Thursday, 2 November 2023
संघर्ष-विराम प्रस्ताव से दूर रहना स्तब्ध करने वाला है
रहना स्तब्ध करने वाला है भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए उस प्रस्ताव की वोटिंग में भाग नहीं लिया जो गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी व मानवीय कदमों को जारी रखने की वचनबद्धता के समर्थन में था। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में जार्डन यह प्रस्ताव लाया जिस कोस्पांसर (शुरुआती समर्थन) बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, रूस और दक्षिण अप्रीका समेत 40 देशों ने किया। इस प्रस्ताव पर हुईं वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। भारत के अलावा जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इराक, इटली, ब्रिटेन, यूव्रेन, साउथ सूडान, टाूनिशिया, फिलीपींस, स्वीडन और जिम्बाब्वे जैसे देशों ने भी वोट नहीं डाले। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, जबकि इजरायल, अमेरिका समेत 14 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं 45 देशों ने वोटिंग के समय अनुपस्थित रहने का पैसला किया। फलस्तीनी क्षेत्र में शांति लाने के उद्देश्य से लाए गए इस प्रस्ताव पर वोटिंग में भारत की अनुपस्थति को लेकर देश में विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिव्रिया दी है।
सीपीआईं और सीपीएम ने इसे चौंकाने वाला बताया तो प्रियंका गांधी ने कहा कि वो भारत सरकार के इस पैसले पर शर्मिदा हैं, वहीं शरद पवार ने कहा कि सरकार भ्रम की स्थिति में है। वामदलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि गाजा में संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव पर भारत की अनुपस्थिति चौंकाने वाली है, यह दर्शा रही है कि भारतीय विदेश नीति अब अमेरिकी साम्राज्यवाद के तहत काम करने वाले एक छोटे सहयोगी के रूप में बदल रही है। सीताराम येचुरी और डी राजा ने कहा कि गाजा में इस नरसंहार को रोवें। उन्होंने कहा यह फलस्तीनी उद्देश्यों पर लंबे समय से चले आ रहे भारत के समर्थकों को नकारने वाला पैसला है। उन्होंने कहा इजरायल ने 28 लाख से अधिक फलस्तीनी लोगों के घरों वाले गाजा पट्टी में सभी संचार बंद कर दिए हैं। यूएन के प्रस्ताव का सम्मान करते हुए वहां फौरन सीजफायर किया जाना चाहिए। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा फलस्तीनी मुद्दे पर भारत सरकार भ्रम की स्थिति में है। हम फिलिस्तिनियों का समर्थन करते आए हैं। इजरायल ने कहा हजारों लोग मार दिए हैं और भारत ने कभी उसका समर्थन नहीं किया।
प्रियंका गांधी बोली : जब मानवता के साथ सभी कानूनों को ताक पर रख दिया गया हो तो ऐसे में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है। उन्होंने महात्मा गांधी के शब्दों को ट्वीट करते हुए लिखा, आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है। मैं इस बात से स्तब्ध और शर्मिदा हूं कि हमारा देश गाजा में सीजफायर के लिए इस मतदान पर अनुपस्थिति रहा। हमारे घरों की बुनियाद अंहिसा और सत्य के सिद्धांतों पर रखी गईं, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। ये सिद्धांत संविधान का आधार है और हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करता है।
उन्होंने लिखा कि जब लाखों लोगों के भोजन, पानी, मेडिकल, संचार, आपूर्ति और बिजली काट दी गईं है और जब फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मारा जा रहा है, ऐसे समय में स्टैंड लेने से इंकार करना और इसे चुपचाप होते देखना गलत है।
एआईंएमआईंएम के चीफ और सांसद आसुद्दीन औवेसी ने भारत का वोट हिस्सा न लेने पर कड़ी निंदा की है। प्रस्ताव गाजा के नागरिकों की सुरक्षा और वहां कानूनी और मानवीय कदमों को जारी रखने के समर्थन में थे। यह ये स्तब्ध करने वाला है कि नरेन्द्र मोदी सरकार अपने मानवीय समझौते और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहे। उन्होंने कहा कि गाजा में अब तक 7028 लोग मारे जा चुके है, इनमें 3000 बच्चे और 1700 महिलाएं हैं।
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