Thursday, 8 July 2021
फादर स्टेन की मौत का जिम्मेदार कौन?
जन अधिकार कार्यकर्ता 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी का सोमवार को निधन हो गया। उन्हें अक्तूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उनके निधन पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने खेद जताया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और एनजी जमादार ने शोक संदेश में कहा कि हम पूरी विनम्रता के साथ कहते हैं कि इस सूचना पर हमें खेद है। यह हमारे लिए बड़ा झटका है। हमने उनकी पसंद के अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश ]िदया था। पर आज हमारे पास उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शब्द नहीं हैं। हम, आप (अस्पताल) पूरी कोशिश के बावजूद उन्हें नहीं बचा सके। हाई कोर्ट के इन्हीं जजों के पास फादर स्टेन की जमानत याचिका (मेडिकल बेल) लंबित है। स्वामी के वकील मिहिर सिंह देसाई ने हाई कोर्ट से इस पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। शनिवार को जब बेंच सुनवाई के लिए बैठी तो देसाई ने बतायाöमेरे मुवक्किल (स्वामी स्टेन) की हालत गंभीर है। इसलिए हमारी प्राथमिकता अभी उनका इलाज है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार छह जुलाई तक टाल दी थी। लेकिन यह सुनवाई होती, इससे पहले ही मुंबई के होली फैमिली अस्पताल के डॉक्टर रयान डिसूजा ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि स्वामी नहीं रहे। उन्होंने बताया कि शनिवार तड़के स़ाढ़े चार बजे स्वामी स्टेन को दिल का दौरा पड़ा। वह तब से वेंटिलेटर पर थे। मगर उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें सोमवार को दिन में 1ः30 बजे मृत घोषित कर दिया। बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे में भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में कई वामपंथी कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया था। भीमा कोरेगांव में अंग्रेज की महार रेजिमेंट और पेशवा की सेना के बीच हुई लड़ाई में महार रेजिमेंट की जीत हुई थी। दलित बहुल सेना की जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर 31 दिसम्बर 2017 को यहां हिंसा की घटना हुई थी, यहां दलित और बहुजन समाज के लोगों ने एग्लार परिषद के नाम से कई जनसभाएं कीं। 84 साल के स्टेन स्वामी ने लंबे समय तक दलित, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए काम किया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में न्यायिक हिरासत में रखे गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन की मौत के बाद राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कई लोगों ने दुख जताया है। स्टेन स्वामी के निधन के बाद सोशल मीडिया पर कई तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संवेदना जताते हुए ट्वीट किया कि वह न्याय और मानवता के हकदार थे। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा ने उनकी मौत को हत्या बताते हुए लिखा कि हम जानते हैं कि कौन उनकी हत्या का जिम्मेदार है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर लिखा कि उनकी त्रासद मौत जुडिशियल मर्डर का केस है जिसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट संयुक्त रूप से जवाबदेह हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने लिखा कि बगैर किसी आरोप के यूएपीए लगाकर अक्तूबर 2020 से हिरासत में अमानवीय व्यवहार किया गया। हिरासत में हुई इस हत्या की जवाबदेही जरूर तय की जानी चाहिए। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि कठोर और निर्दयी सरकार ने उनके जीवित रहते उनका सम्मान छीन लिया और वही उनकी मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट करण नंदी ने लिखा कि सिस्टम के हाथों कूर और अमानवीय व्यवहार सह कर उनकी मौत हिरासत में हुई। उनके प्रियजनों और सभी नागरिकों की भी जवाबदेही है, जिनके फैसले ने उन्हें नुकसान पहुंचाया और मार डाला।
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