Saturday, 17 July 2021

असंतोष दबाने के लिए न हो कानूनों का दुरुपयोग

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश में मौलिक अधिकारों की रक्षा में शीर्ष अदालत की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा है कि नागरिकों के असंतोष को कुचलने या उनका उत्पीड़न करने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून सहित अन्य आपराधिक कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अर्नब गोस्वामी के मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी को स्वतंत्रता से एक दिन भी वंचित करना ज्यादती है। अदालतों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पहली पंक्ति बनी रहेंगी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट को सतर्प अभिभावक के रूप में अपनी भूमिका आगे बढ़ाने के साथ संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियां अलग तरह की हैं। महामारी से लेकर असहिष्णुता बढ़ने जैसे मुद्दों से निपटना है। कोर्ट जब ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करता है तो उसे न्यायिक सक्रियता या न्यायिक अतिरेक कहा जाता है। जस्टिस चंद्रचूड़ सोमवार को अमेरिका बार एसोसिएशन द्वारा सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स और चार्टेर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ आर्बिट्रेटस के साथ आयोजित एक सम्मेलन में चुनौतीपूर्ण समय में मौलिक अधिकारों की रक्षा में शीर्ष अदालत की भूमिका पर बोल रहे थे। उन्होंने महामारी के दौरान जेलों में भीड़ घटाने पर शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लेख किया और कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जेलों में भीड़भाड़ कम हो क्योंकि वह वायरस के लिए हॉटस्पॉट बनने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

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