Wednesday, 2 February 2022

क्या 2017 के हलफनामे को वापस लेगा केंद्र?

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि क्या वह अपने 2017 के उस हलफनामे को वापस लेना चाहती है जिसमें उसने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने का विरोध किया था? न्यायालय में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि यह विवाह की संस्था को अस्थिर कर सकती है। जस्टिस राजीव शकधर और सी. हरिशंकर की पीठ ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को इस पहलू पर सक्षम अधिकारियों से दिशानिर्देश लेने के लिए और अगली होने वाली सुनवाई पर अवगत कराने को कहा। पीठ ने यह निर्देश तब दिया जब याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन आरआईटी फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोकेटिक वूमेन्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता करुणा नंदी ने यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि क्या वह केंद्र सरकार द्वारा अब तक दाखिल दलील और हलफनामे के हिसाब से अपना रुख अपनाएं या वह (केंद्र) इसे वापस ले रहा है। इस पर जस्टिस शकधर ने एएमजी शर्मा से सक्षम अधिकारी से निर्देश लेने और सोमवार को होने वाली सुनवाई पर यह बताने को कहा कि आखिर आप चाहते क्या हैं? पीठ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र ने 2017 में हलफनामे में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने पहले ही धारा 498ए के बढ़ते दुरुपयोग को देखा है। इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को वैधानिक या कानूनी तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि दुष्कर्म अपराध की आईपीसी की धारा 375 के तहत परिभाषित है।

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