Monday, 19 July 2021

अफगानिस्तान में मीडियाकर्मी जान हथेली पर रखकर चलने पर मजबूर

पत्रकारिता को जुनून की हद तक ले जाने वाले भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में तालिबानी हमले में जान चली गई। वह गुरुवार की रात पाकिस्तान की सीमा से सटे कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में तालिबानी आतंकियों व अफगान सुरक्षाकर्मियों के बीच चल रही मुठभेड़ को कवर कर रहे थे। इसी दौरान क्रॉस फायरिंग में दानिश और अफगानी सेना के डिप्टी कमांडर सिद्दीकी करजई मारे गए। पत्रकारिता का नोबल कहे जाने वाले पुलित्जर अवॉर्ड से सम्मानित 40 वर्षीय दानिश अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स में भारत के चीफ फोटो जर्नलिस्ट थे। वर्ष 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए पुलित्जर जीतने वाले दानिश और अदनान अबिदी पहले भारतीय थे। दानिश तीन दिन से स्पिन बोल्डक में युद्ध की कवरेज कर रहे थे। इस बीच छर्रे लगने से जख्मी भी हुए। एक अफगान कमांडर ने बताया कि तालिबानी हमले के वक्त दानिश दुकानदारों से बात कर रहे थे। दूसरी ओर तालिबान प्रवक्ता कारी यूसुफ ने कहा कि रॉयटर्स ने उन्हें नहीं बताया था कि उनका पत्रकार युद्ध क्षेत्र में कवरेज के लिए गया है। मुंबई के दानिश दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स ग्रेजुएट थे। दानिश के साथ काम कर चुके उनके दोस्त ने बताया... जब कोई रिपोर्ट्स रिपोर्टिंग छोड़ फोटो जर्नलिस्ट में कैरियर बनाता है तो सिर्प फोटो नहीं खींचता... खबरों को कैप्चर करता है। ऐसे थे दानिश। 2008 में हम दोनों दिल्ली में एक साथ टीवी चैनल से जुड़े थे। अच्छी रिपोर्टिंग के साथ ही दानिश में फोटोग्राफी का जुनून था। 2010 में जब रॉयटर्स से इंटर्न के रूप में जुड़ने लगे तो लंबी बहस हुई। मैंने कहाöकोई रिपोर्टर फोटोग्राफर बनता है क्या? दानिश ने यह सवाल नकारते हुए जो मुकाम हासिल किया वह किसी भी पत्रकार के लिए फख्र की बात है। यूं तो दानिश ने दुनिया को बहुत सारा सच दिखाया, लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के हालात को ऐसे उजागर किया कि उन्हें पुलित्जर अवॉर्ड मिला। उसके बाद मैंने दानिश से कहा था कि तुमने सबको गलत साबित कर दिया। कोरोना की दूसरी लहर में मैंने उनके फोटो अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशंस में देखकर बधाई दी तो जवाब आयाöयही तो हमारी जिम्मेदारी है। अफगानिस्तान में जिस तरह के हालात हैं, उसमें वैसे ही मीडिया से जुड़े लोगों के लिए काम करना जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है। तीन महीने पहले तालिबान के जलालाबाद में रेडियो और टीवी में काम करने वाली तीन महिला पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया। पिछले 10 महीनों में 20 से ज्यादा मीडियाकर्मी तालिबान की गोलियों का शिकार हो चुके हैं। दुनिया में मीडियाकर्मियों के लिए जो सबसे ज्यादा खतरनाक देश माने जाते हैं, अफगानिस्तान भी उनमें से एक है। दानिश सिद्दीकी की हत्या अफगानिस्तान और दुनिया के लिए एक निर्णायक बिन्दु होनी चाहिए और अब समय आ गया है कि मानवता के दुश्मनों को पहचान कर ठिकाने लगाया जाए।

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