Tuesday, 25 April 2023

जामताड़ा के ठग

नेटफ्लिक्स पर एक वेब सीरीज जामताड़ा देखने का मुझे मौका मिला।इसमें दिखाया गया है कि किस तरह जामताड़ा जगह से यह भोलेभाले लोगों को फोन करके उन्हें पहले लालच देकर पंसाते हैं और फिर जब वह पंस जाता है तो उसका बैंक खाली कर लेते हैं। आपकी गाढ़ी कमाईं से जामताड़ा के साइबर ठगों की आलीशान कोठियां खड़ी हैं। आपसे ठगी गईं रकम से लग्जरी कारों से जामताड़ा के साइबर ठग चलते हैं। आउटर नॉर्थ जिले के साइबर थाने के शिवंजे में पंसे जामताड़ा रैकेट लाइफ स्टाइल और स्टेटस को देखकर पुलिस भी हैरत में थी। जांच टीम के सूत्रों ने बताया कि मेट्रो सिटी की तरह सुविधाओं से सुसज्जित इनकी कोठियां हैं। पिछले पांच साल में ही इनके रहन-सहन में तेजी से परिवर्तन आया है। यह जॉब फिशिग से लेकर ओटीपी के मास्टर माइड हैं। अब बिजली, बिल अपरेट से लेकर 5जी सिम अपग्रोड का हथवंडा अपना रहे हैं। आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि जामताड़ा के हैलो गैंग का हर सदस्य महीने के करीब 25 से 30 लाख रुपए साइबर प्राॉड के जरिये आसानी से कमा रहा है। यह लोग सालाना करोड़ों की कमाईं का टारगेट लेकर पूरा कर लेते हैं। जितनी कमाईं, उतना लग्जरी लाइफ स्टाइल। कमाईं का पैसा हर रोज मौजमस्ती में जीभर के उड़ाते हैं। दिल्ली, मुंबईं यहां तक कि दुबईं तक हवाईं जहाजों में आए दिन सैरसपाटा करते हैं। आईंपीएल मैच कहीं भी हो। बाकायदा फ्लाइट से जाते हैं। पािम बंगाल के मुर्शिदाबाद का रहने वाला नसीम मालित्य की कोठी भी जामताड़ा वाले गैंग से कम नहीं है। सूत्रों ने बताया कि उसका घर लग्जरी विला की तरह है। सूत्रों ने बताया कि इस केस में सबसे अहम कड़ी है साबिर जो फरार है। साबिर ही सिम को ऑन डिमांड हजारों की संख्या में उपलब्ध कराता है। सूत्रों ने बताया कि साबिर के घर से महज 20 किलोमीटर दूर है बंगलादेश। फिलहाल उसके बंगलादेश भागने के चांस हैं। जामताड़ा रैकेट का मास्टर माइंड निजामुद्दीन अंसारी ही वेस्ट बंगाल के मुर्शिदाबाद निवासी नसीम से सिम कार्ड खरीदता था।नसीम के पास से बरामद 21,761 सिम कार्ड बरामद हुए। इसने 12500 सिम कार्ड पहले भी लिए थे। पुलिस को इनके पास से 774 विदेशी सिम कार्ड भी मिले हैं, जो नेपाल, भूटान और चीन के हैं। साबिर ही सिम कार्ड नसीम को उपलब्ध करता है। आरोपियों ने बताया कि यह लोग पािम बंगाल में आरोपी नसीम से मोबाइल के लिए प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड मंगवा लेते थे। इन्हें प्राप्त करने के बाद आरोपी इन नम्बरों को लगभग सभी बैंक के अलावा फिल्म कार्ड, अमेजन, मीशो और दूसरे ईं-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डाल देते थे। इसके बाद जैसे ही पीिड़त इन नम्बरों पर कॉल करता था तो आरोपी बहुत पेशेवर अंदाज से बातचीत करके बाद में धोखे से इनको एनीडेक्स क्विक के एक सपोर्ट जैसे एप डाउनलोड करवाने के बाद उनके मोबाइल से उनका खाता साफ कर देते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

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