Friday, 5 August 2022
बाल मुवुन्द ओझा जल जीवन है या जहर प्रोरणा
भारत सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि आज हम जो पानी पी रहे हैं वह जहर बन गया है। सरकार ने राज्यसभा में जो आंकड़े दिए हैं वो न सिर्प चौंकाने वाले हैं बल्कि डराने वाले भी हैं। जहां भूजल में जहरीली धातुओं की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक पाईं गईं है। आंकड़ों के अनुसार देश के 25 राज्यों के 209 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में आस्रेनिक का स्तर 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। 29 राज्यों के 491 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में लौह तत्व 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
21 राज्यों में 176 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में लेड का स्तर वुछ हिस्सों में 0.01 मिलीग्राम प्रति ली टर से अधिक है।
वहीं 11 राज्यों के 29 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में वैडमियम का स्तर 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया। जल शक्ति मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को इसका पानी भूजल से मिलता है। दुनिया में उपलब्ध वुल जल में मात्र 0.6 फीसदी जल ही पीने योग्य है। यह पानी समुद्रों नदियों, तालाबों, झीलों और अन्य जल निकायों में मौजूद है। मानव सयता के विकास के साथ हमारे जलरत्रोत जबरदस्त प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। इनमें जल प्रदूषण मुख्य कारक है। जल प्रदूषण के कारण विभिन्न जलरत्रोतों में जीवन के लिए जहर रूपी खतरनाक रसायनों के मिश्रण का घोल बन रहा है।
हमारे देश में शुद्ध जल की प्राप्ति दूभर होती जा रही है।
प्रदूषित के बाद संदूषित जल ने हमारे स्वास्थ्य और पाचन तंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की एकीवृत प्रबंधन सूचना प्रणाली द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 4 करोड़ ग्रामीण पीने के लिए धातु-संदूषित जल का उपयोग करते हैं। जल में पाए जाने वाले प्रमुख भारी धातु फ्लोराइड, आस्रेनिक और नाइट्रेट हैं।
आस्रेनिक संदूषण में बंगाल और राजस्थान शीर्ष पर हैं। जल जीवन का आवश्यक तत्व है। वनस्पति से लेकर जीव-जंतु अपने पोषक तत्वों की प्राप्ति जल के माध्यम से करते हैं।
जीवन पानी पर निर्भर करता है। मनुष्य एवं प्राणियों के लिए पीने के पानी के रत्रोत नदियां, सरिताएं, झीलें, नलवूप आदि हैं। मानव पानी का उपयोग स्नान, धुलाईं, उदृाोग, सिचाईं, नेविगेशन, निर्माण कार्यं आदि के लिए करता है यह हम सब जानते हैं। जल का दूषित होना मनुष्य के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। हमारे देश के भूजल में आस्रेनिक, फ्लोराइड, नाईंट्रेट, लोहा, वैडमियम, व््राोमियम, तांबा, निकल, सीसा, जस्ता व पारा जैसी भारी धातु का मिश्रण तेजी के साथ घुलता जा रहा है। जिससे जलजनित बीमारियां हमारे जीवन के लिए खतरा बन गईं हैं। वेंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की माने तो विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों और जल गुणवत्ता की निगरानी के दौरान वेंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा तैयार भूमि जल गुणवत्ता के आंकड़े देश के विभिन्न राज्यों के भागों के अलग-अलग हिस्सों में भूमि जल संदूषण की पुष्टि कर रहे हैं। हालत यह हो गईं है की लोग धीमे जहर वाले पानी को पीने के लिए विवश हैं।
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