Friday, 20 August 2021
सेना वापस बुलाने का फैसला सही : जो बाइडन
अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपनों के ही निशाने पर आ गए हैं। उन्हें न केवल विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी का विरोध झेलना पड़ रहा है बल्कि कई डेमोक्रेट सांसद उनके फैसले की जमकर आलोचना कर रहे हैं। दूसरी ओर जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान नेतृत्व को बिना संघर्ष के तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया और साथ ही तालिबान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिकी कर्मियों पर हमला किया या देश में उनके अभियानों में बाधा पहुंचाई तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई करेगा। बाइडन ने अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरों को अत्यंत परेशान करने वाली बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिक किसी ऐसे युद्ध में नहीं मर सकते, जो अफगान बल अपने लिए लड़ना ही नहीं चाहते। उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहाöमैं अपने फैसले से पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं। मैंने 20 वर्षों के बाद यह सीखा है कि अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का अभी अच्छा समय नहीं आया, इसलिए हम अभी तक वहां थे। हम जोखिमों को लेकर स्पष्ट थे। हमने हर आकस्मिक स्थिति की योजना बनाई लेकिन मैंने अमेरिकी लोगों से हमेशा वादा किया कि मैं आपसे बिल्कुल स्पष्ट बात करूंगा। उन्होंने कहाöसच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा जल्दी हुआ। तो क्या हुआ? अफगानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए। अफगान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना। पिछले हफ्ते के घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को खत्म करना सही फैसला है। बाइडन ने साथ ही कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के अभियानों में हस्तक्षेप करता है तो अमेरिका विध्वंसक बल के साथ जवाब देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहाöहम जरूरत पड़ने पर विध्वंसकारी बल के साथ अपने लोगों की रक्षा करेंगे। हमारे मौजूदा अभियान का मकसद अपने लोगों और सहयोगियों को सुरक्षित और जल्द से जल्द बाहर निकालना है। उन्होंने कहा कि हम 20 वर्षों के खूनखराबे के बाद अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करेंगे। अब हम जो घटनाएं देख रहे हैं, वह दुखद रूप से यह साबित करती हैं कि कोई भी सेना स्थिर, एकजुट और सुरक्षित अफगानिस्तान नहीं बना सकती। जैसे कि इतिहास रहा है, यह साम्राज्यों का कब्रिस्तान है। बाइडन ने कहाöहमने एक हजार अरब डॉलर से अधिक खर्च किए। हमने अफगानिस्तानी सेना के करीब 3,00,000 सैनिकों को प्रशिक्षित किया। उन्हें साजो-सामान दिया। उनकी सेना हमारे कई नाटो सहयोगियों की सेनाओं से कहीं अधिक बड़ी है। हमने उन्हें वेतन दिया, वायुसेना की देखरेख की, जो तालिबान के पास नहीं है। तालिबान के पास वायुसेना नहीं है। हमने अफगानिस्तान को अपना भविष्य तय करने का हर मौका दिया। हम उन्हें उस भविष्य के लिए इच्छाशक्ति नहीं दे सकते। उन्होंने कहाöअफगान सेना में कई बहादुर और सक्षम सैनिक हैं, लेकिन यदि अफगानिस्तान अब तालिबान का कोई प्रतिरोध करने में असमर्थ है तो एक साल, एक और साल, पांच और साल या 20 साल तक अमेरिका के वहां रहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जब अफगानिस्तान की सशस्त्र सेना लड़ना नहीं चाहती, तो अमेरिका की और सेना भेजना गलत है। अफगानिस्तान के राजनीतिक नेता अपने लोगों की भलाई के लिए एक साथ आगे नहीं आ पाए।
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