Tuesday 3 August 2021

जज की टक्कर मारकर हत्या अतिगंभीर मामला है

झारखंड में न्यायपालिका की सुरक्षा पर सवाल खड़े करने वाली जो घटना हुई है, उसने पूरे न्याय जगत को झकझोर कर रख दिया है। पूरी न्याय बिरादरी न केवल दुखी है बल्कि नाराज भी है। झारखंड के धनबाद जिले में मॉर्निंग वॉक पर निकले जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की ऑटो से टक्कर मारकर हत्या कर दी गई। पहले इसे हिट एंड रन केस समझा जा रहा था लेकिन सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद केस पलट गया। आरोपी ऑटो ड्राइवर ने सड़क किनारे जज साहब को इरादतन टक्कर मारी और उनकी हत्या कर दी। आरोपी ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पूरे घटनाक्रम को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। अगर किसी अपराधी को जमानत न देने या किसी अपराधी को सजा सुनाने की वजह से जज को निशाना बनाया गया है, तो यह पूरी कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है। आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन ऑटो का संतुलन बिगड़ने की दलील को सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि खाली सड़क पर पीछे से ऑटो अपनी लेन बदलते हुए सड़क के एकदम किनारे आता है और एक जज या व्यक्ति को टक्कर मारकर गिराने के बाद रुकता भी नहीं। वह तो भला हो सीसीटीवी फुटेज का कि सच सामने आ गया, वरना इस मामले को सामान्य दुर्घटना मानकर रफा-दफा कर दिया जाता। ऑटो भी चोरी का बताया जा रहा है। मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। मामले में एसआईटी बना दी गई है। जांच की निगरानी खुद हाई कोर्ट करेगा। हाई कोर्ट इस बात से भी काफी नाराज है कि घटना के बाद एफआईआर तक दर्ज करने में पुलिस ने देरी की। कोर्ट ने यहां तक कहाöपहले राज्य नक्सलियों के लिए जाना जाता था लेकिन उस दौरान भी किसी न्यायिक अधिकारी पर हमला नहीं हुआ था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खुद संज्ञान ले लिया। उत्तम आनंद जब 28 जुलाई को सुबह सैर कर रहे थे तो एक टैम्पो ने पीछे से उन्हें जानबूझ कर टक्कर मारी थी। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को इस घटना की जांच रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए एक हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, साथ ही कहा है कि वह इस मामले में दूसरे राज्यों को भी नोटिस जारी करने के बारे में फैसला सुनवाई की अगली तारीख पर करेगा। जज को टक्कर मारने की घटना का वीडियो भी एक अन्य वाहन चालक द्वारा बनाया जा रहा था, जिससे साबित होता है कि यह हत्या जानबूझ कर की गई थी। पीठ ने इस मामले को ‘अदालतों की पुन सुरक्षा व जजों की सुरक्षा’ नाम दिया है। पीठ ने साफ कर दिया कि वह इस बात से अवगत है कि झारखंड हाई कोर्ट इस मामले को देख रहा है लेकिन खुद संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट की कार्रवाई में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। पीठ ने कहा कि उसकी चिंता करने की प्रकृति की व्यापक मुद्दे को लेकर है। अपराधियों का दुस्साहस अगर इतना बढ़ गया है, तो माकूल कार्रवाई करके उन्हें जवाब मिलना चाहिए। मामले की तह तक जाने की आवश्यकता है। ऑटो-टैम्पो वाले ने किसकी हिदायत पर यह कार्रवाई की और क्यों की, यह सत्य सामने आना चाहिए। जजों को पर्याप्त सुरक्षा भी देना आवश्यक है।

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