Sunday 11 July 2021

बड़ी कंपनियों की बम्पर कमाई, छोटी बर्बाद

कोविड महामारी का दौर बड़ी कंपनियों के लिए अवसर साबित हो रहा है, जबकि छोटी कंपनियां शिकार बन रही हैं। संक्रमण की पहली लहर के बाद बड़ी कंपनियों के कारोबार में वृद्धि दिखी, तो छोटे उद्यमों और दुकानदारों को धंधा बंद करना पड़ा। रिजर्व बैंक ने हालिया मासिक रिपोर्ट में बताया कि अक्तूबर 2020 के बाद उबरने की कोशिश में लगे उद्यमों को दूसरी लहर ने फिर बड़ा नुकसान पहुंचाया। इस दौरान अर्थव्यवस्था के उत्पादन को दो लाख करोड़ रुपए की चपत लगी। इस बार छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में असर दिखा, जिससे छोटे दुकानदारों का धंधा चौपट हो गया। लोकल सर्पिल की रिपोर्ट के मुताबिक महामारी में देशभर में मोबाइल की 10 हजार दुकानें बंद हो चुकी हैं, जो इसकी कुल संख्या का करीब आठ प्रतिशत है। इनकी जगह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने ले ली। देश के 49 प्रतिशत स्टार्ट-अप और एमएसएमई के पास फंड नहीं बचा और वह जुलाई से काम बंद करने, लागत घटाने और कर्मचारियों की संख्या कम करने पर मजबूर हो रहे हैं। 22 प्रतिशत के पास तीन महीने का फंड बचा है, जबकि 41 प्रतिशत के पास महज एक महीने तक धंधा चलाने का फंड है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में जब छोटी कंपनियों का आकार बढ़ता है तो रोजगार के ज्यादा मौके पैदा होते हैं। महामारी के बाद भारत से छोटी कंपनियों का कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जिसने रोजगार के अवसर भी घटा दिए हैं। इसके अलावा वर्प फ्रॉम होम जैसी व्यवस्था से कैब और टैक्सी चालकों की कमाई भी ठप हो गई। पिछले 15 महीने से ओला-उबर टैक्सी चालकों की आमदनी लगभग शून्य हो गई, जो ज्यादातर ऑफिस जाने वालों पर निर्भर थी। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment