Saturday 31 July 2021

सभी को अपनी सरकार में राय रखने का हक है

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि सभी लोगों को उनकी सरकार में राय रखने का हक है। उन्होंने कहा कि वह चाहे जो हों, उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय और अमेरिकी मानवीय गरिमा, अवसरों में समानता, विधि का शासन, धार्मिक स्वतंत्रता समेत मौलिक स्वतंत्रता में यकीन रखते हैं। यहां पहुंचने के बाद और भारतीय नेतृत्व के साथ बैठकों से पहले सार्वजनिक कार्यक्रमों में नागरिक संस्थाओं के सदस्यों को संबोधित करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका, दोनों लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता को साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबद्धता द्विपक्षीय संबंधों के आधार का एक हिस्सा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि सफल लोकतांत्रिक देशों में जीवंत नागरिक संस्थाएं शामिल होती हैं और कहा कि लोकतांत्रिक देशों में जीवंत नागरिक संस्थाएं शामिल होती हैं और कहा कि लोकतंत्र को अधिक खुला, ज्यादा समावेशी, ज्यादा लचीला और अधिक समतामूलक बनाने के लिए उनकी जरूरत होती है। ब्लिंकन ने कारोबारी सहयोग, शैक्षणिक कार्यक्रम, धार्मिक व आध्यात्मिक संबंधों और लाखों परिवारों के बीच संबंधों को समूचे संबंध का प्रमुख स्तम्भ बताया। उन्होंने कहाöसंभवत सबसे अहम है कि हम साझा मूल्यों और साझा आकांक्षाओं से जुड़े हुए हैं जो हमारे लोगों के बीच समान है। भारत के लोग मानवीय गरिमा, अवसरों में समानता, कानून के शासन, धार्मिक व मान्यताओं की स्वतंत्रता समेत मौलिक स्वतंत्रता में भरोसा रखते हैं। ब्लिंकन ने कहाöहम मानते हैं कि सभी लोग अपनी सरकार में आवाज उठाने के हकदार हैं और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी हों। हमारा मकसद इन शब्दों को असल अर्थ देना और इन आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को लगातार बढ़ाते रहना है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बिडेन की सरकार बनने के बाद ब्लिंकन की भारत की पहली यात्रा है। उन्होंने दबे शब्दों में भारत सरकार को कई नसीहतें दी हैं। उन्होंने भारत में जो चल रहा है उसकी अपने ढंग से व्याख्या की और नसीहत भी दी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्तों को जो नया आयाम देने के संकेत दिए हैं, वह उत्साहवर्द्धक हैं। पहली और सबसे बड़ी बात तो यही है कि अमेरिका ने भारत को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी माना है। इसे भारत के लिए भी किसी कूटनीतिक उपलब्धि से कम नहीं माना जाना चाहिए। बिडेन के सत्ता में आने के बाद ब्लिंकन पहली बार भारत आए हैं। वह ऐसे नाजुक वक्त में भारत पहुंचे हैं जब अमेरिका न सिर्फ घरेलू मोर्चों पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिका कोरोना से तो लड़ ही रहा है, साथ ही वह चीन और अफगानिस्तान जैसे संकटों से भी जूझ रहा है। भारत भी इन्हीं मुसीबतों से जूझ रहा है। ब्लिंकन की भारत यात्रा का असल मकसद अफगानिस्तान और चीन के मुद्दों पर भारत को अपने साथ खड़ा करना लगता है। अफगानिस्तान में जिस रफ्तार से तालिबान अपने पांव पसारता जा रहा है वह अमेरिका और भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत ने तो अफगान में करोड़ों रुपए की विकास योजनाएं चला रखी हैं। भारत के लिए एक और बड़ा संकट यह भी है कि कहीं तालिबान अपने लड़ाकों को कश्मीर में न भेजने लगे। इसलिए ब्लिंकन ने सुरक्षा चुनौतियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी लंबी चर्चा की।

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