Tuesday, 28 November 2023
म्यांमार से हजारों भारत में घुसे
पिछले वुछ दिनों से भारत-म्यांमार सीमा के करीब म्यांमार सेना और सैन्य शासन का विरोध कर रहे बलों के बीच तेज हुईं झड़पों के बीच करीब पांच हजार विस्थापित लोग म्यांमार से मिजोरम पहुंचे हैं। म्यांमार सेना के 45 जवानों ने भी मिजोरम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। इन्हें भारतीय सेना को सौंप दिया गया और बाद में म्यांमार वापस भेज दिया गया। मिजोरम पुलिस के आईंजीपी लालबियाक्तगंगा खिआंगते ने इसकी पुष्टि की है। खिआंगते ने कहा, बार्डर के करीब दूसरी तरफ स्थिति अभी तनावपूर्ण है, लेकिन अभी तक भारत की तरफ से कोईं हिसात्मक गतिविधि नहीं हुईं है। विद्रोहियों ने कईं जगह हमले किए हैं और सेना की चौकियों पर कब्जा किया है जिसके बाद म्यांमार के सैनिकों को जंगल में छिपना पड़ रहा है। म्यांमार में सेना ने फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तब से ही म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है जिसकी वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। हाल के दिनों में चीन से सटे म्यांमार के शैन प्रांत में कईं हथियारबंद समूहों ने एकजुट होकर सेना के खिलाफ हमले किए और कईं जगहों पर कामयाबी हासिल की। इसके बाद भारत के सीमावता इलाकों में भी विद्रोहियों ने सेना के ठिकानों पर बड़े हमले किए हैं। पुलिस के मुताबिक सर्वाधिक विस्थापित चमफाईं जिले के सीमावता कस्बों में पहुंचे हैं। दरअसल म्यांमार में फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गईं आंग सान सू की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सैन्य शासन ने कानून-व्यवस्था बचाए रखने के लिए ताकत के इस्तेमाल को अपनी नीति बना रखा है, जिस कारण लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। तब से आज तक वहां चार हजार लोकतंत्र समर्थक मारे जा चुके हैं और बीस हजार से ज्यादा लोग जेल में पड़े हैं। यह जुटा शासन के जुल्मों की इंतेहा ही है कि पहली बार लोकतंत्र समर्थकों ने आंग सान सू की अहिसात्मक प्रातिरोध को छोड़कर हिसा का सहारा लिया है।
बता दें कि मिजोरम और म्यांमार के बीच करीब 510 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है, जो ज्यादा सख्त नहीं है। चूंकि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो खुद को एक ही पूर्वज की संतान मानते हैं, इसी वजह से म्यांमार से आने वाले विस्थापितों को मिजोरम में पूरा समर्थन मिल रहा है, खास बात यह कि भारत के चार राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रादेश से लगती यह सीमा की मूवमेंट व्यवस्था के तहत आती है। जिसके मुताबिक लोग सीमा के दोनों तरफ 16 किलोमीटर तक आ जा सकते हैं। देश की सीमा के दोनों तरफ बसी जनजातियों में आपसी रिश्तेदारी के चलते इन प्रावधानों को कड़ा करना या शरणार्थियों के आने जाने पर रोक लगाना मुश्किल है। म्यांमार को शरणार्थियों को शरण देना मिजोरम में कानून-व्यवस्था लाए रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती है। बेहतर यही है कि म्यांमार में शांति स्थापना के लिए असियान देश बगैर विलम्ब किए पहल करें ताकि लोकतांत्रिक संबंध के जरिए स्थायी समाधान ढूंढ़ा जा सके।
——अनिल नरेन्द्र
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