Thursday, 15 July 2021

तालिबान के कब्जाए जिलों में शरिया कानून लागू

युद्ध से जर्जर हो चुके अफगानिस्तान में फिर तालिबान के लड़ाकों ने देश के 407 में से 204 जिलों पर कब्जा कर लिया है और शरिया कानून लागू कर दिया है। महिलाओं-मीडिया पर पाबंदियों का नया दौर शुरू हो गया है। हालांकि तालिबान का दावा है कि उसने अब तक अफगानिस्तान के 85 प्रतिशत हिस्से पर अधिकार जमा लिया है। अमेरिकी व नाटो सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान तेजी से देश के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ले रहा है। ईरान, तुर्कमेनिस्तान से सटी सीमा चौकियों पर तालिबानी लड़ाकों ने अपना कब्जा कर लिया है। 407 में से सिर्फ 74 जिलों पर अफगानिस्तान सरकार का नियंत्रण बचा है और लड़ाके धीरे-धीरे उन पर कब्जा कर रहे हैं। पिछले बीस साल से महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने की जो मुहिम चल रही थी वो थम गई है। तालिबान ने बल्ख प्रांत के कई जिलों में पत्र बांटकर महिलाओं पर तमाम पाबंदियां लगाने का फरमान जारी कर दिया है। लोगों से कहा जा रहा है कि उन्हें सख्त कानूनों का पालन करना होगा जैसा कि 1996 से 2001 के दौरान होता था। तब तालिबान का अफगानिस्तान पर नियंत्रण था। तालिबानी जज गुल रहीम ने कहा कि कुछ जिलों में नए गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह इलाका राजधानी मजार-ए-शरीफ से सिर्फ 20 किमी उत्तर में स्थित है। तखर, बदख्ंशा और कुंदुज प्रांत के कई जिले पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में हैं। तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान के मित्र के रूप में देखता है। उसने चीन को आश्वस्त किया कि वह उसके अशांत प्रांत शिजियांग प्रांत के उइगर इस्लामी चरमपंथियों को अपने यहां पनाह नहीं देगा। हालांकि तालिबान की इस पेशकश को लेकर चीन की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उधर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को देश में जारी हिंसा और मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भारत के लिए चिंताजनक बात यह भी है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठनों ने तालिबान से हाथ मिला लिया है। हजारों आतंकी साथ मिलकर अफगानिस्तान की फौज से लड़ रहे हैं। भारतीय एजेसियां भी इसे लेकर चिंतित हैं। इन मामलों से बाकिफ लोगों ने बताया कि लश्कर और जैश के अधिकांश लड़ाके पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार और नगहार प्रांतों और देश के दक्षिण-पूर्व में हेलम्दे और कंधार प्रांतों में सक्रिय हैं। यह इलाके पाक सीमा से सटे हुए हैं। बल्ख प्रांत की 34 वर्षीय नाहिदा ने बताया कि महिलाएं बिना पुरुष साथी के और बिना हिजाब-घर से नहीं निकल सकतीं। कई महिलाएं परिवार का भरण-पोषण करती हैं उनके लिए यह मुश्किल वक्त है। 30 प्रतिशत सिविल सेवक अब महिलाएं हैं जिन्हें दिक्कत होगी। तालिबान ने सैलून वालों को दाढ़ी नहीं काटने का आदेश दिया है। लोगों को दाढ़ी बढ़ाने को कहा जा रहा है। -अनिल नरेन्द्र

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