Thursday 24 February 2022

लगातार साजिश रचते सीमा पर बैठे आतंकी

देश में माहौल खराब करने के लिए सीमापार बैठे आतंकी संगठन लगातार साजिश रच रहे हैं। पिछले माह 14 जनवरी को गाजीपुर के अलावा जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी इसी तरह के आईईडी बरामद हुए थे। खुफिया एजेंसियां लगातार सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी हमलों के इनपुट दे रही थीं। एजेंसियों का कहना है कि यूपी चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के लिए शरारती तत्व साजिश रच रहे हैं। राजधानी दिल्ली को निशाना बनाने के लिए यह तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। एक बार फिर राजधानी दिल्ली को बम धमाकों से दहलाने की साजिश नाकाम हुई। इससे पहले इसी वर्ष जनवरी महीने में गाजीपुर मंडी में विस्फोटक बरामद हुए। इस एक महीने के अंतराल में दो जगहों पर इंपोवाइज्ड इलेक्ट्रानिक डिवाइस (आईईडी) का मिलना वाकई चिंताजनक है। राहत की बात बस यही है कि दोनों ही जगहों पर दहशतगर्द इसमें धमाका नहीं कर सके। आईईडी एक ऐसा विस्फोटक होता है जो आरडीएक्स अमोनिया आदि के मेल से तैयार किया जाता है और इसके जरिए भयावह तबाही मचाई जा सकती है। पूर्वी दिल्ली के पुरानी सीमापुरी में जिस बंदे के घर से 3 किलोग्राम का आईईडी बरामद किया गया है, अगर वह फटता तो 500 मीटर के दायरे में तबाही मच जाती। पता चला है कि इस घर में तीन से चार युवक रहते थे जो फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद ही पूरी साजिश से पर्दा उठ सकेगा। सीमापुरी से मिले आईईडी को बिल्कुल गाजीपुर में मिले आईईडी के पैटर्न पर तैयार किया गया था। सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया कि जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी इसी तरह के आईईडी मिले थे। चिंता का सबसे बड़ा कारण दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना का यह बयान है कि बिना स्थानीय समर्थन के इतनी बड़ी साजिश की रचना नामुमकिन है। यानी कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर देश को अस्थिर करने वालों को यहां के कुछ लोगों का समर्थन हासिल है। लाजमी है कि स्थानीय स्तर पर खुफिया व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त और साजो-समान से युक्त रखना चाहिए। आतंकवाद से पार पाने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती देश के विभिन्न हिस्सों में फैले स्लीपर सेल्स और उन माध्यमों की पहचान करना है जिनके जरिए विस्फोटक सामग्री और हथियार पहुंचाए जाते हैं। हालांकि इसके लिए सुरक्षा बल सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हैं पर आतंकी संगठन उन्हें धक्का देने में सफल हो जाते हैं। यही वजह है कि न सिर्प घाटी में सुरक्षा बलों को हर गतिविधि पर नजर बनाए रख पाते हैं, बल्कि दूसरे शहर में भी दहशत के fिठकाने तलाशते रहते हैं। लगातार खुफिया एजेंसियों द्वारा गड़बड़ी फैलाने के बाबत अलर्ट जारी करना यही दर्शाता है कि खतरा पग-पग पर है। इसलिए माध्यमों के बीच समन्वय कायम करने की दिशा में सभी को काम करने की आवश्यकता है। हालांकि सीमा पर चल रहे आतंकी शिविरों का निष्किय करने में सेना ने काफी हद तक कामयाबी हासिल कर ली है, उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाने वालों की पहचान कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने में भी सफलता पाई है। मगर अब भी अगर सीमा पार से भेजे गए विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच जाते हैं तो सुरक्षा इंतजामों को और चुस्त बनाने की दरकार है।

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