Wednesday, 17 August 2022
बिहार की राजनीति भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
जदयू की बैठक में भाजपा पर विधायक तोड़ने-खरीदने का आरोप लगा। कहा गया—भाजपा ने हमेशा विश्वासघात किया है। वह क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है। भाजपा सिर्प हिन्दू-मुस्लिम कर देश का माहौल बिगाड़ रही है। यह कहकर जदयू ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ दिया और आरजेडी के साथ नईं सरकार ने शपथ भी ले ली है। इस गठबंधन टूटने से दोनों को भाजपा और जदयू को नईं चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। भाजपा की 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति को बिहार में नीतीश वुमार ने झटका जरूर दिया है। चार महीने से नीतीश और भाजपा में जो तनातनी चल रही थी, उसमें भाजपा के रणनीतिकारों को मात खानी पड़ी। गठबंधन टूटने के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार के कोर ग्राुप के साथ बैठक की। जानकारों के मुताबिक इस घटनाव््राम से भाजपा का मिशन 2024 डी-रेल भले न हुआ हो लेकिन झटके से इंकार नहीं किया जा सकता। दक्षिण भारत में भाजपा कर्नाटक को छोड़कर अन्य राज्यों में पैर जमाने में अब तक सफल नहीं रही है।
आंकड़े देखें तो 2024 के लिए भाजपा का 266 लोकसभा सीटों पर मुकाबला 2019 की तुलना में कठिन हो सकता है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 में एनडीए (जदयू-भाजपा गठबंधन) ने 39 सीटें जीती थीं। अब महागठबंधन बनने से भाजपा बनाम अन्य के बीच 60 प्रातिशत वोट का अंतर होगा। यानि भाजपा 20 प्रातिशत तो महागठबंधन के पास 80 प्रातिशत वोट शेयर है। भाजपा के एक महासचिव ने कहा—नीतीश को इतने दिन साधे रखने की अहम वजह यही है कि उनका वोट शेयर भाजपा को मिल जाए, तो अपराजय है और राजद से मिल जाए तो भी व अपराजय है। बिहार में जदयू के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद भाजपा ने न सिर्प एक राज्य में सत्ता खोईं है, बल्कि उसका एक बड़ा सहयोगी भी उससे दूर हुआ है। भाजपा और जदयू में खटास लंबे समय से चली आ रही थी, लेकिन हाल की वुछ घटनाओं ने दोनों दलों का तलाक वुछ जल्दी ही करा दिया। भाजपा नेतृत्व ने इसे रोकने की कोशिश तो की, लेकिन बहुत ज्यादा चिता नहीं दिखाईं। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेताओं को यह पता चल चुका था कि नीतीश अब रुकने वाले नहीं। विधानसभा में जो दलीय संख्या है उसमें भाजपा किसी तोड़फोड़ और दूसरे दलों को साथ लेकर भी अनी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में भाजपा अब विपक्ष की रचनात्मक भूमिका तो निभाएगी पर नीतीश पर सीधे हमले से बचना चाहेगी।
भाजपा का अब पूरा हमला राजद पर होगा। राजद के भ्रष्टाचार के पूर्व के मामलों को लेकर भाजपा एक बार फिर मुखर होगी। इसी पिच पर वह अगले लोकसभा और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी नहीं करेगी। इस घटनाव््राम के बाद भाजपा को बिहार में संगठन में बदलाव करना पड़ेगा। पाटा अपने दम पर चुनाव लड़ने की स्थिति में ऐसे नेतृत्व को उभारेगी जो सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में तो प्राभावी हो ही साथ ही उसकी राजनीतिक अपील भी बेहतर हो।
ऐसे में पुराने नेताओं को एक बार फिर से सामने लाया जा सकता है।
——अनिल नरेन्द्र
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