Tuesday 7 November 2023

इंडिया एलाइंस में पड़ती दरारें

पड़ती दरारें जब 26 विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया एलाइंस बना था तो लोगों को यह लगने लगा था कि शायद यह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दे सकेगा। गठबंधन के तमाम लीडरों ने भी लंबे-चौड़े दावे किए। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि आपसी मतभेद दूर करके हम केन्द्र में भाजपा का विकल्प पेश करेंगे। पर जैसे ही गठबंधन की पहली परीक्षा और इनके आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए। कहने को तो गठबंधन नेता यह कह सकते हैं कि हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है विधानसभा चुनाव के लिए नहीं। पर अगर विधानसभा चुनाव में भी यह एकदूसरे के लिए थोड़ा सा त्याग करने के लिए तैयार नहीं तो आगे चलकर इनसे क्या उम्मीद लगाईं जा सकती है? विपक्षी गठबंधन इंडिया मेंे सब वुछ ठीक नहीं चल रहा है। शुरुआत में इस गठबंधन में खास भूमिका निभाने वाले नीतीश बाबू ने पिछले ही दिनों सीसीआईं के एक आयोजन में जो टिप्पणी की है वह उनके असंतोष को ही दिखाती है। उनका कहना था कि कांग्रोस इस समय 5 राज्यों के विधानसभा में व्यस्त है उसे इंडिया एलाइंस की कोईं चिता नहीं है। जिस तरीके से मध्य प्रादेश में कांग्रोस और समाजवादी पाटा में सीटों के बंटवारे को लेकर सिर पुटोव्वल हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं। अखिलेश यादव खुलकर कमलनाथ के खिलाफ बोल रहे हैं। शुव््रावार को अखिलेश यादव ने मध्य प्रादेश के बुंदेलखंड में चुनाव प्राचार के दौरान कांग्रोस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को लेकर कहा कि जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं? वह यहीं नहीं रूके, उन्होंने यह भी कहा कि वो कमलनाथ भाजपा की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे। यह एक तरह से सपा के गठबंधन नहीं करने पर कमलनाथ के उस बयान का जवाब है जिसमें उन्होंने कहा था छोड़ो भाईं अखिलेश-वखिलेश। अखिलेश यादव और सपा नेता रामगोपाल यादव ने इस पर कमलनाथ को पहले भी भला बुरा कहा था लेकिन इस बार चुनाव सभा में अखिलेश यादव ने उनकी (कमलनाथ) तुलना भाजपा से की है। चुनाव में ऐसी बातों से कांग्रोस को नुकसान हो सकता है। अखिलेश ने दो दिन पहले बयान दिया कि यह तो अच्छा हुआ कि कांग्रोस ने हमें अभी ही धोखा दे दिया अगर बाद में दिया होता तो हम कहीं के नहीं रहते। बेशक सीटों पर तालमेल मुख्यत: अगले आम चुनाव के लिए होना था, फिर भी गठबंधन के घटक दलों के बीच विधानसभा सीट बंटवारे को लेकर थोड़ी बहुत कटुता जरूर पैदा हुईं है, चुनाव के मौजूदा चव््रा में चूंकि कांग्रोस ही गठबंधन की सबसे बड़ी पाटा है। उससे वुछ नाराज पार्टियां सामने आईं हैं। इन सबके बाद जब प्रातिद्वंद्वी एनडीए और उसके नेता भाजपा, इंडिया की चुनौती को कमजोर पड़ता मानकर कोईं राहत शायद ही ले सकते हैं। उन्हें विधानसभा चुनाव के वर्तमान चव््रा में और खासतौर पर तीन हिदी भाषी राज्यों में इंडिया उन्हें बराबर की टक्कर देती नजर आ रही है और इस चव््रा के में उत्तर-पूवा राज्यों में एनडीए मुख्य मुकाबले से भी बाहर ही नजर आ रही है? उम्मीद की जाती है कि इन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन किस दिशा में जा रहा है यह और स्पष्ट हो जाएगा?

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