Monday, 19 July 2021
केदारनाथ जैसी आपदा फिर आने का खतरा
उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में लैंडस्लाइड हो रही है। मौसम विभाग ने देहरादून, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और टिहरी समेत कई इलाकों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। नदियां उफान पर हैं। इससे स्थानीय लोगों में बादल फटने की दहशत है। इस साल प्री-मानसून में ही उत्तराखंड में चार अलग-अलग जगहों पर बादल फट चुके हैं। वैज्ञानिकों को इस बात की चिन्ता है कि इन घटनाओं से 2013 की केदारनाथ जैसी त्रासदी फिर हो सकती है। आपदा की पुष्टि से 308 संवेदनशील गांवों का विस्थापन होना था। लेकिन अभी तक यह योजना पूरी नहीं हो सकी है। पिथौरागढ़ जिले में 79, चमौली और बागेश्वर में 40 से ज्यादा गांवों का विस्थापन होना है। इन गांवों में बादल फटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला के मुताबिक उत्तराखंड में बादल फटने की पहली घटना 1952 में हुई थी। इससे पौड़ी जिले के दूधावेली की चार नदियों में बाढ़ आ गई थी और सतपुली कस्बे का अस्तित्व खत्म हो गया था। लेकिन अब हर मानसूनी सीजन में 15 से 20 घटनाएं हो रही हैं। केदारनाथ त्रासदी भी बादल फटने से हुई थी। जिसमें 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 10 हजार तो अभी भी लापता हैं। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के शोध के नतीजे बताते हैं कि मानसून में बारिश तो एक समान दर्ज हो रही है, लेकिन बारिश सात दिनों में होती थी, वो तीन दिन में हो रही है। इससे स्थिति बिगड़ रही है। जून से सितम्बर का मानसून सीजन जुलाई-अगस्त में सिकुड़ गया है, यानि चार महीने की बारिश दो महीने में ही हो रही है।
-अनिल नरेन्द्र
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