से पहले पूरी करने की तैयारी है। संभवत 14 फरवरी के बाद आयोग की अंतरिम रिपोर्ट कभी भी राय जाहिर करने के लिए जनता के समक्ष रखी जा सकती है। इससे पहले ही सबकी नाराजगी दूर करनी होगी।

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