Tuesday 27 July 2021

मीडिया पर छापे डराने की कोशिश है

दुनियाभर के बड़े संगठनों ने भारत में मीडिया संस्थानों पर पड़े आयकर छापों की निन्दा की है। गौरतलब है कि मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर और टीवी चैनल भारत समाचार के परिसरों पर छापे पड़े थे। रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्ड्स नाम के संगठन ने कहा कि भारत में मीडिया संस्थानों पर इस तरह की कार्रवाई तुरन्त रुकनी चाहिए। संगठन ने कहाöमीडिया सम्पत्तियों के खिलाफ आईटी के छापे उन समाचार आउटलेट्स को डराने के उद्देश्य से किए गए हैं जो सरकार पर गंभीर रिपोर्ट करते हैं और इसे रोकने की जरूरत है। संगठन ने गृह मंत्रालय से मांग की है कि इस तरह के डराने-धमकाने के कृत्य तुरन्त बंद हों। एडिर्ट्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने चिन्ता जताई कि स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल दबाव बनाने के हथकंडे के रूप में किया जा रहा है। मीडिया संस्थानों पर आईटी छापों के संबंध में एडिर्ट्स गिल्ड ने अपने बयान में कहाöदैनिक भास्कर द्वारा (कोविड-19) महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के खिलाफ यह छापेमारी की गई है, जिससे सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था। आयकर विभाग के इन छापों पर दैनिक भास्कर ने अपनी वेबसाइट पर बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों की असल तस्वीर रखने वाले दैनिक भास्कर ग्रुप पर सरकार ने दबिश डाली है। इसके साथ ही उसने उन सभी खबरों के लिंक भी डाले हैं जो कोरोना काल से जुड़ी असलियत सामने लाने का दावा करती हैं। दैनिक भास्कर के मुताबिक छापे तड़के साढ़े पांच बजे पड़े और शाम तक चलते रहे। आयकर विभाग की टीमों ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में उसके कार्यालयों पर छापे मारे थे। समूह ने कहा कि छापेमारी उसके कई कर्मचारियों के घरों पर भी की गई, छापे मारने वालों ने कार्यालय में मौजूद लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई। उसने कहाöछापेमारी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि यह प्रक्रिया का हिस्सा है और उन्हें पंचनामे की कार्रवाई पूरी होने के बाद छोड़ा जाएगा। मीडिया संस्थान ने कहा कि रात्रि पाली में काम कर रही डिजिटल टीम को साढ़े 12 बजे दोपहर में छोड़ा गया। साथ ही कहा कि आयकर टीमों में कोई महिला सदस्य नहीं थी लेकिन उसने जब भोपाल और अहमदाबाद डिजिटल शाखा के कार्यालयों पर छापे मारे, जहां महिला कर्मचारी मौजूद थीं। वरिष्ठ एडिटर्स डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि हिन्दी के सबसे अधिक प्रामाणिक अखबार भास्कर पर छापों ने देश के करोड़ों पाठकों और हजारों पत्रकारों को हतप्रभ कर दिया है। जो नेता और पत्रकार भाजपा और मोदी के भक्त हैं, वह भी सन्न रह गए हैं। यह छापे मारकर क्या सरकार ने खुद का भला किया है या अपनी छवि चमकाई है? नहीं, उलटा ही हुआ है। एक तो पेगासस से जासूसी के मामले में सरकार की बदनामी पहले से हो रही है और अब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला करके सरकार ने नई मुसीबत मोल ली है। देश के सभी निष्पक्ष अखबार, पत्रकार और टीवी चैनल इस हमले से परेशान हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भास्कर पर छापे इसलिए मारे हैं कि उसने अपनी अकूत सम्पत्तियों को विदेशों में छिपा रखा है ताकि उसे आयकर न देना पड़े। इसके अलावा उसने पत्रकारिता के अलावा कई धंधे चला रखे हैं। उन सबकी अनियमितता को अब सप्रमाण पकड़ा जाएगा। यदि ऐसा है तो यहां सरकार से मेरे तीन सवाल हैं ः पहलाöयह छापे अभी क्यों डाले गए? पिछले छह-सात साल से मोदी सरकार क्या सो रही थी? अभी इसकी नींद क्यों खुली? उसका कारण क्या है? दूसराöयह छापे सिर्प भास्कर पर ही क्यों डाले गए? क्या देश के सारे नेतागण, व्यापारी और व्यवसायी वित्तीय कानूनों का पूर्ण पालन करते हैं? क्या देश के बड़े अखबार, टीवी चैनलों पर भी इस तरह के छापे डाले जाएंंगे? तीसराöअखबार के मालिकों के साथ-साथ संपादकों और रिपोर्टरों के फोन क्यों जब्त किए गए? उन्हें दफ्तरों में लंबे समय तक बंधक बनाकर क्यों रखा गया? उन्हें डराने और अपमानित करने का उद्देश्य क्या था?

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