Thursday 11 August 2022

बिहार से महागठबंधन का शंखनाद

का शंखनाद क्या भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान भाजपा-जेडीयू गठबंधन तोड़ने का कारण बना? ऐसी सभी जगह चर्चा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब बिहार के दौरे पर थे तब उन्होंने वहां कईं कार्यंव्रमों में हिस्सा भी लिया। इसी एक कार्यंव्रम में कहा-भाजपा एक विचारधारा से प्रेेरित है दौरे में उन्होंने और हम एक विचारधारा से प्रेरित पार्टी हैं। भाजपा कार्यांलय कार्यंकर्ताओं के लिए एक बिजलीघर है जहां से करोड़ों कार्यंकर्ता पैदा होंगे। नड्डा जी ने कहा कि अगर यह विचारधारा नहीं होती तो हम इतनी बड़ी लड़ाईं नहीं लड़ सकते थे। सब लोग (यानि अन्य राजनीतिक दल) मिट गए, समाप्त हो गए और जो नहीं हुए वह हो जाएंगे, रहेगी तो केवल भाजपा ही। भाजपा के विरोध में लड़ने वाली कोईं भी राष्ट्रीय पार्टी नहीं बनी। बस यह पंक्तियां थीं शायद जिससे जेडीयू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार के कान खड़े हो गए। बेशक पार्टी के अन्य नेता कह यह भी रहे हैं कि भाजपा उनके विधायकों को तोड़ने के लिए धनबल का प्रयोग भी कर रही थी जिसकी छह रिकार्डिग उनके पास है। नीतीश वुमार और भाजपा के बीच टकराव तो 2020 से ही शुरू हो गया था और भाजपा के नेताओं के बयान भी गठबंधन की नैतिकता को निभाने वाले नहीं थे। नीतीश वुमार को महाराष्ट्र में शिवसेना को खत्म करने की भाजपा की साजिश ने सतर्व कर दिया और पिछले वुछ सालों के भाजपा के कार्यंकलापों की जब विवेचना की तो उन्हें समझ आ गईं। भाजपा की विस्तारवादी नीति। सुशासन बाबू समझ गए कि भाजपा जहां सरकार नहीं बना सकी वहां उसने किस तरह से विधायक खरीद कर सरकारें गिराईं जिनमें मध्य प्रदेश, गोवा, असम जैसे राज्यों में भाजपा की सरकार वैसे बनी यह सब को पता है। भाजपा ने राजस्थान में भी पूरी कोशिश की मगर गहलोत भी बहुत ही परिपक्व राजनेता हैं उन्होंने अपनी सरकार बचा लिए। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सतर्व हो गए। सरकार गिराना और अपनी सरकार बनाना यह राजनीति में कोईं नईं बात नहीं है परंतु विपक्षी पार्टियां या सहयोगी दलों को खत्म करना लोकतंत्र में चिंता का विषय है। तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा ‘शार्व’ है जो सभी दलों को निगल लेना चाहती है जैसे पंजाब में उसने अपने इतने पुराने सहयोगी दल ‘अकाली’ फिर शिवसेना, इसके ताजा उदाहरण है। खैर, अब नीतीश वुमार भाजपा से अलग हो गए हैं और उन्होंने सात दलों के साथ महागठबंधन कर आज 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। वहीं उनके साथ आरजेडी के नेता लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने दोबारा उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और बिहार में महागठबंधन की सरकार फिर एक बार आ गईं। सुशासन बाबू ने आज एक बहुत बड़ा बयान भी शपथ लेने के बाद दे दिया, ‘जो 2014 में आए वो क्या 2024 में रह पाएंगे यह हमें नहीं पता!’ नीतीश वुमार का आरोप है कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह जेडीयू को तोड़ने की कोशिश करते आ रहे हैं और उन्हीं की पार्टी के नेता आरपी सिंह उनके मोहरे का काम कर रहे थे। अमित शाह जी को सब भाजपा का चाणक्य कहते हैं और उनकी अब तक की सभी नीतियां लगभग सही निशाने पर लगी हैं परंतु बिहार तो स्वयं ‘चाणक्य’ की धरती है अत: वहां पर अमित शाह और जेपी नड्डा का दांव नहीं चला। इसमें कोईं शक नहीं कि भाजपा को नीतीश वुमार ने एक भारी झटका दिया है और तभी भाजपा के बिहार के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश वुमार को चेताया कि आरजेडी के साथ उन्हें वो सम्मान नहीं मिलेगा जो उन्हें भाजपा में रहते हुए मिला। हमने ज्यादा सीटें होने के बावजूद भी उन्हें मुख्यमंत्री की वुस्री पर बैठाया, पार्टी तोड़ने की कोशिश नहीं की। हमने तो उन्हें ही तोड़ा जिन्होंने हमें धोखा दिया। महाराष्ट्र में शिवसेना ने हमें धोखा दिया तो उन्हें उसके परिणाम भुगतने पड़े। बिहार में धोबी पछाड़ दिए जाने पर महागठबंधन की पार्टियों के नेताओं में एक नईं ऊर्जा का संचार हुआ है और वो कह रही हैं ‘जैसे को तैसा’। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पूर्व नीतीश वुमार ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर धन्यवाद दिया और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर सभी विधायकों से मुलाकात भी की। नीतीश वुमार 1974 में बिहार छात्र आंदोलन के समय से ही सूबे की राजनीति में सव्रिय रहे। वर्ष 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद 1985 में हरनौत विधानसभा से जीत कर पहली बार विधायक बने और वर्ष 1989 में पहली बार सांसद बने और वो भी उस सीट से जहां बाढ़ का भारी प्रकोप रहा। फिर उसके बाद 1996, 1998, 1999 के लोकसभा चुनाव में भी वो लगातार जीतते चले गए और केन्द्र सरकार में रेल मंत्री, वृषि मंत्री भी रहे। वर्ष 2000 में एनडीए की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2005 में आरजेडी को हराकर मध्यावधि चुनाव बहुमत से जीतकर मुख्यमंत्री बने। इधर-उधर होकर नीतीश वुमार लगातार बिहार के आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। नीतीश वुमार को और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को महसूस होने लग गया था कि भाजपा उनकी पार्टी को खत्म कर देना चाहती है जिसका उदाहरण जेपी नड्डा का 31 जुलाईं को बिहार में दिया गया बयान है। जब जदयू के नेताओं ने इसकी समीक्षा की कि उनकी पार्टी के 2010 में 117 विधायक थे और 2015 में 72 और अब गिनती 40 पर पहुंच गईं और इसको यहां तक पहुंचाने में भाजपा ने चिराग पासवान का खूब अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल किया जो पानी पी-पी कर नीतीश वुमार और तेजस्वी यादव को कोसते थे। बेशक उनकी अपनी पार्टी जीरो हो गईं और उनके चाचा केन्द्र में मंत्री बन गए और चिराग हनुमान बने घूमते रहे हैं। अब वह फिर एक बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने लगे हैं वो नहीं जानते उनके सामने नीतीश वुमार हैं जिन्हें सभी सात दलों ने समर्थन दिया है। आज शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के कईं बड़े नेता जैसे राबड़ी देवी और जीतन राम मांझी भी उपस्थित थे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य खराब होने के कारण समारोह में नहीं आ सके। मगर नीतीश वुमार ने उन्हें फोन पर सभी घटनाव्रम से अवगत करवाया। राबड़ी देवी ने तो कहा कि यह बिहार की जनता के लिए बहुत अच्छा हुआ है।

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