Thursday 8 July 2021

शरद पवार के भतीजे पर शिकंजे का मतलब...

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उसने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के सिलसिले में धनशोधन रोधी कानून के तहत करीब 65 करोड़ रुपए मूल्य की एक चीनी मिल कुर्प की है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं उनकी पत्नी से जुड़ी एक कंपनी मामले में लिप्त हैं। इस कंपनी का स्वामित्व खुद अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेज से जुड़ा है। ईडी ने कहा कि सतारा चिमनगांव-कोरेगांव में स्थित जरंडेश्वर सहकारी शुगर कारखाना (जरंडेश्वर एसएसके) की जमीन, भवन, ढांचे, संयंत्र और मशीनरी को कुर्प करने के लिए धनशोधन रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत अंतरिम आदेश जारी किया गया है। आखिरकार राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे डिप्टी सीएम अजीत पवार पर शिकंजा कसने की अगर कोशिश की जा रही है तो इसका महत्व बहुत ज्यादा है। राजनीतिक रूप से जिस तरह से महाराष्ट्र में उथलपुथल मच गई है, राजनीतिक विश्लेषक इसे एक बड़े तूफान के रूप में देख रहे हैं। ईडी ने कहा कि यह 65.75 करोड़ रुपए मूल्य की सम्पत्ति है और यह 2010 में उसका क्रय मूल्य था। ईडी ने कहाöयह सम्पत्ति फिलहाल ग्रुप कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एक कथित नकली कंपनी) के नाम से है और जरंडेश्वर एसएसके को पट्टे पर दी गई है। बता दें कि 2019 में हुई प्राथमिकी के बाद यह कार्यवाही हो रही है। यह पीएमएलए मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2019 में दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। उस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि एसएसके को एमएस करीबी के तत्कालीन अधिकारियों एवं निदेशकों ने गलत तरीके से अपने रिश्तेदारों को औने-पौने दाम पर बेच दिया और ऐसा करते समय एसएआरएफएएमआई अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। वित्तीय परिसम्पत्तियों का प्रतिभूतिकरण एक पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन कानून के प्रावधानों के तहत बैंक अपना ऋण वसूलने के लिए अचल सम्पत्तियां बेच सकता है। देखना अब यह होगा कि इस कदम का शरद पवार और अजीत परिवार व एनसीपी क्या जवाब देते हैं। इतना तो साफ दिखता है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है।

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