Saturday 5 February 2022

रामपुर की रोमांचक सियासी जंग

चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का, सियासत में रोमांस ढूंढने वालों की नजर उत्तर प्रदेश के रामपुर पर जरूर होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि यहां कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर होती है। रामपुर सपा के कद्दावर नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है। आजम खान पिछले कई चुनावों में अपना सियासी दबदबा रखने में कामयाब रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं। आजम खान इस बार फिर मैदान में हैं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने जहां नवाब काजिम अली खान उर्प नवेद मियां को उतारा है तो वहीं भाजपा के टिकट पर आजम खान के धुर विरोधी आकाश सक्सेना ताल ठोंक रहे हैं। सक्सेना ने ही आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी डॉ. तजीन फात्मा के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराए हैं। बसपा ने इस सीट पर सदाकत हुसैन को प्रत्याशी बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने फैसल खान लाला पर दांव लगाया है। चुनावी इतिहास की बात करें तो 1980 के बाद से अब तक सिर्प 1996 में आजम खान को हार का सामना करना पड़ा था। आजम खान पिछले 23 माह से जेल मेंहैं। उनके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, उसको मुद्दा बनाकर सपा मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में है। वहीं भाजपा की कोशिश है कि आजम विरोधी वोटों का बिखराव नहीं होने पाए। क्योंकि रामपुर में आजम खान के पक्ष-विपक्ष में लोग बंटे हुए हैं। कांग्रेस के नवेद मियां खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर रहे हैं। उनकी भी कोशिश आजम के सियासी वर्चस्व को तोड़ने पर है। रामपुर की सियासी जंग में उतरने वाले हर राजनीतिक दल के लिए मुद्दा आजम खान ही हैं। रामपुर शहर विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है। शुरुआत में तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसमें नवाब परिवार के सहयोग से ही कांग्रेस की जीत हासिल होती रही। किन्तु इसके बाद नवाब परिवार का दबदबा कम होता गया और 1980 में आजम खान पहली बार नगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। यह चुनाव उन्होंने चौधरी चरण सिंह की जनता पार्टी सेक्युलर से लड़ा था। इसके बाद लोकदल, जनता दल और जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1993 में पहली बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और जीते, लेकिन 1996 में उन्हें कांग्रेस के अफरोज अली खान ने हरा दिया। तब आजम खान समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्यसभा सदस्य बने थे। इसके बाद से 2002 से लेकर 2017 तक सपा से उन्होंने बतौर विधायक जीत हासिल की। 2019 में उन्होंने सपा से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को चुनाव लड़ाया और वह जीत गईं। रामपुर की इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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