Tuesday 27 July 2021

शाबाश चानू आपने रचा इतिहास

टोक्यो ः पहली बार ओलंपिक के पहले दिन भारत ने पदक जीता। वेटलिफ्टिंग के 49 किलो वर्ग में भारत की मीराबाई चानू ने देश को सिल्वर मैडल दिलाया। ओलंपिक के इस खेल में पहली बार किसी भारतीय ने रजत पदक अपने नाम किया। उनकी कामयाबी ने वेटलिफ्टिंग में 21 साल से कायम पदकों का सूखा भी दूर किया। इससे पहले सिडनी में 2000 के ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रांज पदक दिलाया था। मणिपुर के इंफाल के पास के गांव की मीराबाई चानू ने टोक्यो में प्रेस कांफ्रेंस में कड़ी ट्रेनिंग का जिक्र कर कहा कि मैं पांच साल बाद अपने गांव गई। अब मैडल लेकर जाऊंगी। मीराबाई चानू का बचपन पहाड़ से लकड़ियों के गट्ठर घर लाते बीता। इसी तरह वह भारी वजन उठाने की मास्टर बनीं। हालांकि शुरू में वह तीरंदाज बनना चहती थीं, लेकिन आठवीं में वेटलिफ्टिंर पुंजूरानी देवी के बारे में पढ़कर उनका झुकाव वेटलिफ्टिंग की ओर चला गया। मीराबाई ओलंपिक के छल्लों के आकार की बालियां पहनकर फाइनल में उतरीं। यह बालियां मां ने 2016 रियो ओलंपिक से पहले जेवर बेचकर तोहफे के तौर पर दी थीं। रियो में वह डिस-क्वालीफाई हो गई थीं, पर टोक्यो में मीरा के कानों में वही बालियां देखकर मां खुशी से रो पड़ीं। चानू ने 2016 में ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकी थीं। इस बार आत्मविश्वास से भरी चानू ने कहाöमैंने स्वर्ण की कोशिश की। रजत भी बड़ी उपलब्धि है। यह सपने सच होने जैसा है। मैं यह पदक देश को समर्पित करती हूं। शाबाश चानू आपने गर्व से देश का सिर ऊंचा कर दिया है।

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